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दानव द रिस्की लव - 14

…….Now on …….




उबांक : तो आप जल्दी कुछ करिए …..अगर ये विरोध में हो गई तो आप कुछ नही कर पाऐंगे …...!

तक्ष : हां उबांक …..देखता हूं इसका दिमाग किसने बदला…..!

उबांक : हां.....!

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विवेक : अच्छा भाई आप जाईए …...!

आदित्य : ध्यान रखना ......!

विवेक : ok bhai… good night …..!

आदित्य : good night …...(आदित्य अंदर चला जाता है)...

विवेक : चलो निशांत…..

निशांत : जी …..!

विवेक comfortably sit से टीक जाता है उसके मन में उथल-पुथल मची है …..

विवेक : अदिति किसी खतरे में तो नही है …..कही उस अघोरी कि कही बात सच तो नही है … तक्ष उन के लिए खतरा तो नही है... नहीं मैं ऐसा कुछ नही होने दूंगा...

निशांत : sir हम पहुंच गए …...!

विवेक : thanks .....कल car पहुंचा देना घर …..!

निशांत : जी.....!

…...in vivek home …..

इशान : छोटी मां… आ गया आपका बेटा….आप परेशान हो रही थी....!

" कहां था तू इतनी देर तक …"

चौधरी साहब : मालती जी ….इसे dinner तो कर लेने दे …!

मालती : आपने ही बिगाड़ रखा है... चौधरी जी ….!

विवेक : मां मैं खा कर आया हूं ….!

मालती : तूने बाहर dinner किया है …..!

विवेक : नही मां ….अदिति को घर drop करके आया था ….आदित्य भाई ने dinner के लिए force किया तो खा लिया...!

मालती : अच्छा ….

इशान : विवेक ……आदित्य को ‌कह दिया था कल आने के लिए …..!

विवेक : हां भाई …..कल दोनों lunch पर आऐंगे …..!

मालती : अच्छी बात है ….कितने दिन हो गये अदिति को देखा भी नही है …!

विवेक : हां मां मिल लेना …..!

मालती : क्या हुआ बेटा तू कुछ परेशान सा लग रहा हैं …!

विवेक : कुछ नही मां बस थोड़ा headache है ..!

मालती : क्या किसी से झगड़ा हुआ है क्या ..?

विवेक : नही मां ….!

" मालती headache ही तो है ठीक हो जाएगा….तू आराम कर ले बेटा…."

विवेक : thanks बड़ी मां… (विवेक अपने कमरे में चला जाता है)...

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…..Next day in aditi ' s room ….

अदिति के माथे पर तक्ष हाथ फेरता है …… अदिति चौंककर उठती है …

अदिति : तुम ..इतनी सुबह मेरे कमरे में क्या कर रहे हो ….दूर रहो मुझसे …..!

तक्ष : आप मुझसे डर क्यूं रही है...?

अदिति : तुम दूर हटो….भैय्या (चिल्लाती है) ….. तुम पिशाच हो तुमने झुठ बोला हमसे ….…!

तक्ष :ये आपको किसने कहा ….उस अमोघनाथ ने ….!

अदिति : नही ….अघोरी बाबा कभी झुठ नही बोलते उन्होने कहा है …..!

तक्ष : (मन में) अब ये अघोरी कहां से आ गया …..नही ….!

अदिति : मैं अभी भाई को बताती …....!

तक्ष : तुम कही नही जाओगी …..!

अदिति : छोड़ो मेरा हाथ …..(तभी बाहर से आदित्य कि आवाज आती है)..

आदित्य : अदिति चलो ...जल्दी ready हो जाओ... विवेक के यहां जानते है.....!

अदिति कुछ बोलती इससे फसल ही तक्ष ने उसका मुंह बंद कर दिया …..अदिति को बांधकर पीछे छिपा देता है और खुद अदिति का रुप ले लेता है ….

अदिति (तक्ष ) : भैय्या …!

आदित्य : अदि तू ready नहीं हुई अभी तक …..!
अदिति (तक्ष ) : भैय्या आप चले जाओ मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा हैं …मैं घर पर ही rest करूंगी आप जाओ …..!

आदित्य : पर

अदिति (तक्ष ) : please भैय्या ….!

आदित्य : ठीक है … अपना ध्यान रखना बबिता है वैसे …(आदित्य चला जाता है)...

अदिति (तक्ष ) : ठीक है ….!

तक्ष कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लेता है फिर अदिति के हाथ ,मुंह खोल देता है ….…

अदिति : धोखेबाज ……मेरा फायदा उठाया तूने ……मैं ही पागल थी जो तेरी बातों में आ गई……

तक्ष : चुप रहो ….

अदिति : मैं अभी भैय्या को सब सच बताती हूं......... छोड़ो मेरा हाथ …..

तक्ष : तुम चुप नहीं रह सकती न ……मैंने कोई धोखा नही दिया ….!

अदिति : तुमने मेरा रुप लेकर भाई से झुठ बोला है …… और क्या prof बाकि है तुम एक इंसान नही पिशाच हो ….!

तक्ष : हां हूं.... मैं एक पिशाच ….बदला लेना है मुझे तेरे बाप से ... जो किया है उसका बदला तू देगी मुझे आज से छ : मावस बाद तेरी बलि देकर मैं हमेशा के लिए मुक्त हो जाऊंगा ……(तक्ष अपने असली रुप में आ जाता है)...

अदिति डर जाती हैं ……

अदिति : क्यूं मारना चाहते हो मुझे ……

तक्ष : तुम ये सब जानकर क्या करोगी …..उस अघोरी ने तुम्हें चेतावनी दी थी न आज उसका का ही काम खत्म करूगां ….आज कि भुख उससे ही मिटाऊंगा ….पर उससे पहले तुम्हें

अदिति : नही ….मेरे पास …मत आओ ….

तक्ष : तुम मेरे रुप को देख चुकी हो ….अब छ:मावस तक तुम चुप नहीं रह सकती ….

अदिति : मैं कुछ नही बोलूंगी……

तक्ष : (तक्ष वापस इंसानी रुप में आ जाता है ).…उसकी जरुरत नहीं पड़ेगी …..…(तक्ष अपना अंगूठा अदिति के माथे पर लगाता है और अपनी आंखों के जरिए अदिति को अपने वश में करता है ….)…..तुम सिर्फ तक्ष को जानती हो ….मेरे रुप को भूल जाओ …. आज से सिर्फ़ मेरी कही बात सच होगी तुम्हारे लिए ….जो भी तुमने मेरे बारे में सुना था वो सब भूल जाओ …..…अब तुम कल तक के लिए सो जाओ ……कल से तुम एक साधारण लड़की कि तरह नही सोच पाओगी ….तुम्हें क्या जानना है क्या नही ये मैं बताऊंगा …!

अदिति को बिस्तर पर लिटा देता है ……

उबांक : दानव राज …अब तो आपको इसे वशीकरण द्रव्य देने कि आवाश्यकता ही नहीं हैं ……!

तक्ष : सही कहा उबांक ……अब तो काम और आसान हो गया ….!

……..………..

तक्ष : तुम कहां जा रही हो ….!

,बबिता : अदिति दी को खाना देने ……!

तक्ष : वो अभी दवाई खाकर सोई है ……!

बबिता : बिना कुछ खाएं ….!

तक्ष : हां उन्होने मना किया था ….तुम्हें बताने के लिए भी कहा था ….!

बबिता : ठीक है …!

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……in vivek house …….

आदित्य : good afternoon ….!

मालती : अरे ! आओ बेटा …तुम अकेले आये हो …अदिति कहां हैं वो नही आई ……?

आदित्य : नही aunty ji उसे headache था तो उसने आने से मना कर दिया.……!

मालती : ऐसे कैसे मना कर दिया ……विवेक जा लेकर आ अदिति को और कह देना मां है अभी सिर दबाने के लिए …मेरी बेटी है तू जब बुलाया है तो मना नही करना चाहिए …!

विवेक : ok मां. …!




…….to be continued ….…