Guruji keep blessings. books and stories free download online pdf in Hindi

गुरु जी आशीर्वाद बनाये रखना.

बात कुछ साल पुरानी हैं रमेश के पिताजी का ट्रांसफ़र सहारनपुर से मथुरा के एक गाँव चौमुहां में हो गया था. रमेश उस समय कक्षा ६ का विधार्थी था जब रमेश ८ वी कक्षा में आ गया तो रमेश के पिता ने रमेश का ट्यूशन एक अध्यापक जिनका नाम सिंह साहेब था.रमेश क़रीब सिंह साहेब से ४ साल तक ट्यूशन पढ़ा.जब रमेश हाई स्कूल में प्रथम श्रेणी में पास हुआ तो सिंह साहेब के पास क़रीब और नए २५ छात्रों ने ट्यूशन पढ़ना शुरू कर दिया.उन दिनो ट्यूशन की फ़ीस १००/ हुआ करती थी. रमेश क़रीब वहाँ ७ साल रहा. इसी बीच रमेश के पापा का ट्रांसफ़र हो गया और रमेश अपनी Engg की पढ़ाई के लिए मुज़फ़्फ़रनगर चला गया.समय गुजरता गया रमेश की नौकरी भी लग गई शादी भी हो गई बच्चे भी बड़े हो गए सब अपने-अपने काम में व्यस्त लेकिन रमेश सिंह साहेब को अपना गुरु मानता था और आज जो भी रमेश हैं वो सब उन गुरु जी की वजह से हैं. रमेश ने गुरु जी की कई बार पता करने की कौशिश की पर सफलता हाथ न लगी.गुरु जी के एक बेटा और एक बेटी थी. गुरु जी का बेटा जिसका नाम पंकज था रमेश के भाई का दोस्त था और बेटी रूबी रमेश की बहन की सहेली थी.रमेश को सिर्फ़ ये पता था गुरु जी आगरा के रहने वाले थे.समय गुजरता रहा.एक दिन रमेश को आगरा शहर में किसी काम से जाना हुआ, शाम को खाना खाने के बाद रमेश बाहर घूमने के लिए निकला, अचानक एक शख़्स रमेश को दिखाई दिये,रमेश मन ही मन सोचने लगा अरे कही ये सिंह साहेब तो नहीं हैं और उनके साथ जो महिला हैं बिल्कुल उनकी बेटी जैसी हैं, मन माना नहीं आख़िर क्षमा माँगते हुए पूछ ही लिया रमेश ने, आप गुरु जी तो नहीं जो चौमुहां में पढ़ाते थे, गुरु जी ने एक दम हाँ कर दी. रमेश एक दम गुरु जी के चरणों में बेठ गया, sir आज ऊपर वाले ने मेरी सुन ली बहुत वर्षों से प्रयास कर रहा था कैसे आपसे मिलूँ और आज देखिए अचानक कैसे मिल गए और गुरु जी ये तो रूबी हैं न जो मेरी बहन की सहेली थी. गुरु जी बोले हाँ ये रूबी ही हैं और ये इसका बेटा मेरे साथ ही रह रहें हैं. गुरु जी बोले रमेश चलो हमारे साथ घर चलो ठीक हैं गुरु जी चलता हूँ पर वापिस होटल ही आना होगा ठीक हैं गुरु जी बोले. रास्ते में बहुत बातें हुई मैंने पूछा पंकज कहा हैं वो विदेश में हैं और उसकी माँ भी उसी के साथ हैं . ये बिटिया हैं और ये उसका बेटा हैं बेटी आजकल मेरे साथ ही रह रही हैं. बातें करते करते घर पहुँच गए. चाय पी बहुत बातें हुई रमेश का मन बहुत दुखी हुआ गुरु जी बहुत दुबले पतले और घर की दशा देख कर. रमेश ने रूबी के बेटे से बात की बेटा क्या कर रहे हो बेटा बोला मामा जी होटल Management किया हैं नौकरी ढूँढ रहा हूँ. इसी बीच रमेश ने अपनी बहन से रूबी की बात करा कर अपनी बहन को Surprise दिया. रमेश गुरु जी से बोला आप चिंता न करे रूबी के बेटे की कल से नौकरी शुरू … रमेश गुरु जी से बोला गुरु जी मेरी बहन का होटल का ही व्यापार हैं और आगरा में भी उसका होटल हैं कल से उसमें काम पर चला जाएगा.रमेश ने गुरु जी से आशीर्वाद लिया और होटल वापिस आ गया. अगले दिन रमेश अपना काम ख़त्म करके गुरु जी से मिलने गया गुरु जी आज मैं जो हूँ आपके आशीर्वाद से हूँ आपने मुझे लायक़ बना दिया आज मैं आपको और रूबी बहन को कुछ देना चाहता हूँ मना मत करना. मैं चाहता हूँ मेरे गुरु जी ख़ुश रहे सुखी से रहे ये मेरा नम्बर हैं जब भी आपको किसी चीज़ की ज़रूरत हो मेरे से बात करना और रमेश ने एक लिफ़ाफ़ा गुरु जी के हाथ में देकर चरण स्पर्श कर विदा ली. गुरु जी बस आप इसी तरह आशीर्वाद बनाये रखना.