Ziddi Ishq - 14 books and stories free download online pdf in Hindi

ज़िद्दी इश्क़ - 14

"तुम्हे आज मुझ से कोई भी नही बचा सकता माहेरा तो फिलहाल अपना येह छोड़ा सा दिमाग मत चलाओ। क्योंकि आज मैं तुम्हरी कोई भी बकवास सुनने के मूड में बिकुल भी नही हु। आज तुम्हे सज़ा से कोई नही बजा सकता।"

माज़ उसके कान के करीब जा कर बोला।

माहेरा उसके होंठो का स्पर्श अपने कान पर महसूस कर सकती थी। जबकि वोह माज़ की झुलसा देने वाली सांसो से आप गर्दन जलती हुई महसूस कर रही थी।

"आह........."

माज़ ने अपनी बात पूरी करते ही माहेरा की गर्दन में अपने दांत धँसा दिए, जिसकी वाजह से माहेरा की चीख निकल गयी। अब माहेरा बस अपनी सज़ा के बारे में ही सोच रही थी।

माज़ ने उसके बालो स अपना हाथ निकाला और खड़ा हो कर माहेरा का बाज़ू को पकड़ कर उसे ज़ोर से झटका दे कर खड़ा किया।

माहेरा जो खड़े होने के लिए बिल्कुल भी तैयार नही थी, अचानक खड़े होने की वाजह से जब उसका वजन उसके पैर पर पड़ा जो भगते वक़्त मुड़ गया था तो दर्द की वाजह से उसकी चीख निकल गयी।

माज़ ने एक नज़र उसके पैरों को देखा और फिर माहेरा को देख कर उसने उसका बाज़ू छोड़ा और उसे अपनी बाहों में उठा लिया।

माहेरा ने जल्दी से अपना बाज़ू उसकी गर्दन में डाल और उसके सीने से अपना सिर टिका लिया।

"यह मत सोचना तुम्हारी चोट देख कर तुम्हे आराम करने के लिए कहूंगा या तुम्हारी सज़ा माफ कर दूंगा, बिल्कुल भी नही। तुम्हे एक मज़े की बात बताऊं तुम्हे मैं वही ले कर जा रहा हु जहाँ तुम्हे सज़ा मिलेगी।"

माहेरा जो येह सोच कर खुश हो रही थी चलो अब सज़ा नही मिलेगी माज़ की बात सुनकर उसके चेहरे का रंग ही उड़ गया।

माहेरा ने सामने देखा तो माज़ उसे मेंशन में ले जाने के बजे कहि और ही ले कर जा रहा था।

उसने ध्यान से देखा तो माज़ उसे मेंशन के बेसमेंट में ले कर जा रहा था। अपनी सज़ा के बारे में सोच कर माहेरा कांपने लगी जिसे माज़ ने भी महसूस किया और फिर नज़र अंदाज़ कर दिया। वोह माहेरा को ऐसी सज़ा देना चाहता था ताकि वोह दोबारा इस मेंशन से भागने के बारे सोचे भी ना।

माज़ उसे बेसमेंट में ले आया और राइट साइड मौजूद सेल जो दुश्मनों के लिए था उस तरफ ले कर जाने लगा।

जबकि अपने आस पास मौजूद काली दीवारों को देख कर माहेरा का दिल की धड़कनें बंद होने लगी। माहेरा को जब सेल दिखाई दिया तो उसे लगा उसे कुछ दिन बस यहां रहना है। लेकिन उसे इस बात का अंदाज़ा भी नही था माज़ के दिमाग मे तो कुछ और ही प्लानिंग चल रही है।

माज़ उसे ले कर अखिरी सेल के पास गया वहां मौजूद गार्ड ने उसे देख कर सेल का दरवाज़ा खोला तो माज़ माहेरा को ले कर अंदर गया अजर एक जगह बिठा कर उसके करीब जा कर उसके कान में बोला।

"अगर येह सोच रही हो तुम्हारी सज़ा यहां कैद होना है तो तुम्हारी गलतफहमी अभी मेरे जाने के बाद दूर हो जाएगी।"

माहेरा ने माज़ की बात सुनी तो उसे कुछ गड़बड़ लगी और सेल की काली दीवारें देख कर उसे वहशत होने लगी।

वोह जल्दी से माज़ से बोली।

"म,,,म,,,माज़ प्लीज...मैं अब कभी ऐसा नही करूँगी।"

माज़ माहेरा की बात सुने बिना ही सेल से बाहर आ गया और गार्ड के कान में कुछ कहने लगा।

माज़ की बात सुनकर वोह गार्ड वहां से चला गया।

माज़ ने एक नज़र माहेरा को देखा और वोह भी वहां से चला गया।

माहेरा जो अभी वैसे ही बैठी थी उसे दीवार के दूसरे कोने से एक भीड़िये जैसा कुत्ता अपनी तरफ आते दिखाई दिया। माहेरा डर की वाजह से पीछे की तरफ खिसकने लगी।

वोह कुत्ता भोंकते हुए माहेरा के पास आ रहा था। माहेरा चीखते हुए माज़ से कह रही थी।

"म,,,,माज़,,,,प,,,प्लीज़,,,,मुझे यहां से निकालो मैं दोबारा ऐसा नही करूँगी।"

लेकिन उसे वहां उस कुत्ते के भोंकने के इलावा कोई और आवाज़ नही आ रही थी।

अचानक उसके सिर में तेज दर्द होने लगा। माहेरा ने जोर से अपने सिर की थाम लिया तभी उसके दिमाग मे कुछ पूरानी यादे घूमने लगी।

एक छोटी बच्ची फ्रॉक पहेन हुए गार्डन में खेल रही थी। तभी एक औरत ने उसे आवाज़ दी।

"महेरु।"

वोह बच्ची पीछे मुड़ी तो एक औरत मुस्कुराते हुए उसे देख रही थी।

माहेरा जल्दी से जा कर उनके गले लग कर बोली।

"मॉम"

"देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लायी हु।"

वोह औरत उसके पीछे से एक छोटे से पप्पी को निकाल कर माहेरा को दिखाते हुए बोली।

माहेरा पप्पी को देख कर डर से पीछे हटने लगी।

..........

"मॉम"

माहेरा ने कहा और अगले ही पल वोह बे होश हो गयी।

थोड़ी देर तक जब कोई आवाज़ नही आई तो माज़ सेल का दरवाज़ा खोल कर अंदर गया।

माज़ को पहचानते ही कुत्ते ने भोंका बंद कर दिया।

माज़ माहेरा के करीब गया और धीरे धीरे उसके सिर को सहलाने लगा लेकिन माहेरा को कोई भी रेस्पोंस ना देते देख उस ने माहेरा की हिलाया तो वोह सीधा ज़मीन पर गिर गयी।

माज़ ने उसके चेहरे से उसके बालो को हटाया तो माहेरा की नाक से खून निकल रहा था। उसने माहेरा का गाल थपथपा कर उसे होश में लाने की कोशिश की।

लेकिन माहेरा को जब फिर भी होश नही आया तो माज़ ने उसे अपनी बाहों में उठाया और सेल से ले कर बाहर निकल गया।

.......

माहेरा को सेल में डालने के बाद उसने सारे गार्ड को वहां से जाने के लिए कह दिया था। जबकि वोह खुद वहां खड़ा माहेरा की चीखें सुन रहा था।

वोह कभी भी उसे ऐसी सज़ा ना देता अगर वोह यहां से भागने की कोशिश ना करती। वोह जानता था जैक मौके की तलाश में है। अगर उसे कोई मौका मिल गया तो वोह माहेरा को नुकसान ज़रूर पहुचायेगा।

............

माज़ उसे ले कर बेडरूम में आया और रोज़ी से डॉक्टर को बुलाने के लिए कहा।

माज़ ने रुमाल से उसकी नाक से बहने वाले खून को साफ किया और बेड पर ही उसके साथ बैठ गया।

थोड़ी देर ही गुज़री थी डॉक्टर भी वहां आ गया।

"माहेरा"

डॉक्टर की नज़र माहेरा पर पड़ते ही उसके मुंह से निकला।

"तुम इसे जानते हो?"

माज़ ने कंफ्यूज़ हो कर पूछा।

"जी सर येह अक्सर डॉक्टर सैम के पास आती है।"

डॉक्टर ने माज़ को देखते हुए जल्दी से कहा।

उसके बाद उन दोनों ने बाते की और डॉक्टर माहेरा को चेक करके वह से चला गया।

डॉक्टर की बात सुनने के बाद माज़ ने रामिश को कॉल की और बोला।

"माहेरा की पूरी डीटेल्स निकालो।"

"ओके।"

रामिश ने कहा और माज़ फ़ोन रखते हुए माहेरा के पास चला गया।

क्या है माहेरा का राज़?????

कहानी जारी है.......