Ziddi Ishq - 26 books and stories free download online pdf in Hindi

ज़िद्दी इश्क़ - 26

"येह सब तुमने साफ किया है?!"

माज़ ने हैरान हो कर पूछा।

"हाँ मैं ने किया है, तुम्हे यहां कोई और दिख रहा है क्या और देखो मेरे हाथ भी लाल हो गए है।"

माहेरा माज़ की बात सुनकर जल्दी से बोली और आखिर में अपनी हथेलियां दिखाई जो उसने ज़मीन से बर्फ उठा कर रगड़ कर लाल की थी।

माज़ उसका हाथ देख कर मुस्कुराते हुए बोला।

"हम्म्म्म....मैं भी देखना चाहता हु की तुमने इतनी मेहनत से इतनी जल्दी सारा काम कैसे खत्म कर दिया।"

वोह बोल कर उसके करीब आया और साइड टेबल से अपना फ़ोन उठाया जो अभी भी हल्का गीला था। उस ने अपना मोबाइल साफ करके उसमें कुछ टाइप किया और फिर एक वीडियो निकाल कर प्ले करके मोबाइल माहेरा के सामने कर दिया।

वीडियो देख कर माहेरा की आंखे हैरानी से फैल गयी क्योंकि वोह कमरे की वीडियो थी जिसमे वोह रोज़ी से काम करवा रही थी।

माज़ ने मुस्कुराते हुए वीडियो बंद की और उसे देखा जो अभी भी हैरान खड़ी थी।

"अब तुमने इतनी जल्दी और इतनी मेहनत से येह काम पूरा किया है तो आज मेरे लिए खाना भी तुम ही बनाओगी और येह सोचना भी मत की मैं तुम्हे रोज़ी के साथ अकेले छोड़ दूंगा। अब जाओ जा कर फ्रेश हो कर आओ।"

माज़ ने अपनी मुस्कुराहट छुपा कर उसे घूरते हुए कहा।

"कमीना इंसान।"

माहेरा मुंह ही मुंह मे बड़बड़ाते हुए वाशरूम की तरफ चली गयी।

वोह किचन में आई तो माज़ किचन में मोजूद छोटे से टेबल पर अपना लैपटॉप लिए काम कर रहा था। माहेरा उसके पास जा कर बोली।

"माज़ मेरे सिर में बहोत दर्द हो रहा है। रोज़ी से कहो ना वोह तुम्हारे लिए खाना बना देगी....और फिर मुझे बिरयानी के इलावा कुछ आता भी नही है और मेरा यकीन करो मेरे हाथ की बनी बिरयानी तुम खा भी नही पाओगे।"

"कोई बात नही मेरे लिए बिरयानी बनो और मैडिसन ले लो दर्द ठीक हो जाएगा।"

माज़ ने लैपटॉप से नज़र हटा कर मुस्कुरा कर माहेरा को देखते हुए कहा।

फिर क्या था वोह मुंह बिगाड़ते हुए बिरयानी बनाने लगी जो उस ने सिर्फ इसीलिए सीखी थी क्योंकि उसे येह पसंद थी लेकिन इटली आ कर वोह इतनी आलसी हो गयी थी कि उसने सिर्फ दो तीन बार ही बनाई थी।

जब तक वोह बिरयानी बना रही थी माज़ उसके पास बैठा था।

.................

"डैडी..."

सोफ़िया सैम साहब का दरवाज़ा नॉक करके उनके कमरे में गयी लेकिन वोह कहि भी नही थे। उसने वाशरूम का दरवाज़ा नॉक करके उन्हें आवाज़ दी।

"डैडी क्या आप अंदर है?"

"डैडी.."

"डैडी दरवाज़ा खोले आप ठीक तो है?"

वोह लगातार दरवाज़ा नॉक करते हुए उन्हें आवाज़ दे रही थी। वो जल्दी से बाहर आई और दूसरी चाभी ले कर अंदर गयी और कांपते हाथो से वाशरूम का लॉक खोलने लगी।

वोह अंदर आयी तो सामने सैम साहब दीवर से टेक लगाए बैठे थे और उनके आस पास ड्रग्स के पैकेट गिरे हुए थे।

वोह उनके पास जाने लगी जो अपनी आंखें बंद किये ड्रग्स लेने की वाजह से हल्दी बेहोशी में थे।

सोफ़िया ने जल्दी से अपने मुंह पर हाथ रखा जबकि उसकी आँखों से आंसू गिर रहे थे।
वोह उन पर एक अफसोस भरी नज़र डाल कर अपने कदम पीछे लेने लगी।

वोह उनके कमरे से निकल कर भाग कर अपने कमरे में आई। वोह इस वक़्त सिर्फ सैम साहब से दूर जाना चाहती थी।

वोह अपने कमरे में आ कर रो ही रही थी कि तभी उसके फोन की बेल बजी। उसने पहले तो इग्नोर कर दिया लेकिन फिर से उसके फोन की बेल बजी तो वोह उठ कर बेड के पास आई तो देखा रामिश कि कॉल थी। उसने साइड टेबल से पानी का गिलास उठा कर पानी पिया और रामिश कि कॉल उठायी।

"सोफ़िया....क्या तुम अभी बिजी हो?"

रामिश ने उसके फोन उठाते ही पूछा।

"नही मैं फ्री हु रामिश।"

सोफ़िया ने उसकी बात सुनकर कहा।

"क्या हुआ तुम्हे? तुम्हरी तबियत तो ठीक ह ना सोफ़िया?"

रामिश ने उसकी भारी आवाज़ सुनकर फिक्र से पूछा।

"ज....जी मैं बिल्कुल ठीक हु। वोह रात को मैं ने इस क्रीम खाई थी तो इस वाजह से मेरा गला खराब हो गया है।"

उसकी बात सुनकर सोफ़िया ने सोच कर जवाब दिया।

"दवा ली तुमने?"

रामिश ने पूछा।

"हां ले ली।"

सोफ़िया ने अपने होंठो को काटते हुए कहा।

"अच्छा...अगर तुम फ्री हो तो मेरे साथ बाहर डिनर करने चलोगी?"

रामिश ने हिचकिचाते हुए पूछा।

"हाँ ज़रूर मुझे एक घण्टे बाद लेने या जाना। मैं तब तक तैयार हो जाउंगी।"

सोफ़िया ने जल्दी से उसे जवाब दिया वोह फिलहाल घर मे नही रहना चाहती थी।

"ठीक है मैं घण्टे बाद आ जाऊंगा।"

रामिश की बात सुनकर सोफ़िया ने फ़ोन कट किया और वार्डरोब से कपड़े निकाल कर तैयार होने के लिए चली गयी।

..........

माहेरा ने माज़ की बिरयानी प्लेट में निकाल कर उस मे लाल मिर्च छिड़क कर अच्छे से मिक्स किया और साथ रायता रखा जिसमें हद से ज़्यादा नामक था। वोह दोनी चीज़े टरे में डाल कर कमरे की तरफ चली गयी क्योंकि कमरे में माज़ उसकी बिरयानी का इंतेज़ार कर रहा था।

पहले वोह किसी शरारत के बिना ही उसे अपने हाथों की बिरयानी खिलाना चाहती थी लेकिन माज़ ने कहा था उसे एक हफ्ते तक खाना बनाना होगा क्योंकि येह उसकी सजा थी। इसी वाजह से वोह माज़ को येह शानदार बिरयानी खिलाने जा रही थी ताकि वोह दोबारा उस से खाना बनाने के लिए ना कहे।

वोह टरे ले कर कमरे में आई तो माज़ उसका ही इंतेज़ार कर रहा था। उसने टरे माज़ के सामने रखा और बेड पर जा कर बैठ गयी।

बिरयानी को खुशबू से माज़ के मुंह में पानी आ गया था। वोह उठ कर जल्दी से बिरयानी अपने मुंह मे डालने ही वाला था कि उस ने रुक के सामने बैठी माहेरा को देखा जो उसे ही देख रही थी।

"माहेरा यहां आ कर मेरे साथ बैठो तो।"

माज़ ने उसे अपने साथ बैठने के लिए कहा तो वोह थोड़ा हिचकिचाते हुए मुस्कुराते हुए उसके पास आ कर बैठ गयी।

"माहेरा येह तुम्हारे मुंह पर क्या लगा हुआ है?"

माज़ ने उसके चेहरे की तरफ इशारा करते हुए कहा।

"मेरे चेहरे पर! कहा?"

"अपना मुंह खोला थोड़ा और और होंठो के पास देखो।"

माज़ ने कहा तो माहेरा ने जैसे ही अपना मुंह खोला माज़ ने अपने बिरयानी से भरे चमच को उसके मुंह मे ठूँस दिया।

माहेरा माज़ की नज़र खुद पर महसूस करके मजबूरन बियानी खाने लगी। उस मे मोजूद मिर्चो की वाजह से उसके आंखों मे पानी आने लगा था। उसने खुद को कंट्रोल करते हुए माज़ को मुस्कुराते हुए देखा। वोह खुद ही जानती थी उसके चेहरे पर मुस्कुराहट कितनी मुश्किल से आई थी।

माज़ ने उसे मुस्कुराते हुए देखा तो उसे लगा बिरयानी बिल्कुल ठीक है।

आखिर माज़ को भी बिरयानी खिलानी थी हालांकि उसकी ज़ुबान तेज़ी मिर्चो की वाजह से जल रही थी।

माहेरा ने आगे बढ़ कर बिरयानी का पूरा चमच भर कर उसके मुंह मे डाला जिसे खाने के लिए माज़ ने आराम से अपना मुंह खोल दिया लेकिन जैसे ही उस ने निवाला चबाना शुरू किया तो उसे तेज़ मिर्ची लगी। उसने माहेरा को देखा तो वोह पानी का एक ग्लास पी कर दूसरा भर रही थी।

माज़ ने जल्दी से निवाला खा कर उससे पानी का गिलास उससे पकड़ा और पूरा पानी पी गया मगर उसकी ज़ुबान पर अभी भी जलन कम नही हो रही थी। उस ने और पानी डालने के लिए जग उठाया तो जग पहले से खाली था।

उसने माहेरा को देखा जो पानी पी कर सुकून से बैठी थी और उसके होंठो पर तंजिया मुस्कुराहट थी।

उसने माहेरा को घूर कर देखा और टरे में मौजूद चटनी उठा कर पी गया लेकिन तेज़ नमक की वाजह से उसका मुंह और खराब हो गया। वोह जल्दी से उठा और लम्बे लम्बे कदम लेते हुए बाहर चला गया।

उसके जाते ही रोज़ी अंदर आयी। माहेरा ने उससे बिरयानी की प्लेट ली और दूसरी प्लेट उसे दे दी। रोज़ी प्लेट लेते ही वहां से चली गयी और माहेरा माज़ की हालत याद करके हँसने लगी।

माज़ जल्दी से किचन में आया और ठंडे जूस की बोतल खोल कर अपने मुंह मे लगाई। जूस पीने की वाजह से उसे अब थोड़ा सा सुकून मिल रहा था। वोह माहेरा को मज़ा चखाने के बारे में सोच कर अपने स्टडी रूम चला गया अजर वहां से एक रस्सी ले कर वापस कमरे में आया।

माहेरा जो सोफे पर बैठ कर हस रही थी उसे आते देख अपनी हँसी रोकने की नाकाम कोशिश कर रही थी। मगर जब उसने माज़ के हाथों में रस्सी देखी तो उसके चेहरे की मुस्कुराहट गयेब हो गयी।

वोह उठ कर सोफे से भागने ही वाली थी कि माज़ ने उसे पकड़ लिया और वापस सोफे पर बिठा के उसके हाथ पैर बांध दिए।