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मीठे पानी का कुआँ.

तेजगढ़ राज्य दुखों की चपेट में आ गया, लोग पानी के लिये तरसने लगे. तेजगढ़ के राजा को अपनी प्रजा की कोई चिंता न थीं.राजा अपने में ही मस्त रहते थे , ज़्यादातर समय शिकार खेलने में ही व्यस्त रहता था.प्रजा पानी के लिए तरस रही थी.राज्य के लोग बड़े ही परेशान रहने लगे , कम से कम राजा पीने के पानी की व्यवस्था तो करे, लेकिन राजा को कोई चिंता न थी.राज्य के लोग भगवान से प्रार्थना करने लगे, राज्य के एक बुज़ुर्ग को याद आया जंगल में एक संत रहते हैं, बहुत पहले उनसे मिला था चलो एक बार फिर मिल कर आता हूँ ,हो सकता हैं वो ही हमारी मदद करे.बुज़ुर्ग दो तीन सभ्य व्यक्तियों के साथ चल दिए जंगल में संत से मिलने के लिए, जैसे ही वो सब वहाँ पहुँचे, संत को सब कुछ पता था ये लोग क्यूँ आयें हैं यहाँ. संत ने सबका आदर सत्कार किया. बड़े दिनों बाद आए आप लोग मिलने, क्या कोई विशेष कारण,हाँ हम सब पानी के लिए तरस रहें हैं. राजा को हमारी कोई चिंता नहीं हैं, हम आपके पास आए हैं आप ही हमारे लिए कुछ कर सकते हैं.संत बहुत पहुँचे हुए थे,देखिए आप लोग चिंता न करे.मेरे सीधे हाथ पर कुछ कदम की दूरी पर एक कुआँ हैं.आप सब लोग इस कुएँ से पानी ले सकते हो.सभी के चहरे ख़ुशी से भर गए.सभी लोग दिन भर का पानी बर्तनों में भर कर ले जाने लगे.राजा को पता चल गया,राज्य के लोग पानी कहाँ से ले जा रहें हैं.राजा ने अपने सेनापति से कहाँ उस संत को मेरे पास लेकर आओ और उस कुएँ को भी देख कर आना.सेनापति चल दिए अपने कुछ सैनिकों के साथ उस जंगल की और,संत अपने ध्यान में मग्न थे.संत को सब पता था, जैसे ही ध्यान से हटे,सेनापति से आने का कारण पूछा,सेनापति संत से बोले आपको हमारे साथ महल चलना होगा और हाँ वो कुआँ कहाँ हैं …..संत ने जाने से मना कर दिया ….और अपने राजा से कहों,वो ही यहाँ आयें,साथ ही साथ कुआँ भी देख लेंगे और राजा को मेरा एक संदेश देना कम से कम अपनी प्रजा का ख़्याल रखे, सेना पति ने राजा को सारी बात बता दी.राजा ग़ुस्से में चल दिए संत से मिलने … जंगल में ना संत मिले और ना ही कुआँ. बहुत देर इंतज़ार करने के बाद तिल मिलाते हुए वापिस चल दिए … वापिस आते हुए राजा ने जंगल से पानी ले जाने वालों की लम्बी लाइन देखकर मन ही मन सोचने लगे संत पहुँचे हुए हैं.हमें कुछ भी दिखाई नहीं दिया और ये सब पानी ले जा रहे हैं.राजा ने महल में पहुँच कर ये सारी बातें रानी को बताई.रानी धार्मिक विचारों वाली महिला थीं.रानी राजा से बोली आप रहने दो मैं जाती हूँ.सच में रानी को भी चिंता थी पानी की,जैसे ही रानी जंगल पहुँची संत भी मिले और कुआँ भी दिखाई दिया.सब जानते हुए भी संत ने रानी से आने का कारण पूछा … रानी ने हाथ जोड़ कर संत से निवेदन किया आपको सब पता हैं और आपने राज्य के लिये जो भी किया हैं हम सब सोच भी नहीं सकते थे.आपने हम सबको जीवन दान दिया हैं, लेकिन कल आपसे मिलने राजा आए थे, उनको ना कुआँ और ना आप ही दिखे. हाँ, आप ठीक कह रही हो.मैं उनको दिखता भी कैसे,राजा को अपनी प्रजा की बिल्कुल भी चिंता नहीं हैं. राजा का शिकार खेलना और अपने में ही मस्त रहना, एक राजा को शोभा नहीं देता हैं.संत ने रानी को एक संदेश कागज पर लिख राजा को देने के लिए दिया.संदेश में लिखा था मीठे पानी का कुआँ या खारी पानी का कुआँ. रानी ने संत का लिखा संदेश राजा को दिया,राजा अपने पूरे परिवार के साथ संत से मिलने गये और पूरी सभा में सभी से विनती की आज के बाद मैं तन,मन,व धन से अपनी प्रजा का ख़्याल रखूँगा. संत महात्मा ने सभी के सामने राजा को आशीर्वाद दिया, अब किसी भी चीज़ की कोई कमी नहीं होगी. इस राज्य को मेरा आप सभी को आशीर्वाद. सभी ने ज़ोर-ज़ोर से महात्मा व राजा के नारे लगायें. सभी लोग ख़ुशी से रह रहे हैं.