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उल्टे पैर - 3

गोलू बेहोश होकर अपने कमरे में गिर पड़ा था।
यहां नाना जी ने पाया की तारक के पीठ पर चुड़ैल के नाखून के निशान थे जो नीले हो गए थे और यह एक चिंता की बात थी क्योंकि तारक का खून नाखून से खरोच कर चुड़ैल चख चुकी होगी और अगर ऐसा हुआ तो वो अपने शिकार का पीछा करते हुए हर जगह पहुंचने की कोशिश करेगी।

जैसा के गांव वालों ने कहां ही था के वो आएगी।
नाना जी के माथे पर पसीना साफ झलक रहा था और हाथ पैर कांपने लगे थे। वो अचानक चिल्ला कर बोले में अपने बच्चे को कुछ नहीं होने दूंगा। नाना जी बोले गोलू कहां हैं।

एकदम से सब छत की और भागे तो दरवाजा बंद था।
दरवाजा जैसे तैसे तोड़ा तो देखा गोलू डर के मारे बेहोश हो चुका था। तेज बुखार हो गया था। नाना जी बोले मेरे घर को ये किसकी नजर लग गई हाय।।।।

गोलू डर के मारे बोल नहीं पा रहा था। उसके आंखों के सामने वहीं बूढ़ी और भयानक शक्ल याद आ रही थी और वो सोते सोते उठ के बैठ जा रहा था और चिल्लाने लग जा रहा था।

नाना जी ने पंचायत बुलाई और गांव वालों से राय लिया की क्या किया जाए।
तो गांव के किसी समझदार बुजुर्ग ने कहां की तुम्हारा बच्चा तारक अब चुड़ैल का शिकार बन चुका हैं वो उसे हर हाल में मारने का और ले जाने की कोशिश करेगी तुम्हें ध्यान रखना होगा। चाहे कितना कोशिश कर लो वो चुड़ैल अपनी सारी शक्ति लगा देगी।

नाना जी ने पूछा कोई हल हो तो बताइए।
बुजुर्ग ने कहां के इससे पहले वो तुम्हारे पास आए तुम उसे ढूंढते हुए पहुंच जाओ और खत्म कर दो। पर ध्यान रहें ये बहुत ज्यादा खतरनाक हैं।

क्योंकि उस तक पहुंचने के लिए तुम्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा और जान भी गवानी पद सकती हैं। जंगल के बीच में पहुंचना होगा एकदम अंधेर जगह जहां रोशनी और उजाला भी अपना दम तोड दे।

वहां इतनी शांति होगी की तुम्हारे सांसों की आवाज भी तुम्हारे कानों को चुभने लगे।

और इतना डर लगेगा की इंसान सोच के ही मर जाए।

तो क्या कर पाओगे तुम।

नाना जी कहते हैं अपने बच्चे के लिए मैं हर मुसीबत से लड़ने को तैयार हूं।

बुजुर्ग कहते हैं की एक जाबांज लोगों की टोली बनाओं और उसके साथ जितनी जल्दी हो सके निकल पड़ो क्योंकि अमावस्या की काली रात आने वाली हैं। और उस दिन वो तुम्हारे बच्चे का सर धड़ से अलग कर के खा जाएगी।

नाना जी पंचायत में गुहार लगाते हैं की कौन कौन मेरे साथ चलने को तैयार हैं, मैं बूढ़ा तुम्हारे हाथ जोड़ता हूं।

पर कोई तैयार नहीं होता हैं। तब नाना जी और वो बुजुर्ग बोलते हैं के में चलता हूं।बुजुर्ग को देख के गांव के कुछ लोग और तैयार हो जाते हैं।

काफी रात हो जाती हैं पंचायत को। एकदम से सन्नाटा को चीरते हुए जंगल की और से आवाज आती हैं। सब डर के कांप जाते हैं।
बुजुर्ग कहते हैं की हमारे पास बहुत कम समय हैं। वो चुड़ैल अपने शिकार को पाने के लिए अपनी शक्तियां बढ़ा रहीं हैं।

हमे जल्दी से जल्दी ही उसे ढूंढना होगा।

नाना जी मंदिर के पवित्र कुआं का पानी बोतल में भर लेते हैं, चाकू और माचिस भी ले लेते हैं और सब लोगों को कुछ न कुछ ले लेने को बोल देते हैं।

सब लोग पूरी तैयारी कर लेते हैं और धीमे धीमे पैरों से नानाजी के पीछे चल देते हैं।

किसी को नहीं पता के जाना कहां हैं। बस इतना पता हैं की जंगल के बीचों बीच पहुंचना हैं।

सब लोग एक साथ गांव के अंधेरे में चल देते हैं और डर सहमे हुए से और एक दूसरे के बिलकुल करीब चल रहें हैं। मानो हवा भी उनके बीच से पार नहीं हो सकती।

बुजुर्ग बोलते हैं की हिम्मत रखो और भगवान पर भरोसा रखो सब ठीक होगा।

गांव की सड़क अब खत्म होती हैं और यहां से शुरू होता हैं बहुत भयानक जंगल।

जंगल में नाना जी कदम रखते हैं तो पीछे से बुजुर्ग और बाकी के लोग भी आगे बढ़ते हैं।

अंदर घुसते ही मानों हाथों में जल रहें मशाल भी अंधेरे के आगोश में समा जा रहे हों।

सबकी आंखें जंगल के पेड़ पौधों पर थी जो हिल रहें थे तेज हवा के कारण। मानों ऐसा लग रहा था की कोई कहीं से आके मार देगा।

तभी लकड़ी टूटने की आवाज आती हैं। और सब के होश उड़ जाते हैं। फिर वो लोग देखते हैं की पेड़ से टहनी टूट के गिरती हैं।

और उस पेड़ पर किसी का सर लटका हुआ हैं। और फिर एक एक करके मशाल की रोशनी से सैकड़ों सर दिखते हैं जिन्हें वो चुड़ैल काट के लाई हैं और धड़ को खा गई हैं।

दो गांव वाले वापस भाग जाते हैं।बुजुर्ग चिल्लाते हैं की भागों मत एक साथ रहोगे तो बचे रहोगे।

बाकी के लोग आगे बढ़ते हैं और नाना जी आगे आगे पवित्र पानी के साथ बढ़ते हैं। आगे जाके तलाब नजर आता हैं। जिसमें और भी सर तैर रहें हैं।

और एक सर टकटकी लगा के गांव वालों को देख रहा हैं और कहता हैं की इधर आओ...........

आगे क्या होगा। Comment में बताओ के अगला भाग कब तक अपलोड करूं।