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उल्टे पैर - 5

मशाल धीरे धीरे बुझती जा रही थी और वो शख्स नींद के अघोष में धीरे धीरे को रहा था। उतने में बुजुर्ग चिल्लाए के सोना नहीं तेरे पीछे परछाई हैं।
मशाल बूझते ही तुझे कहीं दूर लेके चली जाएगी। उस शख्स ने संभाला खुद को और सब एक दूसरे का हाथ पकड़ के चलने लगे। वो बीच जंगल में पहुंच चुके थे और उनकी नजर पड़ी सामने एक पुराने से टूटे महल में। और वहां से साफ देखा जा सकता था की चुड़ेल हाथ से इशारा कर के इन्हें बुला रहीं हैं।
पर नाना जी के हाथ में पवित्र पानी देख के डर भी रहीं हैं।

नाना जी गरज के बोले, आ आजा आके खा ले मुझे।
चुड़ैल पानी फेकने को कहती हैं। पर नाना और गांव वाले उसकी और भागते हैं पानी और मशाल के साथ तभी वो मशाल वाला ठोकर खाके लुढ़क जाता हैं और मशाल बुझ जाती हैं।

अब चारों और घनघोर अंधेरा और एकदम शांति। सभी गांव वाले एक दूसरे का हाथ पकड़ के पानी पकड़ लेते हैं।

तभी चुड़ैल के फुसफुसाने की आवाज आने लगती हैं।

वो धीमे आवाज में धुन गुनगुनाने लगती हैं। मानो मौत बनके टूटने को तैयार हों।

तभी एकदम से आंधी चलने लगती हैं और सभी एक दूसरे से दूर होने लगते हैं। पेड़ उखड़ने लगते हैं। और एक गांव वाला दूर होके चल जाता हैं और तभी कोई उसका हाथ पकड़ लेता हैं।

वो गांव वाला बोलता हैं धन्यवाद भाई।पर देख नहीं पता के कोन हैं। तभी चुड़ैल बोलती हैं। हमेशा गांव वालो के मदद के पिए तैयार हूं। और उसे लेके उड़ने लगती हैं और उसके टुकड़े कर के गांव वालो को मारने लगती हैं। तभी नाना जी पवित्र पानी फेकना चालू कर देते हैं और पानी का हल्का बंद पड़ता हैं तो चुड़ैल छटपटाने लगती हैं और आंधी रुक जाती हैं।

नाना जी उसी दिशा में और पानी फेकने लगते हैं और चुड़ैल के शरीर में आग लग जाती हैं और वो जलने लगती हैं उस आग से मशाल जला लेते हैं गांव वाले और देखते हैं की थोड़ी दूरी पर उस चुड़ैल के 3 और रूप खड़े हैं और तीनों तीन दिशा में खड़े हैं।


नाना जी बोले की ऐसे नहीं खतम होगी ये। इसकी जान सुना महल में रखे गुड़िया में हैं। उसे जलाना होगा।

तेजी में सभी गांव वाले दौड़ते हैं महल की और। और चुड़ैल बहुत जोर से दहाड़ती हैं जिससे पूरे जंगल में शोर मच जाता हैं और उस पेड़ के ऊपर लटके सभी सिर जिंदा हो जाते हैं और धीरे धीरे लुढ़कने लगते हैं महल की और।

नाना जी महल में घुसते ही देखते हैं की एक कोने में गुड़िया पड़ी हैं और उस गुड़िया के ऊपर जल फेक देते हैं। जिससे गुड़िया में आग पीजी जाती हैं और साथ ही में चुड़ैल के भी आग पग जाती हैं और सर जो लुढ़कते हैं उनमें भआई आग लग जाती हैं और महल भी जलने लगता हैं

सभी बाहर निकलते हैं और तेजी से अपने गांव की और दौड़ते हैं। एक खुशी लिए मन में और सवेरे उस जंगल से बाहर निकलते हैं और सीधा गांव जाते हैं

गांव में जश्न का माहोल होता हैं और गोलू और मोलू के ऊपर से खतरा हमेशा के लिए टल जाता हैं।

आशा करता हूं कहानी पसंद आई होगी।