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अंधेरा बंगला - 6

भाग 6

अब तक अपने देखा की गाव के मुख्या ने मंजरी से कहा था कि तुम्हारी वजह से तुम्हारी बेटी की जान खतरे में है , अब आगे क्या होगा देखते है।


मंजरी रोते हुए बोली "मुखिया जी माफ कीजियेगा मेरा ध्यान मेरी बच्ची से भटक गया था ,मेरी बच्ची को कृपिया करके बचा लीजिए।

तब ही एक गांव के आदमी ने कहा मुखिया जी इस दरवाजे को ही तोड़ देते है , ( गांव के सारे लोग दयालु थे कोई मुसीबत मे हो तो एक जुट हो कर है मुसीबत का सामना करते है) , एक आदमी ने कहा दरवाजा लोहे का है केसे टूटेगा।

तब ही एक ओरत ने कहा एक लोहे की डंडी से तोड़ने को कोशिश करते है दरवाजा काफी पुराना हो चुका है ओर उसमे जंक भी लग चुका है आसानी से टूट जाएगा। गांव के कुछ आदमियों ने लोहे की दंडिया ले कर दरवाजे को मारने लगे ,आधा दरवाजा टूट ही गया था तभी मंजरी ने देखा बंगले का मुख्य द्वार अपने आप खुल गया ओर गुड़िया अंदर जा रही थी।

सब ने कहा "बेटा अंदर मत जा,मंजरी ने कहा गुड़िया बेटा अंदर मत जा अंदर खतरा है बेटा , लेकिन गुड़िया छोटी थी सब क्या कह रहे है उसकी समज के बाहर था वह खेलते खेलते बंगले के अंदर पहुंच गई ,ओर बंगले का मुख्य दरवाजा अपने आप बंध हो गया ।

बच्ची को अंदर चली गई देख उसकी मां मंजरी बहुत रो रही थी,किसी को समझ नहीं आ रहा था कि अब गुड़िया को बाहर केसे लाया जाय, कुछ लोग केह रहे थे अब हमारी गुड़िया कभी बाहर नहीं आ पाएगी।

उस बंगले मे निवास करती आत्माएं उसे मार डालेगी ,इससे मंजरी की हिम्मत टूट रही थी परंतु एक बुजुर्ग महिला ने कहा "चुप हो जाओ तुम सब लोग देख नहीं रहे मंजरी रो रही है"
वह पहले ही चिंता मे है ओर तुम सब लोग ऐसी बाते कर रहे हो,खबरदार जो ऐसी नकारात्मक बाते किसी के मुंह से निकली है तो।

वह महिला की बात सुन कर सब लोग चुप हो गए , गांव के मुख्या ने कहा फालतू बाते बोलने से अच्छा है कि सब लोग यह सोचो की गुड़िया को बाहर केसे निकाले, मंजरी ने कहा जल्द से जल्द मेरी बच्ची को बाहर निकालने मे मदद कीजिए में आपसे विनती करती हूं।

कुछ औरतें मंजरी के पास जाती है ओर चुप कराती है ,ओर एक महिला उसके लिए पानी लेकर आती है ,मंजरी ने पानी के लिए मना कर दिया ओर कहा,
"जब तक मेरी बच्ची सही सलामत मेरे सामने इस भूतिया बंगले से बाहर नहीं आ जाती मे पानी ओर अन्न एक दाना भी ग्रहण नहीं करूंगी"

वह बुजुर्ग महिला ने कहा बेटी अगर तुम कुछ खाओगी पियोगी नहीं तो तुम कमजोर हो जाओगी तुम्हे अपनी बेटी के लिए हिम्मत रखनी होगी , पानी पिलो उस महिला की बात मान कर वह पानी पी लेती है ।

वह बच्ची के लिए सब लोग वही खड़े रहते है, क्युकी गुड़िया गांव मे सभी लड़ दुलारी थी सब उसके साथ खेलते थे, दुपहर तक शाम हो जाती है पर ना ही बच्ची बाहर आती है ओर ना ही उसकी कोई आवाज बाहर सुनाई देती है , लेकिन फिर बहुत देर हो जाने के बाद मंजरी को बहुत गुस्सा आता है ओर वह बंगले के सामने देखते हुए बहुत जोर से चिल्लाते हुए बोलती है,

"ए दुष्ट आत्मा ,मेरी बच्ची को छोड़ उस मासूम को नुकसान पोहचा कर तुम्हे क्या हासिल होगा,
बंगले के अंदर क्या छुप कर बैठी है हिम्मत है तो बाहर आ ओर मुजसे लड़ , हम गाव वालो का जीना हराम कर दिया है तुमने,
मेरी बच्ची को सही सलामत बाहर भेज दे वरना तेरी खेर नहीं"।

सब लोग मंजरी को शांत करवाते है, मंजरी के ये सब बोलने के बाद बंगले के अंदर मोजूद एक बड़े से पेड़ को एक डाली टूट कर नीचे गिर जाती है ,यह देख कर सब लोग डर जाते है , एक आदमी बोलता है अरे मंजरी बहेन यह तुमने क्या बोल दिया , लगता है तुम्हारी बात सुन कर बंगले के अंदर की आत्मा क्रोधित हो गई है ।

कहानी का अगला भाग जल्द ही आयेगा।😊
तब तक सोचिए अगर क्या होगा।