Andhera Bangla - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

अंधेरा बंगला - 9

Chep 9

अब तक आपने देखा कि गुड़िया ने कहा कि अंधेरे बंगले के अंदर उसी की उम्र की एक बच्ची ने उसके साथ खूब खेला अभी आगे की कहानी देखते है।

सब लोग गुड़िया की तरफ देखने लगते है तब ही मंजरी ने गुड़िया को बिठाया ओर फिर से पूछा तब भी गुड़िया ने वही दोहराया, सब लोग इस बात पर विचार करने लगते है ओर फिर गांव के मुखिया ने कहा गुड़िया की बातो के अनुसार यह वही इस बंगले में रहने वाली शिविका नाम की लड़की ही तो नहीं, तब सभी ने कहा हा यही होगा ।

तब मंजरी ने कहा सही कहा यह वही परिवार की आत्माएं होंगी जो यहां इस बंगले में पहले रहा करते थे। अब आगे क्या करे हम सब ,कुछ तो करना पड़ेगा नहीं तो यह हमे परेशान करती रहेगी । तब गाव के मुख्या ने कहा नहीं मंजरी बहन मुझे लगता है कि यह चार आत्माएं उन्हीं को परेशान करती है जो इस बंगले में जाने की कोशिश करता है।

तब मंजरी कहती है तो फिर हमे क्या करना चाहिए , मुख्या ने कहा हमे कुछ ऐसा करना होगा जिससे यह आत्माएं इस बंगले से आजाद हो जाय जो इतने सालो से यही इसी बंगले में कैद है। तब सारे गाव वालो ने यह सुझाव दिया को हम इन आत्माओं की आजादी के लिए एक हवन करवाते है क्या पता हवन से वह आजाद हो जाय ओर हम लोग भी सुकून से जी सकेंगे।

गांव के मुख्या को भी यह सुझाव बहुत पसंद आया ,मुख्या जी ने कहा की हम कल शाम के सात बजे इसी बंगले के पास मिलते है ओर हवन के लिए एक पंडित जी को भी बुला लेते है, जो इन आत्माओं को बाहर निकाल सके। सब लोग घर चले जाते है आज मंजरी बहुत खुशी से घर जा रही थी क्युकी गुड़िया सही सलामत वापस उसके पास आ गई थी। सब लोग घर चले गए ओर घर पहुंच कर मंजरी ने खाना बनाया ओर उसने गुड़िया को बहुत ही प्रेम से खाना खिलाया , आज उसने अपनी बेटी को मौत के मुंह से बाहर पाया था। उसने आकर सबसे पहले भगवान का शुक्रिया किया , अब उसने गुड़िया को खाना खिला दिया ओर खुद थोड़ा खा लिया फिर वह उसे सुला रही थी उसने सुलाते सुलाते गुड़िया से बातो बातो में पूछा बेटा ओर बताओ तुमने ओर क्या क्या देखा उस बंगले मे वहा कोन कोन था।

तब गुड़िया ने बताया मां मुझे वैसे तो बहुत याद नहीं है पर वह जो बच्ची थी वह बहुत अच्छी थी ओर वहा एक बाबा जी भी थे जो रस्सी से दीवार पर टंगे हुए थे वह हिल नहीं रहे थे यह सुनकर मंजरी दंग रह गई, ओर गुड़िया से पूछा बेटा उनका यह हाल किसने किया था तुम्हे अगर कुछ पता हो तो बता दो , तब गुड़िया ने कहा मां वहा ८ काले साये घूम रहे थे । यह सुन कर मंजरी के होश उड़ गए उसने गुड़िया को आराम से सो जाने को बोला ओर उसने सोचा कल यह सब बात वह सारे गांव वालो को ओर मुख्या जी को बताएगी वह जल्दी से सो गई ताकि कल सुबह जल्दी से उठ सके।

सुबह हो गई ओर मंजरी ने गुड़िया को उठाया ओर नेहला कर अच्छे तैयार दिया मंजरी ने सुबह १० बजे सारे गाव वालो को वह बात जो गुड़िया ने कही थी वह बताने के लिए सारे गांव वालो को इक्कठा किया , थोड़ी देर मे सब इक्कठा हो गए ओर मुख्या जी ने कहा बोलो मंजरी बहन इस समय यहां बुलाने का क्या कारण है तब मंजरी ने बताया कल रात को गुड़िया ने मुझे बताया कि उसे अंधेरे बंगले के अंदर ४ नहीं ८ काले साये है ओर उन बाबा जी को रस्सी से दीवार पर टींगा कर रखा है उन आत्माओं ने तो बात यह है कि वह परिवार जो बंगले मे पहले रहता था उसमे तो ४ सदस्य बताए जा रहे थे तो यह तो ८ साये है ।

गांव वालो के भी यह बात सुनकर होश उड़ गए , अब मुख्या जी ने कहा यह बात तो गंभीर लग रही है, उन्होंने कहा कि अब अच्छे से पंडित बुलवा कर हवन करते है जिसे इस समस्या का हल जल्दी से आ सके , अब दुपहर के २ बजे थे ओर गाव का एक आदमी मगन वह एक अच्छे पंडित बुला कर लाया सब लोगो मे थोड़ा सा डर का भी माहोल था क्योंकी यह ८ आत्मा की बात से गाव वाले डरे हुए थे। पंडित जी ने कहा मे यही हवन कि सामग्री को रख देता हूं हवन यही हम करेंगे।

फिर सब लोग नीचे बैठ गए ओर मुख्या भी बैठ गए पंडित जी ने हवन शुरू किया वह मंत्रो के एक के बाद एक जाप करते गए।जाप करते हुए १ घंटे बीत गया था कुछ असर नहीं हुआ लेकिन फिर अचानक से बंगले के अंदर से ४ आत्माओं के चिल्लाने कि ओर रोने की आवाजे आने लगी , यह आवाजे सुनकर गावे के लोग ओर बच्चे सब डर गए । यह आवाजे इतनी भयानक थी की किसी से भी सुनी नहीं जा रही थी , पंडित जी के भी हाथ पैर कापने लगे फिर भी उन्होंने ने मंत्रो का जाप चालू रखा अगर वह बंध करते तो हवन अधूरा रह जाता ओर उसका कोई असर नहीं होता।

वह आवाजे अब पहले से भी ज्यादा आने लगी थी ओर पहले से भी कई ज्यादा भयंकर रोने की आवाजे आ रही थी जेसे की कोई उन आत्माओं को तड़पा रहा था शायद यह वह हवन ओर पंडित जी द्वारा किए हुए मंत्रो की वजह से हुआ लगता था हालांकि यह पता नहीं चल पा रहा था कि वह उस परिवार के आत्माओं की आवाज थी या फिर वह ४ बुरी आत्माओं की आवाज थी।

सब लोग सोच रहे थे यह वह ४ बुरी आत्माओं की आवाज थी तब ही तेज तेज हवाएं चलने लगी बंगले के खिड़की दरवाजे जोर जोर से हिलने लगे थे ना जाने अंदर क्या हो रहा होगा गांव वालो के लिए यह इतना भयानक दृश्य था कि रूह काप जाए। पर अगर इन आत्माओं से छुटकारा पाना था तो गाव वालो को हिम्मत तो दिखानी ही थी , तो ही इस मुसीबत से पीछा छुड़ा सकते थे। कुछ देर बाद माहोल शांत हुआ वह खतरनाक आवाजे आना बंध हो गई , ओर हवन खत्म होने वाला था थोड़ी देर बाद पंडित जी के मंत्रो का जाप खतम हुआ ओर हवन समाप्त हुआ जेसे ही हवन खत्म हुआ सब ने देखा कि अंधेरा बंगले का दरवाजा अपने आप खुल रहा है।

जेसे ही वह खुला सबकी नजरें दरवाजे की ओर गई ओर फिर सबने जो देखा सब की आंखे फटी की फटी रह गई, सब ने देखा कि दरवाजे की ओर से चार परछाई जेसे कुछ निकलता दिख रहा है वह चार वह परिवार के सदस्यों की आत्माएं थी वह चार आत्माएं गाव वालो को ही घुर रही थी , वहा मौजूद सब बच्चे रोने लगे । फिर गांव के मुख्या ने कहा क्या तुम वही परिवार की आत्माएं हो जिनका यह बंगला है , तब ही गुड़िया बोली मां देखो यह वही बच्ची है जो बंगले के अंदर मेरे साथ खेल रही थी। तब सबको यकीन हो गया कि यह वही परिवार है । फिर उन आत्माओं मे से राजल की आत्मा बोली आप सब का बहुत शुक्रिया की आप ने हमारी आत्माओं को आजाद किया इस बंगले से हम बरसो से यही फसे थे । वह मेरे चार दोस्तो की आत्माएं बंगले के अंदर पिंजरे मे कैद है उन्हों ने ही हमे मारा था तब से हम इस बंगले में कैद थे इस हवन की वजह से वह अंदर पिंजरे में कैद है आप सब उस पिंजरे को समंदर में फेक दीजिए ताकि वह किसी ओर को परेशान ना करे।

तब मंजरी ने पूछा जब यहां से कोई आता जाता तो वह आत्माएं सबको डराती? तब रूही की आत्मा ने कहा जी यहां के निवासियों को वही चार आत्माएं डराती थी आज आप सब की वजह से उनकी आत्माओं से ओर इस बंगले से हम आजाद हो गई । तब सब खुश हो गए ओर थोड़ी हो देर मे वह बाबाजी भी बंगले के बाहर आ गए जिनको वह चार बुरी आत्माओं ने कैद किया था । बाबाजी ने कहा है अच्छी आत्माएं धन्यवाद मुझे बाहर निकालने के लिए । अब सब ठीक हो गया था , तब राजल की आत्मा ने कहा अच्छा तो हमारे जाने का वक्त आ गया है जाने से पहले शिवम् ओर शिविका की आत्मा गुड़िया को देख कर मुस्कुराई गुड़िया भी बहुत खुश हो गई , ओर उन परिवार ने सबको अलविदा कहते हुए विदाई ली।


गांव वालो ने वह पिंजरा लेकर उसको समुद्र मे फेक दिया। चलो अब रहीमपुर गांव से यह अंधेरे बंगले का डर निकल गया अब सब बिना डरे रहने लगे ओर उस बंगले को अच्छे से रेनोवेट कर दिया ताकि वह डरावना ना लगे ओर किसी को बेच दिया । खतरा अब टल गया था।


तो चलो इसी के साथ मे आप सब से कहानी मे से विदाई लेती हु कहानी केसी लगी जरूर बताना।😁