Khamosh Pyar - Part 12 books and stories free download online pdf in Hindi

खामोश प्यार - भाग 12

कायरा की तस्वीर से बातें करने के बाद मानव कमरे से बाहर निकल गया। उसकी आंखों में हल्की सी नमी थी। कुछ देर बाद वो फिर आया और फिर बेड पर मोबाइल लेकर लेट गया था। आज भी कायरा और मानव ऑनलाइन शो हो रहे थे। दोनों ने आज पूरी रात एक-दूसरे को ऑनलाइन देखते रहे और सुबह होने पर कुछ देर सोने के बाद कॉलेज के निकल गए। पूरी रात जागने और ऑनलाइन रहने के बाद भी दोनों ने एक-दूसरे को कोई मैसेज नहीं किया था।

कॉलेज में पहुंचने के बाद दोनों ने एक-दूसरे को देखा, नजरें भी मिली, होठों पर हल्की सी मुस्कान भी आई पर खामोशी तो जैसे दोनों के दरमियां जगह बनाकर बैठी हुई थी। श्लोक और स्नेहा इन दोनों को देख रहे थे। वे देख रहे थे कि कैसे ये नजरें चुराकर बस एक टक एक-दूसरे को देखते रहते है, पर कोई भी पहल नहीं करना चाहता था। श्लोक और स्नेहा को यह समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसी कौन सी बात है जो इन दोनों को ही पहल करने से रोक रही हैं। खैर ये दिन भी बीत गया था। क्लास खत्म होने के बाद मानव और कायरा अपने घर जाने के लिए निकल गए थे। फिर रात हुई फिर वहीं ऑनलाइन, वहीं इंतजार, वहीं खामोशी और वहीं प्यार में रात बीत गई थी।

अगले दिन मानव क्लास में पहुंचा तो देखा कि क्लास में एक सीट खाली थी। कायरा आज अपनी सीट पर नहीं थी। क्लास शुरू हुई, फिर खत्म भी हो गई परंतु वो सीट अब भी खाली ही नहीं। अब वो बैचेन हो उठा था। वो जानना चाहता था कि आज कायरा की सीट खाली क्यों है। क्लास खत्म होते ही वो कैटिंन की और दौड़ा। उसे पता था कि श्लोक उसे कैटिंन में ही मिलेगा। उसका अंदाजा सही था, श्लोक कैटिंन में ही बैठा था। मानव सीधा श्लोक के पास पहुंच गया।

मानव ने श्लोक से सवाल किया- आज वो क्यों नहीं आई ?

श्लोक ने अंजान बनते हुए कहा- कौन ? कौन नहीं आई ?

मानव ने कहा- तुझे पता है कि मैं किसके बारे में पूछ रहा हूं, सीधे से जवाब दे।

श्लोक ने कहा- मुझे क्या पता। मैं पता भी नहीं करना चाहता। वैसे तुझे भी क्यों पता करना है कि वो क्यों नहीं आई ?

मानव इस बार थोड़ा सा हड़बड़ा गया- वो... वो... मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था।

श्लोक ने मानव छेड़ने वाले अंदाज में कहा- ऐसे ही पूछ रहा था और क्लास से भाग कर आ रहा था। ना हाय ना हैलो और सीधा सवाल कि वो क्यों नहीं आई ? वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि तू ऐसे ही पूछ रहा था।

मानव ने इस बार खुद को संभालने की एक नाकाम कोशिश करते हुए कहा- हो तो क्लासमेट हैं इसलिए पूछ रहा था।

श्लोक ने इस बार गंभीर होते हुए कहा- सिर्फ एक दिन वो नजर नहीं आई तो तू इतना बैचेन हो गया है मानव। सोच अगर वो तेरी जिंदगी में ना आ सकी तो तेरा क्या होगा। अब तो मान ले कि तू उससे प्यार करता है। प्यार करता है तो उसे बोल क्यों नहीं देता है।

मानव ने फिर कहा- तू मुझे सिर्फ यह बता कि वो क्यों नहीं आई है, बाकि की बातें छोड़ दें।

श्लोक ने भी मानव को झिडकते हुए कहा- मैं उसका दोस्त नहीं हूं जो उसकी हर खबर रखूं, वो स्नेहा वहां बैठी है, उससे जाकर ही पूछ ले, उसे पता होगा कि वो क्यों नहीं आई ?

मानव ने पलटकर स्नेहा को देखा फिर उसके पास चला गया।

मानव ने टेबल के पास पहुंचकर स्नेहा से कहा- हैलो स्नेहा।

स्नेहा ने मानव को देखा और कहा- ओह मानव। हैलो कैसे हो ?

मानव ने कहा- मैं ठीक हूं। वो.... वो मैं तुमसे पूछना चाह रहा था कि....

स्नेहा ने मानव की बात को बीच में काटते हुए कहा- कल घर जाते हुए उसका एक्सीडेंट हो गया था। उसके पैर में फ्रेक्चर है, डॉक्टर ने आराम की सलाह दी है। कम से कम एक महीने तक वो अपने घर पर ही रहेगी।

कायरा का एक्सीडेंट हो गया है यह खबर सुनते ही मानव एकदम से कुर्सी पर बैठ गया। उसे जैसे इस खबर से धक्का लगा था। वो हड़बड़ा सा गया था।

मानव ने उसी हड़बड़ाहट के साथ कहा- क्या, एक्सीडेंट हो गया, पर कैसे, क्या हुआ था, उसे चोट लग गई।

स्नेहा ने कहा- मानव, मानव घबराने की जरूरत नहीं है, अब वो ठीक है। मैं कल उसके घर गई थी। उसे देखकर आई हूं।

मानव ने कहा- ह..ह.. अब वो ठीक है। घबराने की जरूरत नहीं है।

स्नेहा ने फिर मानव से कहा- उसे कुछ कहना है ?

मानव ने खुद को संभालते हुए कहा- कहना है.... नहीं.... नहीं... कुछ नहीं कहना है।

फिर वो उठा और जाने लगा और फिर अचानक पलटकर स्नेहा से कहा- हां उसे कहना कि अपना ध्यान रखे। वो जल्दी ठीक हो जाएगी।

स्नेहा ने कहा- ओके कह दूंगी। पर क्या यह कह दूं कि तुमने ऐसा कहने के लिए कहा था ?

मानव स्नेहा की इस बात पर चौंक सा गया और फिर उसने कहा- मैंने कहा ? नहीं एक काम करो तुम कुछ मत कहना है। मैं... मैं चलता हूं... वैसे स्नेहा वो सच में ठीक है ना ?

स्नेहा ने कहा- हां मानव वो ठीक हैं।

इसके बाद मानव वहां से चला गया। मानव के जाने के बाद स्नेहा उठकर श्लोक के पास गई।

स्नेहा ने श्लोक से कहा- तुमने देखा मानव की क्या हालत हो गई थी यह जानकर कि कायरा का एक्सीडेंट हो गया है।

श्लोक ने कहा- हां देखा। पर मैं क्या करूं। मैंने तो अभी भी उसे समझाया था। एक दिन कायरा को नहीं देखा तो बैचेन हो गया था। पर पता नहीं उसे बात करने में क्या परेशानी है।

स्नेहा ने कहा- यही हाल दूसरी ओर भी हैं। मैं कल कायरा के घर गई थी। जब उससे बात हो रही थी तो कायरा का कहना था कि उसके एक्सीडेंट की खबर मैं मानव को ना दूं वरना वो परेशान हो जाएगा। मतलब उसे भी पता है कि अगर उसे कोई भी प्रॉब्लम होगी तो मानव परेशान हो जाएगा। उसे भी पता है कि मानव उसे पसंद करता है, पर वो भी तो बात नहीं करती है।

श्लोक ने कहा- पता नहीं दोनों क्या सोचते रहते हैं। एक-दूसरे से प्यार करने के बाद भी दोनों को बोलने में पता नहीं क्या प्रॉब्लम है।

स्नेहा ने भी श्लोक की बात का समर्थन करते गहरी सांस ली और कहा- पता नहीं।

दोनों मानव को जाते हुए देखा। मानव बहुत धीमी चाल से चल रहा था। उसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता था कि वो कुछ सोच रहा है। वो शरीर से तो कॉलेज का गेट पार कर रहा था, परंतु उसका मन कहीं और था।