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खामोश प्यार - भाग 13

शाम का वक्त हो चला था। मानव अपने ख्यालों में गुम बस चलता ही जा रहा था। वो चलते-चलते कायरा के घर के नजदीक तक आ गया था। उसे इस बात का भी होश नहीं था कि उसका घर कायरा के घर से दूसरी ओर है। इस बीच वहां स्नेहा भी वहां पहुंची। उसने देखा मानव कायरा के घर के पास पहुंच रहा है। उसे लगा कि मानव कायरा से मिलने के लिए उसके घर जा रहा है, परंतु ऐसा था नहीं। मानव बस गुमसुम सा चले जा रहा था। स्नेहा जल्दी से कायरा के घर पहुंची और उसका हाथ थामकर उसे खिड़की तक ले आई। कुछ ही देर में मानव कायरा के घर के सामने से गुजरा। स्नेहा और कायरा मानव को घर के सामने से जाते हुए देख रही थी।

स्नेहा ने कायरा से कहा- देख मानव को देख। जब से इसे कहा है कि तेरा एक्सीडेंट हो गया है, ये ऐसा हो गया है।

कायरा ने कहा- अरे तो उसे जाकर रोक। उसे बता कि उसका घर इस ओर नहीं बल्कि दूसरी ओर है।

स्नेहा ने कहा- मैं क्या कहूं ?

कायरा ने कहा- एक काम कर उससे जाकर बात कर।

स्नेहा ने कहा- ठीक है तू कह रही है इसलिए जाती हूं। तू यही बैठ जा और देख वो क्या करता है।

स्नेहा उतरकर सड़क पर पहुंची और मानव को आवाज दी।

स्नेहा ने आवाज दी- मानव, मानव।

मानव ने स्नेहा की आवाज पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। स्नेहा दौड़ते हुए उसके पास पहुंची और उसका हाथ पकड़ लिया। इस बार मानव ऐसे चौंका, जैसे उसे किसी ने बहुत गहरी नींद से जगा दिया था। वो इधर-उधर देखने लगा।

तब स्नेहा ने कहा- मानव तुम यहां ? यहां क्या कर रहे हो ?

मानव ने खुद को संभालते हुए कहा- मैं.... मैं.... यहां ? वो... वो.... पता नहीं। नहीं बस ऐसे ही।

स्नेहा ने फिर कहा- मानव आर यू ओके ?

मानव ने कहा- हं... हं... यस आई एम ओके।

स्नेहा ने फिर वहीं सवाल किया- तो फिर तुम यहां क्या कर रहे हो ? कायरा से मिलने के लिए आए थे क्या ?

मानव चौंकते हुए- कायरा से मिलने ? कायरा यहां रहती है क्या ?

स्नेहा ने कहा- हां वो यही तो रहती है। वो देखो उसका घर।

मानव ने घर की ओर देखा और कहा- नहीं मैं तो बस ऐसे ही। मुझे नहीं पता कि कायरा यहां रहती है।

स्नेहा ने कहा- अब आ ही गए हो तो एक बार उससे मिल लो।

मानव ने कहा- नहीं मैं फिलहाल जल्दी में हूं। मैं बाद में मिल लूंगा।

स्नेहा ने फिर कहा- मानव तुम ठीक तो हो ना ?

मानव ने फिर से कहा- हां, मैं ठीक हूं। मुझे क्या होगा ? मैं ठीक हूं।

स्नेहा ने कहा- अच्छा तो फिर ठीक है मैं भी चलती हूं। मैं तो कायरा से मिलने के लिए आई थी। मैं तो कह रही हूं तुम भी चलो। उसे भी अच्छा लगेगा।

मानव ने स्नेहा की बात का जवाब देते हुए कहा- नहीं मैं बाद में मिल लूंगा।

इतना कहने के बाद मानव फिर से उसी रास्ते पर चलने लगता है, जिस रास्ते से वो आया था। मानव कायरा के घर के सामने आकर कुछ देर के लिए रूका और तिरछी नजर करते हुए उसने कायरा के घर की खिड़की की ओर देखा और फिर कुछ सोचकर आगे बढ़ गया। मानव को खिड़की की ओर देखते हुए कायरा तुरंत ही पर्दे के पीछे छिप गई थी। कायरा और मानव की इस हरकत को स्नेहा वहीं से खड़ी होकर देख रही थी। फिर मानव तेज कदमों के साथ आगे बढ़ गया। कुछ ही देर में वो अपने घर पहुंच गया था। इधर स्नेहा फिर से कायरा के पास आ गई थी। इधर कायरा की आंखों में कुछ नमी सी थी, जिसे उसने स्नेहा को कमरे में आते देख पोंछ लिया था।

स्नेहा ने आते ही कायरा से कहा- उसे तो होश भी नहीं था कि वो कहां घूम रहा है।

कायरा ने कहा- कोई बात नहीं कुछ सोचते हुए गलत रास्ते पर आ गया होगा।

स्नेहा ने कहा- कुछ सोचते हुए नही। बल्कि यह सोचते हुए कि तुम्हारा एक्सीडेंट हुआ है।

कायरा ने कहा- अरे वो मेरे बारे में इतना क्यों सोचेगा ?

स्नेहा ने कहा- देख तुझे भी सब पता है और मुझे भी। इसलिए मेरे साथ ये बनावटी बातें तो कर मत। वैसे भी तुम दोनों से मैं परेशान हो गई हूं। इसलिए अब तू आराम कर मैं चलती हूं। वैसे मैं तुझे ये बताने आई थी कि आज कॉलेज में कुछ खास नहीं हुआ है।

कायरा ने कहा- ठीक है।

इसके बाद स्नेहा भी वहां से चली जाती है। कायरा बेड पर लेटकर मानव के बारे में सोचने लग जाती है। दूसरी और मानव भी अपने घर पहुंचकर अपने कमरे में चला जाता है। इधर कायरा अपना मोबाइल उठाती है और उस ओर मानव ने भी अपना मोबाइल उठा लिया था। दोनों एक बार फिर ऑनलाइन थे, पर हमेशा की तरह खामोश।

अगले दिन मानव फिर कॉलेज पहुंच गया था। उसका चेहरा बता रहा था कि वो अब भी कायरा को लेकर चिंतित है। इसी बीच स्नेहा उसके पास आई और उसने मानव से कहा- मानव कायरा कह रही थी क्लास में जो कुछ भी नोट्स तुम तैयार करो तो तुम उसके साथ शेयर कर देना।

स्नेहा की बात सुनकर मानव कुछ चौंक सा गया और उसने स्नेहा से कहा- कायरा ने कहा ?

स्नेहा ने मानव की बात का जवाब देते हुए कहा- हां उसने ही कहा है, क्योंकि एक टॉपर को दूसरा टॉपर ही समझा सकता है हम जैसे डफर उसे क्या नोट्स देंगे।

इस बार मानव के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ गई। उसने कहा- ठीक है मैं तुम्हें नोट्स दे दूंगा तुम कायरा का दे देना। तुम तो यूं भी रोज उससे मिलने के लिए जाती ही हो।

स्नेहा ने भी अपनी स्वीकृति दे दी। मानव ने दिनभर में नोट्स तैयार किए और शाम को कॉलेज से निकलने से पहले स्नेहा को नोट्स दे दिए। स्नेहा ने भी कायरा को उसके घर जाकर नोट्स दे दिए थे। स्नेहा से नोट्स लेते हुए कायरा ने स्नेहा से कहा- उसे मेरी तरफ से थैक्यू बोल देना।

इस पर स्नेहा ने कहा- क्यों तेरे पास मोबाइल नहीं है क्या ? तू खुद ही उसे मैसेज कर देना।

कायरा ने कहा- अरे तू फिर पीछे पड़ गई। तू बोल देगी तो क्या हो जाएगा। वैसे भी नोट्स भी तो वो तुझे ही देता है।

स्नेहा ने कहा- हां मुझे नोट्स देता है पर वो तेरे लिए देता है। और ये नोट्स भी तेरी पढ़ाई में मदद कर रहे हैं मेरी नहीं।

कायरा ने कहा- तो तू भी ये नोट‌्स ले ले, उसमें क्या है।

स्नेहा ने कहा- मुझे कॉलेज में टॉप करने का कोई शौक नहीं है। इसलिए ये तुझे ही मुबारक।