Banzaran - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

बंजारन - 1

रात के दो(2) बज रहे थे और रितिक अपने दोस्त अमर के साथ कार ड्राइव कर रहा था। कार तेज स्पीड के साथ अपने रास्ते पर भागी जा रही थी। चारो ओर गहरा अंधेरा पसरा हुआ था। आस पास ना तो कोई घर था और ना ही कोई दुकान। अमर विंडो से बाहर देखते हुए रितिक से कहता है," लगता है अमरपुरा के जंगल शुरू होने वाले है, एक काम कर, आगे हनुमान जी का मंदिर पड़ेगा, थोड़ी देर के लिए कार वहीं रोक लेना। हम बिना मंदिर के दर्शन किए आगे नहीं जा सकते।"

रितिक हामी में अपना सिर हिलाते हुए जवाब देता है," हा ठीक है लेकिन मुझे नहीं लगता मंदिर के कपाट अभी भी खुले होंगे।"

" इस मंदिर के कपाट हमेशा खुले रहते है। यहां से आने जाने वाले लोग बिना हनुमान जी के दर्शन किए आगे नहीं जाते। कहते है जो इंसान बिना हनुमान जी का आशीर्वाद लिए आगे जाता है, उसके साथ बहुत सी आजीब चीज़े होती है।"

अमर की बात सुन रितिक कंफ्यूज हो जाता है और वो उसी कन्फ्यूजन के साथ अमर से पूछता है," अजीब चीज़े, कैसी अजीब चीज़े?"

" क्यों तुझे नहीं पता इस जगह के बारे में?"

रितिक ना में अपना सर हिलाते हुए कहता है," नहीं, मुझे कैसे पता होगा, मै तो पहली बार यहां आया हूं।"

" हा..तुझे कैसे पता होगा, तू तो पहली बार यहां आया है, खैर मैं तुझे बताता हूं, ये जगह टॉप हॉन्टेड हाईवे में से एक है इसीलिए मुझे इसके बारे में पता है और लोगों के मुंह से भी मैंने इस जगह के बारे में काफी किस्से सुने है।"

अमर की बात सुन रितिक के तो तोते उड़ जाते है और वो अमर को घूरने लगा जाता है। उसका तो मन कर रहा था कि अभी कहीं जाकर अपना सर फोड़ ले।

रितिक के चहरे पर आए एक्सप्रेशन को इग्नोर कर अमर अपनी बात आगे जारी रखता है," ये रास्ता अमरपुरा के जंगलों से होकर गुजरता है। इस जंगल में बहुत से ऐसे रहस्य दफन है जो अभी तक लोगो के सामने नहीं आए है। कहते है जो भी इस रास्ते से गुजरता है उसे किसी के रोने और हसने की आवाजे सुनाई देती है। कुछ लोगों का कहना है कि इस जंगल में प्रेतो का वास है, जो इंसानों के खून के प्यासे होते है इसीलिए आगे जाने से पहले हमें हनुमान जी का आशीर्वाद लेना होगा जिससे हमें रास्ते में कोई परेशानी ना हो।"

अमर की बात सुन रितिक को गुस्सा आ जाता है और वो गुस्से में उससे कहता है," तू मेरा दोस्त है या दुश्मन, जब तुझे पता था कि ये जगह खतरनाक है तो तू मुझे यहां लाया क्यों और नाही मुझे इस बारे में कुछ बताया।"

रितिक को गुस्सा होता देख अमर उसे समझाते हुए कहता है," अरे तो गुस्सा क्यों हो रहा है?, मै तुझे बताने वाला था लेकिन मुझे कुछ काम आ गया था इसीलिए तुझे बताना भूल गया और तू घबरा मत, जब तक मै तेरे साथ हूं तुझे कुछ नहीं होगा। हनुमान जी पर भरोसा रख वो हमे कुछ नहीं होने देंगे।"

रितिक चिड़ते हुए अमर से कहता है," हा तो अब बचा ही क्या है, अब तो सब भगवान भरोसे है, क्योंकि तुझ पर तो मुझे अब रत्ती भर भी भरोसा नहीं है।"

रितिक की बात का अमर कोई जवाब नहीं देता है और विंडो से बाहर देखने लग जाता है। कार कुछ दूर ही चली थी कि रितिक अचानक से कार के ब्रेक लगा लेता है।

अमर कंफ्यूज होते हुए रितिक से पूछता है," क्या हुआ, कार के ब्रेक क्यों लगा लिए?"

रितिक अमर को घूरते हुए उससे कहता है," मंदिर आ गया।"

रितिक की बात सुन अमर तुरंत विंडो से बाहर देखता है और उसे एक मंदिर दिखाई देता है जहां से कुछ रोशनी आती हुई नजर आ रही थी।

अमर मुस्कुराते हुए रितिक से कहता है," ओह हा, मै तो भूल ही गया था।"

इतना कहकर अमर कार से नीचे उतार जाता है और मंदिर की ओर जाने लगा जाता है। हाईवे के साइड में ही चार पांच क़दमों कि दूरी पर एक खाली जगह थी जिसमे कुछ झोपड़िया और एक मंदिर बना हुआ था। झोपड़िया घास और लकड़ियों से बनी हुई थी और हर झोपडी के आगे माशाले जल रही थी। बीच में ही एक हवन कुंड बना हुआ था जिसमें धीमी धीमी आग जल रही थी। उसे देखकर सेस लग रहा था जैसे अभी अभी उसमे किसी के हवन किया हो। रितिक और अमर जल्दी से मंदिर के पास जाते है और हनुमान जी की मूर्ति के आगे माथा टेक लेते है। हनुमान जी का आशीर्वाद लेने के बाद वे दोनों अपने आस पास बनी झोपड़ियों को देखने लग जाते है।

रितिक हैरान होते हुए अमर से पूछता है," यहां कोई रहता है क्या?"

अमर जवाब देते हुए कहता है," हा यहां पर कुछ अघोरी रहते है।"

" अघोरी और वो भी इतने सुनसान इलाके में।"

" और नही तो क्या, अघोरियों को शांत माहौल में रहना पसंद है। वो भिड भाड़ वाली जगह से दूर रहते है ताकि अपनी साधना कर सके और हवन कुंड को देखकर भी एसा लग रहा है जैसे अभी अभी किसीने इसका इस्तेमाल किया हो।"

" यकीन नहीं होता इतनी खतरनाक इलाके में भी ये लोग इतनी शांति से कैसे रह लेते है। क्या इन्हे डर नहीं लगता?"

रितिक की बात सुन अमर हस्ते हुए उससे कहता है," वो अघोरी है तेरी तरह डरपोक नहीं, इनका तो उठना बैठना ही भूत प्रेत के साथ होता है फिर इन्हे डर कैसा?"

" कभी कभी डरना भी जरूरी होता है। क्योंकि जब तक इंसान के अंदर डर नहीं होगा तब तक वो इंसान कहलाने लायक ही नहीं है। जब हमारे अंदर किसी चीज़ का डर होता है तभी हम मन लगाकार किसी काम तो करते है और उसमें सफल हो जाते है, अगर हम यूहीं बिना किसी डर के कोई काम को करते है तो कहीं ना कहीं भूल चूक कर ही जाते है और असफल हो जाते है।

" बस बस, इतना डिटेल म बताने की ज़रूरत नहीं है। हमें रात होने से पहले अमरपुरा भी पहुंचना भी है।

अमर की बात सुन रितिक हामी में अपना सिर हिलाता है और उसके बाद वे दोनों कार की ओर जाने लग जाते है।

अभी उन्होंने कुछ कदम ही चले होंगे कि तभी पीछे से उन्हें किसी की आवाज सुनाई देती है," रुको..."

आवाज सुन रितिक और अमर अपनी जगह पर ही रुक जाते है और पीछे पलटने लग जाते है। जब वे पीछे पलटते है तो देखते है उनके सामने एक अघोरी खड़ा था जो बड़ी बड़ी लाल आंखो से उन दोनों को ही घूरे जा रहा था। उस अघोरी की बड़ी बड़ी जटाएं थी और उसने अपने शरीर पर राख लपेटी हुई थी। अपने निचले हिस्से को छुपाने के लिए उसने एक काले रंग का कपड़ा पहना हुआ था। रात के अंधेरे में वो अघोरी किसी शैतान से कम नहीं लग रहा था।

उस अघोरी के भयानक रूप को देख उन दोनों के दिल जोरो से धड़कने लग गए थे। दोनो में से किसी की भी हिम्मत नहीं हो रही थी अघोरी का सामना करने की। अमर हिम्मत करते हुए आगे जाता है और हाथ जोड़कर हिचकिचाते हुए अघोरी से कहता है," प्रणाम बाबा, दरअसल हम राहगीर है इसीलिए हनुमान जी के दर्शन करने यहां आए थे।"

अमर की बात का अघोरी कोई जवाब नहीं देता है। उसकी नजर रितिक पर टिकी हुई थी और वो बड़ी बड़ी आंखों से उसे ही घूरे जा रहा था। अघोरी को कुछ ना कहते देख अमर रितिक की ओर देखता है और इशारों इशारों में ही उससे कुछ कहता है। अमर का इशारा समझकर रितिक तुरंत हरकत में आता है और तुरंत अघोरी के सामने आकार जोड़ते हुए कहता है," प्रणाम बाबा..."

अघोरी चुप रहता है पलटकर कुछ नहीं कहता है। अघोरी को चुप खड़ा देख रितिक बुरी सी शकल बना लेता है और मन ही मन कहता है," लगता है बेचारा बहरा है, इसे देखकर लगता तो नहीं कि सालो से इसने नहाया हो।"

रितिक ने इतना सोचा ही था कि तभी उसकी नज़र अघोरी के चहरे की ओर जाती है और उसके होश उड़ जाते है। दो मिनट पहले जो अघोरी उसे केबल घूर रहा था अब उसने अपनी भौंहे ऊपर चढ़ा ली थी जैसे उसे पता चल गया हो कि रितिक उसके बारे में क्या सोचता है?

आखिरकार अघोरी के मुंह से कुछ शब्द निकलते है और वो कहता है," लौट जाओ..."

" लौट जाओ..." अघोरी की बात सुन रितिक को गुस्सा आ जाता है, एक तो उसके दोस्त अमर ने उसे मौत के मुंह में धकेल दिया था और अब ये अघोरी। रितिक गुस्सा कंट्रोल करते हुए उससे कहता है,"हम बापस लौंटने के लिए यहां नहीं आए है।"

रितिक को आउट ऑफ कंट्रोल होते देख अमर तुरंत अघोरी के सामने आता है और कहता है," हम बड़ी परेशानी में है बाबा, हमें जल्द से जल्द अमरपुरा पहुंचना है इसीलिए आज्ञा दीजिए।"

इतना कहकर अमर रितिक का हाथ पकड़ना है और वहा से ले जाने लग जाता है। वे दोनों जल्द ही कार के पास पहुंच जाते है। रितिक एक बार पीछे पलटकर उस अघोरी की ओर देखता है जो अभी भी उसे ही घूरे जा रहा था और ड्राइविंग सीट पर जाकर बैठ जाता है। उसके बाद वे दोनों वहा से चले जाते है। थोड़ी दूर आगे जाने पर ही रितिक की नजर साइड में लगे एक बोर्ड पर पड़ती है, जिस पर एक कंकाली खोपड़ी का निशान बना हुआ था। दुर्घटना से बचने और लोगो की सुरक्षा के लिए इस बोर्ड को लगाया जाता है, ताकि लोगो को पता चल सके कि आगे एक्सीडेंट होने का खतरा है। कुछ दूर और आगे जाने पर जंगल का रास्ता शुरू हो जाता है और आस पास सफेद धुंध सी छा जाती है। जंगल शुरू होने के साथ ही उन दोनो के चहरे गंभीर हो जाते है। रितिक तुरंत कार की स्पीड तेज कर लेता है और कार का म्यूजिक ऑन कर देता है। अमर अपनी जेब से एक सिग्रिट निकालता है और उसे सुलगाने लग जाता है। उसके अभी माचिस जलाई ही था कि तभी अचानक से कार के ब्रेक लग जाते है और कार स्लिप हो जाती है। कार के रुकते ही अमर चिड़ते हुए रितिक से कहता है," क्या हुआ..?"

रितिक हकलाते हुए कहता है," वो वो पीछे कुछ था।"

" क्या..."

" लड़की..."

अमर हस्ते हुए कहता है," लड़की.... यहां लड़की कहा से आई, अभी तो मैने सिग्रीट जलाई भी नही है और तुझे अभी से नशा हो रहा है।"

" मै मजाक नहीं कर रहा, वहा सच में एक लड़की है। वो रोड के किनारे लेटी हुई थी, शायद वो बेहोश है।"

रितिक की बात सुन अमर के चहरे पर हवाइयां उड़ने लगती है और वो हकलाते हुए कहता है," तू सच कह रहा है ना।"

रितिक हामी में अपना सिर हिलाते हुए जवाब देता है," हा...."

" ततत तू जल्दी से कार स्टार्ट कर।"

" कार स्टार्ट पर क्यूं?"

" जिसे तू लड़की कह रहा है वो कोई लड़की नहीं बल्कि एक आत्मा है, तुझे मैने बताया था ना इस जगह के बारे में, यहां बहुत सी ऐसी आत्माएं होती है जो आने जाने वाले लोगो को परेशान करती है।"

रितिक ना में अपना सिर हिलाते हुए कहता है," आत्मा तो अदृश्य होती है ना, अगर वो आत्मा होती तो मुझे दिखाई क्यूं देती? वो जरूर कोई इंसान है और ऊपर से वो बेहोश है, अगर हम उसे ऐसे ही यहां छोड़ जायेंगे तो वो मर भी सकती है, या हो सकता है कोई जंगली जानवर उस पर हमला कर दे।"

अमर रितिक को समझाते हुए कहता है," मरेगी तो तब ना जब वो इंसान हो, वो तो पहले से ही एक आत्मा है और अगर तूने अभी कार स्टार्ट नही कि तो हम भी ऐसे ही आत्म बनाकर यहां मंडराएंगे।"

" तू कुछ ज्यादा ही सोच रहा है, देख वो कोई आतमा नहीं है, आज के टाइम में ये आत्मा और भूत प्रेत जैसा कुछ नही होता, सब मन का बहम है।"

" ये कोई बहम वाली बात नहीं है, तू खुद ही सोच भला इतने सुनसान इलाके में किसी लड़की का मिलना और वो भी बेहोशी की हालत में, ये तुझे कुछ अजीब नहीं लगता, मेरी बात मान और चल यहां से।"

" ऐसा भी तो हो सकता है कि वो भी यहां से गुजर रही हो और रास्ते में ही उसका एक्सीडेंट हो गया हो।"

" ये तुझे एक्सीडेंट लग रहा है, देख नही रहा यहां आस पास एक्सीडेंट होने का कोई भी निशान नहीं है।"

रितिक चिड़ते हुए अमर से कहता है," जो भी है मैं एक बार चैक करके आता हूं, अगर कुछ होगा भी तो दोनो संभाल लेंगे।"

रितिक की बात सुन अमर उसे ऐसे घूरने लगता है जैसे किसी पागल को देख रहा हो। ना में अपना सर हिलाते हुए अमर उससे कहता है," नहीं, तू कही नही जाएगा, तू खुद तो मरेगा साथ में मुझे भी ले डूबेगा।"

" अरे छोड़ ना यार तू इतना डरपोक कबसे बन गया? मै अभी दो मिनट में चैक करके आता हूं।"

इतना कहकर रितिक कार से नीचे उतरता है और पीछे की ओर जाने लग जाता है। अमर पीछे से रितिक को आवाज लगाते रह जाता है लेकिन रितिक उसकी आवाज का कोई जवाब नही देता है और कुछ ही देर में वो उस जगह पर पहुंच जाता है जहा उसके किसी लड़की को बेहोश देखा था।