Banzaran - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

बंजारन - 8

रितिक कोठी की ओर तो बड़ गया था लेकिन उसे ये नही पता था कि जंगल में आए उसे काफी देर हो गई थी और अब रात के ग्यारह(11) बज चुके थे। उधर कब्र का काम भी खतम हो चुका था और मोहन, दोनो आदमी और ठाकुर साहब के साथ कब्र के पास ही खड़ा था। तीनो के चहरों पर एक शांति छाई हुई थी। तीनो शांत खड़े बस कब्र को ही देखे जा रहे थे। मोहन कभी तो ठाकुर साहब को देखता तो कभी कब्र को। मोहन को तो समझ ही नही आ रहा था कि उसके मालिक इतने ध्यान से कब्र में क्या देख रहे है जबकि कब्र तो एकदम खाली निकली। मोहन से रहा नही गया और उसने उनसे पूछ ही लिया–" क्या हुआ ठाकुर साहब, आप इस तरह कब्र में क्या देख रहे है?"
मोहन का सवाल सुन ठाकुर साहब पहले तो दोनो आदमियों की ओर देखते है और फिर मोहन से कहते है–" कुछ नही..."
अब तो मोहन का शक और भी बड़ गया, उसे पता था ठाकुर साहब उससे कुछ तो छुपा रहे है लेकिन छुपा क्या रहे है, छुपाने लायक अब बचा ही क्या है?, इस कब्र में तो कुछ निकला नही। उसके होशियार दिमाग में तो बस दो ही बाते चल रही थी, एक तो ये कि जरूर किसीने कब्र में लाश को दफनाया होगा और दूसरी ये कि किसीने कोई खजाना छुपाया होगा और सजा इस तरह से दिया ताकि लोगो को कोई शक ना हो और खजाना भी सेफ रहे।
इधर ठाकुर साहब एक लंबी आह भरते है और मन ही मन कहते है–" जिसका डर था वही हुआ।"
उसके बाद वे मोहन से कहते है–" चलो मोहन, इसे ऐसे ही रहने दो।"
मोहन हा में अपना सिल हिलाता है उसके बाद वो इधर उधर देखने लग जाता है। मोहन को इधर उधर नजरे दौड़ाते देख ठाकुर साहब उससे कहते है–" क्या बात है?"
मोहन हिचकिचाते हुए कहता है–" वो मै उन चारो लडको को देख रहा हूं, आपके आने से पहले वो लोग यही थे, अभी तक लौटकर नहीं आए।"
" लौटकर नहीं आए, गए कहा है वो सब और मैने मना किया था ना कि इस बारे में किसी को मत बताना?"
" मुझे भी नही पता वो लोग कब यहां आ गए, शायद उन्होंने मुझे यहां आते हुए देख लिया होगा और मेरे पीछे पीछे यहां आ गए?" मोहन झूट बोलते हुए कहता है।
" हम्म्म, हो सकता है वे लोग वापस चले गए हों।"
" हा..." मोहन हा में अपना सिर हिलाता है। उसके बाद वे लोग वापस हवेली की ओर जाने लगते है।
वही दूसरी ओर करन अमर और रोमियो जंगल वाले रास्ते की ओर बड़े जा रहे थे। जंगल में चारो ओर गहरा अंधेरा पसरा हुआ था। वे लोग टॉर्च की धीमी रोशनी में आगे चले जा रहे थे और साथ ही रितिक को आवाज भी लगा रहे थे। जंगल में इतनी शांति थी कि उन लोगो के कदमों की आवाजे साफ सुनी जा सकती थी। आस पास के पेड़ो में कोई मूवमेंट नही थी, पेड़ के पत्ते जरा सा भी नहीं हिल रहे थे। बरगद के पेड़ इतने घने थे कि उनकी लताएं दूर दूर तक फैली हुई थी। वे किसी परछाई की तरह ज्यादा लग रहे थे। रोमियो डरते हुए कहता है–" यार मुझे तो बहुत डर लग रहा हूं। एक तो ये जंगल वैसे ही इतना खतरनाक है और ऊपर से यहां वो बंजारन भी भटका करती है।"
करन कहता है–" पता नही ये रितिक कहा चला गया, कहकर तो गया था टॉयलेट करने जा रहा है,।"
अमर कहता है–" हो सकता है वो घर लौट गया हो।"
करन ना में अपना सिर हिलाते हुए कहता है–" नही..अगर घर गया होता तो बताकर जाता, ऐसे बिना बताए नही जाता।"
रोमियो चिड़ते कहता है–" एक बार मिल जाने दो साले को, उसकी अच्छे से खबर लेता हूं, ये भी कोई टाइम है घूमने का।"
करन रोमियो को समझाते हुए कहता है–" ये भी तो हो सकता है वो किसी मुसीबत में हो। ऐसे तो वो हमे मिलने से रहा, एक काम करते है, हम अलग अलग उसे ढूंढते है।"
" तू पागल है क्या? तुझे पता है ना ये जंगल कितना खतरनाक है, हम लोग साथ रहेंगे तो सेफ रहेंगे, अलग हुए तो मुसीबत और बड़ जाएगी।" रोमियो चिड़ते हुए करन से कहता है और करन उसकी बात सुन हा में अपना सर हिला देता है। अमर उन दोनो से कहता है–" अब ये चूहे बिल्ली की तरह झगड़ना बंद करो और ढूंढो उसे।"
अमर की बात सुन वे दोनो चुप हो जाते है। उसके बाद वे तीनों साथ में आगे की ओर बड़ने लगते है। रोमियो आगे आगे चल रहा था और वे दोनो उसके पीछे पीछे। रोमियो अपने आस पास देख ही रहा था कि तभी उसका पैर किसी चीज से टकराता है और वो लड़खड़ाकर जमीन पर गिर जाता है।
करन हस्ते हुए कहता है–" लो.. अभी से ये हाल है, बुढ़ापे में पता नही क्या हाल करेगा?"
रोमियो जवाब देते हुए कहता है–" देख नही रहा कितना अंधेरा है यहां, कुछ भी दिखाई नही दे रहा।"
अमर रोमियो को उठाते हुए कहता है–" अब उठेगा भी या यहीं अपनी सुहागरात मनाएगा।"
" हा हा उठ रहा हूं " इतना कहकर रोमियो खड़ा होता है और उस चीज को देखने लगता है जिससे उसका पैर टकराया था। टॉर्च की रोशनी में रोमियो को कुछ ऐसा दिखाई देता है जिससे उसके होश उड़ जाते है।
रोमियो घबराते हुए कहता है–" ये तो रितिक है..."
रोमियो की बात सुन अमर और करन भी वहा आ जाते है और रितिक को वहा पड़ा देख शौक हो जाते है।
रोमियो जिस चीज से टकराया था वो कोई और नहीं बल्कि रितिक था जो बेहोशी की हालत में था। अमर तुरंत रितिक के पास जाता है और उसे होश में लाने की कोशिश करने लगता है। इधर रितिक को इस हालत में देख वे तीनों काफी ज्यादा परेशान हो गए थे। वार वार उठाने पर भी जब रितिक को होश नही आता तो अमर उन दोनो से कहता है–" ऐसे तो इसे होश नही आएगा, इसके चहरे कर पानी की छींटे मारनी पड़ेंगी।"
रोमियो सर खुजाते हुए कहता है–" यार अब यहां पानी कहा से लाए।"
करन कहता है–" एक काम करते है इसे उठाकर घर ले चलते है।"
करन की बात सुन सब लोग हामी के अपना सर हिला देते है। उसके बाद करन रितिक के हाथ पकड़ता है और रोमियो उसके पैर। अमर आगे आगे चल रहा था और उन दोनो को रास्ता दिखा रहा था। वे लोग उसे उठाकर जंगल से बाहर जाने लगते है। कुछ ही देर में वे लोग रितिक को लेकर कब्र वाली जगह के पास पहुंच जाते है। ठाकुर साहब और मोहन वहा से जा चुके थे इसीलिए वहा कोई नही था। वे लोग कब्र के पास से गुजर ही रहे थे कि तभी रोमियो का पैर एक कंकाली खोपड़ी पर पड़ता है और वो औंधे मुंह जमीन पर गिर जाता है और साथ ही रितिक की बॉडी भी उसके हाथ से छूट जाती है और वो लुढ़कते हुए कब्र में गिर जाती है। अमर चिड़ते हुए रोमियो से कहता है–" तुझे देख कर नही चला जाता।"
रोमियो सफाई देते हुए कहता है–" मैं क्या करू, वो खोपड़ी ही मेरे आगे आ गई थी।"
" तेरे कहने का मतलब है उस खोपड़ी के पैर लगे है और वो चलकर तेरे सामने आ गई।"
करन भी अमर का साथ देते हुए कहता है–" बैर बुद्धि है साला।"
" बैर बुद्धि किसे बोला, तू बैर बुद्धि तेरा पूरा खानदान बैर बुद्धि।"
अमर चिड़ते हुए उन दोनो कहता है–" अब फिर से तुम लोग लड़ने बैठ गए, रितिक कहा है?"
" रितिक.." रोमियो को एक और शौक लगता है और वो तुरंत अपने आस पास देखने लगता है। रोमियो हैरानी के साथ कहता है–" ये रितिक कहा चला गया?"
" वो कहा जाएगा वो तो बेहोश था ना " अमर कहता है, तभी उन तीनो की नजर कब्र की ओर जाती है और वो तीनो एक दूसरे को टुकुर टुकुर देखने लगते है। उधर कब्र से भी दो आंखे निकलती है टुकुर टुकुर उन तीनो को घूरने लगती है। रितिक की बॉडी जैसे ही कब्र में गिरी थी उसे होश आ गया था और अपने आप को कब्र में पाकर उसके तो रोंगटे ही खड़े हो गए थे। उसके चहरे का रंग ही उड़ गया था। उसे तो समझ ही नही आ रहा था कि भला कोई इंसान ऐसा कर कैसे सकता है? अगर दफनाना ही था तो मार के दफना देता, जिंदा दफन करने की क्या जरूरत थी? रितिक को तो रोने ही आ रहा था, वो तो बेचारा कोठी देखने जंगल में गया था तो फिर इस कब्र में कैसे आया?
रितिक हैरान परेशान सा खुद से ही कहता है–" कही ये सरपंच के आदमी..."
रितिक अपनी ही सोच में था कि तभी उसे बाहर से किसी के लड़ने झगड़ने की आवाजे सुनाई देती है। वो हिम्मत करके उठता है और बाहर की ओर झांकने लग जाता है। जब उसकी नजर उसके दोस्तो पर पड़ती है तो उसे एक और शौक लगता है। रितिक तुरंत नीचे झुकता है और अपना सीना पकड़ते हुए कहता है–" ये तो मेरे ही दोस्त है लेकिन ये मुझे मारना क्यूं चाहते है और अमर, वो तो मेरा जिगरी यार है।"
रितिक को तो अपनी ही आंखो पर यकीन नही हो रहा था कि उसके दोस्त ऐसा भी कर सकते है। बचपन से ही उसने अपने दोस्तो को एक भाई की तरह प्यार दिया और उन सब का उसे ये सिला मिला। सच ही कहते है लोग, अपने ही होते है जो पीठ में छूरा घुसते है। रितिक को सोच सोचकर ही गुस्सा आ रहा था, तभी ऊपर से रोमियो की आवाज आती है–" रितिक मेरे भाई..."
" भाई.." ये सुनकर तो रितिक का चहरा गुस्से से लाल हो गया। वो तुरंत कब्र से बाहर आता है और रोमियो का कॉलर पकड़ उसे लाते घुसे बरसाने लगता है।
करन बीच बचाव करने आता है और कहता है–" ये क्या कर रहा है छोड़ उसे?"
करन ने इतना कहा ही था कि तभी रितिक उसे भी बीच में घसीट लेता है और लाते घुसे बरसाने लगता है। पास खड़े अमर को तो समझ ही नही आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है?, उसे पता था कि अगर वो भी बीच बचाव करने गया तो उसे भी रिमाइंड पर ले लिया जाएगा, इसीलिए वो दूर से ही वहा चल रहे नजारे का आनंद लेने लगता है।
रितिक को पता था जब ये लोग उसे जान से मार ही सकते है तो वो क्यों उन्हें ऐसे ही जाने दे। करन और रोमियो के बाद रितिक अमर की ओर बड़ता है। रितिक को अपनी ओर आते देख अमर घबरा जाता है और एक दो कदम पीछे हट जाता है। अमर रितिक को समझाते हुए कहता है–" ये तू क्या कर रहा है?"
रितिक कोई जवाब नही देता है, बिना कुछ कहे वो अमर के सामने आकार खड़ा हो जाता है। इधर रोमियो और करन धूल में सने एक दूसरे को ही देख रहे थे। रोमियो घबराते हुए करन से कहता है–" कही रितिक के अंदर कोई भूत तो नही आ गया?"
" हा मुझे भी ऐसा ही लगता है.." करन कहता है।
इधर अमर हकलाते हुए रितिक से कहता है–" ततत तू रितिक ही है ना, तू हमे क्यों मार रहा है, हम तो तेरे दोस्त है ना।"
अमर की बात सुन रितिक हस्ते हुए उससे कहता है–" दोस्त.. पहली बार देखे है ऐसे दोस्त जो अपने ही दोस्त को जिंदा दफन करते है।"
" क्या.." अमर शौक हो जाता है, उसे समझ आ जाता है कि रितिक को क्या गलतफहमी हुई है इसीलिए वो उसे समझाते हुए कहता है–" हम तुझे दफना नही रहे थे, वो तू हमे जंगल के अंदर हमे बेहोश पड़ा मिला था। जब तुझे होश नही आया तो तुझे उठाकर घर ले जा रहे थे, जब हम यहां पहुंचे तो रोमियो का पैर फिसल गया और तू कब्र के अंदर गिर गया।"
" अच्छा..." रितिक को बात समझ आ जाती है और उसका शर्म से लाल हो जाता है, फिर वो करन और रोमियो की ओर देखता है जो उसे ही गुस्से के साथ घूरे जा रहे थे। रितिक उन दोनो के पास जाता है और मुस्कुराते हुए कहता है–" ज्यादा जोर से तो नही लगी।"
ये सुनकर तो उन दोनो का सर ही फट गया, उन्हे तो लगा था रितिक सॉरी बोलने आ रहा होगा लेकिन ये तो उनके घावों पर नमक लगाने आ गया। कोई इंसान इतना नालायक कैसे हो सकता है? करन और रोमियो को गुस्सा होता देख रितिक उन दोनो से कहता है–" अच्छा सॉरी, अब खुश..."
" हा, अहसान कर दिया सॉरी बोलके।" करन चिड़ते हुए उससे कहता है।
रोमियो रितिक के पास आता है और उससे पूछता है–" तू जंगल में क्या करने गया था?"
" वो मैं..." रितिक हिचकिचाता है और उसके बाद वो सब उन्हें बता देता है जो उसके साथ जंगल में हुआ था, सरपंच के लड़के से हाथा पाई और खंडर कोठी का मिलना।
रितिक की बात सुन वे तीनों काफी ज्यादा हैरान थे और उन्हें अच्छा भी लग रहा था कि रितिक कही घूमने नही बल्कि जिंदगी का पहला अच्छा काम करने गया था। तभी अमर को रितिक की कही हुई बात याद आती है और वो रितिक से पूछता है–" एक मिनिट, तूने कहा कि जंगल की गहराइयों में एक कोठी है।"
इसके बाद वो करन और रोमियो की ओर देखते हुए कहता है–" क्या तुम्हे पता है इसके बारे में।"
अमर की बात सुन दोनो कंधे उचकाते हुए ना में अपना सिर हिल देते है। तभी अमर की नजर रितिक पर जाती है जिसके चहरे कर दहशत नजर आ रही थी। उसके चहरे पर पसीने की बड़ी बड़ी बूंदे थी। रितिक को घबराते देख अमर परेशान हो जाता है और उसके कंधे हिलाते हुए कहता है–" क्या हुआ था वहा?"
रितिक घबराते हुए कहता है_" ववव बंजारन...."