Pyar bhara Zehar - 6 in Hindi Love Stories by Deeksha Vohra books and stories PDF | प्यार भरा ज़हर - 6

Featured Books
Categories
Share

प्यार भरा ज़हर - 6

एपिसोड 6 ( घर की बहु !  )

तो अभी तक आपने देखा , की कैसे काश्वी दुल्हन की जगह राघव से शादी कर लेती है | ओर सबसे ज्यादा चौकाने की बात तो ये थी , की राघव की माँ , रंजना जी इस बात से बहुत खुस थीं , की काश्वी उनके घर की बहु बनी है | सभी रिश्तेदार आपस में बातें करने लगे थे | एक रिश्तेदार बोली | 

"हे भगवन ! ये क्या हो गया ? दुल्हन ही बदल गई ?" तो दूसरी रिश्तेदार बोली | "कितनी बेशरम लड़की है , किसी ओर की जगह दुल्हन बन कर शादी कर ली राघव  बेटा से |" सब लोग काश्वी को बुला भला कहने लगे | ओर ये बात , राघव को पसंद नहीं आ रही थी | कश्वी एक दम शांत कड़ी थी | ओर उसकी आँखें नम थीं | राघव को कुछ भी समझ में खुद नहीं आ रहा था | तबी रंजना जी सबको चुप करवाते हुए बोलीं | 

रंजना जी :: "बस , बहुत हो गया |" रंजना जी की आवाज़ से पुरे हॉल में शांति छा गई | सबका ध्यान इस वक्त रंजना जी पर ही था | फिर गुस्से में रंजना जी अपनी दोस्त , यानिकी मलिका की माँ की ओर मुड़ी ओर उनसे बोली | 

रंजना जी :: "बेशरम मेरी बहू नहीं तुम्हारी बेटी है |" किसी को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था | तो रंजना जी आगे बोलीं | 

रंजना जी :: "अपनी ही शादी के दिन , जिस वक्त मलिका को दुल्हन बनने के लिए तैयार होना चाहिए था , तुम्हारी बेटी किसी के साथ गुल्छडडे उदा रही थी |" मलिका की माँ इस वक्त बहुत गुस्से में थी | वो चीखते हुए , रंजना जी से बोली | 

"रंजना , सोच समझ कर बोलो ...." बीच में ही मलिका की माँ को रोकते हुए , रंजना जी बोली | 

रंजना जी :: "सोचना तो तेरी बेटी को चाहिए था | मेरे बेटे को , मेरे परिवार को धोखा देने से पहले | ये तो शूकर मनाओ , समय पर काश्वी बेटी मिल गईं | वेरना आज तो तुम्हारी बेटी ने , मेरे परिवार को कहीं का नहीं छोड़ा था |" किसी को भी इन सब बातों पर भरोसा नहीं हो रहा था | 

पर कोई रंजना जी पर सवाल भी नहीं उठा सकता था | फिर मलिका की मोम रंजना जी के पास आती हूँ , उनका हाथ पकडती हुईं , उनसे बोलीं | 

"देख रंजना , टू टू ऐसा नहीं कर सकती .... मलिका राघव से प्यार करती है | वो ऐसा कभी नहीं कर सकती |" फिर मलिका की माँ क्काश्वी की ओर मुड़ी , ओर उसे थप्पड़ मारते हुए , चीखते हुई बोलीं | 

"ये सब , सब इस लड़की का ही किया धरा है |" मलिका का माँ काश्वी को छु भी पाती , उससे पहले ही , किसी ने उनका हाथ पकड़ लिया | सब का ध्यान अब उस इंसान पर था , जिसने हाथ पकड़ा था | वो ओर कोई नहीं बल्कि , राघव था | गुस्से में राघव बोला | 

राघव :: "भूल के भी ये गलती मत कर बैठने आंटी | काश्वी अब काश्वी राघव रॉय है | मेरी बीवी ओर रॉय परिवार की बहु है |" किसी को अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था | सब को तो ये लग रहा था , की राघव काश्वी पर गुस्सा करेगा | पर ये क्या , राघव तो काश्वी की तरफ है | 

रंजना जी को इस बात की ख़ुशी थी , की उनका बेटा उन पर इतना भरोसा करता है | आज उनके बेटे ने , उनका सर गर्व से ओर भी ऊँचा कर दिया था , उनका साथ देकर | ओर इस घर की बहु की इज्जत रखके | 

राघव काश्वी की सचाई जनता था | वो अच्छे से जनता था , की काश्वी को आम इंसान नहीं है | पर अब काश्वी उसकी पत्नी है |  सभी मेहमान , कुछ ही देर में जा चुके थे | ओर मलिका ओर उसकी फॅमिली भी वहां से जा चुकी थी | घर पर सिर्फ , राघव के कुछ क्ज्न्स जो उनके साथ ही रहते थे , ओर उनका परिवार ही था | 

काश्वी अभी तक शांत थी | उसे तो समझ में ही नहीं आ रहा था , की वो क्या करे | क्या बोले | कुछ ही देर में काश्वी की माँ भी वहां पर आ गई थी | जिसकी वजह से काश्वी को डर था , की उसकी माँ ना जाने कया सोचेगी | रंजना जी ने काश्वी की मद्दत करने का वादा किया था , ओर काश्वी की माँ को इस बारे में कुछ ज्यादा पता नहीं था | 

रंजना जी ने काश्वी की माँ से पहले ही बात कर ली थी | काश्वी की माँ बहुत खुश थीं | क्यूंकि काश्वी जिस परिवार की बहु बनी , उस परिवार में शादि करना कर लड़की का सपना था | अपनी बेटी को आशीर्वाद , देकर काश्वी का माँ देर रात वहां से चली गई | 

उसके बाद ,  ख़ुशी काश्वी की नन्द काश्वी को राघव के कमरे इ ले गई | रोनित काश्वी का देवर , राघव के साथ ही था | अपने भाई को नर्वस देख , रोनित को तो बहुत मज़ा आ रहा था | ओर राघव को चिड़ाते हुए आगे बोला | 

रोनित :: "क्या बात है भाई | आज तो आप बहुत खुश होंगे | अब तो भाभी भी आ गई है |" रोनित पर तो अब राघव को गुस्सा आने लगा था | क्यूंकि पिछले आधे गनते से , वो उसका दिमाग खराब कर रहा था | पर राघव का ही नहीं , राघव के कमरे में , किसी ओर का भी दिमाग खराब हो रहा था | 

काश्वी बहुत थक चुकी थी | ओर ख़ुशी उससे बातें कर रही थी |काश्वी मन ही मन सोचने लगी | 

काश्वी :: "क्या ख़ुशी दीदी को नींद नहीं आ रही |" वैसे तो काश्वी को ख़ुशी थी , की सब ने उसे अपना लिया | क्यूंकि जिन हालातों में उसकी ओर राघव की शादी हुई थी , उसे लगा नहीं था , की यहाँ हर कोई इतना अच्छा होगा | सब उसे अपना लेंगे | पर अभी तक काश्वी की बात राघव से नहीं हुई थी | 

काश्वी की राघव से पहली मुलाकात  , बहुत बुरी रही थी | ओर दूसरी ही मुलाक़ात में , वो दोनों पति ओर पत्नी बन चुके थे | काश्वी बहुत नर्वस थी | उसे समझ में नहीं आ रहा था , की राघव के आने पर वो क्या करने वाली है | फिर कुछ देर ओर परेशान होने के बाद , ख़ुशी वहां से चली गई | 

राघव अपने कमरे के बाहर ही खड़ा था | ख़ुशी ने राघव को तब तक जाने नहीं दिया , जब तक राघव ने ख़ुशी को नए मोडल की कार गिफ्ट करने का वादा नहीं किया | हार फेर कर  , जब राघव कमरे में गया | तो कमरे का नज़र देख ,उसे हसी ही आई गई | 

तो क्या लगता है दोस्तों , क्या राघव ओर काश्वी की ये शादी कोई नई दास्ताँ लिखेगी ? क्या दोनों एक दुसरे को अपना पाएंगे ? 

जानने के लिए बने रहिये मेरे साथ |