Prem Ratan Dhan Payo - 40 books and stories free download online pdf in Hindi

Prem Ratan Dhan Payo - 40







हरिवंश जी ने जमीन को लेकर कोर्ट में केस कर दिया था । जैसा कि सभी जानते हैं जमीन जायदाद से जुड़े मामलों में केस थोड़ा लंबा खिंच जाता है । इस मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ किंतु हरिवंश जी की पहुंच की बदौलत वह इस केस के सही निर्णय तक पहुंचने में कामयाब हुए । 5 महीने बीत चुके थे । करुणा का आठवां महीना लग चुका था । इस बीच राघव की स्टडी भी कंप्लीट हो गई थी और उसने धीरे-धीरे ऑफिस जाना शुरू कर दिया था । हरिवंश और समर आफिस का काम बखूबी संभाल रहे थे । आज कोर्ट का फैसला आना था इसलिए सब लोग कोर्ट पहुंचे । राघव ने आने की जिद की लेकिन हरिवंश जी ने इंकार कर दिया ।

" पापा प्लीज आने दीजिए न । पूरे छ महीने से आप सबने मुझे इस केस से दूर रखा । मुझे भी तो जानने का हक हैं । " राघव ने कहा तो हरिवंश जी उसे समझाते हुए बोले " पहले तुम अपने गुस्से को संभालना सीख लो उसके बाद इन मामलों को देखना । फिलहाल तुम आफिस के लिए निकलों हम लोगों लोगो को कोर्ट जाना हैं । " इतना कहकर हरिवंश जी समर के साथ वहां से चले गए ।

राघव उदास हो गया । हरिवंश जी उसके पास आकर बोली " इस तरह दिल छोटा मत करो । वैसे भी ये उदास चेहरा तुम पर अच्छा नहीं लगता । चलो चलकर नाश्ता कर लो । " हरिवंश जी राघव को लेकर नाश्ते की टेबल पर चली आई ।

वही दूसरी तरफ कोर्ट की कार्यवाही अपने वक्त पर शुरू हुई । हरिवंश जी के वकील ने अपना पक्ष मजबूती से कोर्ट के सामने रखा । वीरेंद्र के द्वारा पेश किए गए पेपर्स नकली साबित हो चुके थे । कोर्ट ने हरिवंश के पक्ष में फैसला सुनाया । उनकी जमीन उन्हें वापस मिल चुकी थी । जज ने वीरेंद्र के वकील को वार्निंग दी की आगे से वो झूठे सबूत और पेपर्स कभी पेश नही कर करेंगे । इसके साथ ही पूरे तीन साल के लिए उनका लाइसेंस रद्द कर दिया । वकील साहब तो कोर्ट रूम में ही सर पकड़कर बैठ गये । हरिवंश जी को कुछ लोगों ने मुबारकबाद बाद दी । वीरेंद्र गुस्से में कोर्ट से बाहर निकल गया ।

समर ने फ़ोन करके राघव को सारी बात बताई । जीत की खुशी राघव के चेहरे पर झलक रही थी । उसने फोन पकडे हुए कहा " भैया आप और पापा हवेली पहुचिए मैं भी पहुंचता हु । साथ मिलकर जीत की पार्टी करेंगे । '

" अच्छा ठीक हैं । हम बस आधे घंटे में पहुंच जाएंगे । " इतना कहकर समय ने फ़ोन काट दिया ।

शाम के वक्त घर में ही एक छोटी सी पार्टी रखी गयी थी , जिसमें अमित भी शामिल हुआ था । इस समय राज की स्कूल एजुकेशन जारी थी , इसलिए शहर से दूर उसे बोर्डिंग स्कूल में डाला गया था । करूणा की प्रेगनेंसी आठवे महिने में पहुंच चुकी थी । उसे ज्यादा से ज्यादा आराम की जरूरत थी । अर्चना जी करूणा को लेकर उसके कमरे में चली गई । बाकी मर्दों की पार्टी छत पर चल रही थी । कैलाश जी , हरिवंश जी सोफे पर एक तरफ बैठे थे । अमित , राघव और समर एक तरफ । शराब की बोटल बीच में पडी थी । हरिवंश जी शराब का गिलास कैलाश जी की ओर बढाते हुए बोले " आज तो जीत मिली हैं उपाध्याय जी इनकार नही करेंगे आप । "

कैलाश जी ने कोई बहाना नही किया और उनके हाथों से गिलास ले लिया ।‌ अमित राघव के कान में बोला " हम भी तो बैठे हैं चाचाजी हमसे कुछ पूछ ही नही रहे । " राघव ने उसे आंखें दिखा दी तो वो चुप हो गया । समर ने अमित को कुछ इशारा किया तो वो समझ गया । दोनों वहां से खिसक गये । दोनों छत की दूसरी साइड चले आए । " बडे भैया आप मुझे यहां क्यों लेकर आए हैं । "

" अरे अपनी रात की रानी तो यही पर हैं । " ये कहते हुए समर ने टेबल के नीचे से एक भरी हुई शराब की बोटल निकाली । अमित की आंखें खुशी से चमक उठी । वो बोतल को होंठों से चूमते हुए बोला " वाओ भैया क्या कलेक्शन ढूंढा हैं आपने रोयल स्टेग । कसम से मजा आ जाएगा । "

" मजा तो तब आएगा न जब तुम उसे खोलोगे । " समर ने कहा ।

" अरे हां मैं तो भूल ही गया था । वैसे गिलास कहा है । " अमित के ये पूछने पर समर ने उसी टेबल की ओर इशारा किया जिसके नीचे से उसने बोटल निकाली थी । अमित ने फटाफट गिलास में शराब उडेली और दोनों ने चियर्स किया । इससे पहले दोनों गिलास को होंठों से लगाते पीछे से किसी की आवाज आई । " हममम ..... तो रात की रानी के साथ मजे लिए जा रहे हैं । "

अमित गिलास नीचे करते हुए बोला " भैया लगता हैं मुझे बिना पिए ही चढ गयी । मुझे राघव की आवाज सुनाई दे रही हैं । "

समर उसके सामने थोडा झुककर बोला " आवाज तो मुझे भी सुनाई दे रही हैं मतलब मुझे भी बिना पिये ही चढ गयी । दोनों एक साथ खिलखिलाकर हंस पडे । तभी राघव उन दोनों के पास बैठते हुए बोला " जब बिना पिए ही चढ गयी हैं , तो इसे पीने की क्या जरूरत रख दो वापस । "

दोनों ने राघव की ओर देखा तो पता चला कौन सा नशा चढा था । अमित बच्चों कि तरह मूंह बनाकर बोला " क्यू मूड की बैंड बजाने चला आता हैं । चल आ दो घूंट तूं भी मार ले । "

" दूर रख इसे मुझे ये सब नही पसंद । " राघव उसका हाथ दूर करते हुए बोला । .... भैया आप नही पिएंगे । भाभी मां को पता चला न तो आपकी खैर नही । "

अमित हंसते हुए बोला " चलो मैं बच गया । कुंवारा होने का कुछ तो फायदा हुआ । " ये बोल अमित फिर से गिलास को होंठों के पास ले जाने लगा , तो राघव उसे रोकते हुए बोला " मां भाभी मां के कमरे में हैं । कह तो अभी खबर कर देता हूं । '

अमित की सूरत रोने वाली हो गयी थी । समर राघव से बोला " क्यों तू हमे परेशान कर रहा हैं ? जब से तेरी भाभी प्रेंग्नेंट हुई हैं एक घूंट भी गले से नीचा नही उतारी । ज्यादा नही थोडी सी तो पीने दे । "

" हां पीने दे न बस थोडी सी । " अमित समर का साथ देते हुए बोला " दोनों को रिक्वेस्ट करते देख राघव पिघल गया । उसने हां में सिर हिला दिया लेकिन साथ में वार्निंग देते हुए बोला " ज्यादा नही ....

' तू चिंता क्यों करता हैं हम बस सूंघकर छोड देगे । " ये कहते हुए समर ने एक बार मे ही पूरी गिलास गले से नीचे उतार ली ।

राघव वही बैठा रहा । अमित उसकी ओर एक गिलास बढाते हुए बोला " दो घूंट अन्दर जाएगी तो दिल के जज्बात बाहर आ जाएंगे । ले थोडी सी तू भी चख ले । "

राघव उसका हाथ पीछे करते हुए बोला " दिल के जज्बात होश में रहते हुए जाहिर करना चाहिए । मदहोशी में जाहिर किए गए जज्बात आप खुद महसूस नही कर पाओगे । जब आप खुद ही महसूस नही कर पाओगे , तो सामने वाला क्या खाक समझेगा ? "

" रहने दे अमित तू किसे समझा रहा हैं । जानता हैं न एक घूंट भी अंदर जाती हैं तो इसे चढ जाती हैं । खुद पर काबु नही रहता फिर इसका । " समर ये कहते हुए हंसने लगा । काफी देर तक उनकी बातचीत चली ।

कैलाश जी और हरिवंश जी ने उम्र के हिसाब से लिमिट में पी हुई थी , इसलिए वक्त रहते अपने कमरे में चले गए । इधर इन दो पियक्कड़ों को राघव को अकेले संभालना था । राघव उन्हें देखते हुए बोला " थोडी सी छूट क्या मिल गई दोनों प्यासे की तरस टूट पडे महखाने पर । " राघव ने दो आदमियों को आवाज देकर ऊपर बुलाया और उनकी मदद से अमित और समर को अपने कमरे में ले आया । ऐसी हालत में समर को उसके कमरे में नही छोड सकते थे , वरना राघव को भाभी मां की डांट खानी पडती । राघव ने उन दोनों को बेड पर ठीक से लिटाया और अच्छे से ब्लैंकेट ओढा दी । खुद वो सोफे पर आकर सो गया ।

वही दूसरी तरफ वीरेंद्र की हवेली में शांती और सन्नाटा पसरा हुआ था । ढेर सारी शराब की बोतले टेबल पर पसरी हुई थी । उसे होश ही नही था की वो कितनी पी चुका हैं । बस गुस्से में वो शराब के घूंट भरता चला गया ।

" नही छोडूगा ... किसी को नही छोडूगा । मेरी चीज मुझसे कोई नही छीन सकता । " ये कहते हुए वीरेंद्र ने शराब की बोटल दीवार पर दे मारी जो चकनाचूर होकर जमीन पर बिखर गए ।




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अगली सुबह , रघुवंशी मेंशन




सब लोग वक्त पर उठ चुके थे । राघव भी जल्दी उठ गया था ।‌‌ बस समर और अमित की नींद अभी पूरी नही हुई थी ।

राघव नीचे आया तो अर्चना जी ने कहा " राघव हमे करूणा कौ डाक्टर के पास लेकर चलना हैं तुम साथ चलोगे । "

"' ठीक हैं कब निकालना हैं । "'

" सब नाश्ता कर ले तो दस बजे निकल जाएंगे । अर्चना जी ये कहकर वहां से चली गई । हरिवंश जी हॉल में सोफे पर बैठे अखबार पढ रहे थे । " गुड मॉर्निंग पापा " राघव ये बोलकर सोफे पर बैठ गया ।

" गुड मॉर्निंग ..... वैसे तुम्हारे बडे भैया का नशा टूटा नही अभी तक । "' हरिवंश जी अखबार के पन्ने पलटते हुए बोले । राघव शाकड था आखिर उन्हें में बात कैसे पता चली ? उसे शॉक्ड देख हरिवंश जी बोले " बाप हु तुम लोगों मुझे अच्छे से पता है कब मेरे बच्चे क्या करते हैं ? जानता हु समर को रोज रोज पीने की आदत नही हैं इसलिए कल रात नही रोका , लेकिन उससे कहना आगे से इतनी ज्यादा न पिए । "

राघव ने बस हां में अपना सिर हिला दिया । राघव ने सुरेश से कसकर दो नींबू पानी का गिलास अपने कमरे में भिजवा दिया । अमित और समर उठ चुके थे , लेकिन दोनों के दोनों अपना सिर पकड़कर बैठे थे । राघव सुरेश के साथ अंदर आते हुए बोला " तो उतर गया नशा या अभी भी बाकी हैं । अब बाकी हैं तों ये नींबू पानी पीजिए अपने आप उतर जाएगा । " सुरेश ने उन दोनों को जाकर नींबू पानी दिया ।

अमित नींबू पानी का गिलास पकडे हुए बोला " कैसा दोस्त हैं तू मैं पी रहा था तो रोक नही सकता था । अरे यार सर दर्द से फटा जा रहा हैं ।‌"

राघव अजीब सी शक्ल बनाकर बोला " अच्छा जी मैंने नही रोका । मैं तो आप लोगों यही कह रहा था न पूरी बोटल खाली कर दो । सारा किया धरा खुद का है और अब मुझपर इलज़ाम लगा रहे हैं ‌। जल्दी से फ्रेश होकर दोनों नीचे आ जाईए मां इंतजार कर रही हैं । " ये बोल राघव रूम से बाहर चला गया ।

नाश्ता करने के बाद राघव अर्चना जी और करूणा को लेकर हॉस्पिटल के लिए निकल गया ।‌‌ समर और हरिवंश जी आफिस के लिए निकल गए । अमित राघव के साथ ही निकल चुका था । वो आफिस जाने से पहले अपनी हवेली गया ।

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दोपहर का वक्त , हॉस्पिटल




करूणा के सारे चैक अप हो चुके थे । इस वक्त तीनो डाक्टर के कैबिन में बैठे हुए थे । डाक्टर अपनी चेयर पर बैठते हुए बोली " मां और बेबी दोनों ठीक है । इनका नौवा महीना भी लगने वाला हैं । लेवर पेन कभी भी शुरू हो सकता हैं , इसलिए इन्हें अकेला न छोडे एक न एक व्यक्ति इनके साथ जरूर रहे । बाकी इनके खाने पीने और मेडिसिन का नया रखिए । " डाक्टर की बातों पर अर्चना जी हा में सिर हिलाती चली गई ।‌ वो तीनो हवेली के लिए निकल गए ।

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ये बात तो सही हैं लिमिट में चीजे की जाए तभी अच्छी लगती हैं ? वीरेंद्र का गुस्सा क्या कहर ढाएगा ? वो चुप बैठने वालों में से बिल्कुल नहीं है । राघव क्या आने वाली मुसीबतों को रोक पाएगा ? जानेंगे अगले भाग में

प्रेम रत्न धन पायो

( अंजलि झा )


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