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नल्लो की फ़ौज

नल्लों की ये फ़ौज ..

नल्लों की यह फ़ौज, जिसके बीज ने उगने के लिए भारत के गौरवशाली इतिहास का सहारा लिया।

नल्लों की यह फ़ौज जिसने संगठनीकरण के लिए आयातित फासिज्म सहारा लिया।

नल्लों की यह फ़ौज, जिसने सत्ता पाने को मुस्लिम लीग का सहारा लिया।

नल्लों की यह फ़ौज जिसने भारत की आजादी की खीझ मिटाने के लिए गांधी के रक्त का सहारा लिया।

नल्लों की यह फ़ौज जिसने उन रक्त के उन छींटों को धोने के लिए जेपी के नाम का सहारा लिया।

नल्लों की यह फ़ौज जिसने अथाह नफरत से बचने के लिए लिए समाजसेवा, संस्कृतिरक्षा और गांधीवादी समाजवाद का सहारा लिया।

नल्लों की यह फ़ौज जिसने देश के राजनैतिक आकाश पर छाने के लिए धर्म और भगवान का सहारा लिया।

नल्लों की यह फ़ौज जिसने चुनाव जीतने के लिए फौजियों के रक्त का सहारा लिया।

नल्लों की यह फ़ौज जिसने अपने मालिकों को खुश करने के लिए ध्वनिमत, तोड़ मरोड़, मीडिया और झूठ का सहारा लिया।

नल्लों की यह फ़ौज जिसने फेक आईडी से, फेक ट्वीट, फ़ेक न्यूज, फेक तस्वीरें, आपकी माताओं और बहनों को लक्षित गालियों का सहारा लिया।

नल्लों की यह फ़ौज जिसने भारत की संतानों की 3 तीन पीढ़ियों के पुरुषार्थ पर झूठ का कफ़न लपेटकर, उसे कब्र में डालने के लिए हमारे वोटो का सहारा लिया।
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नल्लों की इस फ़ौज ने 100 साल में खुद के बूते क्या किया ?? राष्ट्र के लिए क्या किया।

सत्ता के भीतर, सत्ता के बाहर क्या किया??

इन नल्लों ने कभी भी कोई लड़ाई नही लड़ी। न राजनैतिक, न सामाजिक, न मजदूर, न किसान, न छात्र, न व्यापारी हित का कभी कोई आंदोलन किया।

नल्लों की इस फ़ौज ने बस, मौके बेमौके उपजी हर आग में घी डालकर, आग ही बढ़ाई है। अशांति, विदेशी आक्रमण, सामाजिक उथल पुथल के हर अवसर को भुनाया है।

नल्लों की इस फ़ौज ने हमेशा अपने नाखून औऱ हमारी गर्दने कटवाई है।

नल्लों की इस फ़ौज ने दूर किनारे खड़े होकर, इशारे कर-कर के "हमें लड़ाया है",
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इतिहास उठाकर देखिए इनका। इनने साधुओं को संविधान से लड़ाया,हिन्दू को मुसलमान से से लड़ाया। किसान को जवान से लड़ाया और इंसान को इंसान से लड़ाया है।

लेकिनिस्ट बनकर, तटस्थ बनकर, देशभक्त बनकर, गैर राजनीतिक बनकर, धार्मिक बनकर, राम-कृष्ण-गांधी-सरदार-सुभाष- विवेकानंद की डीपी लगाकर, ये आपको भरमा रहे हैं।

औरो के चरित्र पर कीचड़ उछाल रहे हैं। मुद्दों के जवाब में खरीदी हुई सरकारे और लूटी हुई सीटें गिना रहे हैं।

जरा सोचिए, याद कीजिए। किसी देश की सत्ता और सरकार के लिए जरूरी कही जाने वाली कौन सी जिम्मेदारी उठा रहे हैं??
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चोला बदलने में माहिर ये लोग, पैसे और सत्ता का लाभ लेकर, लाखों लाख क्लोन बनाकर, घूम रहे हैं।अलग अलग भेस में हमारे शहर, मोहल्लों, इंसिटीट्यूशन यहाँ तक कि हमारे परिवारों में में घुस आए हैं,

ये हर सामाजिक संरचना को अंदर से तोड़ फोड़ रहे हैं। हमारे लोकतंत्र, हमारे आंदोलन, हमारे प्रशासन, हमारी राजव्यवस्था को दूषित कर रहे हैं। उसकी गुणवत्ता, उसकी सस्टेनिबिलिटी को खत्म कर रहे हैं।
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क्या आपको लगता है कि इस विध्वंस के बाद नव सृजन होगा। तो जरा इनका इतिहास देखिये।

इन्होंने सदा घुटने टेके हैं। झूठ कपट और धूर्तता से कुटिल वादे किए है। मगर जब किया, तो सिर्फ खत्म किया है, सृजन कभी नही किया।

सृजन इनकी तासीर नही। सृजन की समझ नही, सृजन का माद्दा नहीं, सृजन का इरादा नही।

इन्हें पहचानिए।
इनसे बचिए।
इनका साथ छोड़िए।
इनके सर से हाथ हटाइये।
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जरा तो सोचिये।

इनका कुछ भी ओरिजिनल नही। दुनिया भर की गंदगी औऱ बुराइयों को जोड़कर बने पुतले ने यह लाठी थाम रखी है।

यह 3 दिन में सीमा तक कतई नही जा सकती। लेकिन चाहे, तो इतने वक्त में आपके पड़ोस को मसान बना सकती है।

इन्हें पता है कि निहत्थों और आश्रितों को दबाने में कोई जांबाजी नही। पर ये नक्कालों की फौज है, डरपोकों की फौज है। ये हिंदुस्तान को बर्बाद करने निकले मूढमतियों की , क्लीव मगर शातिर लोगो द्वारा संचालित फ़ौज है।
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दरअसल सावरकर ने हमेशा की तरह, इनके बारे में भी गलत ही कहा था।

यह कि -" ये जन्मेंगे, शाखा में जाएंगे, बगैर कुछ किये धरे मर जायेंगे"

वो गलत है। क्योकि अब तो साफ दिखाई देता है। ये लोग हर चीज दूषित, खत्म..

बर्बाद कर जाएंगे।