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जवान - फिल्म समीक्षा

सीमा सक्सेना द्वारा लिखी गयी “जवान” फिल्म की समीक्षा --

फिल्म के कलाकार हैं शाहरुख खान, नयनतारा, विजय सेतुपति, दीपिका पादुकोण, संजय दत्त, सान्या मल्होत्रा, प्रियामणि, सुनील ग्रोवर, रिद्धि डोगरा आदि ।

डायरेक्टर हैं एटली ।

ओटीटी प्लेटफॉर्म “नेटफ्लिक्स” पर उपलब्ध है ।

इस फिल्म को हिंदी, तमिल और तेलुगु में रिलीज किया गया है और लगभग 2 घंटा और 45 मिनट इसकी अवधि है ।

इसकी रेटिंग मेरे हिसाब से 3.5 ।

शाहरुख खान की फिल्म जवान को देखकर यह लगा कि यह उनके करियर की सबसे ज्यादा मसालेदार फ़िल्म है और इसमें वह सारा कुछ है जो एक किसी एंटरटेनिंग फिल्म में होना चाहिए और क्या नहीं होना चाहिए । फिल्म अच्छी है । जवान को देख रही थी तो उसमें ऐसा लगा कि शाहरूख अपने जीवन में शायद जो नहीं कर पाए हैं या नहीं कर पाते हैं वह इस फिल्म में उन्होंने किया है और वह सब कर दिखाया है जैसे कि देश के सामाजिक, राजनीतिक मसलों पर खुलकर उन्होंने बात रखी है । जवान एकदम अलग सी फिल्म नहीं है बल्कि इस फिल्म के द्वारा सिर्फ और सिर्फ पैसे कमाने के लिए और दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए ही बनाई गई लगती है और इस फिल्म ने पैसे कमाए भी खूब और पब्लिक ने इसको सपोर्ट भी किया । पब्लिक देखना भी यही सब चाहती है और इसीलिए मनोरंजक  मसाले से भरपूर फिल्म बनायीं गयी है । जवान फिल्म में शाहरुख खान का डबल रोल है, इस फिल्म में विक्रम राठौर का पिता वाला किरदार है और आजाद पुत्र के किरदार में है ।

यह पूरी तरह से एक मसाला फिल्म है जिसको साउथ स्टाइल में फिल्माया गया है । फिल्म के सब पॉइंट्स में कई सामाजिक मसलों को चुंबकीय तरीके से बनाने की कोशिश की गई है मगर वह  जेनुइन बिल्कुल नहीं लगता है बल्कि दर्शकों को ब्लैकमेल करने के लिए या सिर्फ उनका मनोरंजन करने के लिए बनाया गया लगता है । इसमें सबसे ज्यादा खलने वाली चीज मुझे यही लगी है कि इसमें कोई जानदार चीज नहीं है । जवान उन चीजों पर प्रहार तो करती है जिसके प्रति हमारा समाज बहुत इमोशनल है जैसे कि किसानों की आत्महत्या, बच्चों की जान का खतरा, प्रेग्नेंट महिलाएं, अल्पसंख्यक लोग, भ्रष्टाचार चुनाव की रैंकिंग, इनमें से हर चीज आपको परेशान करेगी क्योंकि सभी ऐसी सामाजिक बुराइयाँ हैं जिन पर बात होनी चाहिए और लोग बात करना भी चाहते हैं लेकिन पता नहीं किस वजह से बात नहीं हो पाती है और यह सब बातें  उभर कर सामने नहीं आ पाती हैं । हालाँकि इस फिल्म में इन सब बातों को उजागर भी किया गया है लेकिन फर्क बस इतना है कि इन मसलों पर किस नियत से बात की जा रही है, क्या वाकई में यह फिल्म बनाने वाले जो लोग हैं वे इन मसलों के प्रति फिक्रमंद है या उन्हें इसकी कोई चिंता है कि उनको समाज से दूर करना चाहिए ।

जवान फिल्म को महिला केंद्रित फिल्म कहकर प्रमोट किया गया है और कहने को तो दंगल भी महिला प्रधान थी, मगर जवान में 6 महिला किरदार हैं और उन सबकी कहानी फिल्म के लिए अलग-अलग सब पॉइंट्स तैयार करती है और सभी महिला कलाकारों का पूरी कहानी में सिर्फ इतना सा ही रोल है । सान्या मल्होत्रा से लेकर प्रियामणि तक जो अपनी फिल्म में और सीरीज में मेन रोल करती आ रही हैं  लेकिन यहां पर उन्हें एक पूरा डायलॉग तक बोलने का मौका नहीं मिला है। नयनतारा मात्र एक ऐसी एक्ट्रेस हैं जिन्हें फिल्म में थोड़ी बहुत फुटेज मिली है वह भी इसलिए क्योंकि वह इस फिल्म की हीरोइन हैं ।

विजय सेतुपति विलन जैसे लगे हैं जो पहले राउंड में ही हीरो को हरा देते हैं दूसरे राउंड में हीरो विलेन से बदला लेने आता है । विजय सेतुपति के काली के किरदार को थोड़ा और उभर कर सामने आने दिया जाता तो फिल्म और अच्छी हो जाती  हालांकि उनके एक सीन में वे अपने गुरु से कहते हैं कि आजाद और विक्रम को खत्म करो वरना यह लोग गाना गाने लगेंगे और उन्हें सुनना पड़ेगा, उससे वह बोर हो जाएंगे । फिल्म में ऐसे संवाद ज्यादा निराशाजनक लगते हैं ।

इस फिल्म को देखने के लिए दर्शक काफी समय से इंतजार कर रहे थे और थियेटर में जैसे ही शाहरुख खान की फिल्म में एंट्री होती है तो ऑडियंस जो है खूब सीटियाँ बजाती है, खूब तालियाँ बजाती है, खूब खुश होती है, इतना शोर शराबा कि कुछ और सुनाई ही न दे । सब मिलाकर इसकी रिलीज पर थियेटर में धूम मचा दी थी और बहुत तगड़ी कमाई भी की थी । अभी इस समय यह फिल्म “जवान” ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है और अब आराम से घर में बैठकर देखी जा सकती है ।

फिल्म जवान के कई प्लाट हैं जैसे फिल्म की शुरुआत मुंबई मेट्रो के हाईजैक से होती है । जहां आजाद वेश बदलकर अपनी गर्ल गैंग के साथ मेट्रो को हाईजैक कर लेता है। 20 साल पहले जब विक्रम एक मिशन के दौरान बिजनेसमैन काली के घोटाले की पोल खोल देता है तब काली विक्रम को देशद्रोही साबित करके मौत के घाट उतार देता है । विक्रम की पत्नी ऐश्वर्या को फांसी की सजा दी जाती है, मगर विक्रम मौत के मुंह से किसी तरह से निकल जाता है लेकिन उसकी याददाश्त खो जाती है । ऐश्वर्या अपने 5 साल के बेटे आजाद को मरते समय बता देती है कि उसका पिता विक्रम देशद्रोही नहीं है बल्कि वह तो एक बहुत बड़ा देश भक्त है । आजाद को रिद्धि डोगरा पालपोस कर बड़ा करती है अच्छे संस्कार देती है और उसे भीलवाड़ा जेल का जेलर बना देती है ।

अब मन में यह बात आती है कि आजाद अपने पिता विक्रम को 30 साल बाद देशभक्त साबित करके अपनी मां की मौत का बदला ले पाएगा या फिर नहीं ? क्या विक्रम की याददाश्त वापस आ जाएगी या नहीं ? या फिर आजाद राबिनहुड बनकर गरीबों  और सिस्टम की मार झेलने वालों की मदद जारी रख सकेगा या फिर नहीं ? सारे सवालों के जवाब फिल्म देखने के बाद ही मिल पाएंगे ।

अब अगर अभिनय कि बात करें तो सभी का अभिनय बहुत अच्छा है । शाहरुख खान के एक बेस्ट अवतार के लिए या बहुत अच्छे रोल के लिए और मनोरंजन से भरपूर सामाजिक मुद्दों के साथ यह फिल्म अगर आप देखना चाहेंगे तो निराश बिलकुल भी नहीं होंगे । इन सब चीजों के शौकीन हैं तब तो आपको यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए । स्पेशल अपीयरेंस में दीपिका पादुकोण फिल्म में चार चांद लगा देती हैं और सान्या मल्होत्रा, प्रियामणि अपनी छोटी-छोटी सी भूमिकाओं में छाप छोड़ने में कामयाब रहती हैं । एजाज खान, सुनील ग्रोवर, रिद्धि डोगरा भी अपने रोल में खूब अच्छे लगे हैं । गर्ल गैंग की सपोर्ट कास्ट भी अच्छी है । विलेन के रूप में विजय सेतुपति जितने ज्यादा खूंखार और निर्मम नजर आ रहे थे तो उतने ही वह फनी भी लग रहे थे । वह लगातार विलेन और हीरो की लड़ाई को जारी रखते हैं । एक्शन हीरोइन के रूप में नयनतारा पूरी स्वैग के साथ नजर आती हैं । फिल्म में हालांकि शाहरुख के संग जो केमिस्ट्री दीपिका पादुकोण के साथ होती है वह यहां नयनतारा के साथ नज़र नहीं आई है जबकि वह इस फिल्म की मेन हिरोइन थी । अगर जवान फिल्म को सिर्फ शाहरुख खान की फिल्म कहा जाए तो कहीं से भी कुछ गलत नहीं होगा ।

वैसे यह फिल्म एक बार तो जरुर देख लेनी चाहिए, शाहरुख़ व समाज के उन मुद्दों के लिए जिनके विषय में हम हमेशा अखबार में पढ़ते और न्यूज़ में देखते रहते हैं ।

 

सीमा सक्सेना ।