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काला जादू - 14

काला जादू ( 14 )

कुछ देर बाद उस साये ने कहा " ये होम है विंशती..... "

" विंशती तुम? तुम इतनी रात को यहाँ क्या कर रही हो? " अश्विन ने हैरानी से कहा।

" कुछ नहीं वो नींद नहीं आ रहा था इसीलिए यहाँ आ गया.... "

" तुम कुछ परेशान लग रही हो? सब ठीक तो है ना? "

इसपर विंशती अपने आँसू रोक ना सकी और वह बोली " लोगता है कि होमने गोलत इंशान शे प्यार कर लिया। "

" तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है? " अश्विन ने आश्चर्य से पूछा।

" होमारा माँ और दादा कितना मुशीबोत में था और वो एक बार भी फोन कोरके उनका हाल चाल नहीं पूछा। " विंशती ने सुबकते हुए कहा।

" अरे ऐसे रोओ मत विंशती.... हो सकता है कि उसे समय ना मिला हो?

" होमशे बात कोरने का शोमय कैशे मिल गेलो? होम उशका माँ बाबा को ओपना माँ बाबा मानता है लेकिन वो तो होमारा माँ दादा को ओपना शोमझता ही नहीं.... "

" मैं समझ सकता हूँ लेकिन देखो जो हो गया सो हो गया....अच्छा होगा कि तुम दोनों एक साथ बैठकर इस बारे में बात करो। " अश्विन ने विंशती को समझाया।

" शायद आप सोही बोल रहा है.... आने दो उशे मोनाली शे खूब खोबर लेगा उशकी.... "

" जब वो आएगा तब आएगा अभी के लिए तो जाकर सो जाओ रात बहुत हो गई है। " अश्विन ने मुस्कुराते हुए कहा।

" ठीक आछे... गुड नाइट.... " विंशती ने मुस्कुराते हुए कहा और उसके बाद वह अंदर चली गई, अश्विन कुछ देर वहीं खुली हवा में टहल कर वापस सोने चला गया।

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अगली सुबह अश्विन पीली शर्ट और नीली जींस पहन कर आॅफिस जाने के लिए तैयार होता है कि तभी साइड टेबल पर रखा उसका मोबाइल बजने लगा।

अश्विन ने अपना मोबाइल उठाकर स्क्रीन पर एक नज़र डाली ,वह काॅल प्रशांत का था ।

इतनी सुबह सुबह प्रशांत का फोन आता देखकर अश्विन सोचने लगा " इसका फोन इतनी सुबह सुबह? " यह सोचते हुए वह वो काॅल उठाकर कहता है " हैलो.... "

" हैलो आश्विन दादा.... " काॅल के दूसरी तरफ से प्रशांत की आवाज़ आई।

" हाँ बोलो प्रशांत.... आज इतनी सुबह सुबह फोन किया ....सब ठीक तो है ना? "

" अरे दादा हम ठीक है बस आपशे एक हेल्प चाहिए था.... " प्रशांत ने हिचकिचाते हुए कहा।

" हाँ बोलो.... "

" आप तौयार होकर हमारा घोर आ जाओ.... वहाँ बताता हूँ ।"

" ठीक है मैं पाँच मिनट में वहाँ आता हूँ.... " कहकर अश्विन ने फोन रख दिया।

कुछ देर बाद अश्विन अपना आॅफिस का बैग और बाईक की चाबी लेकर प्रशांत के फ्लैट की घंटी बजाता है।

कुछ देर बाद हल्की नीली रंग की सूती की साड़ी पहने शुमा दरवाजा खोलकर सामने अश्विन को देखकर मुस्कुराते हुए कहती है " भीतोर आशो.... "

उसके बाद अश्विन अंदर आता है, सामने सोफे पर ही प्रशांत नीली टीशर्ट और सफेद पायजामे में बैठकर चाय पी रहा था, अश्विन को सामने से आता देखकर वह मुस्कुराते हुए बोला " अरे आओ दादा.... विंशती अश्विन दादा के लिए चाय नाश्ता ले आ.... "

यह सुनकर अश्विन ने कहा " अरे रहने दो तकलीफ मत करो.... मैं बाहर कर लूँगा... "

" अरे कोर लो दादा और नाश्ता कोरके जरा होमारा विंशती को काॅलेज छोड़ आएगा? "

" अरे बिल्कुल क्यों नहीं..... फिर मैं आज बाईक घर पर रख देता हूँ आॅटो से छोड़ आऊँगा । "

" लेकिन क्यों दादा? बाईक शे शुविधा होगा ना? "

" हाँ लेकिन अगर विंशती ऐसे किसी पराए बंदे के साथ बाईक से आएगी जाएगी तो लोग चार बातें बनाएंगें, और मैं नहीं चाहता कि ऐसा कुछ हो...."

यह सुनकर प्रशांत ने मुस्कुराते हुए कहा " दादा होम तुम्हारा एहशान कैशा चुकाएगा? "

" ठीक होने के बाद दोबारा से आइस्क्रीम की ट्रीट देकर.... " अश्विन ने मुस्कुराते हुए कहा।

उसके बाद सब हँसने लगे, प्रशांत के घर चाय नाश्ता करने के बाद अश्विन विंशती को काॅलेज छोड़ने निकल पड़ा।

उन दोनों के जाने के बाद शुमा ने मुस्कुराते हुए प्रशांत से कहा " ओगर आश्विन भी होमारा कास्ट का होता तो कितना ओच्छा होता ना? "

यह सुनकर प्रशांत ने कहा " जो नहीं हो शोकता उशका बारा में क्या सोचना माँ..... "

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अश्विन विंशती को काॅलेज छोड़ कर वापस अपने आॅफिस आ जाता है , वहाँ आकर वह अपनी डेस्क पर बैठा ही था कि तभी एक 23-24 वर्षीय गोरा लड़का जिसने सफेद टीशर्ट और नीली जींस पहनी हुई थी, उसके बाल छोटे छोटे थे जो कि सलीके से कटे हुए थे , उसके चेहरे पर भौहों के अतिरिक्त कहीं भी बालों का नामोनिशान तक नहीं था , उसके पास एक काला बैकपैक था जिसे उसने अपनी पीठ पर लिया हुआ था , अश्विन के केबिन के दरवाजे पर आकर कहा " मे आई कम इन सर? "

अश्विन ने उस शख्स को एक नजर देखा फिर कहा " कम इन... " अश्विन के ऐसा कहते ही वह लड़का अश्विन के केबिन में आ गया, जैसे ही वह लड़का अश्विन की डेस्क के पास आया वैसे ही अश्विन ने कहा " हेव अ सीट.... "

" जी थैंक्स ..." उस लड़के ने बैठते हुए कहा।

" जी... आप? " अश्विन ने उस लड़के से पूछा।

" सोर आमि राजेश.... यू केन काॅल मी राज.... ओनुष्का का भाई ।" उस लड़के ने कहा।

" हाँ जी कहिए.... "

" होमारा बहन इतना दिनों शे लापोता है उशका कुछ पोता चोला? "

" पुलिस ढूँढ रही है उसे....जल्दी मिल भी जाएगी वो ..."

" वो चोला कहाँ गोया लेकिन? ऐशे वो कोभी नहीं कोरता "

" देखो मेरी बात सुनो.... पुलिस उसे ढूँढ रही है और मुझे पूरी उम्मीद है कि वो जरूर मिल जाएगी, तुम बस ऊपर वाले पर भरोसा रखो.... " अश्विन ने उसे दिलासा दिया।

फिर उस लड़के ने कुछ सोचते हुए कहा " क्या आप किशी मोनीष और पीयूष को जानते हैं? "

" हाँ बिल्कुल, वह दोनों ही यहाँ काम करते हैं, मनीष पहले यहाँ काम करता था लेकिन जब उसने अनुष्का पर हाथ उठाया तो हमने उसे काम से निकाल दिया , उसके बाद से वह अनुष्का के टच में है या नहीं उसका मुझे नहीं पता ,हाँ लेकिन वह पीयूष के टच में गायब होने से पहले तक थी। "

" वो कोहां है ओभी? "

" बाहर अपनी डेस्क पर होगा.....नहीं बाहर तो दिखाई नहीं दे रहा, लगता है आया नहीं अभी तक ( कैबिन से बाहर झाँकते हुए ).. तुम्हें उससे बात करनी है तो बुलाऊँ उसे? "

" हाँ जी प्लीज़.... "

उसके बाद अश्विन ने पीयूष को फोन लगाया ,कुछ देर घंटी बजने के बाद पीयूष ने फोन उठाकर कहा " हैलो.... "

" हैलो पीयूष.... "

" जी सोर..... " फोन के दूसरी तरफ से आवाज आई।

" अनुष्का का भाई राजेश आया है, उसे तुमसे अनुष्का के बारे में कुछ बात करनी है... " अश्विन ने कहा।

यह सुनकर पीयूष ने झल्लाते हुए कहा " उफ्फ मैं तो पोड़ेशान हो गया हूँ शोच में.... कभी ये पुलिश वाला होमको उठा कर ले जाता है कभी आॅफिस में होमसे पूछा जाता है ओनुष्का का बारा में जैशा कि होमने उशे गायोब किया था ।"

" देखो पीयूष मैं समझ रहा हूँ ये सब लेकिन अनुष्का का पता लगाने के लिए ये जरूरी भी तो है ना? "

" लेकिन शिर्फ होम से ही ऐशा मुजरिमों की तोरह पूछताछ क्यों किया जा रहा है? होम ने उशे थोड़ी ना गायोब किया है । "

" देखो पीयूष अनुष्का अपनी सारी बातें तुमसे शेयर करती थी तो हो सकता है कि उसने तुमसे कुछ ऐसा भी शेयर किया हो लेकिन तुम्हें याद ना आ रहा हो? "

" जी सोर होम ओभी वहाँ आता है। " कहकर पीयूष ने फोन रख दिया।

" वो यहीं आ रहा है तो आप ऐसा कीजिए कि उसकी डेस्क पर बैठकर उनका इंतजार कर लीजिए , मैं तब तक अपना काम कर लेता हूँ। " अश्विन ने कहा।

" जी... " राजेश ने कहा और उसके बाद वह अश्विन के केबिन में से बाहर निकलकर पीयूष के साथ वाली कुर्सी पर बैठकर पीयूष के वहाँ आने की प्रतीक्षा करने लगा।

कुछ देर बाद पीली टीशर्ट और नीली जींस में पीयूष वहाँ पहुँचा और अपनी डेस्क पर आकर बैठ गया

अपनी डेस्क पर आकर वह बैठा ही था कि उसके साथ की कुर्सी पर राजेश को देखकर वह हैरानी से बोला " तुमी के? "

" आमि राजेश.... आनुष्का का भाई.... " राजेश ने कहा।

" हाँ जी कहिए.... "

" होमारा बहिन कहाँ जा सकता है कुछ आईडिया है?

" देखो दादा हमको इशका कोई आईडिया नोही है बट हाँ वो आश्विन सोर को बहुत पोशंद कोरता था उनको पाने का लिए वो उन पोर काला जादू भी कोरता था ,लेकिन उन पोर तो कुछ नहीं हुआ आनुष्का ही गायब होए गेलो। "

" आश्विन, सोर के ?"

यह सुनकर पीयूष ने केबिन में बैठे अश्विन की ओर इशारा कर दिया ।

" इनको होमारा बहिन पोशंद कोरता था? तो इशी ने तो होमारा बहिन को कहीं गायब नहीं किया? " राजेश ने पीयूष से फुस्फुसाते हुए कहा।

" ये तुम क्या बोल रहा है? किशी ने सुन लिया तो लेने का देने पोड़ जाएगा। " पीयूष ने भी फुस्फुसाते हुए कहा ।

"क्यों? ये कोर नहीं शोकता क्या? ये भी इंशान ही है हो शोकता है कि इशको पोता चोल गया हो कि आनुष्का उन पोर ब्लैक मैजिक कोर रहा इशलिए गुस्सा में आकर इशने होमारा बहन को कुछ कोर दिया... "

" आश्विन सोर ऐशा नहीं है... " पीयूष ने कहा।

" वो तो होम देख ही लेगा... "

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शाम को अश्विन आॅफिस से अपने फ्लैट के दरवाजे पर आया , वहाँ आकर उसने दरवाजे की घंटी बजाई, कुछ देर बाद जब दरवाजा खुला तो अश्विन के होश ही उड़ गए थे क्योंकि उसके सामने रूपा खड़ी थी।

रूपा को वहाँ देखकर अश्विन अपने आसपास की जगह देखने लगा, वह शायद असमंजस में था कि यह फ्लैट उसका है या नहीं।

अश्विन आसपास की जगह देख ही रहा था कि तभी रूपा हँसते हुए बोली " ऐशा क्या देखता है तुम? ये तुम्हारा ही तो घोर है.... "

यह सुनकर अश्विन खींझते हुए बोला " फिर तुम मेरे घर में क्या कर रही हो? "

" होम तो यहाँ विंशती शे मिलने आया था... "

" विंशती वहाँ ( विंशती के फ्लैट की ओर इशारा करते हुए ) रहती है, वहाँ जाओ ...." कहकर अश्विन ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने फ्लैट से बाहर निकाल कर दरवाजा बंद कर दिया।

अश्विन के दरवाजा बंद करने के बाद रूपा दरवाजा खटखटाते हुए बोली " अरे होमारा बात तो शुनो.... " लेकिन अश्विन कुछ ना बोलते हुए सीधा अपने बेडरूम में आ गया।


वहाँ आकर अश्विन बुरी तरह चौंक गया क्योंकि विंशती ज्योति के साथ उसके बिस्तर पर बैठकर कपड़ों की तह लगा कर रख रही थी।

यह देखकर अश्विन ने कहा " विंशती तुम यहाँ? "

" हाँ वो होम रूपा दीदी शे आँटी को मिलवाने लाया था लेकिन वो यहाँ अकेला ही काज कोर रहा था इसीलिए हम उनका हैल्प कोरवाने लगा , वैशे रूपा दीदी कोताए गेलो? " विंशती ने अश्विन को देखते हुए कहा।

यह सुनकर अश्विन कुछ ना बोला वह बस चुपचाप अपनी अलमारी से कपड़े निकाल कर बाथरूम की तरफ बढ़ गया।

यस देखकर विंशती बिस्तर से उतर कर हाॅल में जाने लगी, वहाँ आकर वह रूपा को इधर उधर ढूँढने लगी लेकिन रूपा अश्विन के फ्लैट में होती तब तो उसे मिलती ।

कुछ देर बाद विंशती को दरवाजा पीटने की आवाज़ आई, वो आवाज सुनकर वह दरवाजे की तरफ बढ़ी , वहाँ आकर उसने दरवाजा खोला और दरवाजा खोलते ही सामने रूपा को देखकर वह हँसते हुए बोली " आपको दोरवाजा खोलने को बोला था कि बाहर भागने को.... "

इस पर रूपा मुँह बनाते हुए बोली " हम कौन शा जान बूझकर बाहोर गया था, आश्विन ने हमको बाहोर निकाला था। "

" कि आश्विन ?ना बाबा वो तो ऐशा कोर ही नहीं सोकता....." विंशती ने कहा।

" ओच्छा तुमको भारोशा नोही है ना होमारा? चोल उन्हीं शे पूछ ले.... "कहकर रूपा बेडरूम की तरफ बढ़ने लगी।

रूपा को जाता देखकर विंशती भी उसके पीछे पीछे आने लगी......

क्रमश:.......
रोमा..........