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वह सिसकती रही



भोपाल भारत के मशहूर शहरों में शुमार अपनी विशिष्ट विशेषताओं के लिये मशहूर भोपाल अपनी खूबसूरती प्राकृतिक सुंदरता के लिये जाना जाता है अमूमन यहां के लोग शांति प्रिय और भारत की सांस्कृतिक मर्यादाओं का प्रतिनिधित्व करते उसकी मुख्य धारा को संरक्षित संवर्धित करते है।।
शुशोभन सत्यार्थी भोपाल में मौलाना आजाद मेडिकल कालेज में कार्डियोलॉजी के विभाग में कार्यरत थे बाद में विभागाध्यक्ष हो गए
उनका बेटा नवेंदु एकलौता कहते है पूत के पांव पालने में ही पहचाने जाते है ऐसा ही कुछ नवेंदु के साथ हुआ नवेंदु शुरू से ही बहुत तेज और बेहद आकर्षक था माँ कभी भी कही भी जाति नवेंदु की बचपन की शरारतों के लोग खुश होते और नवेंदु की माँम ऊषा को उनके भाग्य के लिये ईश्वर और का आशीर्वाद करते शुशोभन और ऊषा भी नवेंदु की शरारते और घर मे तरह तरह की अठखेलियाँ देखकर खुश होते और अपने खुशहाल जीवन के लिये ईश्वर का आभार तो व्यक्त करते ही अपने शुभ चिंतकों की शुभकामनाओ और दुआओं के लिये भी कृतज्ञता व्यक्त करने से नही चूकते नवेंदु धीरे धीरे समय की तफत्तार के साथ बढ़ता गया उसका नाम शुशोभन ने भोपाल के मशहूर स्कूल में कराया जैसा कि आज कल की आधुनिक सामाजिक शिक्षा सोच के अभिमान में होता है नवेन्दु ने एल के जी से फिफ्थ तक कि परीक्षा उत्तिर्ण की इधर शुशोभन की मनचाही नियुक्ति भारतीय आयुर्विज्ञान दिल्ली में
मिल गई थी अब क्या था शुशोभन ने भोपाल के बड़े मकान को सरकारी कार्यलय हेतु लीज पर देकर दिल्ली में नया मकान खरीद कर दिल्ली शिफ्ट हो गए और जब कभी अवसर मिलता वे भोपाल आते अपने पुराने इष्ट मित्रो और संबधियों से मिलकर दिल्ली लौट जाते।।नवेंदु का एडमिशन दून कालेज में हो गया और वह दूंन कालेज में कक्षा सिक्स में पढ़ने जाने के लिए अपनी सारी तैयारी पूरी की शुशोभन और ऊषा स्वयं नवेंदु को छोड़ने के लिए देहरादून गए और बेटे की सुरक्षा स्वास्थ और भविष्य के प्रति आश्वस्त होकर दिल्ली लौट गए।ईधर नवेंदु पहले दिन जब स्कूल गया तो नींव स्टुडेंट का इंट्रोड्क्टन सेशन हुआ जिसमें पहले तो हर स्टूडेंट्स ने अपना और अपने पैरेंट का परिचय दिया है और फिर क्लास टीचर ने स्टूडेंट्स का परिचय दिया और डे सेशन समाप्त हो गया ।।दूसरे दिन क्लास शुरू होने से पहले जब बच्चे अपने अपने क्लास में जा रहे थे नवेंदु भी अपने होस्टल से क्लास को जा रहा था उसी समय सामने से गुजरती बेहद खूबसूरत सी लड़की पता नही कैसे जमीन पर गिर गयी शायद उसे उस अत्याधुनिक कालेज के फर्श पर चलने की आदत नही थी या यूं कहें कि ईश्वर की कोई मर्जी जव नवेंदु ने देखा कि अजनबी लड़की गिर गयी है तो जल्दी से दौड़ता हुआ उधर भागा उसके साथ साथ चक रही उसकी पर्सनल मेट मारिया ने कहा क्या करते हो नवेंदु बाबा देखते नही हो कि मेट विथ हर सी बिल केयर अबाउट हर व्हाई आर वरी नवेंदु बोला मैम बोला नथिंग थिस इस ओनली कटसी और नवेंदु उस अंजान लड़की के पास पहुंचा तब तक उसकी पर्सनल मेट भी मारिया भी वहाँ पहुंच गई नवेंदु के पहुचने से पहले ही लड़की की मेट ने उसे जमीन से उठा दिया था नवेंदु बोला व्हाई यू स्लीप एंड
डाउन आन अर्थ वह लड़की तबाक से बोली नथिंग आई एम फाइन ओनली माई ट्रेस इज गेटिंग डर्टी ड्यू तो डाउन फाल तो अर्थ आई एम गोइंग टू चेंज मई ड्रेस बाई थ वे व्हाट इज योर नेम नवेंदु माय नेम इस नवेंदु आई एम बेसिकली फ्रॉम यूपी बट हियर केम फ्रॉम एम पी भोपाल बेकाज माय फादर वाज पोस्टेड देयर एंड थिस जेंटल लेडी इज माय माँम एंड केअर टेकर नवेंदु का जबाब कम्प्लीट होते ही वह प्यारी सी कली सी लड़की बोली आई एम गार्गी बेसिकली फ्रॉम बिहार एंड माय फादर इस पॉलिटिशियन एंड थिस लेडी इज माय पर्सनल मेड मार्था ओके नाऊ में आई गो टू चेंज माय ड्रेस गार्गी के उद्धबोधन में गर्व अभिमान और अहंकार स्पष्ठ बचपन मे परिलक्षित हो रही थी वहां खड़ी दोनों पर्सोनल मेड मारिया और मार्था ने बाखूबी समझ लिया कि गार्गी किसी ऐसी बाप के बेटी है जो भयंकर दरिद्रता से संपन्नता के शिखर पर है जिसके कारण उसके खून में सांस्कार
सभ्यता नही है वही नवेंदु भले ही बहुत दौलतमंद ना हो मगर इसके माँ बाप ख़ानदानी और सांस्कारिक अवश्य है दोनों मेड ने मासूम बच्चों के बात चीत के तरीके से अपने नियोजक की हद हैसियत पहचान लिया जहां मारिया बहुत खुश हुई तो मार्था को लगा जैसे उसने गार्गी का मेड बनना स्वीकार कर सही नीर्णय नही किया खैर गॉड के भरोसे उसने उसके फैसले को स्वीकार कर सब भविष्य पर छोड़ दिया और गार्गी को कपड़े चेंज कराने ले गयी और मारिया नवेंदु को क्लास रूम छोड़ने चली गयी नवेंदु सीटिंग अर्रेंगमेंट के अंतर्गत छत्तीसवें क्रम में आता था जबकि गार्गी सैंतीसवें नंबर पर नवेंदु अपनी निर्धारित सीट पर बैठ गया कुछ देर बाद ही गार्गी ड्रेस चेंज करके अपनी निर्धारित सीट सैंतीस पर बैठ गयी औपचारिक क्लास का पहला दिन क्लास शुरू हुआ लंच हुआ और क्लास ओवर हुआ गार्गी और शुवेन्दु अपने अपने होस्टल चले गए।।
समय की अपनी रफत्तार अपनी वह अपने गर्भ में ना जाने कितने भविष्य वर्तमान के घटित और घटने वाले घटनाओं को समेटे रहता चलता जाता है ऐसा ही कुछ समय ने गार्गी और नवेंदु के लिये निर्धारित कर रखा था जब भी गार्गी को कोई परेशानी क्लास में टीचरों के प्रश्न पूछने पर होती तो नवेंदु उसकी प्रतिष्ठा के लिये चट्टान बनकर खड़ा हो जाता क्लास रूम के बाहर भी यदि कोई भी समस्या गार्गी को आती आगे बढ़कर उसका समाधान खोजता है गार्गी को हमेशा यही लगता कि जो भी उसकी मद्त करता है वह सिर्फ उसके पिता की ताकत शोहरत और दौलत के प्रभाव में उससे दोस्ती के अभिमान में जबकि नवेंदु सिर्फ गार्गी की हर सम्भव मद्त इसलिये करता कि पता नही क्यो वह उसके कोमल मन को प्रभावित कर गयी थी प्यार तो नही था मगर दोस्ताना हमदर्दी अवश्य थी ।।
नवेंदु एव गार्गी साथ साथ सिक्स सेवन यर्थ पास किया और नाइन्थ में भी सौभग्य कहे या दुर्भाग्य से गार्गी और नवेंदु को एक ही सेक्शन मिल गया हा एक सीट की दूरी अवश्य कम हो गयी नवेंदु सिक्स से यर्थ तक थर्टी सिक्स और गार्गी थर्टी सेवन सीट पर ही बैठते थे लेकिन नाइंथ में गार्गी और नवेंदु आगे पीछे हो गए गार्गी को सीट नम्बर इक्कीस और नवेंदु को सीट नंबर छब्बीस बिल्कुल आगे पीछे थे आब गार्गी और नवेंदु का मन मतिष्क शरीर किशोर अवस्था से जवानी की ओर जाने की दहलीज पर था अब नवेंदु और गार्गी में एक तो कालेज में रहते रहते कालेज कल्चर का असर था और दोनों की मानसिकता पर पारिवारिक स्तर स्थिति का कोई प्रभाव नही दिखता खास कर गार्गी के व्यवहार में क्योकि जब वह सिक्स में एडमिशन लिया था तब उसकी मानसिकता में पिता की दौलत ताकत का प्रभाव था तो अब उसके सोच समझ मे बहुत फर्क आ चुका था नाइंथ का सेशन शुरू हुआ अब एडुकेशन की प्रणाली सिलेबस बहुत अंतर था मेथड ऑफ टीचिंग भी बहुत साइंटफिक और मॉर्डन थी जबकि यर्थ तक टीचिंग मैथड मनोवैज्ञानिक और आकर्षक था नवेंदु ने क्लास के पहले दिन से सीरियसली स्टडी पर केंद्रित हो गया क्योकी उसको पता था कि उसके पिता कोई बहुत बड़े आदमी नही है उन्होंने अपनी आमदनी के बड़े हिस्से को उसकी शिक्षा पर सिर्फ इसलिये खर्च कर रहे है की वह जीवन मे कुछ खास मोकाम हासिल करें जबिक दूंन कालेज के अधिकतर बच्चो के माँ बाप ऊंची रासुख वाले दौलतमंद ताकतवर लोग थे जिन्होंने अपनी लाडली औलादों को सिर्फ दून कालेज में अपने स्तर के मेंटेन करने के लिये ही भेजा था औलाद अच्छे वातावरण में रहेगी तो उंसे कुछ सीखने समझने का अवसर मिलेगा नवेंदु अब गार्गी के प्रति उतना संवेदनशील नही रहा जितना सिक्स तो यर्थ था जबकि इसके ठीक विपरीत गार्गी ज्यादा संजीदा नवेंदु को लेकर थीं दिन गुजरते गए नाइंथ कम्पलीट करने के
बाद दोनों पुनः एक ही सेक्शन में आगे पीछे की सीट पर बैठते धीरे धीरे समय बिताने लगा और टेंथ की प्री बोर्ड परीक्षा में टॉप किया स्कूल मैनेजमेंट निश्चिन्त था कि नवेंदु कोई ना कोई ऑलइंडिया रैक हाशिल कर कालेज की बुलंदियों में सफलता का एक अघ्याय अवश्य जोड़ेगा बोर्ड की परीक्षा का समय नजदीक आ गया और उसी समय एक अप्रत्याशित घटना घटी एक्जाम से एक सप्ताह पूर्व ही गार्गी को टायफायड हो गया और उसके एक्जाम देने पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया नवेंदु को जब पता चला तो वह बिना किसी हिचकिचाहट के गार्गी के पास गया और उसकी देख रेख व्यक्तिगत तौर पर अपने टीचर्स की परमिशन पर करता हॉलाकि टीचर्स ने जरूर यह कह रखा था कि नवेंदुअपने उठते कैरियर को गार्गी के सेवा के चक्कर मे खराब ना करे कालेज की तरफ से गार्गी की चिकित्सा की बेहतर से बेहतर व्यवस्था की गई थी फिर भी नवेंदु उसकी व्यक्तिगत स्तर पर उसकी देख भाल करता गार्गी ने मोबाइल से अपनी बीमारी की सूचना अपने माँम डैड को दिया और कॉलेज प्रशासन ने भी अपने स्तर से मगर गार्गी के माँम डैड ने व्यस्तता के कारण कहा बेटे कुंछ दिन बाद आ आएंगे चुनाव और राजनीतिक व्यस्ताओं के कारण फुर्सत नही है प्रति दिन प्रति घंटे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये गार्गी से बात अवश्य करते और उसे उचित निद्रेश देते साथ ही साथ कॉलेज से भी उसकी चिकित्सा की अद्यतन जानकारी प्राप्त करते बावजूद गार्गी के मन मे कही न कही यह बात अवश्य खटकती की उसके मां बाप को औलाद से ज्यादा महत्वपूर्ण चुनाव राजनीति शोहरत दौलत है जबकि नवेंदु जीवन मे कुछ खास हासिल करने के मुकाम पर खड़े होने के बावजूद बिना किसी परवाह किये वह सुबह से शाम गार्गी के पास बैठता और उसको भावनात्मक रूप से परीक्षा के लिये मानसिक मजबूति प्रदान करता आवश्यक सेवा करता हालांकि दोनों की पर्सोनल मेड मारिया और मार्था यर्थ के बाद हट चूंकि थी फिर भी नवेंदु ने अपने मेड मारिया को बुला लिया था गार्गी के देख रेख के लिये मेहनत रंग लाई और चिकित्सा के तीसरे चौथे पांचवे दीन गार्गी को बुखार नही आया और वह परीक्षा देने के लिये भी मानसिक रूप से तैयार थी
दो दिन बाद परिक्षये शरु हुई फिर परीक्षा समाप्त फिर परिणाम नवेंदु ने पूरे देश मे फर्स्ट पोजीशन हासिल किया गार्गी भी बहुत बेहतर पोजीशन से पास हुई पुनः दोनों ने फरस्टीयर में एडमिशन लिया फिरस्टीयर में गार्गी का नज़रिया नवेंदु के प्रति बदल चुका था उंसे उसी समय नवेंदु से प्यार का एहसास होने लगा था जब वह बीमार थी और उसके माँम डैड व्यस्ताओं के कारण नही आये और बेटी से वीडियो कांफ्रेंसिंग से रिश्तो का निर्वहन करते रहे जबकि बेटी को भावनात्मक सहयोग स्नेह की जरूरत थी उस वक्त नवेंदु ने उसे आगे बढ़कर उंसे भावनात्मक सहयोग ताकत देकर समझा दिया था कि गार्गी जिस माँ बाप की दौलत ताकत सोहरत की बिना पर गुरुर करती थी वास्तव में किसी मतलब की नही क्योकि उससे हासिल कुंछ नही होते समाज टूटते है और रिश्ते टूटते है माँ बाप के लिये राजनीति चुनाव बेटी के रिश्ते से ज्यादा महत्वपूर्ण है जबकि नवेंदु के लिये रिश्ते भावनाएं जज्बात
वह कोशिश करती की ज्यादा से ज्यादा समय नवेंदु के साथ बिताने की कोशिश करती नवेंदु ने पहले तो गम्भीरता से ध्यान नही दिया मगर धीरे धीरे वह भी गार्गी से प्यार करने लगा दोनों किशोर अब वयस्क हो चुके थे और लड़के लड़की के फ़र्क को जानते समझते दोनों साथ साथ अधिक से अधिक समय बिताते और साथ बिताए एक एक लम्हे को अपने दामन एव यादों में सजाते जाते इंटरमीडिएट की परीक्षा संपन्न हुई और पुनः नवेंदु ने पूरे देश मे प्रथम स्थान प्राप्त किया और गार्गी ने भी अच्छे पोजीशन से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण किया नवेंदु का भविष्य निर्धारित था उसने मेडिकल प्रवेश परीक्षा दी और उसके साथ गार्गी ने भी गार्गी अपने माँ बाप के पास चली गयी और नवेंदु अपने पिता के पास अब दोनों का दूंन कालेज छूटने वाला था और दोनों की मुलाकात होगी कि नही भविष्य के गर्भ में था नवेंदु के घर पहुंचते ही घर मे खुशियां और रौनक आ गयी और प्रतिदिन घर मे खुशियों को नए नए अंदाज में मनाए जाते जबकि गार्गी के पिता कालू कुलवंत सिंह गार्गी के पहुचते ही उसको उसकी माँ सोहनी के सामने बुलाया और कड़े लहजो में कहा सुनो सोहनी तुम गार्गी की माई हो तुम उसको समझा दो ई तुमरी लाड़िली ऊ नवेंदुआ को भूल जाए एकर प्यार वार कही बड़ा बखेड़ा ना खड़ा कर दे हमारी राजनीतिक जिनगी और ताकतवर परिवार में गार्गी बोली आप लोगो को जो फैसला करना है करे हम नवेंदु से प्यार करते है करते रहेंगे पिता कालू कुलविंदर सिंह और सोहनी देवी ने बहुत समझाने की कोशिश किया मगर कोई फायदा हुआ अब कालू ने अपने दिमाग की शातिर चालो से नवेंदु और गार्गी को अलग करने का चक्रव्युह रचने लगा और बोला बिटिया हम तो मज़ाक कर रहे थे कि बिटिया सही में प्यार करती है या लड़कपन का सोसा जाओ हम भी समय आने पर नवेंदु के माँ बाप से बात करेंगे।।नवेंदु ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा में भी अच्छे रंक पर था उधर गार्गी भी उसी के आस पास रैंक पर थी दोनों ने पूना मेडिकल कालेज जो भारतीय सेना से संबंधित था में प्रवेश लिया कुलविंदर सिंह उर्फ कालू को नही मालूम था कि पूना में ही नवेंदु ने दाखिला लिया है उन्होंने बड़े गर्व से बिटिया को पूना मेडीकल कालेज में दाखिला दिला दिया कहते है कि प्यार छुपता नही है कुछ ही दिन बाद पता लग गया कि नवेंदु भी पूना मेडिकल कालेज में ही पढता है और गार्गी उसके प्यार में पगल है तो कालू ने अपने गुर्गों को नवेंदु और गार्गी के पीछे खुफिया तौर पर लगा दिया इस बात की भनक गार्गी को नही थी और भोले भाले नवेंदु को तो गार्गी या उसके माँ बाप से किसी खतरे की दूर दूर तक कोई संभावना नही दिखती ना ही किसी तरह की बात गार्गी ने उससे बताई थी मेडिकल कालेज में दूसरा सेमेस्टर अप्रैल में पूर्ण हुआ कॉलेज द्वारा स्टूडेंट का समर कैंप छुट्टियों को ध्यान में ऱखकर हरिद्वार में लगाया गया था जहाँ सारे प्रथम वर्ष के छात्र छात्राएं शामिल थे स्टूडेंट मसूरी एव हरिद्वार के पर्यटन स्थलों पर कैम्प लगाते और घूमते फिरते इंजॉय करते गार्गी और नवेंदु भी बेखौफ एक दूसरे के साथ घूमते उनको नही मालूम था कि कालू के गुर्गो की नज़र में गार्गी और नवेंदुआ का समर वैकेशन बड़े ही मौज मस्ती बिंदास बीत रहा था साथ ही साथ मेडिकल कालेज के सभी छात्र छात्राएं खुश एव समर वैकेशन के हर लम्हो को एंजॉय कर रहे थे एक दिन हरिद्वार गंगा में मेडिकल कालेज से आये स्टूडेंट्स स्नान कर रहे थे छात्राएं कुछ दूरी पर नवेंदु भी गंगा में स्नान करने उतारा समर सीजन होने के वैजुद हरिद्वार गंगा का पानी ठंडा और धार तेज थी जिसके कारण नहाने के लिये नदी में एक निश्चित सीमा का निर्धारण किया गया था नवेंदु कमर भर पानी मे ही स्नान कर रहा था डूबने की दूर दूर तक कोई आशंका नही थी तभी अचानक पानी के अंदर नवेंदु का पैर में कोई डोर जैसी बंधक उसके पैरों में फंसी वह चिल्लाने लगा कि मुझे कोई खींच रहा है बचाओ बचाओ जब तक बचाने वाले नवेंदु के पास पहुंचते तब तक वह तेज धार और गहराई में पहुंच चुका था और गहरे पानी के भंवर में फंस कर डूब चुका था एकाएक अफरातफरी मच गयी और जल पुलिस के साथ साथ सारा प्रशासन अमला जुट गया बहुत मेहनत के बाद नवेंदु के शव को खोज पाना संम्भव हुआ।।गार्गी को संमझ में ही नही आ रहा था नवेंदु एक वास्तविक दुर्घटना का शिकार हुआ है या किसी षड्यंत्र का उंसे अपने पिता की ताकत का अंदाज़ा भी था और नवेंदु के प्रति उनके नज़रिए का इल्म भी शुशोभन के परिवार पर तोआफ़त का कहर टूट पड़ा एकलौता बेटा ही नही रहा पूरे परिवार की खुशियाँ एकाएक पता नही कहां अंतहीन अंधेरे में खो गयी कभी ना लौटने के लिये इधर गार्गी को कुछ नही सूझ रहा था कि यह क्यो कैसे हो गया वह गुम सुम रहने लगी एकाएक दिन उसके पिता के गुर्गे उंसे लेने के लिये आये और उसे जाना पड़ा क्योंकि उसके पिता का जन्मदिन था जिसे प्रदेश विकास दिवस के रूप में मनाने का पहली बार पार्टी जन ने फैसला किया था गार्गी अपने ताकतवर दौलतमंद पिता के सल्तनत पहुंची पिता कुलवंत माँ सोहनी ने दिल खोलकर स्वागत किया मगर गार्गी का मन कही नही लग रहा था पिता कालू और मां सोहनि ने जब खोया खोया देखा तो परेशान हो गए बहुत समझाने की कोशिश किया मगर गार्गी पर कोई असर नही हो रहा था तब गुस्से में कालू ने कहा सुन मेरी लाड़िली ऊ नवेंदु तुम्हरे पैर में कांटे की तरह चुभ गया रहा और उ ठहरा ससुरा बाभन उंसे हम तोहार विहाहो नाहि कर सकती कारण हमारी राजनीति ही खतरे में पड़ जाती अच्छा हुआ उ गर्मी का कहते है समर वैकेसन में हमेशा के लिये छुट्टी पर चला गया गार्गी पूरे माजरे को समझ गयी मगर क्या बोल सकती थी प्रेमी के खोने के गम में पिता की ताकत राजनीति के दम दमम्भ में वो सिसकती रही।।

कहानीकार --नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।