Times change, but slowly books and stories free download online pdf in Hindi

समय बदलता तो हैं, पर थोड़ी देर से

एक सेठ बड़े ही रहीस, गुड की आढ़त का काम था,ईश्वर की पूरी कृपा थी.परिवार में सबसे छोटा बेटा बड़े ही लाड़ प्यार में पला, जिसका नाम किशोर था.सेठ ने किशोर की शादी भी बड़े ही धूम धाम से की थी.रहीसी ने किशोर को शराब पीनी सीखा दी थी.किशोर को शादी के बाद बच्चे भी नहीं हुए, समय बीतता रहा, माता पिता की मृत्यु के बाद सब भाई अलग-अलग रहने लगे बहनें शादी के बाद अपने-अपने घर चली गई,किशोर बचपन से बड़ा ही होशियार था.शहर का नामी वकील, कुछ समय के बाद घर में बच्चों की कमी महसूस होने लगी, किशोर ने अपनी सूसराल की तरफ़ से बेटी और बेटा गोद ले लिया.किशोर रहीस वकील थे,खाना पीना उनका अपना शौक़ था एक दिन अचानक तबीयत बिगड़ी सब को अकेला छोड़ चले गये.अचानक से चले जाना पूरे परिवार पर जैसे पहाड़ सा टूट गया, सब बिखर गया, बेटे ने तो अभी स्कूल भी जाना शुरू नहीं किया था, मानो सब कुछ ख़त्म हो गया, बिना बतायें किशोर की पत्नी अपने दोनों बच्चों के साथ दूसरे शहर चली गई, किसी तरह से पता लगा कि इस शहर में रह रही हैं.किसी भी भाई ने कोई सहायता नहीं की. जैसे तैसे किशोर की पत्नी ने अपने दोनों बच्चों को पढ़ा लिखा कर काबिल बना दिया. किशोर ने जो बेटी गौद ली थी इतनी सुंदर थी कि उसको किसी ने अपने बेटे के लिए माँग लिया, किशोर की पत्नी ने पूरी जानकारी करने के बाद बिटिया की शादी कर दी, बिटिया अपने परिवार के साथ ख़ुशी से रह रही हैं.बेटा अपनी मेहनत से कंप्यूटर इंजीनियर बन गया,अच्छे वेतन पर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत हैं. बेटे ने एक दिन मम्मी को एक गाड़ी गिफ्ट की और दो साल बाद बिना बतायें मम्मी के पैर पकड़ कर बोला चलो मेरे साथ,एक अच्छी सी सोसाइटी में ले गया और अपनी मम्मी को 2BHK फ्लैट की चाबी दे दी, और अचानक से अपनी बेटी दामाद को देख मम्मी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था.सभी ने वही पर एक ग्रुप फोटो क्लिक की. पीयूष गोयल दर्पण छवि के लेखक,पीयूष गोयल 1७ पुस्तकें दर्पण छवि में लिख चुके हैं,सबसे पहली पुस्तक( ग्रन्थ) "श्री भगवद्गीता"के सभी 18 अध्याय 700 श्लोक हिंदी व् इंग्लिश दोनों भाषाओं में लिखा हैं इसके अलावा पीयूष ने हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा लिखित पुस्तक "मधुशाला"को सुई से लिखा हैं ,और ये दुनिया की पहली पुस्तक हैं जो सुई से व् दर्पण छवि में लिखी गई हैं इसके बाद रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की पुस्तक "गीतांजलि"( जिसके लिए रबीन्द्रनाथ टैगोर जी को सन 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था) को मेहंदी कोन से लिखा हैं.

पीयूष ने विष्णु शर्मा जी की पुस्तक "पंचतंत्र"को कार्बन पेपर से लिखा .अटल जी की पुस्तक "मेरी इक्यावन कवितायेँ"को मैजिक शीट पर लकड़ी के पैन से लिखा और अपनी लिखित पुस्तक "पीयूष वाणी" को फैब्रिक कोन लाइनर से लिखा हैं सं 2003 से 2022 तक 17 पुस्तके लिख चुके हैं. १.फल की इच्छा रखने वाले फूल नहीं तोड़ा करते. २.दोस्त, ज़िंदगी को अगर जीना हैं जीने चढ़ने पड़ेंगे.