reduce two years of my life, but books and stories free download online pdf in Hindi

मेरे जीवन के दो साल कम कर दो, पर

बात कुछ पुरानी हैं.एक नगर में एक बड़े ही धार्मिक सेठ रहते थे,उनका अपना पंसारी का काम था.उनके दो बेटे थे,सेठ अपने दोनों बेटे को पढ़ाना चाहते थे,सेठ का बड़ा बेटा पढ़ लिख कर अभियंता बन गया, छोटा बेटा सिर्फ़ स्नातक ही कर पाया और अपने पिता जी के व्यापार में हाथ बटानें लगा और हमेशा ये ही सोचता रहता अपने व्यापार को कैसे और बढ़ाया जाये. सेठ ने अपने बड़े बेटे की शादी कर दी, बहुत अच्छी नौकरी भी लग गई और दूसरे शहर चला गया.सेठ ने अपने छोटे बेटे को पंसारी का काम के साथ-साथ कई बड़ी कंपनियों की एजेंसी भी दिलवा दीं. सेठ अपने बेटे से ये ही कहते थे बेटा हमेशा खाने की चीजों की एजेंसी लेना,खाने का काम कभी ख़त्म नहीं होगा,समय के साथ अपने आपको को अपडेट भी करते रहों.सब अच्छे से चल रहा था,एक दिन अचानक पता चला दुकान पर काम करने वाला मुनीम नहीं आया,एक दिन हो गया,दो दिन हो गये,मुनीम के घर पर फ़ोन किया तो पता चला, लोगों के पैसे लेकर भाग गया,सेठ का भी नुक़सान हुआ.जैसे ही घर में सभी को पता चला पैरों के तलें की ज़मीन खीसक गई.जैसे तैसे सेठ ने अपने परिवार को सँभाला. बड़े बेटे ने बड़ा ही सहयोग किया,जैसे- जैसे समय गुजरता रहा,सेठ चिंतित रहने लगा नुक़सान कैसे पूरा होगा.अब चूँकि सेठ धार्मिक व्यक्ति थे जब भी एकांत मिलता मन ही मन अपने ईश्वर से बात कर लिया करते थे.सेठ को कई बड़ी-बड़ी विपत्तियों से बाहर भी निकाला,सेठ को अपने ईश्वर पर पूरा विश्वास भी था.सेठ के जीवन में एक बहुत भयंकर दुर्घटना हो गई थी,सेठ सड़क पर पड़े थे और अपने जीवन की भीख माँग रहे थे.सेठ अक्सर कहते थे जिसने अपने जीवन की भीख माँग ली हो अब माँगने के लिए बचा ही कुछ नहीं,पर उसके बाद ये घटना हो गई, सेठ नगें पैर पूजा करने जाते थे.घर में भी पूजा घर में पूजा करते थे.एक दिन शाम को सेठ जी मंदिर से पूजा करके घर वापस आ रहे थे,आँखों में आंसू थे जिसके पैसे ले रखे हैं कैसे पूरा करेंगे,तभी सेठ को महसूस हुआ जैसे भगवान कुछ कह रहे हो,सेठ तू माँग क्या माँगना चाहता हैं?सेठ भगवान से बोले मेरे पास अब माँगने को कुछ भी नहीं हैं, तूने मुझे दूसरी ज़िंदगी दी हैं,और अब भी कुछ देना चाहता हैं,तो तुम एक काम कर दों,भगवान बोले क्या,मेरी ज़िंदगी के दो साल ले लों और उनके बदले कुछ पैसे दे दो, भगवान बहुत हंसे और चले गये.(ये सब सेठ मन ही मन सोच रहे रहे थे और ऐसा भी लग रहा था जैसे सच में बात हो रही हो).घर आकर खाना खाया और किसी को बिना बतायें सो गये.अगले दिन दुकान पर बैठे थे फ़ोन की घंटी बजी,बड़े बेटे का फ़ोन था,पापा मेरी एक बहुत बड़ी कंपनी में नौकरी लग गई हैं आप चिंता न करे सब ठीक हो जाएगा.शाम को छोटे बेटे ने भी खुश खबरी दी,पापा आज हमने खाने के सामान की ३ एजेंसी ली हैं,सेठ भी कई दिन से ये महसूस कर रहे थे अपनी दुकान का काम भी पहले से बढ़ गया हैं.समय गुजरता रहा,भार हल्का होता रहा,और एक दिन सब सामान्य हो गया,ये सब पूरा होने में क़रीब २ साल लगे.सेठ जी अपने परिवार के साथ ख़ुशी से रह रहें हैं.