Kalavati - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

कलावती - भाग 1

शाम का वक्त है। कुछ कुछ सूरज अभी नज़र आ रहा है। जबलपुर शहर की तूफानी शाम में जंगल के एक छोर पर बनी एक तीन मंजली आलीशान हवेली के सामने एक बोलेरो आकर रूकी। हवेली को अगर बाहर से देखा जाए तो ये किसी भूतिया बंगले की तरह लगती है लेकिन अंदर से ये किसी बड़े हवादार महल की तरह है। चारों और घना काला जंगल है और एक छोर पर जबलपुर शहर बसा हुआ है। जंगल के बिलकुल बीचोबीच एक बड़ा सा पुराना शिव मंदिर है जो अब पूरी तरह से खंडहर बन चुका है। शायद अब वहां पर कोई रहता हो या फिर जाता हो।

इस बोलेरो में से पांच लोग बाहर निकले और ये हैं कबीर , विराज , विनय , अवनी और मान्या। आइए एक बार इन लोगों के बारे में जान लेते हैं।

कबीर जो की भूतों प्रेतों में बिलकुल भी विश्वास नहीं करता है और हमेशा ही लड़कियों के साथ में फ्लर्ट करता रहता है। अपने दोस्तों को भूत बनकर डराना या लड़कियों के साथ में मस्ती करना ही इसका एकमात्र काम है।

विराज ये वो इंसान है जो भूतों प्रेतों में हद से भी ज्यादा विश्वास करता है और सबसे ज्यादा डरपोक है।

विनय एक पड़ाकू कीड़ा है। जिसे भूतो प्रेतों में बड़ा इंटरेस्ट है और सारा दिन कोई न कोई किताब लेकर ही बैठा रहता है। भूतिया किताबें पढ़ना और पैरानॉर्मल वर्ल्ड में इंट्रेस्ट लेने का इसे बड़ा शौंक है।

ये तीनों लड़के ही पक्के दोस्त हैं और किसी बिजनेस के काम से जहां पर आए हैं। लगभग इन्हें एक महीने तक इस हवेली में ही रुकना है। हर एक की उम्र सताइस आठाइस साल है। किसी की भी अब तक शादी नहीं हुई है।

मान्या और अवनी ये दोनों कबीर और विराज की कॉलेज गर्लफ्रेंड है और इनके साथ में जहां पर मस्ती करने आई हैं। विनय सबसे अलग इंसान है जिसका लड़कियों में बिलकुल भी इंटरेस्ट नहीं है लेकिन वो भी अपने शरीफ पन के पीछे कई बड़े राज़ छुपाए बैठा है जिन्हें हम धीरे धीरे खोलेंगे।

कबीर चारों और नज़र दौड़ाते हुए बोला -/आज पूरे तीन साल बाद इस हवेली में वापिस कदम रखेंगे। हवेली आज भी वैसे ही पड़ी है जैसे की तीन साल पहले थी। पूरी तरह सुनसान बट अब हम लोग आ चुके हैं तो हवेली को सुनसान तो हर हाल में नहीं रहने देंगे।/-

मान्या हवेली को चारों और से गौर से देखते हुए -/यार कबीर ये इतनी बड़ी हवेली तुम्हारी है। ऐसी आलीशान हवेलियां तो मैंने फिल्मों में देखी थी। यकीन नहीं होता है की मैं आज सच में ही इतनी बड़ी हवेली के आगे खड़ी हूं।/-

कबीर हंसते हुए बोला -/येस बेबी ये हवेली हमने अपने पैसों से खरीदी है। अब बाहर ही खड़े रहना है या अंदर भी चलना है।/-

अवनी -/यार मैं तो अंदर जा रही हूं। जो हवेली बाहर से इतनी शानदार है वो अंदर से न जाने कैसी होगी?/-

विनय एक फाइल में अपनी नजरें दौड़ाते हुए बोला -/जहां से शहर लगभग दस किलोमीटर दूर है। हमारा बिजनेस का प्रोजेक्ट पूरा होने में लगभग एक महीना लग जायेगा। इसलिए एक महीने तक हमें यहीं पर रहना पड़ेगा। अब चलो अंदर।/-

कबीर और विराज को छोड़कर बाकी सभी अंदर भाग गए।

विराज हवेली की और नज़र दौड़ाते हुए बोला -/कबीर मालूम है ना की इस हवेली को हमने अपना कैसे बनाया था ना ? याद है ना की तीन साल पहले जहां हम पांचों ने क्या किया था?/-

इससे पहले की विराज आगे कुछ बोल पाता कबीर ने गुस्से से लाल होकर उसके मुंह पर हाथ रख दिया और अपनी आंखें निकालते हुए बोला -/विराज तुझे कितनी बार समझाया है की तीन साल का नाम मत लिया कर मेरे सामने। मैं बड़ी मुश्किल से उस घटना को भुला पाया हूं। आज भी वो रात मुझे याद है। तीन साल पहले उस रात को हम दरिंदों से जहां क्या किया था? ये सिर्फ पांच लोग ही जानते हैं मैं तुम विनय और वो दो सख्स जो जहां नहीं है। हमारा ये राज़ मान्या और अवनी के सामने हर हाल में नहीं आना चाहिए। अगर आज हमने इतनी तरक्की की है तो सिर्फ उस एक रात की वजह से। आगे से तीन साल का नाम मेरे सामने कभी भी मत लेना। वो तीन साल पहले के राज़ को उस रात में ही रहना चाहिए। समझे।/-

विराज ने डरते हुए हां में सिर हिला दिया। इतने में विनय वहां पर आते हुए बोला -/सालो तुम दोनों आते ही शुरू हो गए। मैने तुम्हें कितना समझाया था की शहर में और कहीं पर रुक जायेंगे। लेकिन तुम दोनों को बड़ा शौंक था तीन साल बाद में इस हवेली में वापिस आने का। हमारा वो तीन साल पहले का राज़ खुल सकता है। वो रात हमारी जिंदगी की काली रात थी। इस बात को हमेशा याद रखना।/-

कबीर एक लंबी सांस छोड़ते हुए बोला -/डोंट वरी किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा। हमारा वो तीन साल पहले का राज़ राज़ ही रहेगा। अब अंदर चलो। हम जहां पर पूरी तरह से सेफ है। अब चलो अंदर।/-

इतना कहकर वे सब अंदर चले गए।

इधर जंगल में एक मंदिर के अंदर एक साधु बैठा हुआ था तभी पीछे से एक भगत आकर बोला -/गुरु जी उस हवेली में वो वापिस आ गए हैं। पूरे तीन साल बाद।/-

ये सुनकर पुजारी के चेहरे पर एक गहरी मुस्कुराहट आ गई। पुजारी हंसते हुए बोला-/उन्हें तो आना ही था। आखिर कलावती ने उन्हें वापिस बुलाया है। अपना इंतकाम लेने के लिए। उस तीन साल पहले की रात का राज़ अब वापिस खुलेगा। अब फिर से वही खूनी कहानी शुरू हो गई है। फिर से खून बहेगा। अब इस कहानी में असली मज़ा आएगा।/-

भगत शंका से बोला -/गुरु इसका मतलब है की इतिहास.....।/-

पुजारी बीच में ही बोल पड़ा -/बिलकुल सही। इतिहास खुद को दोहरा रहा है। अब कोई भी नहीं बचेगा। इस हवेली में वापिस आकर उन्होंने बहुत बड़ी गलती कर दी है। ये कहानी शुरू हुई थी आज से तीन साल पहले कलावती की मौत से और अब ये कहानी खत्म होगी इन तीनों दरिंदो के कत्ल से।/-

इधर हवेली के सामने लगे एक बहुत ही बड़े पीपल के पेड़ के पीछे से एक औरत बाहर निकली। जिसके बदन पर सफेद साड़ी थी। आंखें भी गहरी सफेद। खुले काले बाल। चेहरे पर एक डरावनी मुस्कुराहट। देखने में कोई डायन लग रही थी।

वो औरत हंसते हुए बहुत ही डरावनी आवाज में बोली -/आज तीन साल बाद में आखिरकार तुम्हें वापिस आना ही पड़ा। अब इतिहास खुद को फिर से दोहराएगा। ये खूनी कहानी जिसकी शुरुआत तुम दरिंदों ने तीन साल पहले की थी अब इस कहानी का अंत मैं करूंगी। कलावती की मौत से शुरू हुई ये कहानी अब तुम दरिंदों की मौत से खत्म होगी। हा हा हा हा। अब वो तीन साल पुराना राज़ फिर से खुलेगा। फिर से खून बहेगा। कलावती एक डरावना सच।।
अंदर मान्या चारों और नज़र दौड़ाते हुए बोली -/वाओ यार क्या हवेली है तुम दोस्तों की ? ये तो मुगल जमाने का कोई महल लगता है।/-

इतने में चौकीदार रामू वहां पर आते हुए बोला -/सर जैसे ही मुझे आपके जहां पर आने की खबर मिली तब मैं तुरंत ही जहां पर भगा भागा चला आया और आज सुबह ही पूरी हवेली की साफ सफाई करा दी है। कबीर सर और मान्या मैम के कमरे सबसे ऊपर थर्ड फ्लोर पर हैं। विराज सर और अवनी मैम के कमरे सेकंड फ्लोर पर और विनय सर का कमरा सबसे नीचे ग्राउंड फ्लोर पर है।/-

विनय गुस्से से बोला-/अबे! सालो मैं अकेला ग्राउंड फ्लोर पर कैसे रहूंगा?/-

विराज हंसते हुए बोला -/तुझे ही बड़ा शौंक है अकेले रहने का और तुझे बड़ा शौंक है ना भूत प्रेतों को पकड़ने का तो ठीक है अब नीचे अकेले बैठकर भूत पकड़ते रहना।/-

ये सुनकर सब बुरी तरह हंसने लग गए।

अवनी -/रात हो गई है। मैं और मान्या डिनर बना लेती हैं और तुम तीनों तब तक फ्रेश होकर आओ।/-

मान्या और अवनी किचन में चली गई और बाकी सभी अपने अपने कमरों में भाग गए।

चकीदारा वहां से बाहर निकला और हवेली के पीछे बने एक कब्रिस्तान की और देखते हुए बोल पड़ा -/मैं जानता हूं की अब वो खूनी कहानी फिर से शुरू होगी जो आज से तीन साल पहले कलावती के खून से खत्म हुई थी। इतिहास अब वापिस दोहराया जाएगा। भगवान ही जानता है की अब जहां से कोई जिंदा बचकर वापिस जा पायेगा या फिर नहीं। मैं तो इतना जानता हूं की जब कोई लड़की असमय मरती है या फिर मारी जाती है तब होता है एक पिसाचनी का जन्म। वो पिशाचिनी जो अपना बदला लेने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है। कुछ भी कर सकती है। अब कोई भी इन्हें नहीं बचा सकता है। इस हवेली में तीन साल बाद में कदम रखकर इन तीनों ने बहुत बड़ी गलती कर दी है। अब ये जिंदा इस हवेली से बाहर नहीं निकल सकते हैं।/-

इतना कहकर चौकीदार वहां से निकल गया।

कबीर सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर आया और अपने कमरे में अपना सामान सेट करके नहाने के लिए चला गया। नहाने के बाद कबीर वापिस आया और अपने बालों में कंघी करते हुए धीरे से बोल पड़ा -/वो एक रात और हम मालामाल। हम पांच लोग। मैं , विराज और विनय और बाकी वो दो जो अब तक किसी को नहीं मालूम है की कौन थे? हा हा हा हा।/-

इतना कहकर कबीर पागलों की तरह हंसने लगा।

इधर विराज अपने कमरे में आया और नहाकर बाहर निकला और कमरे में चारों और नजरें दौड़ाते हुए बोला -/हर एक चीज, हर एक चेहरा आज तीन साल बाद में फिर से ताजा हो रहा है। लेकिन उस राज़ को हमने इस तरह से दफना दिया है की कोई चाहकर भी उसकी तह में नहीं जा सकता है। हा हा हा हा हा।/-

इतना कहकर विराज की भी हंसी निकल गई।

इधर विनय अपने कमरे में घुसते ही किताबे लेकर बैठ गया और किताब का टाइटल देखते हुए बोला -/डाकिनी बाप रे कितना खतरनाक टाइटल है? मैने इन दोनों को समझाया था की वापिस इस हवेली में मत आओ। अब तीन साल पहले के वो सभी चेहरे मुझे वापिस याद आ रहे हैं। बड़ी मुश्किल से उस घटना को भुला पाया था मैं।/-

इतना कहकर विनय के चेहरे पर परेशानी आ गई।।

इधर जंगल के मंदिर में साधु शिव की मूर्ति के आगे खड़ा था तभी अचानक से उसके पीछे एक बहुत ही भयानक सी बाइस तेईस वर्षीय लड़की आकर खड़ी हो गई जिसके बदन पर पूरे सफेद कपड़े थे, गहरी सफेद आंखें, चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कुराहट , नंगे पैर, गले में मोतियों का एक बेस्किमती हार।/-

पुजारी बिना पीछे देखे हंसते हुए बोला -/आओ कलावती आओ। आखिर तुम्हें तो आना ही था।/-

इतना कहकर वो साधु पीछे घूम गया और ये था वही चौकीदार रामू।।
साधु यानी की चौकीदार रामू हंसते हुए बोला - " आओ कलावती आओ। तुम्हें तो आखिर आना ही था। अब ये कहानी फिर से शुरू होगी क्योंकि तुम भी वापिस आ गई हो और वो दरिंदे भी।"
कलावती बहुत ही भयानक और डरावनी आवाज में बोली - "अब एक एक इंसान से चुन चुन कर बदला लूंगी। तड़फा तडफा कर हर एक इंसान को मारूंगी हर एक इंसान को।"
साधु हंसते हुए बोला - "कलावती तुम भले ही एक शक्तिशाली आत्मा हो और बदले की भी प्यासी हो लेकिन वे लोग भी कोई आम इंसान नहीं है। उनके हाथों में पहने हुए वो रुद्राक्ष हमेशा ही उनकी रक्षा करेंगे जिन्हें तोड़ने का कोई भी रास्ता नहीं है।"
कलावती हंसते हुए बोली - "कलावती अपने रास्ते खुद ही बना लेती है। अभी तो ये खेल शुरू हुआ है? आगे आगे देखो होता है क्या?"
इतना कहकर कलावती अचानक से गायब हो गई और साधु अपने आप से बोल पड़ा - " जो कुछ भी होता है लेकिन इतना जानता हूं की वे लोग जहां से जिंदा वापिस नहीं जाएंगे। सब मरेंगे। कलावती का कहर अब छाएगा उस हवेली पर और उन तीनों के साथ में वे दोनों बेगुनाह लड़कियां भी मरेंगी।"
इधर सब लोग ड्यानिंग टेबल पर बैठे खाना खा रहे थे तभी अचानक से विनय के कानों में कुछ खोदने की आवाज़ आई।
विनय अपने कान पर हाथ रखते हुए बोला - "ये आवाज सुनी तुम लोगों ने। लगता है की कोई गड्ढा खोद रहा है।"
कबीर हंसते हुए बोला - " अवे! पागल खोपड़ी कोई कुछ भी नहीं खोद रहा है तेरे ही कान बज रहे हैं। अब चुपचाप खाना खा। देख तो सही आज कितना जबरदस्त खाना बना है। आलुओं की सब्जी तो सच में ही शानदार है। कुछ कहने को ही नहीं है।"
मान्या - " थैंक्स कबीर। वैसे सब्जी मैने बनाई है।"
इतने में फिर से विनय के कान में कुछ खोदने की आवाज़ आने लगी और वो गुस्से से चिलाते हुए बोला - "अरे! मूर्खो तुम लोगों को खाने की पड़ी है। बाहर से कुछ खोदने की आवाज़ आ रही है। मैं जाकर देखता हूं।"
विराज - " यार तूं बेवजह ही परेशान हो रहा है कोई आवाज नहीं आ रही है। लगता है की तेरे कान बजने लग गए हैं। मुझे तो वैसे भी भूत प्रेतों से बहुत डर लगता है। बाहर देख तो सही कितना अंधेरा हैं। ये विनय पता नहीं कैसे बाहर चला गया?"

सतनाम वाहेगुरु।।