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आंधी की आग

आंधी की आग

बात उस समय की है जब बागों में आमों का मौसम सजा था, चारो तरफ उल्लास ही उल्लास था, बागवानों को इस साल आमों की फसल से बहुत ज्यादा उम्मीद थी. आमों के इस मौसम में गर्मी और बहुत हलकी ठंड का एहसास होता है.

और इसी मौसम में एक ऐसी घटना घटी जिसने सारे माहौल के उल्लास को पूरी तरह खत्म कर दिया. गाँव में तीन भाई रहते थे, जो रोजाना छोटी छोटी बातो पर लड़ते थे. बड़ा भाई हरपाल शादीशुदा था, बाकी के दो क्वारे.

रोज रोज की लड़ाई से तंग आ एकदिन हरपाल की पत्नी ने हरपाल से कहा, “आप कब तक ऐसे ही लड़ते रहेंगे, इससे अच्छा कहीं और चलकर क्यों नही रह लेते.” हरपाल को बीबी की बात ठीक लगी, उसने पास के गाँव में अपने बहनोई के पास चलकर रहने की सोची.

अगले दिन वह अपनी पत्नी और तीन बच्चो सहित अपने बहनोई के पास पहुंचा. उसके बहनोई ने अपने घर के बराबर में हरपाल को एक घर बनवा दिया. नये घर में आकर हरपाल और उसकी बीबी बच्चे आराम से रहने लगे. हरपाल रोजाना काम पर जाता था, आज उसे किसी से लड़ाई का डर नही था, आज उसका अपना एक घर था.

लेकिन हरपाल को कहाँ पता था कि उसे यहाँ भी शांति न मिलेगी, शायद यह जानता होता तो वह अपने गाँव में ही रहना पसंद करता. एक दिन की बात थी, हरपाल काम पर गया था, आज बच्चों को रोता छोड़ आया था, क्योंकि बच्चे रोजाना उसके साथ चलने की जिद करते थे लेकिन हरपाल उन्हें अपने साथ कैसे ले जा सकता था. किन्तु बच्चे थे की मानते ही नही थे.

आज हरपाल ने गुस्से में आकर छोटे लडके की पिटाई कर दी थी लेकिन उसके बाद हरपाल को बहुत ज्यादा ग्लानी हुई, वह सोचता था बच्चे तो बच्चे होते है लेकिन में कैसे बच्चा हो गया जो छोटे लडके को मार बैठा.

काम पर पहुंच हरपाल को उस बच्चे की बहुत याद आने लगी, सोचता था आज काम से जल्दी घर चला जाऊंगा, जाकर उस बच्चे को प्यार से गले लगा लूँगा. हरपाल अनमने मन से काम करता रहा.

लेकिन दोपहर में आंधी बारिश जैसा मौसम हो गया और थोड़ी देर में इतनी तेज आंधी आई कि हर गाँव का आदमी राम राम जपता और कहता कि इतनी तेज आंधी आज तक नही देखी. आमों के बागों में उस आंधी ने ऐसा बिध्वंस मचाया कि जिधर देखो उधर ही पूरा पेड़ आमों से साफ था, ऐसा लगता था मानो किसी ने बड़े सोच समझकर उस पेड़ से आम तोड़े हो.

किसानों की फसले जमीन पर ऐसे बिछ गयी मानो ये ऐसे ही उगी हों. आमों के बगीचे के बागवान सर पकड़कर रोते थे, वे अपनी फसल को अपनी आखों के सामने बर्बाद होते देख रहे थे और कुछ कर भी नही सकते थे.

आंधी अपने पूरे सबाब पर थी, लोग घरो में छिप गये. हरपाल की बीबी आंधी से पहले खाना बना रही थी, जैसे ही आंधी आई वो अपने खाने का सामान ले बच्चो सहित कमरे में चली गयी. उसे चूल्हे की आग बुझाने का ध्यान न रहा, आंधी के समय चूल्हे की आग उड़कर कमरे की छत पर पड़े छप्पर में जा पहुंची. ये वही कमरे का छप्पर था जिसमे हरपाल की बीबी तीन बच्चो सहित बंद थी.

धीरे धीरे आग पूरे छप्पर में पहुंच गयी, कमरे में धुआँ घुटा, अब कमरे में कुछ भी दिखाई नही दे रहा था. हरपाल की बीबी ने गेट को ढूढने की काफी कोशिश की लेकिन घुटे दम और आँखों में लगते धुंए की वजह से वह कमरे का दरवाजा न ढूढ़ सकी.

तीनो बच्चे जो हरपाल की बीबी के साथ कमरे में बंद थे, जोर जोर से रोने लगे. कमरे की हालत ऐसी हो गयी कि न तो बच्चे माँ को ढूढ़ पा रहे थे और न ही माँ अपने तीनों बच्चो को. कुछ ही देर में चारो जानें वेहोश हो गयी, एक माँ और तीन बेटे. छप्पर जल जल कर कमरे में गिरने लगा, अंदर वेहोश पड़े चारो जीव अंदर ही आलुओं की तरह भुजने लगे.

धीरे धीरे पूरा कमरा जलने लगा, इधर उधर के लोगो ने जब यह देखा तो हल्ला मचाकर दौड़ पड़े, सब लोगो ने मिलकर आग पर पानी डाला लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. अंदर पड़े माँ और तीन बेटे अब जीवित नही थे. हरपाल को जैसे ही खबर मिली तो वह भागा चला आया, उसे आज वैसे ही घर जाने की जल्दी थी.

हरपाल को क्या पता था कि आज उसे अपने छोटे बच्चे से मिलने की हसरत अधूरी रह जायेगी, अगर ऐसा पता होता तो आज अपने बच्चे को साथ लेकर जाता या उसे मारता ही नही. हरपाल ने घर आकर देखा, जो देखा वो देखने लायक नही था, उसकी बीबी किसी जली हुई लकड़ी जैसी लग रही थी और उसके तीनों बच्चे, वो किसी भुने हुए मांस के टुकड़ों की तरह लग रहे थे.

हरपाल ने अपने सबसे छोटे लडके की लाश को पहचान लिया लेकिन उसके जले हुए मृत शरीर को छूने की हिम्मत न कर पाया, उसे सुबह वाली बात फिर से ध्यान आ गयी, जब उसने अपने छोटे बच्चे पर हाथ उठाया था. हरपाल का दिल आज फटा जा रहा था, उसका सब कुछ तबाह हो चुका था, बीबी बच्चे, घर बार. हरपाल के लिए ये आंधी की आग उसकी तबाही का पैगाम साबित हुई.

आग लगने की खबर पर जिले के आला अधिकारी आये, हरपाल को मुआवजा दिया गया, उस मिले हुए पैसे से हरपाल ने नया घर बनाया और फिर से शादी की. आज हरपाल के घर में नई बीबी और बच्चे है, वो उस बीती हुई आंधी की आग को भूल चुका है लेकिन जिस जगह पर उसका घर बना है वो जमीन आज भी उस घटना की गवाह है जो आज से कुछ दिन पहले घटी थी.

[समाप्त]