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मोबाइल का झंझट

मोबाइल का झंझट

मोहल्ले के हर घर में मोबाइल था केवल संतोष के घर को छोड़कर. संतोष को मोबाइल बड़े झंझट का सौदा लगता था इसलिए अभी तक लेकर नही आया था. लेकिन एकदिन उनकी बीबी शांति ने उसे मोहल्ले के एक लडके लल्लन के साथ धकेल धकाल कर मोबाइल लेने भेज दिया.

लल्लन मोहल्ले में सबसे होशियार लड़का माना जाता था, लेकिन केवल मोबाइल के मामले में. बाकी उसकी पढाई तो सबसे फिसड्डी थी, दसवीं में दो बार फेल हुआ तो घर के लोगों ने उसकी पढाई छुडवा घर पर बिठा लिया.

इसलिए नही कि उनके पास पैसों की कमी थी बल्कि इसलिए कि फिर से फेल हुआ तो मोहल्ले में रही बची उनकी इज्जत भी चली जाएगी. लल्लन अपने साथ संतोष को ले मोबाइल की दुकान पर जा पहुंचा और वहां से एक टिकाऊ मोबाइल संतोष को दिलवा दिया.

दोनों मोबाइल ले घर पहुंचे तो शांति ने मोबाइल पूजन की पूरी तैयारी कर रखी थी, झटपट से मोबाइल की आरती उतारी गयी, हल्दी का टीका लगाया गया, गंगाजल के छीटे भी मारे गये. पूरी पूजा हुई तो मोबाइल से शांति के मायके बात की गयी.

लेकिन एक मसला आ खड़ा हुआ, उधर से मोबाइल की आवाज आ रही थी लेकिन इधर से आवाज उधर न जाती थी. फटाफट लल्लन को बुलाया गया, लल्लन ने मोबाइल में गम्भीरता पायी और सीधा उसके बड़े मिस्त्री को दिखाया.

पता चला मोबाइल के माइक में पानी जाने से वो खराब हो गया था, तुरंत दूसरा माइक पडवाया गया. लेकिन मोबाइल के माइक पर पानी कहाँ से आया, देर बाद ध्यान आया कि पूजन के वक्त गंगाजल के छीटें माइक पर अटैक कर गये थे.

संतोष को ज्यादा इंग्लिश नही आती थी इसलिए लल्लन से मोबाइल को हिंदी में करा लिया था. मोबाइल में लिखा मैसेज अब संदेश लिखा दिखाई देता था. संदेश का जिक्र सबसे पहले इसलिए क्योंकि संतोष को मैसेज आने शुरू हो गये थे. मैसेज भी हिंदी में लिखे आते थे, जिन्हें संतोष आराम से पढ़ लेता था.

पहले दिन मैसेज आया- “में अकेली बैठी बोर हो रही हूँ, मुझे इसी वक्त कॉल करो.” बेचारा संतोष, मैसेज पढ़ते ही बिलबिला उठा, सोचता था भला ऐसी कौन स्त्री है जो उससे बात करने के लिए मैसेज भेज रही है.

कहीं ऐसा तो नही कि किसी का गलती से मैसेज आ गया हो. संतोष इतना सोच ही रहा था कि एक और मैसेज आ टपका- “हाय, मेरा नाम रौशनी है, मेरी उम्र बीस साल है, में आपसे मीठी मीठी बातें करना चाहती हूँ, मुझसे बात करने के लिए कॉल करें.”

संतोष से इस बार रुका न गया, उसने मैसेज के साथ दिए गये नम्बर पर कॉल कर दी. उधर से एक लडकी से बात हुई, बातों में उसने संतोष का दिल जीत लिया, शायरी के साथ साथ दिल लुभाने वाली बातें करती लडकी संतोष को वावला बना गयी.

अभी ढंग से पांच मिनट भी बात न हुई थी कि फोन कट गया. संतोष ने फिर से मिलाया तो पता चला कि मोबाइल का बेलेंस खत्म हो गया है. संतोष भागता हुआ रिचार्ज की दुकान पर जा पहुंचा और फटाफट से सौ रूपये का रीचार्ज करा लिया.

अभी उस लडकी के नम्बर को मिला पाता उससे पहले ही एक मैसेज आ गया- “बेकरार करके हमें यूं न जाईये, आपको हमारी कसम फोन मिलाईये.” संतोष की जान गले में आ अटकी, भला लडकी कसम खिलाये और संतोष फोन न मिलाये, ये तो सम्भव ही नही था.

संतोष ने तुरंत फोन मिला दिया, फिर से मीठी मीठी बातें होनी शुरू हो गयीं. लड़की की बातों में मिश्री घुली थी, शब्द शब्द में चासनी लिपटी थी. संतोष बातों में खोता गया और लडकी उसे खोने में मदद करती रही, लेकिन थोड़ी ही देर में फोन कट गया.

संतोष ने फिर से फोन मिलाया तो पता चला बेलेंस खत्म हो गया है. आठ मिनट भी बात न हुईं थीं कि सौ रूपये का रीचार्ज स्वाहा हो गया. संतोष का दिमाग चकरा गया, आखिर कितने रूपये कॉल लग रही थी.

संतोष अभी सोच ही रहा था कि फिर से मैसेज आ गया- “फोन मिलाइए न प्लीज, में आप से बात करने के लिए बेताब हूँ.” संतोष एक झटके में सारी सोच गंवा बैठा, झट से रीचार्ज की दुकान पर गया और फिर से सौ रूपये का रीचार्ज करा लिया.

रीचार्ज की दुकान वाले ने मजाक में पूंछ लिया, “क्यों संतोष भइय्या, आजकल बड़ी फोन पर बात हो रही हैं, भाभी तो मैने आज भी घर पर ही देखी थीं, फिर फोन कहाँ चल रहा है, कहीं कोई चक्कर तो नही चल रहा.” संतोष को उस दुकान वाले पर गुस्सा आ गया, बोला, “तू अपना काम कर, फालतू की बातों में ध्यान देगा तो तेरा नुकसान ही होगा.”

इतना कह संतोष उसकी दुकान से चला आया लेकिन रीचार्ज की दुकान वाले ने संतोष की बीबी को इस बात की खबर देने की ठान ली. वैसे तो उसका रीचार्ज बिक रहा था उसे फायदा ही था लेकिन महीने पर शांति से पैसा लेने जाता तो उसे पाई पाई का हिसाब देना पड़ता था, इसीलिए उसने संतोष का खर्चा आज ही बताने की ठान ली. इधर संतोष ने फिर से उस लडकी के नम्बर पर फोन मिला दिया, फिर से मीठी बातों की बौछार हो उठी, संतोष उस बारिश में भीगता रहा.

लडकी ने बड़े प्यार से पूंछा, “संतोष जी क्या आपकी शादी हो गयी है.” संतोष मन ही मन बोला ‘दुर्भाग्य से हो तो गयी है’ लेकिन लडकी से फोन पर बोला, “अरे नही नही, अभी मेरी उम्र ही कितनी है, इक्कीस का हुआ हूँ, मतलब आपसे एक साल बड़ा.”

पैंतीस साल का संतोष शादीशुदा और दो बच्चों का बाप था लेकिन फोन पर लडकी से झूठ बोल गया. लड़की संतोष की मोहब्बत में पडती हुई बोली, “तो फिर देर किस बात की, आप मुझसे शादी कर लीजिये न.” संतोष का मन नांच उठा, मन करता था कि शांति को छोड़ इसी लडकी से शादी कर ले लेकिन शांति का खौफ मन को डराता था.

अभी संतोष कुछ कहता उससे पहले ही फोन कट गया, संतोष ने समझ लिया जरुर पैसे खत्म हो गये होंगे, शादी की बात बीच में ही अधूरी छूट गयी, संतोष ने माथा पीट लिया. अब तो उस रीचार्ज वाले की दुकान पर भी नही जा सकता था.

सोचता था कमबख्त तभी सवाल कर रहा था, अब गया तो फिर से सवाल पूंछेगा. यह सोच संतोष किसी दूसरी दुकान की तलाश करने आगे बढ़ ही रहा था कि उसका बड़ा लड़का आ पहुंचा, बोला, “पापा तुम्हें इसी वक्त मम्मी ने बुलाया है.”

संतोष बेमन सा हो घर चल दिया लेकिन मन तो सिर्फ उस रौशनी नाम की लडकी की बातों में लगा हुआ था. बीस साल की लडकी थी लेकिन बातों में संतोष के प्यार में पड़ गयी, प्यार में भी ऐसी पड़ी कि शादी करने को उतारू हो गयी. सतोष घर पहुचा, यादों से ध्यान भंग हुआ. सामने पत्नी शांति अशांत और गुस्से में बैठी नाक फुला रही थी.

संतोष पहुंचकर अभी कुछ कह पाता उससे पहले ही शांति ने झपट कर उसकी जेब से मोबाइल निकाल लिया, संतोष की समझ में कुछ न आया लेकिन मोबाइल से तो आज बीस साल की रौशनी को फोन करना था, जो उससे शादी करने की बात कहने वाली थी.

संतोष को मन में गुस्सा आ रही थी लेकिन उससे पहले ही शांति ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया, जोरदार आवाज में बोली, “मुझे ये बताओ आज तुमने दौ सौ रूपये के रीचार्ज की बात किससे की, कोई साली सलेज तो तुम्हारे है नही, में भी घर पर हूँ, फिर किस कलमुंही से बात कर अपना मुंह काला करवा रहे हो, दो बच्चों के बाप होकर भी शर्म नही रही.” संतोष का हलक सूख गया, भला शांति को कहाँ से पता चला कि वो किसी लडकी से बात कर रहा है, फिर उसे ध्यान आया कि जरुर रीचार्ज की दुकान वाले ने बताया होगा.

लेकिन अब शांति के सामने कुछ तो सफाई देनी ही पड़ेगी, बोला, “अरे नही शांति, मैने किसी कलमुंही से बात नही की, तुम खामखाँ परेशान होती हो.” शांति बुरी तरह से बिफर पड़ी, बोली, “हाँ में तो पागल हूँ न, सुबह से दो बार सौ सौ का रीचार्ज करा लिया और अब मोबाइल में एक भी रुपया नही है, कहाँ गये सब रूपये.” संतोष अब क्या बोले, बीस साल की रौशनी का नाम तो ले नही सकता था, सोचता था उस बेचारी की क्या गलती, वो तो मुझसे प्यार कर बैठी है बावली.

संतोष मन में इतना सोच ही रहा था कि शांति अपने बड़े लडके से बोल पड़ी, “बेटा जा जरा लल्लन को बुलाकर ला, अभी चैक करवाती हूँ ये किससे चोंच लडा रहे थे.” संतोष का दम निकल पड़ा, उसे लगता था कि लल्लन मोबाइल का जानकार है, वो आते ही सारी पोल पट्टी खोल देगा.

लेकिन अब क्या करे, बड़ा लड़का लल्लन के घर की और कब का दौड़ लगा चुका था. थोड़ी ही देर में लल्लन अपना खुराफाती दिमाग ले संतोष के घर आ पहुंचा. शांति ने रेडियो की तरह सारी कहानी लल्लन को सुना डाली, लल्लन तिरछी नजरों से संतोष को देख मोबाइल चेक करने लगा.

सबसे पहले डाइल नम्बर में वही नम्बर था जो संतोष ने थोड़ी देर पहले मिलाया था. लल्लन ने नम्बर तो देख लिया लेकिन वो है किसका ये पता नही चल पाया. शांति ने तुरंत उसी नम्बर पर फोन मिला पता करने की बात कह दी लेकिन मोबाइल में तो पैसे ही नही थे. झटपट से मोबाइल रीचार्ज करवाया गया, संतोष की सांसे अटक रहीं थीं, लल्लन ने नम्बर डाइल किया तो शांति पीछे से बोल पड़ी, “लल्लन कोई औरत हो तो मुझसे बात करवाना, सौतन को में देखूँगी.” लल्लन ने हाँ में सर हिला दिया.

संतोष के दिल की धडकनें धड़ाधड़ धडकनें लगी, सोचता था बेचारी बीस साल की रौशनी को बिनाबात गालियाँ खानी पडेगीं, संतोष उस कमसिन कली को गाली खाते सुनेगा भी. फोन मिला, घंटी गयी, फोन उठा लिया गया.

उधर से किसी लडकी का बहुत मीठा स्वर उभरा, “जी बोलिए संतोष जी.” लडकी की आवाज कानों में पड़ते ही लल्लन ने मोबाइल शांति की तरफ बढ़ा दिया. शांति को बहुत जोरदार गुस्सा आ रहा था लेकिन लडकी की मीठी और प्यारी आवाज सुन सारा गुस्सा जाता रहा.

शांति ने बड़े प्यार से बीस साल की रौशनी को समझाया, “देखो बहन, तुम मुझसे उम्र में छोटी ही होगी इसलिए तुम्हें समझाये देती हूं, आज के बाद तुम इन्हें फोन न करना, अगर तुमने फोन किया तो इनकी गृहस्थी बिगड़ जाएगी, ये दो बच्चों के बाप हैं, अब खुद सोचों अगर तुम्हारे मर्द से कोई इस तरह फोन करता तो तुम क्या करतीं.”

बीस साल की रौशनी पूरी खिलाडी थी, बोली, “देखिये मैडम फोन आपके पति ने किया था, कहते थे में कुंवारा हूँ, मुझसे शादी करलो, अगर ये मुझे बता देते कि में शादी शुदा हूँ तो में इनसे फोन पर बात ही क्यों करती, अब तुम अपने पति को सम्हालों, में फोन काटती हूँ.”

इतना कह बीस साल की रौशनी ने फोन काट दिया. शांति के दिल में जोरदार अशांति पैदा हो गयी, उसे सबसे बड़ा गुस्सा इस बात पर आ रहा था कि संतोष ने फोन वाली लडकी को बताया था कि वो अभी तक कुंवारा है, शांति फुंफकारते हुए बोली, “क्या कहते थे उस लडकी से कि तुम अभी तक कुंवारे हो, फिर में किसकी बीबी हूँ और ये बच्चा किसका है, में अब तुम्हें बताउंगी कि तुम कौन हो, आज से तुम्हारा फोन रखना तो बंद है ही साथ में एक टाइम का खाना भी बंद.”

संतोष के जबड़े चरमरा गये, बड़ी मुसीबत में फंसा दिया था बीस साल की रौशनी ने, वो शांति की तरफ हाथ जोड़ गिडगिडा कर बोला, “शांति तुम्हारी कसम खाकर कहता हूँ में किसी से शादी नही करने वाला था, तुम मुझपर भरोसा तो करो, अरे लल्लन तुम ही समझो न अपनी भाभी को.”

संतोष ने लल्लन के पाले में गैंद फेंक दी, लल्लन ने मजबूरी में शांति को समझाना शुरू किया, “भाभी ये कोई सचमुच की लडकी नही होतीं, ये विदेशों में बैठी लडकियाँ यहाँ के मर्दों को ठगने का धंधा करतीं हैं, उनके घर बिगड़वाती हैं, आप अगर उस लडकी की बात में आ संतोष भाई से लडोगी तो उनका मकसद पूरा हो जायेगा, यही तो चाहती हैं ये लडकियाँ.”

शांति को थोड़ी शांति मिली, उसका पारा एकदम से गिर गया, उसने संतोष की तरफ मोबाइल बढ़ा दिया और बोली, “आज रख लो लेकिन आगे से ध्यान रहे, अगर किसी लडकी के जाल में फंसे तो तुम्हारी ख़ैर नही, जीना हराम कर दूंगी तुम्हारा.”

इतना कह शान्ति अपने काम में लग गयी, संतोष ने साँस में साँस ली. लल्लन भी संतोष की तरफ तिरछी नजरों से देख रहा था, मानो कह रहा हो कि आज तो बच गये लेकिन अब कोई चक्करबाजी की तो ख़ैर नही होगी. संतोष भी राहत की साँस ले रहा था, बीस साल की रौशनी की धोखेबाजी उसे नागवार गुजर गयी थी, इस मोबाइल के झंझट में बिनाबात की मुसीबत खड़ी हो गयी थी.

[ समाप्त ]