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कशिश - 4

कशिश

सीमा असीम

(4)

सबने राघव को मनाया और वे चलने को मान गए ! हर बात मे आगे आगे रहने वाले कमल जी कि इच्छा थी कि वे सबको बोटिंग कराएंगे ! अरे इससे अच्छी और क्या बात हो सकती है ! खुशी और मस्ती से लबरेज वे सब खुशी से चहक पड़े ! वे सब 50 के करीब लोग थे और उन सबका एक ही बोट मे आना संभव ही नहीं था ! दो बोट की गयी और संजोग देखिये कि राघव उसकी ही बोट में और उसके बराबर वाली सीट पर बैठ गए ! सुबह के करीब 10 बज रहे थे ! सूर्य देव अपने दर्शन देकर बदलियों के पीछे जाकर छुप गए थे ताकि सब अपनी छोली खुशियों से भर ले ! मौसम खूब सुहावना हो गया था ! हल्का अंधेरा और बहती हुई ठंडी हवाएँ जो बोटिंग का आनंद कई गुना बढ़ा दे रही थी ! पारुल आज खूब खुश थी ! उसे पहली खुशी यह थी कि उसने लाइफ का बहुत ही सुंदर अनुभव किया था, दूसरा आज शाम की ट्रेन का घर वापसी का टिकिट भी था !

यह टिकट भी प्रकाश ने जबरदस्ती से कराया था और कहा कि जब भी कहीं जाना हो पहले अपना टिकट बुक कराओ, तब जाओ, देखना फिर तुम्हें कितनी सहूलियत रहेगी, भले ही एक दो घंटे का ही सफर क्यों न हो ! प्रकाश उसकी हर तकलीफ का ख्याल रखते हैं लेकिन एक वो है कि उन्हें घास तक नहीं डालती ! हाँ वो उनको अपना सच्चा और अच्छा मित्र मानती है लेकिन जो फीलिंग उनके मन में हैं उस फीलिंग को वो चाह कर भी अपने मन में नहीं ला पाती !

नाव नदी के बीचो बीच आ गयी थी और पारुल की खुशी भी कई गुना बढ़ गयी थी उसने अपना हाथ नदी में लहरों के बीच डाल दिया ! लहरें बोट से टकरा टकरा कर खुश होकर उन पर अपनी अपनी पानी की छींटे उछाल उछाल कर उन्हें अपने आशीर्वाद से नबाज़ रही थी !

ये पारुल जरा संभल कर बैठो, कहीं ऐसा न हो कि तुम इन लहरों के संग नदी में बहने लगा वैसे ही इतनी हल्की फुल्की हो ! राघव ने ज़ोर से ठट्ठा मार कर हँसते हुए कहा !

तो क्या हुआ बह जाने दीजिये ! यह जीवन भी तो बहाव मांगता है ! रुक जाना, थम जाना कोई जीवन थोड़े ही न होता है ! पारुल भी मुस्कुराती हुई बोली !

अच्छा, अगर डूब गयी तो ?

तो डूब जाऊँगी, क्योंकि अगर डूबी तो भी कुछ न कुछ खोज कर ही आऊँगी, खाली हाथ नहीं आऊँगी बाबा !

वाह पारुल कितने सयानेपन की बातें करती हो !

यह सयानापन क्या होता है ?

समझदारी !

मैं और सयानी ! वो ज़ोर से खिलखिला कर हंस दी !

लहरों को हाथ से उछालती मस्त पारुल ने जब देखा कि राघव एकटक और चुपचाप उसे ही देख रहे हैं तो वो एकदम से शरमा गयी ! इतने दिनों से एक बार भी राघव को इस नजर से देखते हुए नहीं देखा था और शांत रहना तो उन्हें बिल्कुल आता ही नहीं है ! किसी न किसी से बराबर कोई बात करना उनकी आदत में शुमार था ! वे उससे भी तो बराबर बातें करते हुए ही आ रहे थे ! न जाने कहाँ कहाँ की बातें ! फिर यह अचानक से चुप्पी कैसी ?

बराबर में बैठी तमिल महिला बोल पड़ी ! देखना पारुल, यह जो राघव सर हैं न, वे तुझे एक दिन में ही सब पढ़ा लिखा कर होशियार बना देंगे !

उनके यह बोलने पर भी राघव को कोई फर्क नहीं पड़ा, वे उसी तरह से लगातार उसे देख रहे थे !

एक बात बताइये ? पारुल बोली !

हाँ हाँ पुछो ! पारुल के सवाल पर वे चौंक गए और थोड़ा झेंपते हुए बोले !

यह नदी इतना कल कल करती हुई तेजी से दौड़ती हुई कहाँ भागी जा रही है ! पल भर को भी इसमे ठहराव नहीं ! दिन रात एक सी मस्ती में !

अपने प्रिय से मिलने की आस लिए है न, सो इसकी चाल नहीं थमती !

ओहह इतनी बेचैनी, इतनी लगन !

हाँ यही होती है किसी अपने प्रिय से मिलने की तड़प !

उसे राघव की यह बाते कुछ समझ तो नहीं आई पर ज्यादा कुछ पूछने का मन ही नहीं हुआ !

पारुल तुमने यह नहीं पूछा, कौन है इसका प्रिय ?

हूँ ... आप ही बता दीजिये न, मुझे नहीं पता ! क्या नदी का भी कोई प्रिय होता होगा या नदी भी किसी को प्यार करती होगी ! उसने मन ही मन सोचा !

तुम खुद ही एक दिन जान जाओगी ! कहकर वे चुप हो गए !

पारुल फिर नदी की लहरों में अपना हाथ डाल कर उनसे खेलने लगी !

नीचे से नदी की शीतलता और ऊपर से सूर्य देव की कृपा से मंद मंद बहती हुई शीतल ठंडी हवाए ! वाकई आज का दिन बेहद खुशगवार था ! पूरे एक घंटे तक बोटिंग करने के बाद वे लोग पार उतर गए ! अब इधर से वापसी पुल के ऊपर से करेंगे ! सब बड़ी मस्ती में थे !

नदी पार करके मंदिर में दर्शन किया फिर सब चाय पीने को रेस्टोरेन्ट में जाकर बैठ गए ! खूब बड़ा सा रेस्टोरेन्ट जिसमे एकसाथ करीब 100 लोग आसानी से बैठ जाएँ ! उसकी सफेद दीवारों को खाने पीने के चित्रों से सजाया गया था ! लड्डू जलेबी,लस्सी, चाय, समोसे, पाव भाजी, चाउमीन, छोले भटूरे आदि ! इतने जीवंत चित्र कि देखकर ही खाने का मन कर जाये !

राघव ने सबके लिए चाय और हल्के फुल्के स्नेक्स का ऑर्डर कर दिया !

मैं चाय नहीं पियूँगी ! मेरी चाय का मना कर दीजिये !

तो क्या पीना है, काफी ?

नहीं काफी भी नहीं !

तभी प्रकाश बोल पड़े थे, चुपचाप से चाय या कोफ़्फ़ी पी लो, नहीं तो फिर सरदर्द की शिकायत करोगी ! कितना अपनापन दिखाते हैं यह प्रकाश और वो उन्हें कुछ समझती ही नहीं !

ये प्रकाश भी न बात बात पर उस पर अपना हक जताते रहते हैं, टोकते रहते हैं, चाहें वो उनकी बात सुने या न सुने ! लेकिन वे सही ही तो कहते हैं आज तक कभी कोई गलत बात कही ही नहीं फिर वो न जाने क्यों उन्हें गलत समझती है !

ठीक है फिर मैं चाय ही पी लूँगी !

हाँ देखो, यह हुई न बात,,! एकदम से राघव बोल पड़े !

वाकई इलायची अदरख वाली स्वादिष्ट चाय पीकर मूड एकदम से फ्रेश हो गया ! थकान की बजह से तन मन थोड़ा बोझिल हो गया था ! वो अब फिर खुशी से लबरेज,, !

राघव अपने आईपैड से खूबसूरत जगहों और नजारों के फोटो खीचने में लगे थे !

आ जा पारुल तेरे भी यादगार फोटो खींचकर तुझे देता हूँ !

पारुल और भी खुश ! अलग अलग और नए नए अंदाज में फोटो खिचाना उसे सबसे ज्यादा पसंद है वैसे भी अगर हम कही जाते हैं तो उन यादों को अपने कैमरे में कैद कर लाते हैं तो वे यादें तब तब ताजा हो जाती हैं जब जब हम उन फोटोस को देखते हैं !

जी ! कहकर वो उनके साथ बाहर आ गयी !

रेस्टोरेन्ट के बाहर एक खूब बड़ा सा टेड़ी रखा हुआ था अलग तरह का ! उसके साथ सभी ने अपने चित्र लिए ! उसके भी सारे क्लिक्स राघव के आई पैड मे कैद हो गए थे !

घर जाकर तेरे सारे फोटोस भेजता हूँ !

हाँ हाँ, आराम से कोई चिंता की बात नहीं है !

फोटोग्राफी हो गयी हो तो अब चला जाये ! प्रकाश ने टोका ! शायद उनको पारूल का इस तरह से राघव के साथ घुलना मिलना और हँस हँस के बतियाना अच्छा नहीं लग रहा था !

चल रहा हूँ यार ! फिर बार बार तो यहाँ आना होगा नहीं ! राघव ने कहा !

वापसी में किसी का बोट से जाने का मन नहों था क्योंकि अब सब लोग उस हिलते हुए पुल से वापस नदी पार करना चाहते थे अधिकतर लोगों की यही मंशा थी तो उनकी बात मानी गयी और उस हिंडोले जैसे हिलते हुए पुल से सरसराती हुई तेज बहाव वाली नदी के चौड़े पाट को पार करने के लिए आ गए ! उसे बहुत डर लग रहा था कोई उसका हाथ पकड़ ले या वो खुद ही किसी का हाथ पकड़ ले लेकिन किसका ? अगर प्रकाश का पकड़ती है तो वे बहुत खुश हो जाएँगे और उंगली पकड़ कर पहुंचा पकड़ने वाली बात तक आ जाएंगे ! राघव न जाने कैसे उसके मन के भाव जान गए और उससे बातें करते हुए साथ साथ चलने लगे ! पता नहीं कहाँ कहाँ की बातें पूरी सभ्यता के साथ ! वे बस उसका ध्यान बटा रहे थे ताकि उसे डर न लगे ! तब तक तमिल से आई औंटी भी साथ मे आ गयी थी ! पारुल ने उनका हाथ पकड़ लिया उनको भी सहारा हो गया और पारुल का डर भी छूमंतर ! पारुल ने उस नदी के ऊपर से गुजरते हुए महसूस किया कि इस नदी मे कितना कोलाहल है अंदर न जाने कितनी बेचैनियां हैं ! पता नहीं क्यों और किसलिए यह इतनी तेजी से भागती जा रही है ...

राघव अभी भी अपनी पूरी रौ में बोले जा रहे थे ! हर बात बड़ी समझदारी और ज्ञान से भरी हुई ! वैसे कहते भी तो हैं न कि एक किताब पढ़ने से अच्छा है कि किसी इंसान को पढ़ा जाए ! इस तरह से राघव वाकई ज्ञान का कोई पिटारा से ही लगे थे !

दोपहर होने लगी थी और आज ही सबको वापस भी जाना था पारुल की भी ट्रेन का समय चार बजे का था !

बस में भी राघव उसके बराबर वाली सीट पर बैठे ! यहाँ पर भी दुनियादारी की न जाने कितनी बातें समझा रहे थे ! यह समझो कि उन्होने उसके मन में अपनी बेहद खास छवि बना ली थी ! जैसे पूरी दुनिया में उन जैसा वाकई कोई दूसरा है ही नहीं ! पारुल ने सोचा इनसे कहे कि आप इतने अच्छे हो फिर आपके दोस्त प्रकाश क्यों ऐसे हैं लेकिन कुछ सोचकर चुप ही रही ! वैसे देखा जाये तो प्रकाश भी बुरे इंसान नहीं हैं लेकिन जिसकी जैसी छवि मन में बन जाये कुछ कहा नहीं जा सकता ! कौन मन को अच्छा लगने लगे और किसकी बातें दिल को छु जाएँ ! आखिर यह दिल ही तो है मासूम सा दिल और इस पर किसी का बस नहीं यह दिल वाकई बेबस कर देता है ! बस से नीचे उतरते ही वो उसको एक पेड़ के नीचे ले जाकर बोले, अच्छा बताओ यह किस चीज का पेड़ है ?

वो शहर में पली बढ़ी कभी किसी गाँव मे नहीं गयी और बस दो चार पेड़ों के ही नाम पता थे ! जैसे नीम, पीपल, बरगद आदि !

अभी तुम्हें कुछ भी नहीं आता ! बहुत कुछ सीखना पड़ेगा ! चलो इस बार कहीं जाने का हुआ तो तुमको बताऊँगा ! किसी ऐसी जगह जहां सिर्फ प्रकृति हो, हरियाली हो क्योंकि प्रकृति से ज्यादा कोई नहीं सिखा सकता वो हमारी सबसे बड़ी गुरु है, वो हमें ज़िंदगी जीना सिखाती है !

ठीक है ! उसके मन में आगे के लिए ख्वाब जगा दिया था ! एक सुंदर दुनिया का ख्वाब ! सच में यह ख्वाब ही तो हमें जीना सिखाते हैं ..जीने की वजह देते हैं 1

ट्रेन का समय चार बजे का था तो उसके जाने का समय हो गया था ! वो सबसे मिलने के बाद अपना समान लेकर बाहर निकल आई ! वहाँ पर प्रकाश उसका इंतजार कर रहे थे !

पारुल संभाल कर जाना और अपना ध्यान रखना ! आई लव यू !

उफ़्फ़ ! यह प्रकाश तो उसके पीछे ही पड गए हैं ! जब देखो तब उसे इंप्रेस करने में लगे रहेंगे ! उसकी नजरें तो राघव को ढूंढ रही थी, पर वे उसे कहीं भी नजर नहीं आए थे ! न जाने कैसा सम्मोहन सा था उनकी बातों में कि मन खिंचा जा रहा था जैसे चुम्बक लोहे को अपनी तरफ खींचती है कुछ इसी तरह से !

ट्रेन की रिजर्व सीट पर लेटते ही मन में सकूँ सा मिला था कोई फिक्र नहीं ! वो आराम से लेट गयी और बीते दिनों के बारे मे सोचने लगी कि कितने खास और यादगार दिन थे ! उसके ख्याल से उसकी जिंदगी के अब तक के बेहद खास दिन ! अब शायद किसी से मिलना हो या न हो लेकिन हर किसी की छवि मन के एक कोने मे अंकित हो गयी है जो आजीवन बनी रहेगी !

घर पहुँच कर सामान्य जीवन शुरू हो चुका था ! राघव ने उसके फोटोस मेल कर दिये थे और उससे कभी कभार फोन पर बात भी हो जाया करती थी ! वो उनसे हर तरह की बातें खुलकर करने लगी थी ! जिस दिन बात नहीं होती, मन एकदम से उखड़ा उखड़ा सा रहता ! इसलिय वो स्वयं ही उनसे फोन मिलाकर बात कर लेती ! वहाँ से जब से आई थी तबसे एक बार भी प्रकाश से उसने बात नहीं की थी !

***

एक दिन प्रकाश का ही फोन आ गया खूब सारी बातें की और एक शिकायत भी कि तुम अब मुझे कभी याद भी नहीं करती और न कभी फोन लगता है, तुम बदल गयी हो !

उसने हँसकर बात टाल दी !

उन्हें कैसे बताती कि उसका दिल तो राघव से बात करने का करता है ! तुम्हारे प्रति मन में कोई भावना ही नहीं है !

सच में राघव ने उसके दिल में एक खास जगह बना ली थी !

जबकि प्रकाश अपनी तरफ से उसे हर तरह से पाने की कोशिश कर रहा था !

एक दिन वो सच में बेहद परेशान थी उसका मन था कि वो अपने मन कि बातें किसी से कह दे लेकिन किससे ? राघव ! एकदम से राघव का ख्याल ही मन में आया ! वो सच मे बहुत पागल थी किसी कि भावनाओं की कदर न करके उसके प्रति अपने मन गलत धारणा बना बैठी थी !

राघव मैं आज सच मे बहुत परेशान हूँ !

क्यों ? क्या हुआ ?

कुछ नहीं, बस प्रकाश ने मेरा जीना मुश्किल कर रखा है !

अब तू बिलकुल भी परेशान मत हो ! मैं हूँ न तेरे साथ ! फिर कभी परेशान करे तो तुझे साथ ले जाकर उसके घर पर उसे मार कर आऊँगा !

राघव की बातों से कितनी हिम्मत आ गयी थी ! कोई तो है अपना, जिससे अपनी हर परेशानी कही जा सके और वो उसकी परेशानी चुटकियों मे दूर कर दे !

वो बहुत खुश थी बहुत ही ज्यादा ! उसने हाथ उठाकर ईश्वर को थैंक्स कहा ! फिर सर झुककर नमन किया आखिर उसकी ज़िंदगी मे खुशी का संचार हो ही गया था ! माँ से बच्चे की कोई बात नहीं छुप सकती सो इतना खुश देखकर माँ ने पूंछ ही लिया, “बेटा बड़ी खुश नजर आ रही हो कोई खास बात” ?

अब माँ को क्या बताए कि खास नहीं बल्कि बेहद खास बात है कोई ऐसा उसकी ज़िंदगी में आ गया है जो उसके लिए खुशियों का खजाना ले आया है !

अब सुबह की गुड मोर्निग से लेकर रात की गुड नाइट तक एक एक बात शेयर होने लगी ! इतना बिजी वो पहले कभी नहीं थी जितना कि इन दिनों हो गयी थी ! न खाने की फिक्र न सोने की चिंता अगर किसी बात की फिक्र थी तो बस यह कि अरे राघव ने मेसेज का रिप्लाय नहीं किया ! क्या हुआ होगा ? कहाँ होगा ? कैसा होगा ?

और तब तक चैन नहीं पड़ता, जब तक उसका मेसेज नहीं आ जाता !

यही हाल राघव का भी था क्योंकि अक्सर ऐसा ही होता है, जैसा हम किसी के लिए सोचते हैं, ठीक वैसा ही वो भी हमारे लिए सोचता है ! न जाने यह कैसा मन से मन का कनेकशन है !

मेसेज पर बात करते हुए फोन करने की तड़प उठती और फोन पर बात करते हुए मिलने की कसक जाग उठती !

एक बार बात करते हुए वो यूं ही बोलते बोलते काश शब्द का यूज कर रही थी तो राघव ने फौरन टोंका था ! देखो, सुनो पारुल, अब तुम मेरी दोस्त हो इसलिए आज से इस काश शब्द को अपने दिलोदिमाग से निकाल दो !

मतलब ?

मतलब यह कि अब मैं हूँ न तेरे साथ, जो चाहोगी वही होगा इसलिए अब कभी काश शब्द न आये ! इतनी बड़ी बात राघव ने कितनी आसानी से कह दी ! उसे खुद पर बड़ा घमंड सा हो आया, अरे क्या यह कहीं ईश्वर तो नहीं ?

उसके मन में उसके प्रति अथाह श्रद्धा का भाव भर गया ! वो सच में उसे ईश्वर मानकर मन ही मन पूजने लगी ! कभी ईश्वर से कुछ भी नहीं मांगा था, अब हर समय एक ही दुआ जुबां पर रहती कि उसे राघव से मिला दे !

राघव को घूमने का बेहद शौक था ! वो अक्सर अपने दोस्तों के साथ प्लान बनाता और घूमने निकल पड़ता ! इस बार भी वो पूरे 8 दिनों के लिए घूमने जा रहा था ! अब कैसे रहूँगी उससे बात किए बिना ! दिन तो बातों के सहारे कट जाता है और रात उन बातों को याद करने के सहारे ! मन व्याकुल सा हो गया ! लगा अभी आँसू आँखों से झलक पदेगे ! सच में ये आँसू कितने अनमोल होते हैं लेकिन हम इनकी कोई कीमत ही नहीं समझते !

राघव हम आपस में बातें कैसे कर पाएंगे ? आखिर उसने कह ही दिया ! तुम कहीं भी जाओ पर हमेशा ऑन लाइन बने रहो ! पता है तुम्हारे ऑन लाइन होने से या ग्रीन लाइट जलती देखकर ही मेरा मन सकूँ से भर जाता है !

अरे पागल ऐसे थोड़े ही न होता है ! मैं वहाँ घूमने जा रहा हूँ कोई एक जगह बैठने थोड़े ही न ! फिर मात्र 8 दिनों की ही तो बात है !

कितनी आसानी से कह दिया, मात्र 8 दिन ! राघव यह तुम्हारे लिए मात्र 8 दिन हो सकते हैं मुझसे पूछो जब एक एक पल तुम्हारे बिना काटना मुश्किल होता है ! वो मन ही मन बुदबुदाई !

चलो ठीक मैं आपको ऑफ लाइन मेसेज करूंगी, जब आपको दिख जाए और समय हो तब आप रिप्लाय कर देना !

ठीक है बाबा ! अब तो खुश !

हाँ जी !

राघव घूमने चले गए थे ! वे 8 दिन कितनी मुश्किल में कटे थे सिर्फ वही समझ सकती थी ! जब कभी राघव का मेसेज आ जाता तो मानों जिस्म में जान आ जाती वरना यूं ही बेजान सी पड़ी रहती !

उस दिन पापा मम्मी से कह भी रहे थे आजकल क्या पारुल की तबियत ठीक नहीं है ? हर समय उदास परेशान सी अपने कमरे में ही रहती है !

हाँ मुझे भी यही लगता है ! या शायद अपनी पढ़ाई में लगी है कंपटीशन की तैयारी इतनी आसान नहीं है, रात रात भर जागती है !

अब मम्मी को कौन समझाये कि यह रात भर जागना पढ़ने की वजह से नहीं बल्कि कोई उसकी नींद चुराकर ले गया है !

उस दिन राघव का पूरे दिन मेसेज नहीं आया ! वो बेहद परेशान दुखी ! क्या करे? किससे कहे यह बातें, किसी से कह भी तो नहीं सकती, ऐसी कोई राजदार सहेली भी नहीं जिससे सब बातें कह कर मन को हल्का कर लिया जाये ! चलो ईश्वर से कहती है शायद वे ही उसकी बात उसके राघव तक पहुंचा दें !

वो मंदिर गयी माथा टेका और मन ही मन ईश्वर से पार्थना कर रही थी तभी राघव का फोन आ गया ! अरे राघव आप ?

आपको पता है ? मैं इस समय मंदिर में हूँ ?

हाँ भाई पता है मुझे सब कुछ पता होता है !

अरे वो कैसे ? पारुल चौंकते हुए बोली !

मुझे फोन पर मंदिर की घंटियाँ बजने की आवाज आ रही है !

हा हा हा ! वो खिलखिला कर हंस पड़ी ! अच्छा तो यह बात है !

उसके सारे दुख, तकलीफ, दर्द न जाने कहाँ गायब हो गए मानों जैसे एकदम से कहीं छूमंतर छु हो गए ! मानों उनकी आवज में कोई जादू हो !

सुनो पारुल इस समय मैं यहाँ एक दोस्त के घर पर हूँ !

अच्छा !

दोस्त का बड़ा सा घर है ! उसकी बीबी मैंके गयी है ! खुद खाना बना रहा हूँ उसे भी खिला रहा हूँ बड़ा खुश है कि तू आ गया तो पत्नी कि कमी नहीं खल रही !

हाहाहा, आपको खाना बनाना आता है !

अरे इसमे इतना चौंकने की क्या बात ! मुझे सब कुछ बनाना आता है !

अरे वाह ! आप तो ग्रेट हो 1

ग्रेट ब्रेट कुछ नहीं ! बस मर्जी का मालिक हूँ और हर काम पूरा मन लगा कर करता हूँ !

जी !

हाँ यार रोज नई नई डिश बना कर खिला रहा हूँ ! बड़ा खुश है दोस्त ! कहता है कि कभी बीबी ने भी ऐसा बढ़िया बनाकर नहीं खिलाया !

ठीक है न फिर तो ! आपके मजे हैं !

हाँ यार ! वैसे तू चिंता न कर, जब तू मिलेगी तब तुझे भी बना कर खिलाऊंगा !

अच्छा जी ! वो मुस्कुराइ ! आप तो सबका दिल जीतना जानते हो !

यार जहां जाता हूँ, वहाँ खुशियाँ बिखेर आता हूँ ! फिर यार लोग याद करके रोते हैं उनका दिल ले आता हूँ और अपना दे आता हूँ !

सच ही कहा आपने ! आप हो ही ऐसे ! एकदम ज़िंदादिल इंसान, जरा सी बात करके ही दिल खुश हो जाता है ! सारे गम और दर्द न जाने कहाँ गए, पता ही नहीं चलता !

क्या सोचने लगी ! कुछ नहीं बस यूं ही !

चल अब सोचना बंद कर और मंदिर में दर्शन करके घर वापस चली जा ! जल्दी लौटता हूँ फिर यहाँ के खूबसूरत फोटो भेजूँगा !

बस आप ही आ जाओ यही काफी है और कुछ नहीं चाहिए उसने अपने मन में कहा !

यार तू बोलती तो है नहीं कुछ !

जी ! कितना तो बोलती हूँ और कितना बोलुंगी ! फिर उसने मन मे कहा !

यह जी जी क्या करती है, लगता है तुझे बोलना भी सिखाना पड़ेगा !

हाँ ठीक है आप सब कुछ सीखा दो, मैं सब सीख लूँगी जो भी आप सिखाएँगे !

चल तुझे एक दिन यहाँ भी लेकर आऊँगा तू देखती रह जाएगी यहाँ के सुंदर नजारे !

अब वो क्या कहती ! उसे तो वह हर जगह खूबसूरत और सुंदर लगेगी जहां आप होगे क्योंकि आपका होना ही उस जगह की सुंदरता को बढ़ाने के लिए काफी होगा !

चलो ठीक है, ओके !

जी ओके ! कितने अपनेपन के साथ बात करते हैं राघव कि लगता है जैसे वे दोनों एक दूसरे को कई जन्मों से जानते हैं!

मंदिर में दर्शन करके वो वापस लौट आई थी ! आज उसे अहसास हो गया था कि अगर हम सच्चे दिल से ईश्वर से कुछ भी मांगे तो हमे जरूर मिलता है ! भले ही ईश्वर के घर में देर है पर अंधेर नहीं, यहाँ एकदम सच्चा न्याय होता है !

घर आकर वो बड़ी खुश थी ! उसने टीवी पर तेज आवाज में गाने लगाए और देखने बैठ गयी उसका जी चाह रहा था कि वो नाचने लगे ! यह मन भी कितना पागल होता है पल भर में इतना खुश और पल भर में इतना दुखी ! वैसे खुशियाँ तो छोटी छोटी ही होती हैं बस हमें उनको समेटना और सहेजना आना चाहिए !

क्या बात पारुल, आज तो बड़ी तेज आवाज में गाने सुने जा रहे हैं !

आज मन किया !

कोई खास कारण !

ओफफो मम्मा, आपको तो खास कारण ही नजर आता है ! वो उनके गले से जाकर लिपट गयी !

अब यह बटरिंग किसलिए ?

यह बटरिंग नहीं है बस अपनी मम्मी पर प्यार आ रहा है !

हाँ कभी कभी इस उम्र में ऐसा होता है !

हाँ मेरी मम्मा तो बहुत समझदार हैं !

नहीं होना चाहिए क्या समझदार ?

क्यों नहीं आखिर आप हमारी मां हो !

बेटा, तेरी इसी उम्र से गुजर कर आई हूँ फिर तेरी मा बनी हूँ !

अच्छा मेरी प्यारी मम्मा !

माहौल बहुत खुशनुना हो गया था ! वैसे भी जब हम खुश होते हैं न, तो यह दुनिया बड़ी प्यारी लगने लगती है ! होता भी तो यही है ! सब हमारे नजरिए पर ही .डिपेंड करता है !

***