Kashish - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

कशिश - 1

कशिश

सीमा असीम

(1)

गर न होते आँसू आँखों में

खूबसूरत इतनी आँखें न होती

गर होता न दर्द दिल में 
कीमत खुशी की पता न होती

जीवन में आगे आने की चाहत न होती

गर होता मन में सकूँ औ करार

वक़्त ने हमको क्या दिया क्या नहीं
कभी रब से कोई शिकायत न होती

हवाई जहाज ने दिल्ली शहर के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से गुवाहाटी की ओर उडान भरी तो पारुल को लगा, हम सच हैं बिल्कुल सच और हमारा प्यार भी एकदम सच्चा है तभी तो हम हमेशा क्षितिज पर ही मिलते हैं ! उसने पास में बैठे राघव का हाथ थाम लिया और राघव ने उसके सर को अपने कंधे पर टिका कर अपना एक हाथ उसके गाल पर रख दिया, मन को एकदम से सकूँ का अहसास हुआ, वो सब तकलीफ़ें, परेशानियाँ जो इतने दिनों से अकेले सह रही थी, वे न जाने कहाँ चली गयी, पता ही नहीं चला !

हर समय बस राघव का ख्याल उसे परेशान करता था कितनी मुश्किल से एक एक दिन कटता था उसके मिलने के इंतजार में ! सोचती थी कि इस बार मिलेगी तो सब परेशानी तकलीफ दर्द सब कह देगी लेकिन राघव के मिलने भर से सब भूल गयी, कुछ भी याद नही रहा, पल भर में दिल खुशी से भर उठा ! उसने अपनी आँखें बंद कर ली और उसका मन पिछली उड़ान पर जाकर विचरण करने लगा ! वो उस की पहली उड़ान थी साथ में राघव और प्लेन के साथ साथ उड़ान भर रहे उसके आराध्य सूर्य देव भगवान भी थे ! उसे बहुत डर महसूस हो रहा था न जाने कैसा लगेगा, कहीं दिल न घबराए ! कहीं कोई और दिक्कत न हो जाए लेकिन राघव ने उसके हाथ को कसकर पकड़ते हुए कहा, कि तुम क्यों चिंता कर रही हो, मैं हूँ न तेरे साथ !

सही कहा था राघव ने कि वो तो हैं उसके साथ, बस उनका होना ही काफी है मन में कितना विश्वास भर गया था और फिर पूरे रास्ते उसने हाथ पकड़े रखा था ! वे नीचे की तरफ इशारा करके दिखाते भी जा रहे थे कि देखो हम बादलों से ऊपर उड रहे हैं ! हाँ वाकई सफ़ेद काले बादल हमसे कितना नीचे हैं ! आज मैं ऊपर आसमा नीचे, आज मैं आगे जमाना है पीछे ! यह गाना वो मन में गुनगुना उठी ! वैसे भी मन तो राघव से मिलने के कारण पहले से ही गुनगुना ही रहा था ! अपने प्रिय के साथ पहली उड़ान और वो भी आसमाँ तले !

देखा, हवाई जहाज मे कोई डर थोड़े ही न लगता है ऐसा लगता है मानो हम बस में बैठे हैं ! लग रहा है न ?

हम्म ! उसने हल्के से कहा था !

चलो भई, अब जग जाओ !

अरे भाई मैं जागी हुई ही हूँ !

तो फिर कहाँ खो गयी थी ? मुझसे बात करो न !

कितनी बातें करूँ उसका तो दिल कर रहा था कि वो आंखे बंद करके बस राघव को महसूस करती रहे ! कितनी दुआओं और मन्नतों के बाद तो राघव का साथ पाया है ! सूर्य देव भगवान लगातार उनके प्यार के साक्षी बन कर उनके साथ चल रहे थे ! उसे खुद पर गर्व हुआ कि जब साक्षात ईश्वर ही उसके प्यार को मिलाने ले जा रहे हैं तो दुनिया की कौन सी ताकत उन्हें कभी जुदा कर पाएगी ! वो तीन घंटे का हवाई सफर कब पूरा हो गया कोई अहसास ही नहीं हुआ ! दोपहर के ठीक 12 बजे उनकी फ्लाइट ने गुहाटी के एअरपोर्ट पर लेंड़ कर लिया ! अनोखी खुशवू और बेहद सुखद अहसास उन दोनों के बीच पसरा हुआ था ! अचानक से राघव ने लगेज बेल्ट के पास उसका हाथ अपने हाथ ले लिया और बोले, लगता है तुम बहुत जिद्दी हो !

आप ऐसे क्यों कह रहे हैं ?

वो इसलिए कि तुमने आखिर मुझे जीत ही लिया !

खैर, जिद्दी तो मैं बहुत हूँ क्योंकि मुझे जो चाहिए वो मैं पाकर ही रहती हूँ भले ही उसके लिए मुझे अपनी जान की बाजी ही क्यों न लगानी पड़ जाये !

हाँ जी, मैं समझ गया था और इसीलिये मैंने पूछा !

ओके बाबा ठीक है अब मेरा हाथ तो छोड़ो सब लोग देख रहे हैं !

देख रहे हैं तो देखने दो ! यही तो कहेंगे कि दो दीवाने एक शहर में !

राघव की दीवानगी देखकर पारुल मुस्कुरा दी !

एक शहर मे नहीं, गुहाटी में ! बड़े रोमांटिक लगते हैं जनाब ! कहते हुए उसे राघव से पहली मुलाक़ात याद आ गई ! जब पहली दफा सिगरेट के कश लेते हुए और छल्ले बनाकर मुंह से धुआँ निकालते देखा था तब उनको देखकर कोई भी उन्हें किसी मस्त और खुशदिल इंसान का ही दर्जा देता ! सफ़ेद कुर्ता पाजामा पहने चश्मे के भीतर से झाँकती लाल सुर्ख आंखे जो उनके व्यक्तित्व को बयां करने के लिए काफी था !

राघव ने जिस तरह से उसकी तरफ झाँकते हुए देखा और पूछा, क्यों भाई आ गयी न तुम ! कोई परेशानी तो नहीं हुई ! और हाँ तेरा समान कैसे निकल गया ?

वो कड़कती आवाज उसके डराने के लिए तो सही थी किन्तु प्यार से दो शब्द बोलने लायक या ढांढस बंधाने के लिए तो कहीं से भी सही नहीं लग रही थी !

हाँ ! वो सहमते हुए बस इतना ही कह पाई !

किसी भी चीज की अगर परेशानी हो तो बता देना !

बिल्कुल !

उसे लगता था कि एक पुरुष यूं ही सिंपैथी दिखाकर किसी भी लड़की का दिल जीतना जानते हैं ! वो चुपचाप खड़ी थी कि कोई लड़की दिख जाए तो वो उससे बाल बनाने के लिए कंघा तो मांग ले क्योंकि सफर के दौरान और पूरी रात में बालों का उलझ जाना स्वाभाविक था और पर्स के चोरी चले जाने से कंघा भी चला गया था ! वे भी बिना कुछ बोले यूं सिगरेट के छल्ले बना कर उड़ाते रहे थे ! हालांकि एसे लोग मन को लुभाते बहुत हैं ! थोड़े थोड़े गुंडे टाइप,मस्त मौला जैसे लोग !

तभी बराबर के कमरे से किसी महिला स्वर को सुनकर उसका ध्यान उधर चला गया था ! वो उधर चली गयी ! देखा एक पतली दुबली छरहरे बदन की लंबी सी लड़की अपने घने लंबे बालों को सुलझा रही थी ! उसे देखकर पारुल हौले से मुस्कुराई तो वो भी मुस्कुरा दी !

हाय ! कैसी हो ?

वो फिर से मुस्कुरा दी लेकिन कोई जवाब नहीं दिया ! पारुल को लगा शायद ये सुन नहीं पाती होगी !

वो मजे में यूं ही अपने बाल सुलझाती रही !

पारुल ने उसके कघे की तरफ इशारा करते हुए कहा, क्या मैं यह ले सकती हूँ ?

हाँ हाँ ! कहते हुए उसने अपने कंघे को उसकी तरफ बढा दिया था !

तब तक उसके पति बाशरूम से निकल कर आ गये थे !

पारुल ने अपना सिर झुकाकर उनको नमस्कार किया !

नमस्कार बहन, कैसी हो ?

मैं बढ़िया हूँ, आप कैसे हैं ?

ठीक ! कहाँ से आई हो आप ?

जी मैं उत्तर प्रदेश से और आप ?

हम लोग केरल से आए हैं !

ओहह, तभी इनकी पत्नी को हिन्दी समझने में प्रॉबलम हो रही होगी !

आपको हिन्दी ? पारुल ने हिचकते हुए कहा !

नहीं नहीं ! मुझे तो हिन्दी आती है ! मैं हिन्दी का ही टीचर हूँ ! हाँ मेरी वाइफ़ को हिन्दी बिल्कुल भी नहीं आती है !

अच्छा ! तभी उनको बात समझ नहीं आई होगी ! पारुल ने मन में सोचा !

मैं अभी अपने बाल सही करके आपको कंघा वापस कर दूँगी !

हाँ हाँ कोई बात नहीं ! आप आराम से वापस कर देना ! मेरे पास दूसरा एक और कंघा है !

वो वहाँ से अपने कमरे मे आ गयी ! बड़ा सा कमरा डबल बेड पड़ा हुआ उस पर दो तकिये और सुंदर सी एक चादर बिछी हुई किनारे से दो कंबल रखे थे ! एक तरफ को बड़ी सी अलमारी और उसमें ही ड्रेसिंग टेबल का शीशा लगा हुआ !

लगता है यहाँ पर रात में सर्द मौसम हो जाता होगा !

वैसे अप्रैल के महीने में काफी गर्मी होती है ! पारुल ने अपना बैग खोला और उसमें से कपड़े निकाल कर अलमारी में लगे हैंगर में सही से सजा दिये और खाली बैग उठाकर अलमारी के निचले हिस्से मे रख दिया !

कंघा वही पर रखकर सोचने लगी अगर मेरा पर्स चोरी नहीं जाता तो कितना सारा मेकअप का समान था ! वो उसे भी करीने से सजाती ! उसने एक गहरी स्वांस ली ! सब कुछ चला गया उसके पास तो इतने रुपए भी नहीं हैं कि वो कुछ खरीद सके ! चलो अब देखते हैं जो भी होगा ! अभी उस घटना को याद करके अपना मूड खराब नहीं करना चाहती !

उसने अपना लेपटाप बैग से निकाल कर वही मेज पर रख लिया और सोचने लगी कि अगर यह बैग न लाती तो उसका पर्स चोरी जाने बच जाता ! लेकिन पर्स तो चोरी जाना ही था और जाने वाली चीज के अपने आप पैर बन जाते हैं ! चाहें उसे कितना भी सभाल कर रखो ! खैर अब उसका क्या शोक मानना लेकिन ज़िंदगी भर अफसोस तो रहेगा ही करीब 50, 60 हजार रुपए कि चपेट लग गयी !

उसने अपने सिर को झटका देकर उस तरफ से मन हटाया और वाशरूम में जाकर फ्रेश होने लगी ! गीजर नहीं लगा था फिर भी टैब से गरम पानी की सप्लाई हो रही थी ! चलो अभी नहा भी लेती हूँ ! सफर की थकान कुछ कम हो जाएगी ! वो नहा कर अपने बाल सुलझा रही थी कि दरवाजे पर किसी ने नौक किया !

देखा तो प्रकाश बाहर खड़े हुए थे ! मोटा बदन, सफ़ेद बाल, आँखों में खुमार जैसा और मस्तमौला सा मन !

वाह पारुल, बड़ी प्यारी लग रही हो ! वे आगे बढकर उसे गले से लगाने लगे !

अरे अरे, यह आप क्या कर रहे हो ?

खूबसूरत परी को गले लगाने का हक भी हमें नहीं है ?

नहीं ऐसा नहीं है बल्कि मैं कंफ़र्ट फील नहीं कर रही !

लेकिन यहाँ हमारे सिवा कोई तीसरा भी तो नहीं है फिर कैसा अनकंफ़र्ट ?

प्लीज आप मुझे छोड़ो मेरा मन गवाही नहीं दे रहा !

लेकिन पारुल मैं तो तुम्हें बेपनाह मोहब्ब्त करता हूँ इसलिए कितनी मुश्किल से तुमसे कहने की हिम्मत जुटा पाया और इतनी कोशिशों के बाद बुलाया !

मैं भी तो कितनी मुश्किलों से यहाँ पहुँचीं हूँ लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि आपने अपना प्यार जताने के लिए बुलाया है !

क्या मतलब है तुम्हारा ?

तुम खुद समझो !

छोड़ो जाने दो ! तैयार होकर नीचे मेस हाल में आ जाओ ब्रेकफ़ास्ट रेडी है और वे मुड़कर वापस जाने लगे !

पारुल का मन पिघला लेकिन उसने मन को समझाते हुए कहा नहीं ये जायज नहीं ! पहले गले लगाना फिर और आगे बढ्ना ! क्योंकि यह प्यार मोहब्बत महज आकर्षण भी तो हो सकता है जो आगे चलकर मुकर जाये वो प्रेम कहाँ ? महज दिखावा या आकर्षण होता है !

***