The Lost Astronaut - Step in sun books and stories free download online pdf in Hindi

द लॉस्ट एस्ट्रोनॉट: स्टेप इन सन

द लॉस्ट एस्ट्रोनॉट

ज़रूरी सूचना-

यह कहानी केवल कल्पना पर आधारित हैं किसी भी वास्तविकता से इसका मेल केवल संयोग मात्र है, केवल मनोरंजन की दृष्टि से ही अध्ययन करें।

भाग 1

आज जैकोल काफी देर उठा से कल रात उसकी तबियत खराब होने की वजह से वह काफी देर से सोया था| उसकी मां ने उसे काफी मना किया की आज स्कूल न जाए लेकिन जैकोल किसीकी कहाँ सुनने वाला था आज उसके स्कूल में प्रोफेशर स्टीव जो आने वाले थे । जैकोल विज्ञान का क्षात्र था और अपने स्कूल में काफी प्रसिद्ध क्षात्र था उसकी काबिलियत उसके चेहरे से देखी जा सकती थी।हर बार की तरह इस साल भी प्रोफेशर स्टीव स्पीच देने के लिए उसके स्कूल में आने वाले थे जैकोल पहले भी कई बार प्रोफेशर स्टीव से अपनी पीठ ठुकवा चुके थे (शाबाशी ले चुके थे) सभी शिक्षकों को यह पता था की जैकोल काफी बड़ा वैज्ञानिक बनेगा। वह काफी रफ्तार से दौड़ते हुए अपने स्कूल की तरफ भाग रहा था काफी जल्द ही वह स्कूल के फाटक में खड़ा था। शुक्र है की प्रोफेशर स्टीव अभी तक स्कूल में नही आये थे। वह हाँफते हुए स्कूल के अंदर दाखिल हुआ। और अपनी क्लास में जाकर बैठ गया उस समय उनकी फिजिक्स यानी भौतिक विज्ञान की क्लास चल रही थी। 1 घंटे के क्लास के बाद आखिर कार प्रोफेशर स्टीव स्कूल में आये और हर बार की तरह विज्ञान पर भाषण और अपने अनुभव बताने लगे उन्होंने देखा हर बार की तरह जैकोल इस बार उत्साही नही लग रहा था। भाषण खत्म होने के बाद प्रोफेशर स्टीव ने जैकोल से पूछा की आज वह उदास क्यों है? उसने कहा की आज उसकी तबियत ठीक नही हैं और उसकी मां ने उसे स्कूल आने से मना भी किया था लेकिन वह जबरदस्ती स्कूल आगया, तो फिर क्यों आये स्कूल? पोफेशर स्टीव ने आश्चर्य से पूछा तो उसने कहा, की आज आप आने वाले थे प्रोफेशर और आपसे मिलने का, आपकी बातें सुनने का अवसर रोज़ रोज़ नही मिलता प्रोफेशर स्टीव यह जानते ते की जैकोल काफी होनहार क्षात्र हैं और विज्ञान में उसकी काफी रुचि हैं लेकिन इतनी? ये प्रोफेशर नही जानते थे। प्रोफेशर उसके अंदर एक महान वैज्ञानिक को देख रहे थे।जैकोल क्या तुम मुझसे पढ़ना चाहते हो? जैकोल को जैसे सांप सूंघ गया था, वह एक टक प्रोफेशर को देखे जा रहा था और थोड़ी देर रुकने के बाद बोलै आपके साथ पढ़ना तो शायद हर क्षात्र जो विज्ञान में रुची रखता हों आपसे जरूर पढ़ना चाहेगा, तो तुम रविवार से मेरे घर आना 11.00 मैं तुम्हे 06.00 बजे तक पढ़ाऊंगा तुम्हे मंज़ूर हैं? हैं जैकोल तो जैसे आसमान में उड़ने लगा।व हर रविवार को प्रफेशर स्टीव के घर में पहुच जाता था प्रोफेशर स्टीव जाने माने वैज्ञानिक थे उनके घर में उन्होंने एक व्यक्तिगत लेबोरेटरी बना रखी थी। जैकोल काफी आधुनिक रूप का ज्ञान ले रहा था प्रोफेशर स्टीव अपना अधिक से अधिक समय उसके साथ ही बिताते थे।उसने किसी को भी यह नही बताया था की वो प्रोफेशर स्टीव से व्यक्तिगत रूप से प्रशिक्षण ले रहे थे समय के चलते जैकोल नें 12वीं कक्षा में अपनी स्कूल में टॉप किया। 12वीं कक्षा में पास होने के बाद जैकोल को प्रोफेशर स्टीव ने अपनी कॉलेज में दाखिला दिलवा दिया। अब प्रोफेशर स्टीव के पास जैकोल को पढ़ाने के लिए समय ही समय था। अब प्रोफेशर स्टीव ने यह निश्चित किया की वो जैकोल को असली अपना इरादा बता देंगे। आज कॉलेज का पहला दिन था प्रोफेसर स्टीव ने अपने चहेते शिष्य का परिचय बाकी सभी प्रोफेशरो से करवाया। प्रोफेशर स्टीव अपनी बात कहने का अवसर ढूंढ रहे थे लेकिन उन्होंने देखा की जैकोल आज कॉलेज का पहला दिन होने की वजह से काफी व्यस्त था सो उन्होंने जैकोल से कुछ नही कहा।

अगले दिन कॉलेज खत्म हुआ जैकोल अपनी कुछ किताब लिए रास्ते से जा रहा था। उसका ध्यान अपनी आसपास की चीजों में नही था थोड़ी ही दूर में प्रोफेशर स्टीव एक बेंच में बैठे हुए थे वह एक छोटा से गार्डन था और उसके आसपास और भी कई सारे बेंच रखे हुए थे प्रोफेशर स्टीव अच्छी मौसम का आनंद ले रहे थे उन्होंने जैसे ही जैकोल को देखा उन्होंने जैकोल को आवाज़ दी और अपने पास बुलाया। कैसा रहा आज का दिन? प्रोफेशर स्टीव ने पूछा, काफी अच्छा था प्रोफेशर उन्होंने जैकोल की दिन भर की थकान हटाने के लिए काफी समय तक जैकोल से बात किया अभी तुम व्यस्त तो नही हों? प्रोफेशर ने पूछा, नही प्रोफेशर, जैकोल ने कहा, क्यों प्रोफेशर, कोई काम था? जैकोल ने पूछा, नहीं !!लेकिन तुम्हे अपने लेबोरेटरी में ले जाना था स्टीव ने कहा, जैकोल ने पूछा क्यों?

हाँ या न में जवाब दो, प्रोफेशर ने शांत स्वर से पूछा, नही में अभी आपके घर गया तो मुझे काफी देर हो जाएगी माफ करिये सर, कोई बात नहीं में तुम्हे यही बता देता हूँ, जी बोलिये जैकोल ने कहा।प्रोफेसर स्टीव ने लंबी सांस ली और कहा की अब में तुमसे जो कुछ भी कहूंगा वो ध्यान से सुनना, मैं बचपन से ही काफी बुद्धिमान था बिल्कुल तुम्हारी तरह, विज्ञान मेरे लिए सबकुछ था एक सफल वैज्ञानिक बनने का मेरा सपना कभी पूरा नही हुआ और मैं जनता हूँ की तुम्हे एस्ट्रोनॉट बनना हैं और स्पेस में जाना हैं लेकिन क्या तुम यह जानते हो की हर एस्ट्रोनॉट का यही सपना होता हैं लेकिन कौन कौन एस्ट्रोनॉट अपना यह सपना पूरा कर पाते हैं?तुम निश्चय ही प्रतिभाषाली विद्यार्थी हो लेकिन ज़रूरी नही हैं की तुम्हे स्पेस में जाने का अवसर मिलें! मैं जानता हूँ सपना पूरा ना होने पर कैसा लगता हैं मैं एक वैज्ञानिक बनना चाहता था हालांकि मैने पूरी पढाई की थी लेकिन सफल वैज्ञानिक नही बन पाया यही वजह हैं की आज में एक प्रोफेशर हूँ, तुमने निल आर्मस्ट्रांग का नाम सुना होगा स्टीव ने पूछा, हां सुना हैं जैकोल ने कहा, उन्होंने सबसे पहले चाँद में जाकर अपना नाम इतिहास में लिखवाया था, में चाहता हूँ की कुछ ऐसा ही तुम्हारे साथ भी हो जैकोल को समझ नही आया की प्रोफेशर आखिर कहना क्या चाहते हैं, जैकोल उनकी तरफ आश्चर्य से देख रहा था, मैं चाहता हूँ की तुम सूर्य पर जाओ।

जैकोल एक पल के लिए स्तब्ध रह गया उसके दिमाग मे कई तरह के सवाल उठने लगे लेकिन तुरंत ही उसने प्रोफेशर से कहा आपको मालूम नहीं की आज तक ऐसी कोई धातु नही बानी जो सूर्य का ताप सहन कर सके अगर बनी होती तो वैज्ञानिक कब से सूर्य में जा चुके होते, प्रोफेसर ने हल्के से मुस्कुराकर कहा तुमने जॉन जेम्स का नाम सुना हैं? स्टीव ने पूछा हाँ वो वैज्ञानिक जो कुछ रहस्यमयी तरीके से खोज कर रहा था लेकिन अचानक उसकी किसी ने हत्या कर दी, जैकोल ने कहा, वह मेरे पिता थे प्रोफेसर स्टीव ने कहा, मैं उस समय लगभग 8 वर्ष का था जब मैअपने पिता जॉन जेम्स को प्रयोगशाला में घण्टों प्रयोग करते देखता था

वो असाधारण वैज्ञानिक थे जो कई तरह के चीजों में काम कर रहे थे तुम्हे यह जानकर हैरानी होगी उन्होंने सन सूट नामकी एक धातु की सूट बनायीं थी जो आसानी से सूर्य का ताप झेल सकती थी। जैकोल कहानी की तरह सब कुछ एक दम ध्यान से सुन रहा था, जब उन्होंने हमारी सरकार को इस सूट के बारे में जानकारी दी तो वैज्ञानिकों को अपनी आंखों में यकिन नही हुआ मेरे पिता ने यह तय किया कि वो इस धातु का अपने लैब में सभी वैज्ञानिको व बड़े अधिकारियों के सामने प्रदर्शन करेंगे और उन्होंने एक खास मीटिंग में इसका प्रदर्शन भी किया, मेरे पिता ने वहां बैठे सभी वैज्ञानिको को आतविश्वास से कहा की कोई इसे 30 मिनट्स से पहले पिघला के बताये, हालांकि वह सूट केवल 30 मिनट्स तक ही ताप झेल सकता था लेकिन 30 मिनट्स तो तो 30 मिनट्स ही सही लेकिन सूर्य पर जाया तो जा सकता हैं। उन्होंने अपनी डायरी में इन सारी बातों का उल्लेख किया था लेकिन अफसोस उन्होंने वो धातु कैसे बनाई थी यह किसी को नही मालूम, मेरे पिता का यह सपना था की मैं सूर्य पर जाने वाला पहला मनुष्य बनूँ लेकिन यह सम्भव नही हो पाया लेकिन मैं चाहता हूँ की हम दोनों सन सूट वापस बनाएँ तुम और मैं मिलकर और तुम सूर्य पर जाओ! लेकिन आपके पिता की हत्या किसने की और क्यो?जैकोल ने पूछा? मेरे पिता बहुत विख्यात वैज्ञानिक थे उन्हें सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त थी एक दिन शाम को वो अपने लैब से काम कर के घर वापस लौट रहे थे उस समय भी वो किसी प्रोजेक्ट में ही काम कर रह थे हो सकता है की जिन लोगों ने उन्ह मार हो वो उस प्रोजेक्ट को चुराना चाहते हों शायद इसी कारण उन्होंने मेरे पिता की हत्या की थी में उस समय मैं केवल 8 वर्षीय बच्चा था। उन्होंने कैसे वह सूट बनाई थी बस हमें यही जानना हैं बाकी काम तो आसानी से हो जाएगा। आप चिंता न करें प्रोफेशर में जरूर इस चीज़ में काम करूँगा, लेकिन प्रोफेशर आप अकेले वह सूट नही बना सकते? तुम्हे क्या लगता हैं? मैं इतने दिनों से क्या कर रहा हूँ में पिछले 30 वर्षों से गुप्त रूप से इस सूट को बनाने का प्रयत्न कर रहा हूँ लेकिन मुझे सफलता नही मिली लेकिन अगर हम दोनों मिलकर काम करें तो शायद हमें काफी जल्द ही सफलता मिल जाए, और वैसे भी तुम यह जानते ही हो की हर दिमाग अलग ढंग से काम करता हैं तो हो सकता हैं जो में न सोच पा रहा हूँ वो तुम सोच लो। बिल्कुल प्रोफेशर जैकोल ने आत्म्विश्वास के साथ कहा।

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