Padmavati in Hindi Short Stories by Swati Grover books and stories PDF | पद्मावती

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पद्मावती

पूरे भारत में पद्मावती फिल्म को लेकर बवाल मचा हुआ था ! टी.वी पर वही खबरे बार-बार आ रही थी! और अपने घर में बैठी पदमा सोच रही थी , कौन थी यह रानी? मेरी तरह सुन्दर या मुझसे भी ज्यादा सुन्दर ? बड़ी बहादुर थी वो जो आग में जल गयी ! बारहवीं कक्षा तक पढ़ी पद्मा इसी बात पर इतरा रही थी कि उसका नाम ,रूप-रंग पद्मावती जैसा ही हैं, तो वो भी किसी रानी से कम नही हैं ! और लड़को की तो वैसे ही लाइन लगी हुई हैं !


अपने व्यक्तित्व पर इतराती हुई जब बालकनी में आई तो देखा कि सामने वाले घर का महेश उसे कुछ इशारे कर रहा था उसने एक तिरछी नज़र डाली और अंदर आ गयी ! और बड़बड़ाते हुए बोली कि " कहा महेश और कहा मैं, पद्मा जिसके लिए तो कोई राजारतनसेन ही आयेंगा नहीं तो वह कुंवारी ही रह जायँगी, यह महेश जैसे सड़क छाप आशिक से शादी नहीं हो सकती !"

पत्राचार से फॉर्म भरने जा रही पद्मा सोच रही थी कि क्यों बाबा पढाई पर इतना ज़ोर देते रहते हैं भला पद्मावती भी कभी पढ़ती थी ? मन ही मन कुढ़ती हुई जब यूनिवर्सिटी के दरवाज़े पर पहुंची तो देखा कि महेश अपने दोस्तों के साथ खड़ा उसका इंतज़ार कर रहा हैं ! "कमीना मेरा पीछा कर रहा हैं " क्यों रे तेरी हिम्मत कैसे हुई यहाँ तक आने की ? "एक साल हो गया तेरे प्यार में पढ़े हुए बता शादी करेगी मुझसे ?"महेश की आँखों में प्रेम साफ़ झलक रहा था ! "तूने अपनी शक़ल देखी हैं फ़टीचर कही का ! मैं पद्मावती हूँ तुझ जैसे नौकरों से शादी करने के लिए पैदा नहीं हुई !" कहते हुए पद्मा पैर पटकते हुए घर चली गई और सोच लिया बाबा को कहूंगी मुझे नहीं पढ़ना !

महेश का दिल और सपने दोनों टूट गए रही-सही कसर दोस्तों ने मज़ाक बना कर पूरी कर दी ! पदमा का रिश्ता बाबा ने तय कर दिया लड़का सचमुच पदमा के टक्कर का था सुन्दर, धनी और राजपूत जात का रोबीला लड़का ! पदमा खुश थी घरवाले रोके की रस्म का सामान ख़रीदीने बाहर गए थे और वो फिर बालकनी में खड़ी पद्मावती फिल्म का विरोध करने वालो का शोर और नाटक देख रही थी !

तभी घंटी बजी दरवाज़ा खोला तो महेश खड़ा था ! "तू क्या आया हैं यहाँ करने चल भाग यहाँ से !" "मैं तुझे आज अपना बनाने आया हूँ" यह कहकर उसने पद्मा को ज़ोर से अंदर की तरफ धक्का दिया और दरवाज़ा बंद कर दिया ! पदमा चिल्लाई मगर शोर के कारण उसकी आवाज़ कौन सुने? महेश पर वासना इतनी हावी थी कि वह पद्मा के साथ ज़बरदस्ती करने लगा ! "तेरी शादी होगी तो मुझसे वरना मैं तुझे किसी के लायक भी नहीं छोडूंगा !" महेश उस समय किसी वहशी से कम नहीं लग रहा था ! पदमा उसकी गिरफ़्त से निकलकर रसोई में पहुंची और हाथ में माचिस उठाकर बोली "नहीं मैं तुझे जीतने नहीं दूंगी उसे महेश साक्षात् खिलजी लग रहा था और रानी पद्मावती का आभास कर स्वयं को जलाने के लिए हुई तो माचिस नहीं जली और महेश को अपनी तरफ बढ़ता देख चाकू उठाकर उस पर वार पर वार कर दिए! लहूलुहान महेश घायल होकर ज़मीं पर गिर गया और करहाने लगा ! मगर पदमा को एक ही आवाज़ सुनाई दे रही थी जो उसके अंतर्मंन से निकल रही थी कि 'वर्तमान 'पद्मावती की ज़रूरत जौहर नहीं हैं आज की नारी मरेगी नहीं मारेगी..... "करणी सेना वालो का हजूम जा चुका था ! बिना जाने किस पद्मावती के सम्मान की रक्षा करने की ज़रूरत हैं !!!