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सिन्ड्रेला

आज सुबह से ही बारिश हो रही हैं! जनवरी के महीने में इतनी बारिश होना थोड़ा अजीब लगता है पर शायद नीमा खुद आँसू नहीं बहा सकती इसीलिए यह काम आसमान कर रहा हैं! खिड़की के पास खड़े कब से नीमा बारिश को देखी जा रही हैं और उसे अपना बीता हुआ कल इन्ही बूंदों में भीगता हुआ साफ़ नज़र आने लगा हैं!

दो साल पहले नीमा की शादी इस शहर के संपन तथा अमीर घराने में  हुई थी उसका पति नरेश न सिर्फ दिखने में सुन्दर था बल्कि हर तरह से एक बेहतरीन जीवनसाथी था! नीमा की माँ सिलाई का काम करती थी पिता तो बचपन में ही सड़क दुर्घटना में गुज़र गए थे! दो छोटे-भाई और माँ की मदद करने के लिए नीमा बारहवी के बाद पढाई छोड़ ट्यूशन और प्राइमरी स्कूल की 2000 की नौकरी कर अपने परिवार का सहारा बनने की कोशिश कर रही थी ! हालाकि स्कूल की प्राचार्य की आर्थिक मदद से उसने स्नातक की पढाई करनी शुरू कर दी! माँ भी किसी तरह सिलाई का काम करके गृहस्थी की गाड़ी को खीचने का प्रयास कर रही थी !  

जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा था वैसे-वैसे नीमा की शादी की चिंता भी बढती जा रही थी नीमा में कोई कमी नहीं थी सिवाय इसके की वो गरीब थी दहेज़ देने का तो साहस ही नहीं था! एक बार स्कूल के वार्षिक जलसे में प्रसिद्ध समाज सेविका आई और अपने बेटे नरेश के लिए नीमा को पसंद कर गई प्राचार्य ने जब यह बात नीमा की माँ से कही तो उन्हें यकीन नहीं हुआ फिर बस बिना कुछ सोच-विचार के शादी के लिए हां कर दी! सब उसे सिन्ड्रेला कहने लगे माँ भी कहती “मेरी सिन्ड्रेला को किसी की नज़र न लगे” उसकी सारी सहेलियों और गली-मोहल्ले की नजरों में वह एक सिन्ड्रेला थी! शादी करके जब वो ससुराल में आई तो उसे भी वहा की सम्पनता देख यकीन हो गया की वो सचमुच की सिन्ड्रेला हैं!

शुरू के कुछ महीने तो सपने की तरह बीते! धीरे-धीरे उसे लगने लगा की पडोसी और आसपास के लोग या तो उसका मजाक उड़ाते  हैं या फिर उसे दया की दृष्टि से देखा जाता हैं! उसने यह बात अपनी सास को भी बताई पर उनका कहना था की सब उससे जलते हैं! मगर एक दिन उसे पता लगा कि नरेश के कई औरतों के साथ सम्बन्ध हैं और वो पूरे जात-बिरादरी में इतना बदनाम था की कोई भी उसे अपनी बेटी नहीं देना चाह्ता था! तभी तो एक गरीब की बेटी की आहूति दी गई!

दोनों पति-पत्नी में इतनी तकरार बढ़ गई की मारपीट की नौबत आ गई और उसे मजबूर होकर घर छोड़ना पड़ा! घर आकर वह अपनी माँ से गले मिल फूट-फूट कर बहुत रोई ! वह नरेश से प्यार करने लगी थी वह चाहती थी कि वह सुधर जाए और उसे ले जाए ! पर ऐसा नहीं हुआ नरेश ने तलाक देकर उसे छोड़ दिया !

दोनों भाई पढाई में होशियार निकले और उन्हें छात्रवृति मिल गई थी जिसके चलते दोनो दसवी के बाद इंजीनियरिंग की तैयारी हेतू देहरादून के हॉस्टल में चले गए! अब रह गई नीमा और उसकी माँ! उसने फिर से स्कूल की नौकरी कर ली सब उसे बड़ी ही दया की दृष्टी से देखते या उसका मजाक बनाते हुए कटाक्ष करते “लो सिन्ड्रेला आ गई अपने पुराने झोपड़े में!“ अब उसे इन सबकी आदत पड़ गई थी इसीलिए उसने बुरा मानना बंद कर दिया! आज पूरे दो साल बाद उसे नरेश की खबर मिली तो यह की उसकी मौत हो गई वो भी एड्स से! अरे! नीमा बेटी “अब बैठ भी जा कब तक खड़ी रहेगी”! उसकी ज़िन्दगी में इन दो सालो में कोई बदलाव नहीं हुआ हैं बस यही की उसे अब कोई सिन्ड्रेला  नहीं कहता माँ भी नहीं!!!!!!