बड़ी देर से खुद को शीशे मैं निहारते हुए बोली, "कि अब पहले से ज्यादा डरावनी लग रही हूँ । त्वचा बिलकुल काली हो गई हैं । और धीरे-धीरे कुत्ते के मॉस की तरह लटकने भी लगी हूँ । दाँत बिलकुल नुकीले और, ज्यादा बड़े हो गए है। उसे खुद से ही डर लगने लगा था। रात के बारह बज चुके हैं । जनता कॉलोनी वाले बेशर्म लोग सो गए होंगे, ज़रा वहाँ चलकर देखो तो कि आज कौन मेरा शिकार बनने वाला है। अपनी लाठी लेते हुए और से बजाते हुए वह जनता कॉलोनी की ओर चल पड़ी। ये कम्बख़त लोग अब मेरे डर से दरवाज़े पर यह ताबीज़ और ॐ के निशाँ बनाए रखते हैं । तब तो ईश्वर से डरे नहीं अब पापी लगे ईश्वर की मदद मांगने लगे । लगभग चिल्लाते हुए वह जनता कॉलोनी के घर के आगे से निकल रही थी। अरे ! वाह ! यह बूढ़ा तो बिना कोई ईश्वर की मदद लिए आज आराम से सोना चाहता है । यहाँ तक कि इसने तो घर के बाहर कुछ ॐ भी नहीं लगवाया कहकर चम्पा उसके घर के अंदर घुस गई।
घर में बिलकुल सनाटा था । एक कोने में बूढ़ा चुपचाप सो रहा था। इस बूढ़े की बीवी तो पिछले साल ही मर गयी थी। एक बेटा था वो भी छोड़कर भाग गया। अब क्या मरे हुए को मारो यह कहकर उसने बूढ़े की चादर खींच ली। और उसे ज़ोर से ज़मीन पर पटका । कौन है ? कौन है ? कहकर वह चिल्लाने "लगा बचाओ" "कोई बचाओ"। अरे! कोई नहीं आएगा तुझे बचाने कहकर चम्पा ने उसके चेहरे पर दो-चार थप्पड़ रसीद कर दिए। और उसे हवा में घुमा दिया। "मुझे छोड़ दे चम्पा मैंने तेरा क्या बिगाड़ा है? क्यों कमीन कैसे तो बुरी नज़र से मुझे देखता था। बहन चम्पा कभी कुछ किया तो नहीं तेरे साथ" । "हलकट अब बहन कहीं का । जा भाड़ में ।" चम्पा ने गुस्से में कहा । और ज़ोर से लात बूढ़े को मारकर आगे बढ़ गई । और सुन अगली बार दरवाज़े पर ॐ लिखवा लियो समझा दमे का मरीज़।" बस यही कहते हुए चम्पा हवा के झोंके की तरह बाहर निकल गई।
रात के एक बज चुके हैं । गली में चुड़ैल का खौफ पूरा है । एक दहशत है पूरे सात-आठ महीनों से इस मोहल्ले में इसी चुड़ैल के डर के कारण काफी लोग मोहल्ला छोड़ कर जा चुके हैं । और जो लोग नए हैं, उन्हें मकान बेचने के लिए लगा रखा बचने पर जब तक रहना हैं तब तक चम्पा चुड़ैल से बचने के लिए उन्हें भगवान का सहारा लेना ही होगा । इन नए मकानों को यह पता है कि चम्पा की कोई प्रेम कहानी हैं और सब कॉलोनी वालों ने उसके आशिक़ को मार डाला था और वो भी इसी प्रेम के दर्दनाक अंत के कारण खुदखुशी करकर सबसे बदला ले रही हैं । पर सच तो यह भी है कि वो मारती नहीं है बल्कि डराती है। और इतना डराती है कि आधे लोग दिल का दौरा पड़ने से मर चुके हैं।