Vo kon thi - 16 books and stories free download online pdf in Hindi

वो कोन थी - 16

गाडी रुकते ही पगलाई सी जिया जंगल की ओर भागी जैसे इस जमी से बखूबी परिचित हो..!
सुल्तान नें एक उडती नजर अपनी लिनिया पर डाली!
भुमि पर सुखे पत्तौ की परत बिछी थी तभी तो पांव बजने लगे थे..!
जो गुलशन की कोख मे पल रहा था!
राक्षसी पेड़ों के घेरे में छुपकर बैठे गिद्घ अभी भी गोश्त के लोथडों के साथ एक दूसरे से छीना-झपटी कर रहे थे! वह खूंखार जानवर आक्रमक रूप अख्तियार कर के अधमरे किसी भी जीव पर धावा बोलने हमेशा तत्पर रहते.!
एक दुसरे पर हमले के वक्त निकलती उनकी आवाजो ने जंगल के माहौल को डरावना बना रखा था..!
घने जंगल की खाक छानते हुए सावधानी से तीनों आगे बढ़ रहे थे !
"वाकई तुम्हें लगता हैं कि इस जगह को तुमने ख्वाब में देखा है..?"
जिया की बात पर यकीन करना तावड़े के लिए जैसे बहुत कठिन साबित हो रहा था..!
"यस् तावडे सर..! उस बच्चे को मैने यहीं देखा था..! "
दबे पांव चलकर एक बडे पेड के पिछे छुपते हुए जिया बोली..!
"सामने वह ताजी बिखरी हुई मिट्टी देख रहे हो आप..?"
जिया के अंगुली निर्देश पर सुल्तान और तावडे ने ताजी मिट्टी के ढेर को देखा..!
वह बच्चा वही था कब्र से उसी ने मिट्टी निकाल कर गुलशन की डेड बॉडी निकाली थी..! फिर वह शैतान की तरह उसकी गर्दन पर मुंह मार रहा था..!
काफी डरावना मंजर था उसका मुह पूरी तरह खून से सरोबार हो चुका था..! मैं काफी घबरा गई थी..!
इसके आगे कुछ देख पाती उससे पहले मेरी आंख खुल गई ..!
जिया की आंखों में इस वक्त पूरा मंजर कत्थक करने लगा था..!
चलो उस जगह को मैं देखना चाहूंगा..!
तावडे खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाया..!
भागते हुए वो कब्र तक पहुंच गया!
जिया को यकीन नहीं हो रहा है की अभी वह उसी जगह पर थी जिस जगह को उसने ख्वाब में देखा था!
जमीन से बाहर निकली हुई मिट्टी तक तीनों पहुंच गए!
जिया ने उस गीली मिट्टी की तरफ इशारा करते हुए कहा !
"वह शैतान इसी जगह पर बैठा था!"
खुली हुई कब्र को देखकर तावड़े काफी हैरान था! अंदर कुछ नहीं था!
तावडे ने कब्र पर बैठकर ध्यान से भीतर देखा कब्र की मिट्टी पर खून लगा था!
मतलब साफ था कुछ ना कुछ तो हुआ था! अचानक कोई चीज को देखकर तावडे की आंखें चमक उठी ! संभलकर वो कब्र में उतर गया!
किसी चीज को उठाकर वह बाहर ले आया!
सुल्तान और जिया की नजरें काफी दिलचस्पी से उसी पर थमी थी!
बाहर आकर उसने अपनी मुट्ठी खोली!
वह गोल्ड की चैन वाला दिल आकार का एक पेंडल था!
सुल्तान और जिया उस पेंडल को देखते ही एक साथ बोल उठे "यह तो गुलशन का है!
मैंने कहा था ना ..?
मैंने कहा था ना सर .. कि उसे मैंने यहीं पर ख्वाब में देखा था..?
वह शैतान का बच्चा इसी जगह पर बैठा था..! उसी ने गड़बड़़ की है..!
"पर जिया वह कैसे आया होगा..?
अभी तो उसके जन्म में काफी समय बाकी था..?"
"मैं जान सकता हूं किसकी बातें चल रही है..?"
"हां क्यों नहीं सर यह वही राज है जो तुमको बताना जरूरी बन गया है..!"
"प्लीज सुल्तान भाई.. पहेलियां बुझा ने से अच्छा है जो भी बात है मुझे साफ-साफ बताई जाए..!
वहीं पर सुल्तान ने गुलशन की शादी से लेकर उस पर जिन्नात कैसे हावी हुआ..? अपनी दुल्हन बनाने के लिए जिन्नात ने गुलशन के साथ कौन सी चाल चली थी..? किस तरह से जिन्नात ने सब को परेशान किया..? आखिर कैसे जिन्नात से गुलशन आजाद हुई..?
जिन्नात तो चला गया था मगर उसका अंश गुलशन के शरीर में छोड़ गया था..! वह बात सबके लिए सदमे से कम नहीं थी..! जिया को किस तरह अपनी जान की परवाह किए बगैर जिन्नात से दो-दो हाथ होना पडा..?
( यह सारा वृत्तांत पढ़ने के लिए "जिन्नात की दुल्हन" पढ़ना आवश्यक है)
सुल्तान ने सब कुछ बताया ..!
तावडे ने ध्यान से सारा किस्सा सुना! सब कुछ सुनते वक्त उसके चेहरे पर कई तरह के भाव उभरे और विलुप्त हुए!
"इसका मतलब है गुलशन के पेट में पल रहा बच्चा जिन्नात का था..?"
"हां सर .., चाहते हुए भी हम कुछ भी नहीं कर सकते थे..!
जैसे-जैसे गुलशन का पेट बड़ा हो रहा था..! हम सबके दिमाग पर वहीं खौफ दोबारा मंडराने लगा था..! यह बात ऐसी थी कि हम किसी के साथ शेयर भी नहीं कर सकते..! मन ही मन हम चाहते थे कि कुछ ऐसा हो ये बच्चा अपने आप ही खत्म हो जाए..!
इस दुनिया में ही ना आए, तभी उस जिन्नात के मनहूंस साए से हमें छुटकारा मिल सकता था!
पर उसमें हमारी बहू की भी जान जा सकती है ऐसा तो हमने हरगिज़ नहीं सोचा था..?
मैं बहुत शर्मिंदा हूं इस्पेक्टर साहब कि मैंने अपनी बहू और पोते के लिए ऐसा सब कुछ सोचा..! मेरा खुदा भी मुझे माफ नहीं करेगा..!
सुल्तान बिलबिला उठा था, जैसे उसके सोचने मात्र से यह हादसा हुआ हो..?
"आप गिल्टी मत फील करो अंकल..! मैं जानती हूं हकीकत कुछ और ही है..!
जिया का खलील से रूह का रिश्ता था!
उसके परिवार के किसी भी सदस्य को परेशान देखकर वह खुद भी आहत हो जाती थी!
"कुछ-कुछ मैं समझ रहा हूं आप लोगों से एक बात शेयर करना चाहता हूं..!
तावडे अपने ओरिजिनल स्वभाव से हटकर गंभीर नजर आया !
कुछ देर के लिए सुल्तान अपनी परेशानी को भूल गया!
सूचक दृष्टि से जिया ने भी तावडे की आंखों में देखा!
"वारिसखान को पुलिस जीप में डालकर मैं उनके घर ले गया!
तावडे बोलता गया!
-मैं नहीं चाहता था कि उनकी डेड बॉडी भी इन रहस्यमय हत्याओ मे शामिल हो और उसकी दुर्दशा हो..! मैं जानता हूं इस वक्त गुलशन की बॉडी कहां होनी चाहिए..?"
अब चौकने की बारी जिया और सुल्तान की थी..!
"सच में सर..!"
सुल्तान हैरान होकर तावडे को देखता है!
हां एक ऐसी जगह है जहां पर गुलशन की बॉडी होना लाजमी है तुम दोनों चलो मेरे साथ..!
अपनी बात पूरी करके तावडे 1 मिनट भी वहां ना रुका!
सुल्तान और जिया की आपस में नजरे टकराई फिर एक साथ ही दोनों ने फैसला कर लिया..! दोनों सतर्क होकर तावडे के पीछे लगभग भागे..!
काश उन दोनों ने तावडे के चेहरे पर थीरकने वाली कुटिल मुस्कान को देखा होता
..... क्रमशः

दास्तान-ए-अश्क

के बारे मे भी अपने सुझाव दे..

दास्तान के कुछ अंश.. .

अब वो एक तरफ बैठ जाती है!
उसके मन में अब भी डर था, पर कुछ हद तक कम था! कुछ ही देर में उसका पति कमरे में दाखिल होता है!
वह कमरे में प्रवेश कर दरवाजा बंद कर लेते है!
उसका दिल डर के मारे कांप रहा था! अब क्या होगा ? धड़कने तेज हो गई थी!
कुछ वक्त पहले जो कुछ चूपकिदी उसके मन में थी वो ईस वक्त गायब हो चूकी थी!
अब तो सिर्फ डर था कि क्या होने वाला है उसके साथ? फिर से वही दरिंदगी से भरा खेल?
उसके पति अंदर आकर उसके पास बैठ जाते हैं चुपचाप! फिर कुछ सोचकर उसका हाथ पकड़ कर कहते हैं!
"तु मुझसे नाराज हो गई?
वह सर झुका कर बैठी रहती हैं !और माथे को हल्की सी जुंबिश देकर चूपचाप सिर हिलाकर 'नही' कहती हे
"ठीक है तो मुझसे नाराज मत होना! तु बहुत सुंदर है !बहुत अच्छी है! तुझे देख कर मैं खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाया!
वह कुछ भी बोलती नहीं और सिर हिला देती है!
इससे आगे बढ़कर उसके पति कहते हैं सुनो हम तीन भाई हैं! दोनों भाइयों की पहले शादी हो चुकी थी! मगर उनको कोई बच्चा नहीं है मगर तू वादा कर मुझसे कि मुझे 1 साल के भीतर ही एक बच्चा देगी! लोग हमारी मर्दानगी पर उंगलियां उठाते हैं
पति की बात सुनकर वह हैरान हो जाती है! जेठानी की नाराजगी और उसकी जली कटी बातें अब उसे समझ में आ जाती हैं!
वह कहती है बच्चा होना ना होना तो भगवान की मरजी की बात है! तब उसका पति कहता है !"नहीं तो मुझसे वादा कर! पूरे साल के अंदर ही मुझे बच्चा देगी! मुझे लोगों की जुबान बंद करनी है!
से कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दें ! क्या वो बात करती! पति की बात पर उसे यकीन ही नहीं हो रहा था!
वो फिर गरजते है! तूने सूना नहीं वादा कर मुझसे..! तु एक साल के भीतर ही
मुझे बच्चा देगी!
वो डर के मारे सिर हिला देती है! बस उसके सिर हिलाने की ही देरी थी ,उसके पति पर वहशीपन सवार हो जाता है! फिर से वो टूट पड़ता है! वो उसके होटों को गालो को बुरी तरह नोंचता है! धीरे धीरे करके उसके शरीर से एक एक कपडा हटा उतार देता है!
शर्म खौफ और बेबसी ने उसको जकड़ कर रख दिया था! उसके पति को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था!
जबरदस्ती उसके साथ संबंध बनाते हैं उसकी अस्मत को तार-तार करते है!
ना सिर्फ उन्होंने उसके बदन को जख्मी किया उसकी अंतरात्माको भी छलनी कर दिया था!
वह दर्द से तड़पती हैं कराहती है! पति को जरा भी रहम नही आता!
वो बस खुद को तृप्त करने में अपनी शारिरीक क्षमता आजमा रहे थे! पत्नी के बहते अश्क उनपर बेअसर थे!
पूरी तरह संतुष्ट होकर जब उसका पति उठता है तब उसे लगता है, जैसे कोई जहरीला खंजर उसके शरीर से निकल गया हो..! एक ऐसा जहरीला खंजर जिसने शरीर के साथ अंतरात्मा को भी जख्मी कर दिया था!
उसमे इतनी भी हिम्मत बाकी नहीं थी कि वह उठकर अपने कपड़े पहन सके! अपना बदन ढक सके! तभी कुछ ऐसा होता है कि उसकी रूह कांप जाती है!