Vo kon thi - 22 books and stories free download online pdf in Hindi

वो कौन थी - 22

 दूर-दूर से लंबी दूरी की गाड़ियों की व्हिसल सुनाई दे रही थी! 
रात के लास्ट पहर में भी शहर में रोशनी बिखरी हुई थी! एकल-दोकल वाहनो में निकलने वाले इंसानों को छोड़कर अभी कोई चहल-पहल नहीं थी!
शहर की अंदरूनी गलियां सुनसान थी!
इस वक्त उस मकान की खिड़कियों की झिर्रियों से झांकते वक्त उसका दिल धाड-धाड बज रहा था!
जब उसने पूछा क्या चाहिए तुम्हे..? 
वो काला बच्चा चुप हो गया! 
जब बार-बार पूछा गया! तो खिलखिला कर उस बच्चे ने जो मांगा वह सुनकर उसकी हालत पतली हो गई!
फज्र के वक्त चुपके से उनकी बातें सुन रही जिया के पैर कांपने लगे! 
उसकी सारी आशंका बिल्कुल सच साबित हुई थी!
जल्द से जल्द अब सुल्तान को सारी हकीकत से वाकिफ करना जरूरी हो गया था! अपनी हाजरी की जरा भी भनक ना लगे ऐसे पूरी सतर्कता से वो बाहर निकल गई!
उसने सुल्तान को कॉल लगाया!
'हेलो..!! 
सामने से खलिल की आवाज सुनाई दी!
"खलिल..! कोई जरूरी बात थी जो मैं अंकल को बताना चाहती थी..!"
जिया ने एक-एक शब्द को जोड़ते हुए कहा!
"ऐसी क्या बात है जो तुम मुझे नहीं बताना चाहती..?"
"बहस का वक्त नहीं है अभी.! मैं नहीं चाहती वो बुरी शक्ति तुम्हें जरा भी नुकसान पहुंचाए..!!"
"इस वक्त तुम कहां हो..?"
खलिल बेचैन नजर आया! 
"यही इमामी मस्जिद के पास वाले पहले चौराहे पर आ सकते हो..?"
"रूको मै अभी आया..!"
वहां कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था! उस 5 मंजिला अपार्टमेंट की सभी छत रेडी थी फिर भी खुला होने के कारण वो किसी पूराने खंडहर की भांती प्रतीत हो रहा है..!!
जिया सोच मे पड गई..! 
इस वक्त खलिल को बाहर बुलाकर कहीं उसने गलती तो नहीं की? 
क्या उस राज से खलिल को अवगत करना ठीक होगा..? 
खलिल के साथ इस वक्त उसे कोई परिचित  व्यक्ति देख लेगा तो न जाने कितनी बातें होगी..!
उसे पता ही नहीं था की अंकल की जगह खलिल कॉल रिसीव कर लेगा.! 
एक अंधेरे कोने में खड़ी जिया अपने मन को कचोट रही थी कि तभी सफेद पठानी लिबास में तकरीबन 6 फीट लंबा आदमी आता दिखाई दिया!
जैसे जैसे वह करीब आता गया उसकी हाइट सप्रमाण होती गई!
उसके चेहरे में काफी नूर था! आंखें बड़ी बड़ी और लुभावनी थी!  
जिया नीले पंजाबी ड्रेस में काफी जच रही थी! खलिल ने आते ही उसे सिर से लेकर पांव तक एक नजर देखा! 
"इस वक्त यहां क्या कर रही हो..?"
इतना पूछ कर उसने जिया का हाथ अपने हाथों में ले लिया!
जिया ने आंखें मूंद ली! पूरे बदन में
 सनसनी फैल गई! समझ नहीं पा रही थी ह्रदय में कैसी उथल-पुथल थी!
 खलिल ने जैसे ही हाथ पकड़ा जिया का सारा बदन उसकी निगाहों का गुलाम हो गया! आज खलिल की निगाहों में कुछ तो था जिस ने ऐसे हालात में सब कुछ भुला
 कर उसको बेकाबू बना दिया!
खलील उसके चांद से चेहरे को अपनी उंगलियो से सहलाने लगा! 
मजाल थी कि जिया उसे रोक-टोक करती..?
अपनी गर्दन उठाकर चेहरे को ऊपर कर लिया!  ओस के मोती से लदे बादामी होठों पर उसने उंगलिया फेरी..!!! 
"उफ्फ..!! 
जिया उसको हाथ पकड़ कर  खंडहर जैसे उस अपार्टमेंट की वीरान पार्किंग में ले गई!
इस वक्त उसके दिमाग पर एक सुरुर था! कोई नशा था जिस से मदहोश होकर उसकी रगों में उबलता हुआ खून हवस की आग को भड़काने पर आमदा था..! 
खलिल ने उसका कुर्ता उतार लिया! अंधेरे में भी उसका बदन चाँद  की तरह जगमगा रहा था!
खलिल ने उसे कसकर सीने से लगाया!
पिंक कलर की ब्रेजियर से बाहर निकलने को बेताब हुई गोलाईयां पूरी तरह खलिल के मजबूत सीने से सट कर दब गई थी!
खलिल के होठ जिया के नशिले होठो पर ईस तरह चिपके जैसे मधुमख्खियां फूलो पर बैढ जाती है!
खलिल के चेहरे पर ऐसी चमक थी जैसे कोई मंजा हुआ मछुआरा अपनी जाल में फंसी बड़ी मछली की श्वेत मुलायम पीठ पर आसक्त होकर सहलाने लगता है! ठीक उसी अंदाज से खलिल जिया के पूरे बदन को सहलाने लगा था!
खलिल की आंखों में छाए सुरूर की इंतिहा थी की जिया उसके हाथों में परवश होकर बहकती जा रही थी! 
खलिल की आंखों में उभरने वाले गुलगुले जिया के यंग, भरे भरे कटावो को लूटते उससे पहले.. गुंडे मवाली जैसे दो शख्स वहां आ धमके..!
शायद किसी कोने में बैठकर उन्होंने जिया को खलिल के साथ पार्किंग में जाते हुए देख लिया होगा..!
उनकी आहट को पाते ही खलिल ने जिया को अपने पीछे छुपा लिया!
"लड़की को छुपा रहे हो..?"
एक ने पूछा!
"हां..!"
खलिल बेखौफ होकर बोला!
"माल तगड़ा है..! काफी दिन हो गए किसी लड़की से निपटे हुए..? क्या बोलता है रोनी..? 
रोनी ने अपने होठों पर जबान फेरी!
"बॉस अगर आप चाहते हो तो मैं भी निपट लूंगा! बहुत भूख लगी है मुझे भी! आज दिल की सारी भड़ास निकाल लूंगा!"
रौनी का हाथ जेब में कुछ सहलाने लगा!
इन दोनों की बातों से जैसे खलिल को कोई फर्क नहीं पड़ा!
"ओए गिली पतलून.. जरा लड़की का थोबड़ा बॉस को देखने दे..!"
रौनी ने अपनी नकली अकड दिखाई!
जिया के सामने से खलिल हट गया!
"यार ये तो पके हुए सेब की तरह है रौनी "इससे तू ही निपट ले..? मुझे सेब पसंद नहीं है..!"
"बॉस अगर निपटना है तो दोनों साथ निपटेंगे.. वरना मुझे भी नहीं निपटना..!"
फिर ठीक है सर जी को ही निपटने दो..!
"आप ही निपट लो सर जी इस लड़की से..! 
"म मैं  कैसे..?"
"ओह तो आप हम दोनों के सामने नहीं निपटना चाहते..?"
"जी..?" 
खलिल ने बिना कुछ सोचे उत्तर दिया!
अगर आप नहीं निपटोगे तो हम ही आप से निपट लेंगे सर जी..!"
इतना कहकर रोनी ने जेब से साइलेंसर वाली पिस्टल निकाल ली..!
"ये क्या है..?"
खलिल ने बिना डरे उन दोनों लफंगो की आंखों में झांकते हुए पूछा!
"यह घोड़ा है! इससे निपटना जल्दी आसान हो जाएगा..!"
"मतलब इससे मुझे निपटना है..?"
फिर दोनों ठहाका लगाकर हस दिए!
"लो कर लो बात , रौनी ये बरखुरदर तो निपटने का मतलब कुछ और ही समझने लगे थे!
"यस बॉस पूरे वर्ल्ड की आबादी बढ़ रही है उसमें इजाफा करने का जनाब ने सोचा!"
रौनी ने हंसते हुए कहा हम इतने भी गए गुजरे नहीं है कि निपटने का मतलब वैसा  समझ कर आप से भी निपट ले..!!"
"चलो निकालो जो भी अपने पास है..!
वरना इसकी गोली किसी को नहीं पहचानती..!"
रौनी का बॉस अपने असली तेवर दिखा रहा था!
उसके हाथ मे पिस्टल देखकर खौफ खाना तो दूर खलिलने पलक तक नही झपकी! 
"जो भी है पास निकालो बाद मे खेलते रहना लूका-छूपी...!"
जब दुसरी बार रौनी गर्जा तो खलिल की आंखो मे खून उतर आया! 
चारो तरफ महोल्ले के कुत्तो ने बिल्डिंग को धेरा डालकर दहाडना शुरू कर दिया!
 वो सिर्फ दो कदम आगे बढा! 
उसकी उंचाई बढती रही..!  
"अपनी मौत को ललकारा है तुमने..!"
उसकी आंखो से शोले बरसे..! 
खलिल ने अपना हाथ आगे बढाया..! 
पुरी तरह सभान हुई जिया सिकुड कर एक कोने मे छूप गई..!
वो बहोत गभरा गई थी क्योकि शरीर पर से कुर्ता उतारा गया और उसे भनक तक न लगी..! उसने डरते डरते अपना कुर्ता पहन लिया!
 पर अब वो संभल गई थी! 
उसने आंखें बंद मुंद कर अंगूठी को होठों और पलकों पर लगाया! वाे गुरु का आहवान करने लगी..!
 खलिल के चेहरे पर राक्षसी वहशीपन छा गया..!
उसका हाथ रब्बर की तरह लंबा होता गया!
रौनी और उसके बॉस को एक ही हाथ मे झकड कर फिरककनी की तरह तेजी से घुमाने लगा! 
और अपनी राक्षसी ताकत का करतब दिखाते हुए ऐसे नीचे पटका की दोनो के सिर के चिथड़े उडे..!  
रक्त के छिटे चारो तरफ फव्वारे की तरह बिखरे.! खलिल की शैतानी ताकत के सामने दोनों गुंडों को संभलने का या चीखने का मौका भी न मिला!
जिआ की समझ गई थी.. एक बार फिर वो बूरी तरह फस गई थी!  
यहां पर उसके साथ कुछ भी अनहोनी हो उससे पहले वो अंतःकरण से बाबा की शरन मे पहुंच गई! 
ईधर एन वक्त पर वहां पहुंच कर उसकी रोमांस क्रिडा के मनसूबे पर पानी फेरने वाले टपोरीयां पर बूरी तरह टूट पडा था वो..! 
 दोनों के हाथ पैरों को उसने बड़ी बेरहमी से तोड़ कर चारों तरफ उछाल दिए.! उसके मुख से भयंकर अटहास्य गूंज उठा!
एक बिंब के पीछे डरकर सिमटी हुई जिया ने बंद आंखों से चकाचौंध करने देने वाले प्रकाश को अचानक देखा!
उसने आंखें खोली!
चारों तरफ आग की लपटों से वो गिर गई थी! ना तो वहां पर खलिल के रूप में आया वह लंबा शख्स नजर आ रहा था, ना तो उन गुंडे जैसे लगने वाले लड़कों के शरीर के बिखरे अंग..!
कोई तिलिस्मी ताकत ने जिया को खंडहर से बाहर निकाल दिया! वो ताकत कौन सी थी जिया समज गई थी! 
वहां रुकने का सवाल ही नहीं था ना पीछे देखने का! वो सीधी भागते हुए खलिल के घर पहुंची! उसकी सांसे धौंकनी की तरह चल रही थी! बदन पसीने से तर था!  
उसने तो सोचा भी नहीं था की ऐसा भी लम्हा आ सकता है उसे बाबा का स्मरण करने का मौका भी मिले..! 
अपनी सांसों को कंट्रोल करते हुए उसने खलिल घर के मैन डोर की डोर बेल बजाई! 
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कहानी वो कौन थी अपने आखरी मुकाम की ओर आगे बढ़ रही है! जिन्नात की दुल्हन के दूसरे पार्ट के रूप में आई यह कहानी आपको पसंद आई होगी! इसके बाद तुरंत ही रहस्य के मकड़जाल में आपको उलझाने वाली कहानी "कठपुतली" को पढ़ना ना भूले! 
मेरी कहानियों पर आपके अमूल्य सुझाव जरुर दे! 
                           -साबीरखान पठान