vo kon thi - 27 - Last books and stories free download online pdf in Hindi

वो कौन थी - 27 - Last

बड़ा ही घुमावदार चक्कर था!
खलिल सुल्तान और यहां तक कि बाबा भी   उसे पकड नही पाये थे!  
उस रात अम्मी ने जिया की बच्ची गुम होने की खबर सूनाई, तो खलिल के होश उड गये..!  
कहीं जिन्नात ने उस मासूम बच्ची को नुकसान पहुंचाया तो नही पहुचाया..? 
उस नन्हीं सी जान को अगर खरोच भी आई तो..?
यह सोचकर भी खलिल की रूह कांप उठी!
भागता हुआ वह जिया के घर पहुंचा! तब तक अपनी बच्ची बाहर नहीं है यह सूनकर वो बावली सी हो गई!
"अब वो मेरी बच्ची को नहीं बख्शने वाला..! मेरे कर्मों की सजा मेरी बच्ची को भुगतनी पड़ेगी..! मैं क्या करूं आंटी जी ? कैसे बचाउ मेरी गुड़िया को ? पता नहीं वो कहां ले गया होगा ..? उसे एक कुंवारी लडकी की बली चाहिए! और अब वो मेरी बच्ची को..!"
जिया के होठ कांप उठे ! वो खलिल की अम्मीजान के गले से लिपटकर रोने लगी!
"प्लीज अम्मी जान खलिल को बोलो कहीं से भी मेरी बच्ची को ढूंढ निकाले ! मैं उसके बिना नहीं जी सकती! वो मेरे परिवार की आखरी निशानी है!
जिया इस तरह से बिलबिला उठी थी की खलिल की अम्मी का ह्रदय भी पिगल गया!  वो भी तो एक 'मां' थी ना..? 'मां' का दर्द क्या होता है वो अच्छी तरह समजती थी! 
"तू रो मत मेरी बच्ची.. मैंने खलिल को कॉल कर दिया  है ,वो आता ही होगा..! मुझे यकीन है वो कहीं ना कहीं से बच्ची को जरूर ढूंढ़ निकालेगा..!!"
"मुझे भी कुछ करना होगा अम्मीजान !"
उसने फटाफट बुर्का पहन लिया! आप यहां बैठे , मैं आस-पड़ोस में देख लेती हूं!"
इतना कहकर तेजी से वो बाहर निकल गई!
रास्ते पर जो भी औरत मिली उससे जिया ने अपनी बच्ची के बारे में पूछा! काफी औरतों से पूछने पर एक से कुछ सुराग मिला ! उसने बताया! 
"एक छोटी सी बच्ची को मैंने इस तरफ जाते हुए देखा है उसने पिंक कलर की फ्रॉक पहनी हुई थी!"
जिया समझ गई वो उसकी बच्ची की बात कर रही थी! उसने जिस दिशा मे ईशारा किया वो रास्ता तो दरगाह की ओर जाता है!  कहीं बच्ची अकेली दरगाह पर तो नहीं चली गई..? इतना ख्याल आते ही जिया मजार की ओर भागी!

** *****   ***** 
जब अपना मकसद पूरा ना होने पर वो वापस लौटी तब आने वाले तूफान की धार देखकर उसका सिर फटा जा रहा था!
आज से पहले कभी वो इतना परेशान नहीं हुई! 
अपना बलीभोग ना मिलने पर जिन्नात का शैतानी बच्चा कुछ भी कर सकता था!
भारी मन से उसने अपने घर का दरवाजा खोला! 
दरवाजा खोलते ही घर का भीतरी मंज़र देखकर उसके होश उड़ गए!
वो छोटा सा काला बच्चा फर्श पर पसरा पड़ा था!  गुस्से से अपने पैर जमी पर पटक रहा था! 
बच्चे का मुख उल्टी दिशामे होते हुए भी  जैसे ही दरवाजे पर उसने कदम रखा बच्चे के मुख से जैसे खूंखार कुत्ते की गुर्राहट निकली!
वो भर्राई सी आवाज मे बोला! 
"खाली हाथ लौट आई..? तुम खाली हाथ आई हो..?"
 "पर मै क्या करती.. वो बच्ची ही घर से गुम हो गई है!"
उसने अपनी लाचारी व्यक्त की! 
"मुझे पता था यही होगा तुम बिल्कुल निकम्मी औरत हो! तुम पर भरोसा करके मैंने ठीक नहीं किया!"
"मुझे एक मौका दो मैं कहीं से भी उसे ढूंढ निकालूंगी..!"
अपने दो हाथ छोड़कर वो काले खूंखार बच्चे के सामने गिड़गिड़ा उठी!
"मैं जानता हूं इस वक्त वो कहां है..?"
ताज्जुब से वह उस बच्चे को देखने लगी जो इस वक्त अपनी सुर्ख आंखों से उसे घूर रहा था!
"मुझे बताओ कहां है वो मैं उठा लाऊंगी!"
"नहीं..! इस वक्त तुम्हारा वहां जाना ठीक नहीं है! उसको सेफ जगह छूपा दिया गया है! तुम कितने भी हाथ पैर मार लो उसे ढूंढ नहीं पाओगी! 
"फिर अब..?"
"अब क्या करना है वो मैं तुम्हें सुब्हा बताऊंगा..!"
इतना कहकर वह काला बच्चा पूरे कमरे में साइकिल के पहिए की तरह घूमने लगा! इतना तेज घूमा की उसकी आंखों से घुमते-घुमते ही वो ओजल हो गया!
**** **
सुबह फज्र उसने किसी की प्यारी सी आवाज सूनी! 
"अंकल उठ जाओ कल घर जाने का वक्त हो गया है..!"
अमन हड़बड़ा कर उठा!
रूम का नजारा देखकर उसे याद आ गया वह अंजुमन के घर में था वारिस खान उसकी जान बचाने यहां ले आया था! अंजुमन पर्दे में थी और गुड़िया उसके सामने मुस्कुरा रही थी!
"आपको नींद अच्छी आई..?"
अंजुमन के सवाल का वह जवाब दे नहीं पाया!
क्योंकि उसे पता ही नहीं था वह कितनी देर सोया था! अपने परिवार पर जो मुसिबत आई थी उसको लेकर वो बहुत चिंतित था! 
जब वह कुछ नहीं बोला तो अंजुमन जैसे उसके मन की बात समझ गई!
 "अमन अब तुम घर जा सकते हो!  तुम बिलकुल महफूज हो और तुम्हारा परिवार भी..! अगर उन्होंने रात को तुम्हें यहां नहीं पहुंचाया होता तो तुम्हारी भी कहीं पेड़ पर लाश टंगी मिलती!"
"तुम्हारा एहसान मैं जिंदगी भर नहीं चुका पाऊंगा..!"
मैंने तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं किया मैं तो अपने शोहर की आज्ञा का पालन कर रही थी!  तुम्हें बचा कर वो मरने के बाद प्रायश्चित करना चाहते थे ! मैंने तो बस उनकी इस शुभ कार्य में हेल्प कर दी है!
अपने सिर पर कोई बोझ मत रखो ! और हां जब भी कभी आबूरोड आओ तो अपने परिवार को मेरे घर लेकर जरूर आना!
तुम्हारी इस अभागी बहन का घर हमेशा खुला रहेगा तुम्हारे लिए!"
अमन की आंखें भीग गई! 
उसने गुड़िया को अपनी गोद में उठा लिया! उसके बालों को सहलाया फिर वो तेजी से बाहर निकल गया!
वो जानता था अगर कुछ देर और रुकता तो अपने अश्कों का बांध टूट जाता!  और वो ना अब रोना चाहता था, ना किसी को रुलाना चाहता था!
****   *****  ***
जब जिया मजार पर पहुंची तो बहुत सारे लोगों ने उसे घेर लिया!
जिया को समझ में नहीं आया! पता नहीं क्यों उसको इस तरह से घेरा गया है!
"इस वक्त तुम यहां से चली जाओ!
सबके बीच में वहीं लंबे बालों वाला शख्स उसे दिखाई दिया! 
"तुम्हारी बच्ची महफूज है सुबह उसे ले जाना..!" 
 एक साथ फिर सब चिल्लाने लगे!
तुम चली जाओ यहां से बच्ची महफूज है..! चली जाओ..!"
वो वापस घर आ गई! 
खलिल और उसकी मां बहुत परेशान थे!
'क्या हुआ बच्ची मिली..?"
जिया आपको देखते ही उसकी अम्मी ने पूछा!
"हां मुझे लगता है वो दरगाह पर है! सब लोग एक सुर में बोल रहे थे ,  बच्चे महफूज है!  उसे सुबह ले जाना!"
"इसका मतलब है बच्ची पर कोई मुसिबत आने वाली थी! 
 उस नापाक जिन्न को कुंवारी लड़की का कलेजा चाहिए! 
"ओह ऐसी बात थी पर तुम्हें कैसे पता..?"
 तुम यह सब मुझे मत पूछो क्योंकि बहुत जल्द ये राज खुलने वाला है!
"अब तुम घर जाओ हम सुबह मजार में मिलते हैं!"
'ठीक है पर अम्मी तुम्हारे साथ सोयेगी..! कोई भी बात हो तो बेझिझक फोन कर देना..!'
"हां जरूर कर देंगे..!"
खलिल चला गया! खलिल की अम्मी जिया के साथ ही सो गई!
****  ****
6:00 बजे का वक्त था! 
मजार का माहौल लोबान के घने धुएं से महका हुआ था! 
सभी लोग इस वक्त दुआ में शामिल थे! खलिल अब्बा जान के साथ खड़ा था! जिया और आंटी जी की काले बुर्के में सब के साथ हाथ बांधकर खड़ी थी! जिया ने देखा कि लोबान की धूनी हर कोने में घुमा रहे उस दाढ़ी वाले शख्स ने एक बच्ची को उठा रखा था!
जिया ने उसे पहचान लिया! वो उसकी गुड़िया ही थी!
दुआ खत्म होते ही एक बुर्के वाली औरत को तेजी से उधर भागते हुए देखा!
तभी पीछे से आवाज आई!
"देखते क्या हो उसे पकड़ लो वरना वो बच्ची को लेकर भाग जाएगी!"
बाबा को देखकर खलिल  का रोम-रोम ग़ुस्से से भर गया!
खलिल और सुल्तान दोनों उस औरत के पीछे भागे! उसको जानबूझकर कई लोगों ने उलझा दिया था! उसे इस बात का इल्म तक नहीं था कि मजार में सब कुछ ओलिया के हुक्म से होता है! 
बच्ची को छीनकर भाग रही बुर्के वाली औरत को खलिल ने धर दबोचा!
खलिल के हाथों में से छूटने के उसने अपने तमाम हथकंडे आजमा लिए! पर वह शेर के झपट में आ गई थी उसे पता नहीं था इस हाथों से छूटना उसके लिए नामुमकिन था!
खलिल की अम्मी ने उसके सामने आकर चेहरे पर से नकाब उतार लिया!
तो आश्चर्य से सभी की आंखें फटी सी रह गई! नकाब के पीछे जो चेहरा था वो किसी करिश्मे से कम नहीं था!
"समधन जी आप..!!!?"
खलिल की अम्मी के मुख से फटी सी आवाज़ निकली! आपने ये सब किया?
 मगर क्यों..? आपकी बेटी तो हमारे घर की बहू थी..? फिर हमारे बच्चों से आपने किस दुश्मनी का बदला लिया..?
"आपको समधन कहते हुए भी मुझे शर्म आ रही है..!"
सुल्तान के लब्ज इस वक्त तेजाब की तरह निकले..! 
 तुमने अपनी ही लड़की को मरवा दिया..?
एक एक करके हमारे रिश्तेदारों को तुम क्यों मारना चाहा.? हम पर इतने जुल्म तुमने क्यों ढाये..?  तुम्हारा खून इतना गंदा है मुझे पता होता तो मैं अपने बच्चे की शादी तुम्हारी लड़की से कभी नहीं करता..!
जैसे उसके सब्र का बांध टूट गया और वो चीख पडी! 
"मार डालो मुझे अब मुझसे सहन नहीं हो रहा! मेरी गलतियों की सजा मैं भुगत रही हुं! "
बाबा ने आगे आकर पूछा!
"हां, गलती तो तुम आज भी करने जा रही थी तुमने क्या सोचा था बच्ची को उठा लोगी और हमें भनक तक नहीं लगेगी..? तो तुम्हारी सोच बिल्कुल ही गलत थी मैं तुमको पहले ही ताड़ गया था हर वक्त मेरी निगाहें तुम पर थी! तभी तो मैं चाहता था की तुम्हें रंगे हाथ पकड़ु..!  फिर आज का मौका कैसे गवा देता मै..?अब तुम ही बताओ क्या हुआ है ? ऐसी क्या मजबूरी आन पड़ी है कि तुम्हें जिन्नात का सहारा लेकर मौत का तांडव खेलना पड़ा?"
"वो तब की बात है!
उसने अपनी बात शुरू की!
मेरी बच्ची गुलशन उस जिन्न से परेशान थी! ( सारे वाकये को जानने के लिए जिन्नात की दुल्हन पढे) 
बहुत मशक्कत के बाद उसे छुटकारा मिला मगर जब मुझे पता चला कि उसके पेट में पल रहा बच्चा उस नामुराद जिन्न का है! तो मेरी रातों की नींद उड़ गई! मैं बहुत परेशान रहने लगी थी! मैं चाहती थी किसी भी तरीके से उस बच्चे की जिंदगी छीन ली जाए और किसी को पता भी ना चले!  मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा क्या किया जाए! फिर एक दिन मेरे मामू का लड़का अरब से आया! अरब में कुहान नामके तांत्रिक हुआ करते थे जो अक्सर जिन्नातो और रूहानी शक्तियों से बातें करते हैं! मैंने उसे अपनी परेशानी बताई, और कहा की चाहे कुछ भी हो मगर मैं उस मनहूस बच्चे से छुटकारा पाना चाहती हुं!  
उसने मुझे चेतावनी दी! 
"तुम जितना आसान समझ रही हो इतना आसान है नहीं यह अमल..! अगर जरा सी भी चूक हो गई तो तुम्हारी भी जान जा सकती है! अगर तुम किसी भी तरह इस अमल को कर भी लेती हो तब भी तुम उसकी ख्वाहिशे पूरी नहीं कर पाओगी!
"तुम मुझे सिर्फ इतना बता दो मुझे क्या करना होगा.?"
"जिन्न का आह्वान करना है , तरीका मैं बताऊंगा..! याद रहे काले कपड़े पहनने है सारा घर इत्र की खुशबू से महकना चाहिए! जिस आयात को मैं तुम्हें दूंगा उसका रोज पाठ करना है और नौचंदी जुमेरात को ये अमल करना है! 
अमल अपने आप में कामयाब है बहुत से लोगों ने आजमाया हुआ है! वो जिन्न तुम्हारा दोस्त बन जाएगा! तुम जो भी चाहोगी तुम्हारा हर काम वो कर देगा, मगर बदले में वो तुमसे अपनी पसंद की जो भी चीज मांगे गा किसी भी हाल में तुम्हें उसे लाकर देनी होगी! वरना वो तुम्हारी ही जान का दुश्मन बन जाएगा!"
"क्या वो मुझसे रोज कुछ ना कुछ मांगेगा?"
"नहीं जब भी तुम उससे अपना काम करवाओगी बदले में वो कुछ ना कुछ जरूर मांगेगा..!"
उस वक्त मुझे वो सही लगा और मैंने उसकी बात मान ली! 
वो अमल काफी आसान था इत्र की बोतल को नौचंदी जुमेरात के रोज रात के वक्त उसे मस्जिद के पीछे रख देना था!
आयत के साथ वह अमल करके मैंने जिन्न का आह्वान किया! मैं फिर घर चली आई थी! 
उसी दिन एक छोटा सा काला बच्चा रात को मेरे घर आकर बोला! 
"तुमने मुझे याद किया है! तुम्हें मेरी जरूरत है और आज से मैं तुम्हारा दोस्त हूं!"
उसकी बात सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था! मैंने उसको तुरंत अपने मन में जो परेशानी वाली बात थी रख दी!
तुरंत ही वो बोला !
"परेशान ना हो तुम्हारी लड़की गुलशन खुद उसे घूमने ले जाएगी,और मैं तुम्हारी परेशानी दूर कर दूंगा!
फिर जो कुछ भी हुआ वो मेरे कहने से ही हुआ है!  खलिल का एक्सीडेंट भी..! 
वो फर्नांडिज की नीयत खराब करने में उसी बच्चे का हाथ था..! उसकी इस हरकत से मेरी बच्ची की जान भी गई और उसका बच्चा भी गया! मेरी बच्ची की मौत की खबर सुनकर मै बूरी टूट गई थी!  पर सांप ने छंछूदर निगल लिया था!  ना तो वो हलक से नीचे उतर रहा था,  ना बाहर आ रहा था! 
मै अब खुदको छुपाने के लिये आबू आ गई!  सबको मारना चाहा यहां तक कि अमन की मौत भी मेरे कहने से हुई ! मैं नहीं चाहती थी की कोई मेरे बारे में जान ले! 
पर अफसोस हर बार मसीहा बनकर आप उसे बचाते रहे बाबा जी..! 
आज आखिरी वक्त जब उसने कुंवारी बच्ची का कलेजा मांगा तो मैं घबरा गई! क्योंकि वो चाहता था मैं कोई बच्ची चुरा कर उसके हवाले कर दु..! मैंने जिया की बच्ची को उठाने का प्लान बनाया पर मैं कामयाब न हो सकी!
"तुमने जो कुछ भी किया है माफी के लायक नहीं है! अपने ही लोगों को तुमने धोखा दिया! मेरे परिवार का कोई सदस्य तुम्हें कभी भी माफ नहीं करेगा..!"
सुल्तान ने सख्ती से कहा!
"मुझे भी माफी नहीं चाहिए मैं चाहती हूं कि मुझे सजा मिले! मेरी बच्ची के जाने के बाद मैं बहुत टूट गई हूं! मैं उसकी भी गुनहगार हूं..! मै प्रायश्चित्त करना चाहती हु!  बाबा जी कोई एसा उपाय नही है जिससे उस काले जिन्न को कैद कर लिया जाये! "
"उपाय है ना..! तुमने आह्वान करके इसे बुलाया है इसलिए उस पर कंट्रोल किया जा सकता है अगर यह तुम पर आ सकता हुआ होता तो मैं कुछ भी नहीं कर सकता था! देखा नहीं था गुलशन पर आ सकता हुए जिन्न ने कैसा कहर ढाया था?
देखती जाओ इसे मैं तुम्हारी नजरों के सामने ही कैद कर लूंगा!
बाबा ने एक छोटी सी बोतल निकाली..!
गुलशन की अम्मी के हाथो में थमाते हुए कहा!
अपनी तर्जनी से लहू की एक बूंद इस बोतल में गिराओ! 
अपनी तर्ज नी पर पिन लगाकर उसने छेद किया लहू की दो बूंदे उस कांच की बोतल में गिरी! तेजाब डाला गया हो इस तरह बोतल में धुआं उठा!
आंखें बंद करके बाबा कुछ मंत्र पढ़ते रहे! 
खलिल के साथ सभी उस बोतल को देख रहे थे! थोड़ी ही देर में बाहर से धुंए की एक लहर आई और बोतल में समा गई!
बाबा ने उस बोतल को गुलशन की मां के हाथों में देते हुए कहा!
"जाओ जहां तुमने इत्र की बोतल रखी थी वहां जाकर इसे जमीन में गाड़ देना!"
तुम्हें हमने माफ कर दिया!
किसी की नजरो का सामना करना गुलशन की मां के लिए बहुत ही कठिन था, अपनी नजरें झुकाए हुए वो छोटी सी बोतल को लेकर बाहर निकल गई!"
बाबा ने खलिल सुल्तान और जिया से कहा,
"अब आप लोग बेफिक्र होकर घर जा सकते हो! जो भी हुआ एक बुरा ख्वाब समझ कर भूल जाओ! नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू करो..! क्योंकि यह जिंदगी दोबारा नहीं मिलेगी!"
"पर बाबा गुलशन के बच्चे का क्या हुआ? आपने बताया नहीं!
"वह मासूम था! उसने किसी को मारा नहीं है! मारने वाला यही काला जिंन्न था जो हमने बोतल में बंद कर दिया! अब वह वापस लौट कर कभी नहीं आएगा!
सभी ने दो हाथ जोड़कर बाबा को प्रणाम किया! 
पर बाबा वहां से जा चुके थे!
****  *****
छोटी सी बंद बोतल को लेकर मस्जिद के पीछे आई गुलशन की मां ने गुस्से से उस बोतल को एक पत्थर पर दे मारा!
धुवे का छोटा सा आकार उस काले मनहूस बच्चे के रूप में परिवर्तित हो गया!
उस बच्चे ने गुलशन की मां को गर्दन से पकड़ कर जोरो का झटका दिया!
एक जबरदस्त चीख चारों तरफ गूंजी! गर्दन की हड्डियां टूट चुकी थी! और टूटी हुई गर्दन एक तरफ लुढ़क गई!
गुस्से से सुर्ख हुई आंखें तरेरता वो काला बच्चा आगे बढ़ एक पुराने पेड़ पर चढ़कर बैठ गया!
 और धीरे से बोला मैं फिर आउंगा..!
              ( समाप्त)
प्यारे दोस्तों जिन्नात की दुल्हन के बाद हमने उसका दूसरा पार्ट वो कौन थी दिया! 
जो आज इस पार्ट के साथ समाप्त हो रहा है!  उम्मीद करते हैं कि इस कहानी ने आपका बहुत मनोरंजन किया होगा! कहानी के बारे में अपनी राय बेशक लिखे और बताएं क्या आगे भी मेरी लेखनी से ऐसी कहानियां आप पढ़ना चाहोगे....?
आपके जवाबों का हमेशा इंतजार रहेगा!
                            -साबीरखान 
                           9870063267