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पबजी गेम की दीवानगी

“पबजी गेम की दीवानगी”

आर0 के0 लाल

मम्मी मम्मी! परसों मेरी बर्थडे है। मैं तो इस बार आप से गिफ्ट में मोबाइल ही लूंगा। वह भी स्मार्ट मोबाइल। अब मैं 10 साल का हो गया हूं मेरे स्कूल में सभी बच्चों के पास मोबाइल है। सुबह सुबह निशांत ने अपनी मांग बताई।

उसकी मम्मी उर्शा ने उसे समझाने की कोशिश की - 'बेटा तुम्हें अभी मोबाइल की कोई खास जरूरत नहीं है। जब तुम हाई स्कूल पास करोगे तो मैं खुद ही एक अच्छा सा मोबाइल गिफ्ट करूंगी।"

निशांत तो मचल उठा कि नहीं हर हाल में मुझे मोबाइल चाहिए ही, वरना मैं स्कूल नहीं जाने वाला। उसने बताया कि उसके दोस्त रमन के पापा ने उसकी बर्थडे पर एक आईफोन दिया है। तब से तो उसके नक्शे ही बढ़ गए हैं। हम लोगों से ठीक से बात भी नहीं करता है और सब पर अपना रौब जमाता है।

उसकी मम्मी ने कहा- अच्छा तुम स्कूल तो जाओ, हम देखते हैं। तुम्हारे पापा से बात करेंगे।

शाम को जब उर्शा ने अपने पति प्रभात को यह बात बताई तो वह बोले मोबाइल छोटे बच्चों को कभी नहीं देना चाहिए। आज पैसे वाले अपने बच्चों को मोबाइल दिला कर अक्सर अपनी दुश्वारियां अपने हाथों से और भी ज्यादा बढ़ा लेते हैं। मैं तो अभी उसे मोबाइल नहीं दिलाऊंगा।

फिर प्रभात ने कहा उर्शा आओ तुम्हें कुछ समाचार पढ़ाते हैं जो कुछ दिनों पहले ही वायरल हुआ था और कई अखबारों में भी छपा था। उन्होंने अखबार पढ़कर सुनाया-"भारत में पब जी मोबाइल गेम की दीवानगी अब पागलपन का रूप ले रही है, क्योंकि पबजी खेलने के लिए कोई अपने ही घर में चोरी कर रहा है तो कोई किसी की हत्या तक कर दे रहा है। दिल्ली पुलिस ने पांच ऐसे नाबालिग बच्चों को पकड़ा है जो पबजी खेलने के लिए घर से भाग गए थे। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली पुलिस द्वारा पकड़े गए ये पांचों बच्चे उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के रहने वाले हैं।“

उर्शा ने पूछा कि कैसे पता कि बच्चे मोबाइल गेम के लिए ही भागे थे?

प्रभात ने बताया कि समाचार में यह भी लिखा है कि बच्चों ने पुलिस के सामने इस बात को स्वीकार किया है। साथ ही कि गेम आईडी से बच्चों के लोकेशन की जानकारी मिली थी। इतना ही नहीं और भी घटनाएं हो रहीं है जैसे एक बच्चे ने पब्जी के उपस्कर खरीदने के लिए अपने ही घर से पचास हजार रुपये चुराए। रेल की पटरी पर बैठकर यह गेम खेलने वाले दो लोगों की मौत हो गई। एक बच्चे ने इसे न खेलने देने पर अपने परिवार पर चाकू से वार किया और लगातार महीनों तक पब्जी खेलने से किसी की मौत हुई आदि।

उर्शा ने चिंतित होकर कहा यह तो बड़ी खराब और गंभीर बात है। कहीं अपने निशांत के साथ ऐसा कुछ हुआ तो हम क्या करेंगे? मगर वह तो स्मार्ट मोबाइल लेने की जिद पर अड़ा है। समझ नहीं आता कैसे उसे मना करूं।

उसने पूछा कि ये पब गेम होता क्या है?अगर थोड़ा बहुत गेम बच्चे मोबाइल पर खेल लेंगे तो ऐसा क्या है कि क़यामत आ जाएगी।

प्रभात ने कहा - "यही तो तुम्हारे समझने का विषय है। अभी कुछ दिन पहले मोबाइल पर ब्लू व्हेल गेम का किस्सा तुम्हें याद होना चाहिए जिसमें बच्चे खेलते खेलते अपनी नस काट लेते थे अथवा सुसाइड कर लेते थे। लोगों के इसका भरपूर विरोध किया तब जाकर कहीं उस गेम पर पाबंदी लगी।

उसके बाद बच्चे अब पबजी गेम का आतंक छाया हुआ है। छोटे बड़े लड़के-लड़कियां इसे खेलने के लिए हमेशा मोबाइल से चिपके रहते हैं। इसलिए सभी माता पिता को चाहिए कि वे सावधान हो जाएं कहीं उनके बच्चे को इसकी लत तो नहीं लग रही है। आज सभी छात्र-छात्राओं को स्मार्ट फोन चाहिए, ज्ञान पाने के लिए नहीं बल्कि गेम खेलने के लिए।"पबजी का मतलब प्लेयर्स अन नोन बैटलग्राउंड्स है। इस गेम ने हमारे बच्चों की लालसाओं को अचानक बहुत ही ज्यादा उभार दिया है।“

तभी डोर बेल बजी और सामने वाली रागिनी आ गई। उसकी बेटी भी नितिन के स्कूल में ही पढ़ती थी। उसने भी जिद करके पिछले साल एक स्मार्ट फोन ले लिया था।

उर्शा ने उसे देखते ही कहा - "बड़े मौके से आई हो तुम। तुमसे कुछ बात करनी है ।"रागिनी ने कहा हां हां दीदी बताओ क्या बात है?

ऊर्शा ने उससे पूंछा - "तुमने अपनी बेटी को पिछले साल स्मार्टफोन दिलाया था। यह बताओ उसकी पढ़ाई लिखाई पर उसका क्या प्रभाव पड़ा? क्या तुमने उससे मोबाइल दिला कर कोई गलती तो नहीं किया? मुझे बताओ क्योंकि नितिन भी स्मार्टफोन लेने के लिए जिद कर रहा है।"

रागिनी की दुखती नस पर मानो किसी ने हाथ रख दिया हो। उसकी वेदना छलक उठी। वह बोली शायद हम लोगों ने गलत किया। सोचा था इससे उसकी पढ़ाई लिखाई में काफी आसानी होगी। कम से कम जनरल नॉलेज तो बढ़ ही जाएगा मगर वह तो पढ़ाई लिखाई में ज्यादा कमजोर होती जा रही है। दूसरी बात यह है कि झूठ तो वह पहले भी बोलती थी, लेकिन मोबाइल मिलने के बाद बहुत ज्यादा झूठ बोलने में माहिर होती जा रही है और उसको नियंत्रण करना बहुत मुश्किल हो रहा है। कहीं रहती है और कहीं का पता बताती है। पता नहीं हमेशा कौन सा गेम खेलती रहती है? आजकल तो उसे स्कूल नहीं भेज रहीं हूं। रात में उसे शायद बहुत सपने आते हैं। कल सोते सोते चिल्ला रही थी, मारो, मारो, टारगेट बचने न पाए। सुनकर मैं घबरा गई थी । शायद हार्मोनल चेंज के कारण हो।"

प्रभात ने कहा - नहीं भावी जी।आप गलत सोच रही हैं। यह मोबाइल का ही कमाल है। आप की बेटी को शायद पब जी गेम या फ्री फायर की लत लग गई है। आप इसे हल्के में न लें। पबजी, फ्री फायर, फोर्टनाइट जैसे गेम्स के विषय में बच्चों को जागरूक करें और जरूरत हो तो तुरंत उपचार कराएं । मुझे भी नितिन को यह सब बताना है।" रागिनी ने कहा - "भाई साहब मै तो यह सब पहली दफा सुन रही हूं। कृपया थोड़ा विस्तार से बताइए।

प्रभात ने कहा वैसे तो मोबाइल या कंप्यूटर पर सॉलिटेयर से लेकर ब्रिज महोंग, डेली क्रास वर्ड पज़ल , ब्रिज क्लासिक, महजोंग डायमेंशन, टेप जाप बूम, वर्ड वाइप वर्ड तक तमाम तरह के गेम बच्चे खेलते हैं। उसी तरह पब्जी एक तरह का वर्चुअल वीडियो गेम है जिसे मोबाइल और कंप्यूटर पर खेला जाता है। इस गेम की कंपनी का नाम तंसेंट कम्पनी है। इसे बनाने वाले का नाम है ब्रैंडन ग्रीने है जो कि आयरलैंड के रहने वाले हैं। इसे एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए गूगल प्ले स्टोर में डाल दिया गया जहाँ इस गेम को 10 मिलियन से भी ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है ।

इसी क्रम में गरेना फ्री फायर बैटल गोऊंड भी है जो एक 'थर्ड पर्सन' एक्शन गेम है और पब्जी द्वारा प्रेरित है। यह दुनिया भर में सबसे ज्यादा खेला जानेवाला एक अल्टीमेट सर्वाइवल शूटर मोबाइल गेम है। इसे खेलने के लिए इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत होती है। इसे आधिकारिक रूप से 4 दिसंबर 17 से लांच किया गया था जबकि पब जी को 23 मार्च 2017 में लांच किया गया था। एंड्राइड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर ही चल सकता है। इसी प्रकार सुपर सेल में क्लैश ऑफ़ क्लांस और कई मोबाइल वीडियो गेम प्रारंभ किए है। इससे कम्पनी को बहुत ज्यादा कमाई होती है।

रागिनी ने पूछा कि इसमें गड़बड़ी क्या है कि बच्चे खराब हो जाते हैं?

प्रभात ने समझाने के लिए कहा कि इसे खेलने वाला बच्चा धीरे-धीरे इसके एडिक्शन में फंसता जाता है क्योंकि इसके नियम, इसके ग्राफिक्स, आकर्षक रंग, एक मैप के अंदर खेलने की आजादी बच्चों को लुभाती है ।

उर्शा ने कहा मैंने सुना है कि इसे विश्व स्तर पर यह खेला जाता है।

प्रभात ने बताया हां यह बात सही है और खुशी की बात है कि अभी हाल में पबजी के मोबाइल क्लब ओपन 2019 टूर्नामेंट का समापन बर्लिन में 28 जुलाई को हुआ और टॉप एस्पोर्ट्स मोबाइल एस्पोर्ट्स ने इतिहास में सबसे बड़ा पुरस्कार $ 180,000 जीता। क्वालिफाई करने वाली 16 टीमों में से टीम सोल नामक एक भारतीय टीम भी थी जिसने दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में 41 लाख रुपये जीते थे।

उन्होंने आगे बताया कि अगर कायदे से सीमित समय तक यह गेम खेला जाए तो इससे कुछ फायदे भी हो सकते हैं जैसे आपका मनोरंजन हो सकता है, नए नए दोस्त मिलते हैं और मिलकर एक मिशन को अंजाम देने से एकता की भावना पैदा होती है, मगर खेल में उन्हें ज्यादा प्वाइंट्स मिलते हैं जो ज्यादा डैमेज करेंगे, ज्यादा प्लेयर्स को हराएंगे इसलिए यह खेल मुझे नकारात्मक भावनाओ को प्रेरित करने वाला लगता है। मिशन पूरा करने के चक्कर में बच्चों में इसकी लत पड़ जाती है। मिशन पूरा न कर पाने में वे डिप्रेशन में जा सकते हैं और स्वयं को हीन भावना से देख सकते हैं क्योंकि बच्चे भी वर्चुअल दुनिया से कनेक्ट हो जाते हैं और असली दुनिया को समझ नहीं पाते। उन्हें नकली दुनिया में ही अपनी असली दुनिया लगती है। फिर उन्हें नींद नहीं आती और वह आगे चल कर वे मनोरोगी बन सकते हैं। खेलने वाले को गेम के अलावा कुछ दिखाई नहीं देता, हमेशा गेम की बातें करते हैं और हर समय सोचते रहते हैं कि कब गेम खेलने का मौका मिले। इस प्रकार वे अपना रात दिन का कीमती समय व्यर्थ करते रहते हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि गेम के लिए कंपनी ने स्वयं ही बच्चों के लिए चार घंटे और बड़ों के लिए छ: घंटे की टाइम लिमिट लगाई है। परंतु लत लग जाने पर बच्चे इस लिमिट का दुरुपयोग करते हैं। इसलिए हमें उन पर नियंत्रण करना पड़ेगा, उन्हें जागरुक करना पड़ेगा। अच्छे बच्चों को समझना होगा कि अभी उनकी पढ़ाई लिखाई का समय है इसलिए उन्हें केवल पढ़ाई पर ही ध्यान देना चाहिए। उन्हें केवल मैदान में खेलने वाले गेम ही ज्यादा खेलना चाहिए न कि इस तरह के गेम को दिवानगी की हद तक खेलकर अपना जीवन खराब करना चाहिए।

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