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कोरोना-लॉकडाउन से बदल गयी जिंदगी

कोरोना-लॉकडाउन से बदल गयी जिंदगी

आर० के० लाल

"तुम क्या समझते हो अपने आपको? मैं तुम्हारी नौकरानी नहीं हूं”। तनु किचेन से चिल्लाते हुए अपने पति सुमेर से बोली। सुमेर भी तेज आवाज में बोला, “तुम तो आराम से घर में रहती हो, तुम्हें क्या पता कि ऑफिस में कितनी टेंशन होती है, दिन भर खटना पड़ता है ।

तनु ने कहा, “हाँ तुम तो मुझे रानी बना कर रखते हो, ढेर सारे नौकर लगा रखे हैं न । तुम्हें पता होना चाहिए कि मैं अकेले ही घर के सारे कामों के साथ ही तुम्हारे काम भी करती हूं। तुम तो ऑफिस से आकर अपना बैग, लैपटॉप सब कुछ बेतरतीब ढंग से फेंक देते हो और मैं उन्हें उठा कर रखती हूं। कभी कह देते हो- तनु देखना मेरी शर्ट प्रेस नहीं है तो मैं तुरंत प्रेस कर देती हूँ । क्या बच्चे ऐसे ही चले जाते हैं स्कूल ? तुम्हारे माता-पिताजी की थोड़ी देखभाल भी करा पड़ता है। इसी सबसे तो तुम मुझे नौकरानी समझते हो” ।

सुमेर ने कहा कि मैंने कब कहा कि तुम नौकरानी हो, मैंने तो केवल इतना ही कहा कि शाम को हमारे कुछ दोस्त आएंगे। तुम बात का बतंगड़ बना रही हो । तनु ने कुछ ज्यादा तुनकमिजाजी से पूछा, "कुछ दोस्त आएंगे, कहने का क्या मतलब है? तुम्हारे दोस्तों के लिए नाश्ता बनाओ, वे देर तक रहें तो उनको डिनर भी कराओ। मैं कोई जादूगरनी नहीं हूं कि तुमने बोला, मैं अपने हाथ हिला दूँ और सारे काम अपने आप हो जाएं”।

सुमेर ने कहा, “मेरा दिमाग खराब करने की जरूरत नहीं है। मुझे अभी ऑफिस जाना है वहां एक बहुत ही इंपोर्टेंट मीटिंग है। मुझे शांति से ऑफिस जाने दो”। तनु फिर बोली कि तुम तो चाहते ही हो कि यहां का माहौल अशांत कर के शांति से ऑफिस चले जाओ। सुमेर ने कहा कि तुम चुप नहीं होगी तो मेरा भी धैर्य खो जाएगा। तनु बोली, “तो क्या मारोगे मुझे। मारो मुझे। तुमने तो कई बार कोशिश की है मेरे ऊपर हाथ उठाने की । वह कसर भी आज पूरी कर लो”। तनु रोने लगी और सुमेर बिना नाश्ता किए हुए घर से निकल गया । उन दोनों के बीच कुछ दिनों से कुछ ज्यादा ही झगड़े बढ़ने लगे थे और घर का माहौल बिल्कुल भी ठीक नहीं रह गया था ।

तनु ने मां को फोन करके सब बातें बतायीं और कहा कि मैं अब इनके साथ नहीं रह सकती। मैं आपके पास आ रहीं हूँ। उसकी माँ बहुत ज्यादा परेशान हो उठी कि जब से उन दोनों के बीच झगड़े शुरू हुए हैं तब से घर जैसे जंग का मैदान बन गया है। अब तो डिवोर्स की नौबत आ गई है। वह सोचती थी कि बेटी को बहुत काम करना पड़ता है इसीलिए वह चिड़चिड़ी हो गयी है। सुमेर भी सोचने लगा था कि तनु के कारण उसकी जिंदगी खराब हो रही है । इससे तो बेहतर है कि दोनों अलग रहें । दोनों ने मिल कर तय किया कि कुछ दिनों के लिए तनु अपनी मम्मी के यहाँ चली जाए।

तभी कोरोना से निपटने के लिए देश भर में लॉक डाउन लागू हो गया। तनु का जाना रुक गया था। दोनों लॉकडाउन खुलने का इंतज़ार कर रहे थे। आपस में उनकी बोलचाल बंद थी। तनु खाना, चाय नाश्ता बना देती और सुमेर खा लेता। मगर बिना बात-चीत के उनके जीवन की बस्ती सूनी लग रही थी। वे बाहर नहीं जा सकते थे। सुमेर का तो समय ही नहीं कट रहा था, उन्हें लगता कि आज जिंदगी कितनी बेकार हो गई है। तनु की मम्मी ने भी फोन पर उसे सलाह दिया, “अब तुम्हें समझदारी से काम लेना पड़ेगा। कोरोना के इस संकट में घर में ही रहना और सबका ख्याल रखना। बाद में देखा जाएगा”।

घर के जरूरी समान लाने के बहाने और टीवी पर कोरोना की खबरों के बीच तनु और सुमेर भूल ही गए कि दोनों ने आपस में बात न करने का अटल निश्चय किया था। मगर घर में सब मौज के मूड में रहते । जब तनु सबको जगा कर कहती कि उठ जाओ नाश्ता तैयार है तो लोग उठते। नाश्ता करने के बाद सभी अपने अपने मोबाइल अथवा लैपटॉप पर व्यस्त हो जाते। मगर सभी हर घंटे कुछ नया खाने की डिमांड करना नहीं भूलते। चाय की मांग बार-बार बनी रहती। उन्हें इससे कोई सरोकार नहीं होता कि घर में दूध या चाय है भी या नहीं और नौकरनी नहीं आ रही है। दो तीन दिनों तक यही रवैया रहा। तनु ने सोचा कि ऐसे तो हम काम करते करते मर ही जाएंगे इसलिए लॉकडाउन में मुझे समझदारी से काम लेना होगा।

उसी दिन जब सुमेर ने दोबारा चाय मांगी तो तनु ने बहुत प्यार से कहा, “मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं मगर क्या तुम मेरी थोड़ी सी मदद कर दोगे”। सुमेर ने कहा कि बताओ मुझे क्या करना है? तनु ने धुले बर्तनों को जाली में लगाने के लिए कहा। सुमेर लैपटॉप अलग रख कर बर्तन लगाने चला गया। थोड़ी देर बाद सुमेर ने पुनः चाय मांगी। तनु ने कहा मैं कपड़े धो रहीं हूँ अगर तुम उन्हें फैला दो तो मैं जल्दी खाली होकर तुम्हारे लिए चाय बना दूँगी । सुमेर ने धुले कपड़े फैला दिये । इतने में बच्चे कुछ खाने के लिए मांगने लगे । उन्हें मैगी खाना था । तनु ने सुमेर से कहा मैंने भगोने में मैगी रखी है जरा स्टोव पर चढ़ा दो। सुमेर मैगी बनाने लगा साथ ही सोचा कि जब किचेन में आ ही गया हूँ तो अपनी चाय भी बना लेता हूँ। उसने चाय बना ली और तनु को भी दिया। तनु ने सुमेर को धन्यवाद दिया।

शाम को सुमेर का मन चाय के साथ समोसा खाने का हुआ। ऑफिस में तो कई बार समोसा चाय मिलती रहती थी। उससे रहा नहीं जा रहा था। मगर तनु से कहने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी। वह मन मार कर बालकनी में चुपचाप बैठा था । तभी तनु ने गरम गरम समोसा उसके सामने रख दिया जो उसने अभी अभी तले थे। सुमेर तनु को देखता रह गया कि उसे कैसे मालूम कि मेरा मन समोसा खाने को हो रहा था।

अगले दिन तनु किचेन का काम निपटा कर पलंग पर लेट गयी थी और अपने मोबाइल पर व्हाट्स अप्प और फ़ेस बुक पर पोस्ट देख रही थी। वह एक पोस्ट में फलों का शेक बनाने की विधि पढ़ने लगी। उसका मन हुआ यदि कोई शेक बना कर देता तो उसकी सारी थकान ही दूर हो जाती। मगर यहाँ तो बिना अपने मरे स्वर्ग नहीं मिलने वाला। उसे याद आया कि सुमेर बहुत अच्छा शेक बना लेता है। मगर वह वर्क-फ्राम-होम में ही दिन रात उलझा रहता है कैसे उससे कहें। तनु को मोबाइल पर पोस्ट देखते देखते नींद आ गयी और वह खर्राटे लेने लगी। अचानक सुमेर ने तनु को जगाया। उसके हाथ में एक ट्रे में दो ग्लास बनाना-शेक का था। तनु ने पूछा कि तुम्हें कैसे पता कि मैं शेक पीना चाहती हूँ। सुमेर ने कहा जैसे तुम्हें कल पता चल गया था कि मैं समोसा खाना चाहता हूँ । तनु की आँखों में आँसू आ गए। दोनों ने एक दूसरे को केवल सॉरी कहा।

रात को सुमेर ने सोचा कि वास्तव में घर में कितना काम होता है। बेचारी तनु दिन भर इधर से उधर भागती फिरती है और प्रयास करती है कि सबका काम वह स्वयं कर दे। उसने तय किया कि कल से वह यथासंभव उसके काम में मदद करेगा। तनु ने भी सोचा कि सुमेर के पास ऑफिस का कितना काम रहता होगा, बेचारा थक जाता होगा, घर में लड़ कर जाने पर कितने तनाव में गाड़ी चलाता होगा। रास्ते में एक्सिडेंट का डर और फिर जाम का चक्कर अलग से, फिर भी बाहर का सारा काम वही तो करता है। मेरी नासमझी से हमारे घर में अशांति पैदा हो गयी थी। उसने समझा कि पति पत्नी का रिश्ता एक महत्वपूर्ण रिश्ता होता है। झगड़े होना एक आम बात है, परंतु एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप अधिक लगाने से कभी-कभी यह बहुत बड़ी समस्या का रूप धारण कर लेता है। उसने तय किया कि अब ऐसा नहीं होगा।

वे दोनों बदल गए थे। सुबह उठते ही सुमेर घर की सफाई कर देता, कुछ बर्तन भी साफ कर देता और दूध आदि ला देता। अब सुमेर और तनु ने मिलकर नियम बनाया कि घर के सभी लोग आपस में मिलकर काम निपटायेंगे , बच्चे भी अपनी कॉपी किताब और खिलौने संभाल कर रखेंगे, जो गंदगी फैलायेगा वही सफाई करेगा, सब अपने कपड़े खुद ही प्रेस करेंगे। किचन के भी कायदे कानून लिखकर टांग दिए गए कि नाश्ता लंच और डिनर के समय ही रसोई में कोई आ सकता है। केवल बेसिक खाना ही बनेगा। किसी तरह के फास्ट फूड, नहीं मिलेंगे । तय किया गया कि सभी को अपना मोबाइल देखने की छूट होगी लेकिन सभी ईयर फोन का प्रयोग करेंगे। बच्चे दादा दादी का भी काम करेंगे और उनकी देख रेख में कुछ न कुछ क्रिएटिव वर्क करेंगे।

अगले दिन सुमेर ने सुबह तनु से कहा कि आज तुम देर तक सो सकती हो। सभी का काम बाँट दिया गया है। बच्चों को भी स्कूल नहीं जाना । तनु ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया ,”अरे भाई मैं कैसे सो सकती हूं मैं एक होममेकर जो हूं , मैं सोती रहूंगी तो हमारा होम कैसे चलेगा”? सुमेर ने कहा कि आज महिलाएं कितनी सक्षम हैं यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है वह खुद ही अपनी मेहनत और श्रम से हर चुनौती को संभालने में सक्षम है। कोरोना क्या चीज है।

दोनों अब बहुत ही खुश रहने लगे थे, क्योंकि उन्होंने उम्र अच्छे बुरे लम्हे को साथ मिलकर जीने का वादा जो कर लिया था। शाम को बालकनी में कपड़े उतरते समय सुमेर का हाथ तनु के कमर पर था। वह उसका एक हाथ पकड़ कर उसे गिरने से बचाने का प्रयास कर रहा था । कोरोना की बिषम परिस्थितियों ने उनके जीवन को ही बदल दिया था।

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