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करनी का फल

ना ही ये कोई कहानी है, और ना ही मेरी कोई कल्पना।


बल्कि ये एक ऐसी सत्य घटना है जिसने मेरे जीवन में कभी ना भूलने वाली याद छोड़ी है। और मुझे पूरा विश्वास है की ये आपको भी जीवन भर याद रहेगी।

जब में 12 या 13 वर्ष का था उस समय हमारे यहाँ पर अक्सर रात को मोहल्ले के कुछ 24, 25, साल के तीन चार लड़के देर रात को शराब पी कर मोहल्ले के नुक्कड़ पर आते, और आपस में मस्ती मजाक करते, उनमें से कुछ शादी शुदा थे तो कुछ कुँवारे,

खेर अगर उनकी मस्ती हद से बाहर हो जाती तो हमारे मोहल्ले के बड़े बूड़ो में से कोई घर से बहार निकल कर उनको डांट फटकार लगा कर भगा देता।

यहाँ तक तो उनकी मस्ती ठीक थी लेकिन एक दिन ना जाने क्यों उनके भीतर एक अजीब सा राक्षस पैदा हो गया।

जिसके चलते उन्होंने एक निर्दयता से भरा काम किया, उनमें से एक ने मजाक-मजाक में नुक्कड़ पर बैठे एक बेजुबान कुत्ते की पूंछ उठा कर उसके पीछे थोड़ा पेट्रोल डाल दिया।
जिस पर उस कुत्ते को बेहद जलन होने लगी, और वो बार बार अपने पीछे के हिस्से को ज़मीन पर रगड़ने लगा, और बुरी तरह से चीखता हुआ इधर से उधर भागता रहा,

और इन सब को देख वो लोग जोर-जोर से हंसे जा रहे थे, ये सब तो कुछ भी नही था जो उन्होंने उसके बाद किया।
उनमें से एक ने उस कुत्ते के पीछे और भी पेट्रोल डाल कर सीधा आग लगा दी, जिस पर अब वो कुत्ता दर्द से जोरदार चीखे मरता हुआ कार्रहने लगा।
ये देख कर उस आग लगाने वाले के साथी भी चुप हो गए, क्योंकि ये अब उनकी नज़र में ज्यादा था, पर वो आग लगाने वाला आदमी और भी अधिक जोर जोर से हँसने लगा।

उस समय ये देख कर मुझे बेहद गुस्सा आया, और मेरा मन हुआ कि उसको सबक सिखाऊं, मगर अफसोस मैं कुछ नही कर पाया, मैं कम उम्र का होने के कारण उस पर हाथ उठाने का साहस ना कर सका और मन के गुस्से को मन में ही दबा लिया।
वही कुत्ते की दर्द भरी चीखे सुन कुछ लोग बहार आ गए जिन्हें देख वो सब वहाँ से भाग गए।
अब तक कुत्ता भी अपने पीछे लगी आग को बुझा चुंका था और मैने अपने जीवन मे पहली बार किसी जानवर को रोते देखा वो दर्द और जलन से कराहता हुआ वही बैठ कर रोने लगा।

ये देख मुझें लगा, जैसे किसी ने मेरे अपने को चोट पहुचाई हो और वो मेरी तरफ ऐसे देख रहा था जैसे दया करने के लिए बोल रहा हो पर मैं कुछ ना कर पाया।
थोड़ी देर में कुत्ते की आवाज़ सुन कर घर से निकले लोग भी वापिस चले गए।
यदि वो कुत्ता कुत्ता ना हो कर इंसान होता, या फिर इंसानो की तरह अपना दर्द बयां कर पाता तो ये काम एक घोर अपराध होता। लेकिन वो केवल एक सड़क का कुत्ता था, जिसके कारण किसी को उसके ऊपर हुए अत्याचार की नही पड़ी थी।

लेकिन दोस्तों अगले दिन जो हुआ वो मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नही था।

अगले दिन सुबह सुबह मैंने देखा की जिस आदमी ने बीती रात कुत्ते पर पेट्रोल डाल कर आग लगाई थी, वो बेहद ही उदास हो कर अपने दोस्तों के पास उस नुक्कड़ पर आया,
जब उसके दोस्तों ने उसको उदास देखा तो उससे पूछा की वो उदास क्यों है।
तो इस पर पहले तो वो बात को टालने लगा, फिर अचानक फुट फुट कर रोता हुआ बोला " भाई आज के बाद किसी बेजुबान को तंग नही करूँगा, इसकी सजा बहोत बड़ी है।
इस पर उसका एक दोस्त फिर से बोला कि हुआ क्या जो ऐसा बोल रहा है।
तो उसने बताया कि आज सुबह उसका दो साल का बच्चा जब खेल रहा था तो उसके ऊपर खोलती हुई चाय गिर गई और उसकी सारी नाज़ुक खाल लटक गई, एक बार हम लोग बोल कर अपना हाल बता सकते है। पर वो मासूम सा बच्चा क्या बोलेगा जिसको अभी बोलना ही नही आता। मुझे से उसकी तड़प देख कर बर्दाश नही होता,
मैं जानता हूँ ये सब मेरी रात वाली करनी का फल है इसलिए मैं बोलता हूं आज के बाद कभी ऐसा नही करूँगा, और न किसी को करने दूँगा।

उस दिन से वो आदमी पूरी तरह से बदल गया, उसके जानवरो के प्रति विचार भी बदल गए, और अब वो रोज अपने आस पास के कुत्तों को अपने पास से खाना खिलता है। और उसके घर के बहार हरदम कुछ कुत्ते बैठे रहते जिनसे उसका लगाव बेहद खास है। और वो कुत्ते भी उस आदमी के बेटे से जो अब करीब करीब 10 वर्ष का हो गया है काफी लगाव रखते है।


इन सब से मुझे उस दिन इतना तो समझ आ गया कि भले ही हम जानवरों को बेजुबान समझ कर कमजोर मान उनके साथ गलत करते हो, भले ही धरती पर रहते मनुष्य उनकी चीखों पुकार ना सुन पाए, लेकिन एक है जो उनकी हर फरियाद हर चीख को सुनता है और वो है खुदा।

जिसकी मार बड़ी जोरदार होती है।