aankhe, jo mout dekh sakti hai books and stories free download online pdf in Hindi

आँखें, जो मौत देख सकती हैं...

हैलो हैलो, हैलो हैलो ,

हां , बोलो मैं सुन रही हूँ ।

क्या हुआ, सब ठीक है न ? तुम बात करते करते अचानक चुप क्यों हो गयी थी ?

वो मैं.... सूरज जी मैं आपको कुछ बताऊंगी तो आप मेरा यकीन करेंगे!

हां, हां प्रतिभा,आप बताइये तो मैं आपकी बात का पूरा पूरा यकीन करूंगा और प्रतिभा जी आपको नहीं लगता कि हमारी शादी के एक महीने पहले आपका ये प्रश्न कुछ अटपटा सा है क्योंकि हम पिछले पाँच महीनों से फोन पर एक दूसरे से बात कर रहे हैं और जहां तक मुझे लगता है कि हमारे बीच अब इतनी अन्डरस्टैन्डिग तो डेवलप हो ही चुकी है कि आपको अपनी किसी
भी बात को कहने से पहले मन में ऐंसा संशय तो नहीं लाना चाहिए ।

जी , सूरज जी बिल्कुल, मैं आपको अब जो बताने जा रही हूँ वो थोड़ा अजीब है और उसपर विश्वास करना भी जरा मुश्किल, मगर यही सच है।

अब आप पहेलियां ही बुझाती रहेंगी या आगे भी बढ़ेंगी।

सूरज जी मैं खुली आंखों से मौत देख सकती हूँ ।

क्या मतलब ?

मतलब ये कि मुझे अपनी खुली आंखों से कोई दृश्य दिखता है और फिर वैसा ही सच में भी हो जाता है। पहली बार ये अनुभव मुझे मेरी तेरह साल की उम्र में हुआ था ,मेरे पड़ोस में एक अंकल रहते थे और एक दिन अचानक मैंने उन्हें सीढ़ियों से गिरते हुए देखा और वो भी खुली आंखों से जागते हुए ,वो अंकल उस वक्त मेरे सामने ही खड़े हुए थे और मेरे पापा से बात कर रहे थे ।
आपको पता है सूरज जी अगली सुबह मैं जब सोकर उठी तो मेरी माँ और पापा घर में नहीं थे और दीदी से पूछने पर पता चला कि वो पड़ोस के उन्हीं अंकल के घर गये हुए हैं, आज सुबह ही सीढ़ियों से गिरकर उन अंकल की मौत हो गयी। सूरज जी मेरी आंखें मौत देख सकती हैं ।

ओहह! कोई बात नहीं डियर इसमें इतना घबराने जैसी क्या बात है, ये देखना या न देखना आपके वश में तो नहीं ।

सूरज जी, अभी जब मैं बात करते करते चुप हो गयी थी तब मैंने फिर से कुछ देखा ।

क्या देखा ?

मैंने देखा कि एक कच्चा सा मकान है और उसमें एक आदमी की मौत हुई है और उसे जमीन पर लिटाया गया है।

क्या आप उस आदमी को जानती हैं ?

नहीं, वो बहुत धुंधला था,मुझे ठीक से कुछ दिखाई नहीं दिया।

आप चिंता मत करिये और हां रात बहुत हो चुकी है अब आपको सो जाना चाहिए, सुबह मेरा भी ऑफिस है और आपको भी कॉलेज जाना है, ओके बाय, लव यू, टेक केयर और हां अब ज्यादा सोचना नहीं इस बारे में, मैं हूँ न,मुझे बता दिया बस खत्म।

अगली सुबह प्रतिभा के होने वाले ससुराल से फोन आ गया कि सूरज के मामा जी कल रात एक दुर्घटना के शिकार हो गए। प्रतिभा को ये समझते देर न लगी कि कल रात उसनें जिसे अपनी खुली आंखों से मृत देखा था, वो सूरज के मामा जी ही थे ।

प्रतिभा के माँ पापा को इस दुर्घटना का जितना दुख था उससे कहीं ज्यादा इस बात की चिंता थी कि कहीं सूरज के घरवाले इस रिश्ते से मना न कर दें क्योंकि शादी के एक महीने पहले ऐंसी अनहोनी और फिर हमारे समाज की दकियानूसी सोच जो अक्सर ऐंसे मामलों में हर होनी और अनहोनी का जिम्मेदार सिर्फ होने वाली बहू को ही ठहराते हैं। खैर ऐंसा कुछ भी नहीं हुआ और शादी अपनी नियत तिथि में ही हुई ।

आज प्रतिभा की शादी को पूरा एक साल बीत गया था और वैवाहिक जीवन अनेक उतार चढ़ाव से होते हुए एक सुखद सफर तय कर रहा था । आज प्रतिभा के भाई की सगाई है , प्रतिभा अपने मायके जाने के लिए बड़ी खुशी खुशी तैयार हो रही है ।

सूरज यार आपको कितनी बार कहा है कि अगर कहीं जाना हुआ करे तो अपने जूते पहले से पॉलिश करवा लिया करिये।
अब चलते समय आप मुझे ये जूते थमा रहे हैं, देखिये न मैंने साड़ी भी पहन ली है, अब मुझे नहीं पता आप खुद ही कर लीजिये पॉलिश ।

ओके ओके, कर लूंगा बाबा मगर तुम इतना मुंह क्यों बना रही हो ? लाओ इधर दो , मैं करता हूँ पॉलिश, तुम बस खुद ही तैयार हो जाओ समय पर इतना ही काफी है ।

अब आपको झगड़ा करना है क्या ?नहीं नहीं बोल दीजिये करना हो तो, मैं तैयार हूँ ।

हां तुम तो हमेशा ही तैयार रहती हो। अरे बाबा अब रोने मत लग जाना,ओके ओके, सॉरी, रियली सॉरी, अब स्माइल प्लीज़ ।

चलिये अच्छा अब ज्यादा ओवरऐक्टिंग मत करिये ।

सूरज प्रतिभा जल्दी से नीचे आओ भाई लेट हो रहे हैं हम ,समधी जी का दो बार फोन भी आ चुका है,तैयार नहीं हुए क्या ?

रास्ते में सब एक दूसरे से बातें करने में लगे हुए थे तभी प्रतिभा ने सूरज को आवाज़ दी, सुनिये सुनिये ।

अरे बेटा , बहू कुछ कह रही है तुमसे जरा सुन तो ले ।

क्या हुआ प्रतिभा ?

सूरज मैंने अभी अभी फिर से कुछ देखा।

क्या देखा तुम घबराओ मत ,मुझे आराम से बताओ कि तुमनें क्या देखा ?

मैंने उल्टी शहनाई देखी। मुझे बहुत डर लग रहा है,पता नहीं क्या होने वाला है ।

अरे बहू तुम इतना कांप क्यों रही हो, क्या तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है बेटा ?

नहीं माँ मैं ठीक हूँ, बस....बस वो ।

लो भई आ गया समधी जी का घर ।

अन्दर जाने पर देखते हैं कि वहाँ तो कोई भी नहीं है तब प्रतिभा के ससुर जी प्रतिभा के पापा को फोन लगाते हैं ।

हैलो! हां समधी जी हम सब आपके घर पर हैं मगर यहाँ तो कोई नहीं है, अरे भाई कार्ड में तो प्रोग्राम स्थल यही छपा था क्या प्रोग्राम में कुछ बदलाव है ?

अंकल मैं आदेश बोल रहा हूँ एक्चुअली वो ताऊ जी का मोबाइल मेरे पास है, अंकल दरअसल हम सब हॉस्पिटल में है,आप सब भी यहीं आ जाइये।

आज प्रतिभा के भाई की मौत को पूरे तीन महीने बीत गए मगर प्रतिभा तो जैसे आज भी वहीं खामोश हॉस्पिटल में वार्ड के बाहर खड़ी अपने भाई के मृत शरीर को देख रही है और बस वो ही एक सवाल, ये सब मेरी वजह से हुआ है न,मेरी वजह से।

न जाने कितनी बार सूरज ने प्रतिभा को समझाने की कोशिश करी कि तुमने देखा इसलिए ऐंसा नहीं हुआ बल्कि जो होने वाला था वो तुमनें देखा ,तुम्हारी आंखें बस मौत देख सकती हैं, उसे टाल नहीं सकतीं मगर प्रतिभा तो जैसे न कुछ समझना चाह रही थी और न ही समझ पा रही थी।

माँ इस बात का क्या मतलब होता है ?

किस बात का बेटा ?

आज जब मैं स्कूल से घर आ रही थी तो रास्ते में एक बाबा बोल रहे थे कि होनी तो होके रहेगी।
बताओ न माँ क्या मतलब है इसका ?

बेटा इस बात का ये मतलब है कि हमारे जीवन चक्र में जो घटनाएं घटनी हैं वो पहले से तय होती हैं, हर घटना के होने का समय, काल ,परिस्थिति सबकुछ पहले से निश्चित होता है बस हमें पता नहीं होता कि कब क्या होना है और होनी को हम चाहकर भी नहीं टाल सकते क्योंकि होनी तो होके रहेगी।

अच्छा माँ अगर पहले से किसी को होनी के बारे में पता चल जाये तो इसका क्या मतलब है ?

इसका कुछ मतलब नहीं मेरी गुड़िया, मान लो कि अगर किसी तरह से होनी का पता किसी को पहले से लग भी जाये तो बस वो जान सकता है मगर उस होनी के होने या न होने से उसका कोई सम्बंध नहीं ।

ओफ्फो! इतना भयंकर समझाया माँ आपनें कि मेरे तो ऊपर से उड़ गया हा हा ।

अच्छा भयंकर समझाया, बदमाश।

अच्छा माँ मैं खेलने जा रही हूँ ,बाय ।

गुड़िया तो खेलने चली गयी मगर जाते जाते आज प्रतिभा कोअपने खुद से किये गए प्रश्न का खुद से ही उत्तर दिलवा गयी थी ।

सूरज भी दूसरे कमरे से माँ बेटी की ये सारी बात सुन रहा था,उस घटना के आज पूरे दस साल बाद सूरज ने प्रतिभा के चेहरे पर वो पहले सा सुकून और सुकूनभरी मुस्कान देखी ।

निशा शर्मा...