Adhuri Kahani - last part books and stories free download online pdf in Hindi

अधूरी कहानी - अंतिम भाग

विशाल ओर लता को साथ में काम करते हुए 3-4 माह हो जाते है। दोनों अभी भी एक दूसरे को पसंद नहीं करते । एक दूसरे को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ते पर जब बात काम कि आती है तो दोनों ही मानो एक जैसे है। यह बात विशाल से भी नहीं छुपी है। वह चाहे लाख नफरत करे लता से पर वह लता के काम में चाहकर भी कोई गलती नहीं निकाल पाता । बस वह ऐसे ही सोच रहा था कि जय विशाल के ऑफिस में आता है ।

जय: क्या बात है यार विशाल सिंघानिया और वो भी किसी के प्यार में ?
विशाल: बस आते ही तूने अपनी बकवास शुरू कर दी हान!? एक बात बताओ तुम्हे किस एंगल से लगता है कि में उसके प्यार में पडूंगा हा!?
जय: अच्छा और अगर ऐसा हुआ तो!?
विशाल: ( जोर जोर से हंसते हुए ) हाहाहहा!! मेरे कभी बुरे सपने में भी नहीं होगा ते घटिया बाते दिमाग से निकाल दो ।
जय: चल फिर लगी शर्त !!?
विशाल: क्या यार अब ऐसी बेकार सी बात में भी शर्त लगाओगे क्या.. शायद तुम भूल गए हो की तुम्हारा दोस्त होने के साथ साथ में विशाल सिंघानिया हूं .. में वहीं बात कहता हूं जिसके बारे में १००% श्योर होता हूं।
जय: अरे!! तो फिर शर्त लगा फिर देखते है कौन जीतेगा और कौन हारेगा।
विशाल: चल फिर ठीक है!! देख लेना क्योंकि विशाल सिंघानिया को हारना पसंद नहीं ये अच्छी तरह जानते हो।
जय: ( मुस्कुराते हुए ) अरे!! वो तो वक्त ही बताएगा!! फिलहाल तो अभी की बात करे!!
विशाल: क्यों!? क्या हुआ है अभी!!?
जय: अरे! वो सना लता मै और राहुल लंच पर जा रहे है तो तुम्हे भी आना है क्या!!?
विशाल: नो!! राहुल का वहा क्या काम है। उसे क्यों साथ ले जा रहे हो!!? सिर्फ तुम तीनों भी तो जा सकते हो ना।
जय: अरे!! प्लान तो हम तीनो का ही था फिर लता ने ही कहा की क्या वह राहुल को भी बुला सकती है !! तो मैने हां कहा कहा आई मीन अब प्यार ओह सॉरी मतलब दोस्त है वह दोनों तो!!?
विशाल: ( गुस्से में जय की ओर देखते हुए ) क्या मतलब तुम्हारा!!?
जय: अब एसा तो नहीं है कि में अपने मन से कहानी बना रहा हूं। अब जिस तरह से दोनों एक दूसरे के साथ बर्ताव करते है उससे साफ है कि राहुल लता को पसंद करता है। ओर लता!!... ( मन में सोचते हुए अब आएगा मज़ा विशु अगर तुम्हे जलाकर अगर तुम्हे अहसास ना दिलाया कि तुम प्यार में हो तो मेरा नाम भी जय नहीं।)
विशाल: लता क्या!!?
जय: अब खैर छोड़ो तुम्हे उससे क्या! अब एसा तो नहीं है कि तुम्हे उससे प्यार है या फिर तुम्हे उसकी परवाह है।
विशाल: ( गुस्से को कंट्रोल करते हुए) बिल्कुल मुझे क्या फर्क पड़ेगा !! ( खुद को समझाते हुए )।
जय: ( मुस्कुराते हुए ) वहीं तो !!.... चलो अब मै चलता हूं वो लोग मेरा इंतज़ार कर रहे होगे।
विशाल: ( अपना जैकेट लेते हुए ) हमम!!?
जय: तुम भी आ रहे हो!?
विशाल: नहीं! पर इसमें इतना चोकने वाली कौनसी बात है! अगर मै आऊ तो हान!?
जय: ओह कमोन हम दोनों जानते है !!
विशाल: फाईन फाईन बकवास बंद करो अपनी और चलो मुझे मीटिंग के लिए देर हो रही है।
जय: ठीक है फिर।
विशाल: अब तुम कब बता रहे हो की तुम उससे प्यार करते हो !! यूं नो ऐसे फ़िज़ूल काम में समय बर्बाद करने से अच्छा है कि तुम अपने प्यार पे ध्यान दो ।
जय: अरे यार!! किसने कहां में नहीं बताना चाहता पर पता नहीं कोई सही मौका ही नहीं मिलता ।
विशाल: अगर ऐसा करते रहे ना तो मेरा तो पता नहीं पर तेरा ओर सना का कुछ नहीं हो पाएगा हाहाहाहाहा..!
जय: ( गुस्से में विशाल को मुक्का मारते हुए )...
विशाल: सच ही कह रहा हूं!! बता दे सही वक्त देखकर इससे पहले की ओर देर हो जाए!!?
जय: सही वक्त आने दे में उसे बता दूंगा अभी फिलहाल चले मुझे देर हो रही है।
विशाल: या..!

यह कहते हुए दोनों ऑफिस से बहार निकलते है । जय और विशाल दोनों ही गेट के पास पहुंचते है तभी जय और विशाल को किसी के हंसने कि आवाज आती हैं । दोनों ही देखते है तो लता राहुल के साथ ढहाके लगाकर हंस रही थी। यह देखकर ना चाहते हुए भी विशाल का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुंच गया था। अपने हाथ को जिस तरह से गुस्से मै बंद कर लिए थे कि उसके हाथ की नस सफेद पड़ गई थी। वह अपने हाथ की मुट्ठी खोलते हुए जय से कहता है कि उसे देर हो रही है इसलिए वह जा रहा है । यह कहते हुए वह लता कि ओर आखिरी बार देखता है। अपनी कार लेकर विशाल वहा से निकल जाता है। जय सना की ओर देखता है तो वह किसी खयालों में डूबी हुई थी । तभी वह सना के पास जाते हुए ।

जय: सना!!
सना: (जवाब नहीं देती )
जय: ( चुटकी बजाते हुए ) कहां खोई हुई हो!!? ( मुस्कुराते हुए )
सना: ( खयालों में से बहार आते हुए) कहीं नहीं!! ( रूखा जवाब देते हुए )
जय: ( सना को इस तरह जवाब की वजह से उसकी मुस्कुराहट चली जाती है ) तुम्हे क्या हुआ अभी थोडी देर पहले तो ठीकठाक थी।
सना: एक बार कहां ना कुछ भी नहीं! ( यह कहते हुए वह जय से दूर लता के पास चली जाती है )

जय लंच के दौरान भी देखता है कि सना खोई खोई सी थी । उसने ठीक से खाना भी नहीं खाया। और ऊपर से सना का बर्ताव भी काफी अजीब था वह कभी भी इस तरह से बात नहीं करती । पर हुआ क्या है यह बात जय के समझ में नहीं आ रही थी । वह उससे बात करना चाहता था लेकिन सना उसे इग्नोर कर रही थी । फिर दोनों अपने काम में व्यस्त हो गए थे कि जय को समय ही नहीं मिला सना से बात करने का । जय रात को ऑफिस से निकलते हुए सोचता है कि कल सुबह सबसे पहले सना से इस बारे में बात करेगा । दूसरी ओर विशाल भी सिगरेट पीते हुए बालकनी में खड़े खड़े सोच रहा था कि आखिर आज उसने इस तरह बर्ताव क्यो किया!!? क्या वह सच में लता को पसंद करता है। लेकिन यह कैसे हो सकता है । उसमे एक भी ऐसी बात नहीं है जैसी उसे लड़कियों मै पसंद है और तो और वह उसे हर बात पे चैलेंज करने के लिए तैयार रहती है। नहीं नहीं एसा बिल्कुल भी नहीं हो सकता । वह खुद को ही समझाता है । लेकिन फिर तुम गुस्सा क्यों हुए जब वह राहुल के साथ हंस रही थी । विशाल का मन खुद ही से सवाल पूछ रहा था । वह अपने सिर को हिलाते हुए सोचता है कि कल सबसे पहले मुझे इस सवाल चाहिए बस। यह अपने आप से कहते हुए वह सोने चले जाता है ।

रात को विशाल को किसी का फोन आता है । जिस से उसकी नींद उड़ जाती है । वह जल्दी से अपनी कार लेकर अस्पताल के लिए निकल जाता है । विशाल का दिल डर के नारे मानो बैठा जा रहा था । वह जल्दी से अस्पताल पहुंच कर रूम नंबर के लिए पूछता है तो डॉक्टर उन्हें ले जाते है।
वह देखता है तो सामने एक बेजान लाश कि तरह एक लड़की पड़ी थी वह ना ही सांस ले रही थी ओर ना ही पलके ज़पका रही थी। इतने सालो की लड़ाई के बाद आज उसने अपना दम तोड ही दिया। विशाल के आंखो से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे । वह एक ही थी जिसके लिए वह जिंदा था । अब उसका ख्याल कौन रखेगा । वह उसे उठाने की कौशिश कर रहा था। लेकिन वह कोई जवाब नहीं दे रही थी । विशाल की पुरी दुनिया मानो जैसे चूर चूर हो गई हो। एक उसकी बहन ही थी जिससे वह पूरी दुनिया में अपना परिवार कह सकता था । विशाल के लिए वह उसका जहां और उसके लिए विशाल । वह आखिरी बार अपनी बहन को देखते हुए कमरे से बहार निकलता है। तभी वह देखता है कि लता वहां पर बुत बने हुए खड़ी थी। जिससे देखकर पहले तो वह सोचता है यह उसका वहम है लेकिन फिर जब वह रास्ते से नहीं हटती तो उसे यकीन होता है कि वह सचमे लता ही थी । वह अभी किसी से बात करने के मूड में नहीं था क्योंकि उसकी बहन को खोने का जखम शायद ही कभी भर पाएगा । लेकिन वह किसी को अपनी दुर्बलता दिखाना भी नहीं चाहता था । क्योंकि आखिरकार सभी लोग विशाल सिंघानिया को इसीलिए तो जानते है की वह कभी कमजोर नहीं पड़ता । वह बस ऐसे सोच रहा था कि तभी लता कहती है ।

लता: ( गला साफ करते हुए ) आहम्म...! ( विशाल की और रुमाल देते हुए )
विशाल: ( लता की ओर देखते हुए कुछ बोल नहीं पाता ) ....!
लता: ले लो !! आखिरकार हम सब इंसान ही है कोई मशीन तो नहीं जिससे फिलिंग ना हो।
विशाल: ( रुमाल लेते हुए ) हम्म!!
लता: ( विशाल की विपरीत दिशा में जा रही थी तभी विशाल कहता है ।)..
विशाल: रुको..!! मतलब इतनी रात के तुम अकेली कैसे जाओगी में छोड़ दूंगा तुम्हे घर तक!!
लता: नहीं!! शुक्रिया मै चली जाऊंगी !!
विशाल: बच्चों जैसी बाते मत करो वैसे भी रात बहुत हो गई है ओर यहां अकेले जाना सुरक्षित भी नहीं है।
लता: ( हिचकिचाते हुए) अम...म शुक्रिया!!.
( कार को हॉस्पिटल के गेट पर लाते हुए हॉर्न बजाता है जिससे लता हिचकिचाते हुए कार में बैठ जाती हैं ) ..
दोनों में से कोई भी कुछ भी नहीं बोल रहा था । लाखो सवाल दोनों के मन में गुम रहे थे लेकिन कोई भी पहले बोलने के लिए तैयार नहीं था तभी लता कहती है ।
लता: तो!!! आप इतनी रात गए हॉस्पिटल में!!?
विशाल: यह सवाल तो मै भी तुमसे पूछ सकता हूं!!?
लता: मै एक फ्रेंड को लेकर आई थी । उसकी तबियत अचानक खराब हो गई थी तो!!
विशाल: और तुम बिना सोच समझे इतनी रात को अकेली चली आई!!?
लता: अब क्या करू मजबूरी थी ना आती तो न जाने क्या हो जाता!।
विशाल: हम्म..
लता: और आप इतनी रात ...
विशाल::( लता की बात को काटते हुए ) मेरी सिस्टर ...( हिचकिचाते हुए ) अ...म्मम आज उसकी डेथ हो गई ..... इतने सालो बाद आज उसने लड़ाई छोड़ दी !!।
लता: आई एम् सो... सोरी पर मुझे नहीं पता था !! लेकिन एक बात पूछूं अगर आप बुरा ना माने तो !!
विशाल: जानता हूं कि क्या हुआ था उसे थी ना!!
लता: हम्म!!!
विशाल: वो.. वो... ( गुस्से को काबू में करते हुए ) एक रे....रेप.... सर्वाइवल थी !!!! उन कमीनो ने ये तक नहीं सोचा कि वह किसी की बहन हो सकती है । या फिर किसिकी पूरी दुनिया उजड़ सकती है उनकी इस हरकत की वजह से!!! बल्डीबासटर्ड... ( गुस्से में गाड़ी के स्टरिग पे हाथ मारते हुए )....।
लता: ( विशाल को इतना गुस्से म देखकर चौंक जाती है और समझ भी नहीं पाती की क्या कहे जिससे उसका गुस्सा कम हो जाए ) ... ।
विशाल: ( जोर जोर से हंसते हुए ) हाहाहाहा.... इट्स नोट इट फनी ... की में बता भी रहा हूं तो उस इंसान को जो मुझसे ओर जिससे में बेइंतेहा नफरत करता हूं।
लता: किसने कहां में तुमसे नफरत करती हूं !!
विशाल: ( आइब्रो ऊपर करते हुए लता कि ओर देखता है ) ...।
लता: मतलब की मै तुम्हे पसंद नहीं करती ये सच है लेकिन तुम इतने भी बुरे इंसान नहीं हो की मै तुमसे नफरत करू । इस वकत तो बिल्कुल भी नहीं ।
विशाल: हाहाहाहा..... क्या समझू इसे तारीफ या बेइज्जती!!
लता: तुम्हारी मर्ज़ी जो समझना है समझो!!
विशाल: नहीं एक बात बताओ मुझ में ऐसी क्या कमी है जो तुम मुझे पसंद नहीं करती मतलब जब देखो तब लड़ने के लिए तैयार रहती हो। अच्छा खासा दिखता हूं सक्सेसफुल भी हूं। फिर क्या कमी क्या है मुझमें।
लता: सीरियसली!!! वैसे खूबसूरत तो गधे भी होते है तो!! ओर रही बात सक्सेस कि तो वो बड़ी बात नहीं है एक अच्छा इंसान बनो वो इंपॉर्टेंट है।
विशाल: तो तुम्हारा क्या मतलब है कि में बुरा इंसान हूं।
लता: मैंने एसा तो नहीं कहा!!
विशाल: तो क्या में अच्छा इंसान हूं!!
लता: मैंने एसा भी नहीं कहा!!
विशाल: ( इरिटेट होते हुए ) यार तुम बड़ी ही कॉम्प्लिकेटेड हो!! हमेशा मुझे उल्टे मुंह ही जवाब देती हो । आई वंडर की तुम्हारी फैमिली तुम्हे कैसे संभालती होगी!!
लता: ( मुस्कुराहट चली जाती है ) आई... है... व... नो... वन...…. धेय आर डेड....।
विशाल: ( लता की ओर आश्चर्य में देखते हुए ) ..... आई ... आईं...
लता: ( विशाल की बात को काटते हुए ) कोई नहीं अब इसमें हम क्या कर सकते है !! जिंदगी और मौत हमारे हाथ में थोड़ी हैं। तो अब कुछ भी हो जीना तो पड़ेगा ही चाहे कोई साथ रहे या ना रहे ।
विशाल: हम्म ... वैसे कुछ अजीब नहीं लग रहा हम दोनों नॉर्मल इंसान की तरह बात कर रहे है। स्पेशियली तुम... हाहाहाहा....
लता: ओह हैलो मै नॉर्मल ही बात करती हूं ये तो तुम हो जो मुझे बुरा बनने पे मजबुर करते हो समझे !!
विशाल: ये देखो !!! हाहाहाहाहाह..... बस फिर से
लता: ( हंसते हुए ) हाहहाहहा.... सही है हम दोनों कभी नॉर्मली बात नहीं कर सकते और मुझे तो लगता है हम शायद ही कभी नॉर्मल बात करेंगे!!
विशाल: आईं टोटली अग्री ऑन धेट...! बट हम नॉर्मल बात कर सकते है अगर तुम चाहो तो!?
लता: कैसे!!?
विशाल: अगर हम एक दूसरे को अच्छे से जान ले तो शायद ही गलतफहमी होगी!!!
लता: और वो भला कैसे होगा !!?
विशाल: अगर हम दोस्त बन जाए तो हो सकता है।
लता: सीरियसली... धी विशाल सिंघानिया मुझसे दोस्ती करना चाहता है । कौन हो तुम और तुमने मिस्टर सिंघानिया को क्या किया है जल्दी बताओ।
विशाल: कमोन अब ये इतनी बड़ी भी बात नहीं है।
लता: एक्स्क्युमी मिस्टर सिंघानिया अगर कोई और होता तो समझ आता यहां बात आपकी है तो आश्चर्य लगना जायज है।
विशाल: ओके फाईन माना अब कहो करोगी दोस्ती!!?
लता: ( सोचते हुए ) अम्म.... बिल्कुल!!
विशाल: ये हुई ना बात !! ( हाथ मिलाते हुए ) और चलिए मैडम आपका घर भी आ गया।
लता: शुक्रिया मिस्टर सिंघानिया...
विशाल: विशाल यू केन कोल मी विशाल इफ यू डोंट माइंड!
लता: ओके फाईन थैंक्यू मिस्टर विशाल ( हंसते हुए ) हाहाहाहाहा.....!!!

विशाल भी मुस्कुराते हुए अपने घर की ओर निकल पड़ता है । वह ड्राइव करते हुए यही सोचता है कि क्या से क्या हो गया आज की रात में । एक ओर उसकी बहन उसे छोड़कर चली गई दूसरी ओर लता....! लता के बारे में सोचते ही उसके चहेरे पे मुस्कुराहट आ जाती है । वह बस यूंही सोचते सोचते अपने घर पहुंच जाता है। और सिगरेट पीते हुए सोचता है कि क्या वह सच में लता को पसंद करता है क्योंकि जिस तरह से आज उससे बात हुई है उससे तो साफ है कि वह लता कि ओर अट्रैक्ट तो हो रहा है। पर क्या लता के दिल में भी कोई फिलिंग है । वह सोचता है नहीं नहीं ये रिश्ता दोस्ती तक ही सीमित रहे तो बेहतर है । और वह गहरी नींद में सो जाता है। सुबह होते ही जय ऑफिस पहुंचा ही था कि वह सना को रिसेप्शनिस्ट डेस्क पर नहीं देखता तो वह आसपास उससे ढूंढ़ता है जब वह कहीं नहीं मिलती तो वह उसे कॉल करता है लेकिन उसका नंबर बंद आ रहा था । तभी जय चितित होते हुए अपने ऑफिस में जाता है वहा पर एक लिफाफा पड़ा होता है । वह सोचता है सुबह सुबह किसने भेजा होगा जब वह लिफाफा खोलता है तो मानो उसके पैरो के नीचे से जमीन खिसक गई हो । उस लिफाफे में सना का रिजाइन लेटर था। वह समझ नहीं पा रहा था क्या हो रहा है। वह जल्दी से अपने ऑफिस के बहार निकलते हुए कार में बैठता है ओर सना जहा रहती थी उस जगह पर पहुंचता है । वह डोरबेल बजाता है लेकिन कोई दरवाजा नहीं खोलता । जय सना को आवाज देता है लेकिन फिर भी कोई जवाब नहीं मिलता। तभी आसपास लोगो से पूछने पर पता चलता है कि वह लोग आज ही ये घर छोड़ के चले गए किसीको भी नहीं पता कहा गए और किस वजह से गए है। जय तो मानो बावला हो गया था उससे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये हो क्या रहा है। एक रात में जय की पूरी जिंदगी उल्ट पुल्ट हो गई थी । वह क्या करे कैसे ढूंढे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था । वह हताश होकर ऑफिस जाता है। दूसरी ओर विशाल भी जब सना के बारे में जय से पूछता है तो जय उसे ठीक से जवाब नहीं देता । विशाल भी समझ नहीं पाता आखिर हो क्या रहा है । जैसे जैसे दिन बीतते गए वैसे वैसे जय की ज़िन्दगी बद से बदतर होती गई। वह ना तो काम में ध्यान दे रहा था ना ही अपने आप पर । पूरा दिन नशे में धुत रहता था । मानो जैसे ये वो जय है ही नहीं जिसे सब लोग जानते थे। विशाल भी जय की ऐसी हालत देखकर परेशान था । वह अपने दोस्त को इस गम से बहार निकाले तो कैसे यह उसे समझ नहीं आ रहा था । वह बस अपने ऑफिस में से ऐसे ही बहार का नज़ारा देख रहा था कि तभी विशाल को एक नोक सुनाई देती है जिससे वह खयालों में से बहार आता है ।

विशाल: कम इन।
लता: मिस्टर सिंघानिया!! थोड़ी देर में मिस्टर.. अभिषेक आने वाले है तो आप मीटिंग के लिए रेड्डी है!?
विशाल: हम्म्...
लता: ( विशाल को ऐसे दुखी देखकर उसे अच्छा नहीं लग रहा था ) विशाल!! देखो अब तुम भी ऐसे अगर गम में चले जाओगे तो फिर ये सारा बिजनेस कौन संभालेगा !! । तो संभालो खुद को !!
विशाल: ( आंखे बंद करते हुए ) क्या करू यार मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सारे अपने मुझे एक एक करके छोड़ के जा रहे है । पहले दी... अब जय.. मुझे समझ ही नहीं आ रहा कैसे समजाऊ उसे।
लता: विशाल आई अंडरस्टैंड पर उसे भी थोड़ा टाइम चाहिए खुद को संभालने के लिए । और फिर हम भी तो कोशिश कर रहे है सना को ढूंढने की तो हौसला रखो जो होगा वो अच्छा ही होगा ।
विशाल: ( दर्द में हंसते हुए ) हाहाहाहाहा... तुम्हे सच में लगता है कि कुछ अच्छा होगा । यार किस मिट्टी की बनी हो तुम जो तुम्हे ऐसी सिचुएशन में भी अच्छा होगा ऐसा लग रहा है।
लता: अगर सच बताऊं तो जिस दौर से में गुजरी हूं उसके बाद तो हर मुसीबत में कुछ ना कुछ अच्छा दिख ही जाता है।
विशाल: लता मै सबकुछ जानता हूं तुम्हारे बारे में सिवाय इस राज के ये कौनसी ऐसी बात जिस वजह से तुम इतनी बदल गई हो ।
लता: तुम जानते हो मै अभी तैयार नहीं हू बताने के लिए।
विशाल: फिर से वही बात यार क्या तुम्हे मुझ पर भरोसा नहीं है!!
लता: ये बात नहीं है विशाल बस मुझे समझ नहीं आ रहा की तुम कैसे रिएक्ट करोगे ओर फिर मुझे किस नज़रों से देखोगे बस इसी डर की वजह से में किसी को भी बता नहीं पाती।
विशाल: ( लता के हाथ को अपने हाथ में लेते हुए ) जानता हूं जो भी हुआ होगा वह बहुत ही बुरा हुआ होगा पर तुम मेरे लिए खास हो और हमेशा रहोगी चाहे फिर जो भी वजह हो यह बात नहीं बदलेगी । तो तुम मुझे बेजीजक बता सकती हो ।
लता: ( चेयर पर बैठते हुए ) बात....दरअसल ( हिचकिचाते हुए ) पाच साल पहले की है!! जब में नई नई जॉब कि शुरुआत हुई थी ................ और फिर उस एक गलती ने मुझसे मेरा सब कुछ छीन लिया मेरे मोम डेड मेरा भाई मेरी पूरी ज़िन्दगी ही बर्बाद हो गई । उस गलती कि वजह से जो की मेरी थी ही नहीं। जिस नज़रों से मुझे लोग देखते थे वह आज भी मुझे याद है मानो जैसे में कोई गुनेहगार हूं मेरा जीना जैसे कोई गुनाह हो । जैसे तैसे खुद को संभालकर इस शहर में आ गई । ( आंसू पोछते हुए ) इसी वजह से में उस दिन तुम पर भड़क पड़ी थी। ( विशाल की ओर देखते हुए )...
विशाल: ( लता को कस के गले लगाते हुए ) इतनी बड़ी बात तुमने मुझे आज तक क्यों नहीं बताई जब की तुम अकेले ये सब कुछ सहन करती रही क्यों!!? लता!!? क्यों ? जो भी हुआ उसमे तुम्हारी कोई भी गलती नहीं है । ये सब उन लोगो की गलती है जिन लोगो ने ये घिनौनी हरकत की है । तुम्हे पूरा हक है कि तुम अपनी ज़िन्दगी शान से ओर खुशी खुशी जियो । और एक वादा भी करता हूं आज की आज के बाद तुम पर आने वाली हर मुसीबत को पहले मेरा सामना करना होगा में तुम पर आंच भी नहीं आने दूंगा ।
लता: ( आंसू पोछते हुए ) शुक्रिया विशाल इट्स मीन अलॉट!!
विशाल: अब जो हो गया सो हो गया आज मुझे तुमसे एक ज़रूरी बात करनी है क्या तुम शाम को मेरे साथ डिनर पर चलोगी।
लता: पर क्यों मतलब!!?
विशाल: ( लता की बात को काटते हुए ) तुम्हारे सारे सवालों के जवाब वहीं दूंगा पहले जवाब दो चलोगी क्या!!?
लता: ठीक है !! मै आऊंगी तुम्हारे साथ!
विशाल: शुक्रिया सच में मुझे तो लगा कि तुम मना ही करोगी!!
लता: चलो अब ये सब छोड़ो ओर टाइम देखो अभी पांच मिनिट में सभी मीटिंग के लिए आते ही होंगे !! । मै सबकुछ देखकर आती हूं कि रेडी है कि नहीं ।
विशाल: हम्म एंड थैंक्यू फॉर एवरीथिंग!! लता!! लाईक दिल से थैंक यह मुझे संभालने के लिए ओर बिजनेस में हेल्प करने के लिए ।
लता: कमोन यार आखिरकार दोस्त होते किस लिए है अब जल्दी से प्रोजेक्टर रूम में आ जाओ तब तक में लास्ट टाइम सब देख लेती हूं ( यह कहते हुए वह विशाल के ऑफिस में से बहार चली जाती है ।)

विशाल का ध्यान मीटिंग में कम ओर आज लता को अपने दिल कि बात कैसे कहेगा वह इस बारे में ही सोच रहा था। जैसे ही मीटिंग खतम हुई वह जल्दी से उठकर अपने ऑफिस में चला गया। विशाल एक बॉक्स में से रिंग निकाल कर देख रहा था । वह बस उस बॉक्स को अपनी जेब में रखते हुए जल्दी से लता को ढूंढ रहा होता है । वह लता के पास जाते हुए कहता है ।

विशाल: तो चले!!
लता: कहां!!?
विशाल: डिनर बताया तो था ।
लता: हा पर इतनी जल्दी क्या है !!? पहले घर चलते है फेश होकर बाद में मिलते है ।
विशाल: नहीं अब मुझसे ओर नहीं हो पाएगा । तुम रेडी बाद में हो जाना वैसे भी अच्छी लग रही हो तुम्हे ओर तैयार होने की जरूरत नहीं है तो चलो अब ( लता का हाथ पकड़ते हुए )
लता: ( हंसते हुए ) हाहाहा... सीरियसली बच्चो जैसे तुम बिहेव कर रहे हो !!
विशाल: वो जो भी है तुम गाड़ी में बैठो ( कार का दरवाजा खोलते हुए ) ..
लता: जी जहापनाह और कुछ ( कार में बैठते हुए )

विशाल और लता एक रेस्टोरेंट में पहुंचते है । विशाल ने ऑलरेडी सब तैयारी पहले से ही कर रखी थी । जिससे देखकर लता खुश तो थी लेकिन उससे समज नहीं आ रहा था कि ये सब किस लिए है । वह दोनों खाना खाते हुए बात कर ही रहे थे कि तभी विशाल कहता है ।

विशाल: मुझे तुमसे कुछ कहना है ।
लता: हम्म बोलो!!
विशाल: पता नहीं कैसे बताऊं पर बिना बताए रहा भी नहीं सकता ।
लता: बोलो भी अब मुझसे क्या शर्माना तुम्हारे सारे राज तो जानती हूं में!!। बिगड़े नवाबजादे।
विशाल: अरे यार वो बात नहीं है अक्तयुली लता में कह रहा था कि ....( घुटनों के बल बैठते हुए ) आईं .... लव यू ..... विल यू मेरी मी .... ( अंगूठी हाथ में लेते हुए )।
लता: ( समझ नहीं पा रही थी कि यह क्या हो रहा है उसका दिमाग तो मानो काम करना बंद कर दिया हो )
विशाल: बोलो यार कुछ क्यों डरा रही हो मुझे!!?
लता: आईं मीन ... क्या बोलूं मै ये बताओ तुम मज़ाक कर रहे हो राइट .. हाहहाहाह....
विशाल: तुम्हे सच में लगता है में एसा मज़ाक कर सकता हूं!!? ओर यहां मेरा पैर दर्द होने लगा है जल्दी से जवाब दो यार।
लता: अब में क्या बोलूं मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा !!? आई मीन वाय क्यों किस लिए !!?
विशाल: मतलब!!?
लता: मतलब मै ही क्यों!!
विशाल: अब मुझे क्या पता मेरे दिल से पूछो उसे तुम पसंद हो बस।
लता: ये कोई रीज़न नहीं हुआ!।
विशाल: क्या मतलब!!??
लता: मतलब ऐसे तो तुम्हे कल कोई और पसंद आ जाए तो !!?
विशाल: ( खड़े होते हुए ) मतलब क्या है तुम्हारा!!?
लता: यही की पसंद हू ये तो कोई वजह नहीं हुई !!
विशाल: तक फिर क्या वजह दू जो सच है वहीं कहां !! इससे बड़ा ओर क्या सबूत दू की मै पूरा दिन तुम्हारे खयालों में ही डूबा रहता हूं।
लता: विशाल... आई एम सॉरी पर में ये नहीं कर सकती..! ( अपनी जगह से जाते हुए )
विशाल: ( हाथ पकड़ते हुए ) क्यों!!? क्या कमी है मुझ में !!
लता: विशाल बात वो नहीं है । तुम अच्छे इंसान हो इसमें कोई दोराय नहीं है लेकिन..
विशाल: लेकिन क्या.. वजह तो बताओ यार ऐसे कैसे तुम मेरे जज्बात के साथ खेल सकती हो ।
लता: आईं एम्म रियली सो..सोरी.. ( अपना हाथ विशाल के हाथ में से छुड़ाते हुए रोते हुए चली जाती है )

विशाल वहा खड़ा था उसे समझ नहीं आ रहा था अभी क्या हुआ । वह मानो जैसे बुत बने हुए खड़ा था । वह इस दर्द को कैसे संभाले उसे समझ ही नहीं आ रहा था । वह बस लता जिस दरवाजे से गई थी उसी दरवाजे कि ओर देख रहा था । थोड़ी देर बार खुद को संभालते हुए वह अपना जैकेट पहनते हुए रेस्टोरेंट से बहार चला जाता है। उस घटना के बाद विशाल और लता एक दूसरे को इग्नोर करने कि कोशिश करते रहे । सिर्फ काम कि ही बात करते ओर कुछ नहीं । लता की कमी खल रही थी । वह जानती थी कि उसने जो भी किया वो अच्छा नहीं किया लेकिन वह करती भी किया वह खुद ही तैयार नहीं है इस रिश्ते के लिए । वह जानती थी कि अगर वह इस रिश्ते में बंधी तो वह विशाल को कभी खुश नहीं रख पाएगी । लता बस यह सब सोच रही थी कि तभी जय आता है।
जय: लता!! मुझे तुमसे बात करनी है !!
लता: हम्म बोलो!!?
जय: विशाल के बारे में !?
लता: क्यों क्या हुआ उसे!!
जय: विशाल का एक्सिडेंट हो गया है ।
लता: क्या ( चिल्लाते हुए ) ओर तुम मुझे बड़े आराम से बता रहे हो!!
जय: तो और मै कर भी क्या सकता हूं ! अब उसकी फिक्र करने वाला है कौन!!?
लता: क्या बकवास कर रहे हो मै हूं तुम हो !! और में उससे प्यार करती हूं मुझे फिक्र है उसकी समझे और कौन से हॉस्पिटल मै चलो जल्दी इडियट!!
जय: ( अपनी जगह से हिलता नहीं )
लता: वहा खड़े खड़े मुझे देख क्या रहे हो चलो अब !!
जय: हाहाहाहाहा.....
लता: ( गुस्से में जय की ओर देखते हुए ) हंस क्या रहे हो पागल हो गए हो क्या !!?
जय: नहीं लेकिन तुमसे बात निकलवाना बिल्कुल ही आसान है ।
लता: मतलब!!?
विशाल: ( थोड़ी दूर से आते हुए ) मतलब ये की मुझे कुछ नहीं हुआ है और ये सारा प्लान जय का था तुमसे तुम्हारी फिलिंग का अहसास दिलाने के लिए।
लता: ( विशाल के पास दौड़ते हुए जाती है ओर उससे गले लगा लेती है । ) गधे एसा मज़ाक कोई करता है क्या भला!! पता है में तो समझी थी जैसे सच मै तुम्हे कुछ हो गया है।
विशाल: ( लता के आंसू पोछते हुए ) अगर ऐसा ना करता तो तुम्हे में हमेशा के लिए खो देता इससे अच्छा तो यही होता की मेरा एक्सिडेंट हो कम से कम तुम दिल की बात तो बयान करोगी।
लता: बस अब बहोत हो गई अनापशनाप बाते अब बस!!
विशाल: (लता को कस के गले लगाते हुए) ठीक है फिर जैसा तुम कहो!!

जय यह देखकर मानो विशाल ओर लता के लिए खुश था। कम से कम किसीको तो उसका प्यार मिला ओर इसीके साथ वह दोनों अपने नए जीवन की शुरुआत हुई विशाल और लता की एक नई जिंदगी और जय की सना को ढूंढने की एक नयी कोशिश ।