Artificial in Hindi Moral Stories by Sunita Bishnolia books and stories PDF | आर्टिफिशियल

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आर्टिफिशियल

आर्टिफीशियल
ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठकर रीना ने गले में मोटे मोती वाली माला पहनी। परन्तु दुबारा देखने पर लगा कि ये सिल्वर बार्डर वाली ग्रे साड़ी पर सूट नहीं हो रही। तब उसने फटाफट गोदरेज की अलमारी से वाइट गोल्ड विद आर्टिफीशियल डायमंड के पैंडल वाली पतली-सी चैन निकाल कर, पहन कर देखी। उसे वो बहुत पसन्द आई तो उसने फटाफट मेचिंग ईयर रिंगस पहनकर एक हाथ में घड़ी और दूसरे हाथ में मैचिंग कड़ा भी पहन लिया।
रीना के पास सजने संवरने के लिए ज्यादा समय नहीं था इसलिए उसने फटाफट हल्का पुल्का मैकअप किया और अपने फेवरेट काॅफी कलर की लिप्सटिक लगाकर होठों को दबाकर ठीक किया।
शाम के साढ़े पाँच बज चुके थे। वो लगभग तैयार हो ही गई थी पर उसने देखा कि राहुल अभी तक नहीं आए। उसने पास रखा मोबाइल उठाया और राहुल को फोन लगाया। दो बार फोन लगाने पर भी राहुल ने फोन नहीं उठाया तो रीना को बहुत गुस्सा आया और मन ही मन बडबडाई.ष्‘‘राहुल को जब भी फोन करो या तो बिजी रहते है या फोन उठाते नहीं।‘‘ पर दूसरे ही पल सोचा- ‘‘षायद ड्राइव कर रहे होंगे इसलिए फोन नहीं उठाया।’’
आगले ही पल.... फोन की घंटी बज उठी रीना ने समझा कि राहुल का फोन होगा सो जल्दी से फोन उठाने लगी पर देखा और मन ही मन बदबुदाई - ‘‘ये तो कृष्णा का फोन है, ओह ! अब इसे क्या हुआ, मैं कोई छुट्टी नहीं दूंगी, कुछ भी हो जाए।’’
‘‘ हेलोण्ण् हाँ.... हाँ कृष्णा बोलो.. ’’
‘‘ भाभी आज मैं खाना बनाने नहीं आऊँगी, बेटे को खाँसी, बुखार है।’’
कुछ सोचते हुए- ‘‘अच्छा... खाँसी.बुखार है तो वो जब तक पूरी तरह ठीक न हो तब तक मत आना। और अपना भी ध्यान रखना, हाँ टैस्ट जरुर करवा लेना।’’
‘‘उफ्फ ! कृष्णा के बेटे को भी आज ही बीमार होना था.... लेकिन कृष्णा तो सुबह काम कर के गई है... ’’
‘‘ओह! गौड... ... कहते हुए - उसने फिर से कृष्णा को फोन लगाया।
दूसरी तरफ कृष्णा ने फोन उठाकर कहा- ‘‘ हाँ भाभी बोलो क्या हुआ। ’’
‘‘इधर से रीना ने स्ट्रेट वे मेें कहा- ‘‘देख कृष्णा अगर तेरा बेटा बीमार था तो पहले बताती हम भी सावधानी रखते। आज भी तू घर आई थी... ।’’
रीना की बात काटते हुए, कृष्णा बोली- ‘‘भाभी मैं भी समझती हूँ, क्या आपने मुझे मास्क हटाते हुए देखा और मैं तो खुद अपने साथ सेनेटाइज़र रखती हूँ। किसी घर के अन्दर और बाहर जाते. आते पहले ही हाथ धो लेती हूँ फिर अन्दर आकर दुबारा हाथ धोती हूँ।’’
रीना को गलती का अहसास हुआ तो उसने कहा- ‘‘अरे! नहीं कृष्णा ये हम सबकी सुरक्षा के लिए ही है... ।’’
‘‘हाँ- हाँ भाभी मैं भी कौन-सा बुरा मान रही हूँ अनपढ़ जरूर हूँ, पर मैं सब समझती हूँ- कि ये रोग फैलने वाला है इसीलिए बेटे को कहीं बाहर नहीं भेजती। वैसे मेरे बेटे को कोरोना हो ही नहीं सकता क्योंकि पढ़ाई तो उसकी घर में ही आॅनलाईन फोन पर हो जाती है और बाकी मैं उसे घर से बाहर जाने नहीं देती ।’’
’’अच्छा. अच्छा कृष्णा ठीक है अभी मुझे देर हो रही है मैं फोन रखती हूँ।’’ कहते हुए उसने फोन रखकर उसने उमा को फोन लगाया।
उमा ने एक ही घंटी में फोन उठा लिया और बोली - ‘‘ कहाँ बिजी हो रीना, ईशा कब से फोन लगा रही हैै।’’
रीना ने देखा कि कृष्णा से बातें करने के बीच- ‘‘ईशा के तीन फोन काॅल आए हुए और उसे पता ही नहीं चला। ’’
रीना ने उमा की बात का जबाब देते हुए कहा- ‘‘अरे! यार ये कृष्णा! एक बार बात करने गती है तो इसकी बातें खत्म ही नहीं होती। ’’
उधर से उमा बोली- ‘‘अब तुम कृष्णा पुराण मत सुनाओ, चलो निकलो घर से मैं और ईषा अनाथ आश्रम पहँचने वाले ही है, उधर चारू, मीना और महिमा भी निकल पड़े है। तुम भी जल्दी आओ महिमा ने सारे गिफ्ट ले लिए तुमने रिपोर्टर को फोन किया कि नहीं।’’

‘‘हाँ. हाँ उमा चिंता मत करो - एक नहीं देा रिपोर्टर आ रहे हैं और रिपोर्ट भी बना ली है, बस एक दो फोटो चाहिए जो वहाँ जाते ही खिंच जाएगी, बस राहुल आते ही होंगे राहुल के आते ही मैं निकलती हूँ।’’
तभी राहुल का फोन आ गया।
वो बोला- ‘‘साॅरी रीना मैं बिजी थी, इसलिए फोन नहीं उठा पाया और न्यू ईयर से पहले बाॅस कुछ इम्पोर्टेन्ट बात करने वाले हैं इसलिए मैं सात बजे पहले घर भी नहीं आ पाऊंगा। आर्यन को अपने साथ ले जाना। घर पर अकेला मत छोड़ना। ’’
‘‘वहाँ अनाथ आश्रम में ... ’’ क्या करेगा वो और क्या देखेगा वहाँ.. नहीं- नहीं आर्यन को वहाँ नहीं ले जा सकती।’’
’’तो क्या हुआ आर्यन भी तुम्हारे सिल्वर क्लब की आर्टिफिशियल लाइफ देख लेख लेगा।’’ राहुल धीरे से बोला जो रीना को नहीं सुनाई नहीं दिया। इसलिए वो बोली-‘‘क्या कहा....’’
’’यहीं कि आर्यन भी मम्मी के सिल्वर क्लब के महान काम देखकर खुश होगा उसमें भी गरीबों की मदद करने की भावना पैदा होगी और तुम्हारा फैसबुक लाइव भी कर देगा।’’
‘‘अरे ! वाह ये तो मैंने सोचा ही नहीं.... ठीक है मैं निकलती हूँ, शहर में लगे कर्फ्यू के कारण मुझे भी सात बजे तक हर हाल में वापस आना होगा। ठीक है राहुल हम निकलते हैं। ’’
राहुल के जवाब का इंतजार किए बिना ही वो फोन रख देती है । दस वर्षीय बेटा आर्यन पास ही बैठा पज़ल सोल्व कर रहा था। मम्मी की बातों से वो डिस्टर्ब हो रहा था इसलिए उसका पज़ल सुधरने के बजाय और भी बिगड़ गया।
तभी मम्मी ने अलमारी से उसके लिए दूसरा स्वटेर और कैप निकालकर आर्यन को पहना दिया। उस पर मैचिंक का मास्क लगाकर आर्यन को बताया कि हमें सबकी हैल्प करनी चाहिए, इसीलिए हम अनाथ आश्रम यानि ओर्फन एज चल रहे हैंए आज हम वहाँ बच्चों को न्यू ईयर के गिफ्टस देंगे आप अच्छी तरह देखना और हमारी फोटो भी लेनाए और हाँ जब आप्को ईशारा करूं न तब आप मेरा फेसबुक लाइव भी कर देना । ’’ कहते हुए रीना ने आयZन का हाथ पकड़ कर लगभग घसीटा आगे बढते हुए आयZन ने अपना पजल भी साथ ले लिया।
रीना ने फटाफट घर को ताला लगाया और गाड़ी स्टाटZकर चल दी अनाथ आश्रम की ओर। जो घर से लगभग पंद्रह मिनिट की दूरी पर ही था।
रास्ते में, रेड लाइट पर कुछ बच्चे गाड़ी के पास आ गए और भीख मांगने लगे। उन्हें दुतकारते हुए रीना बोली-‘‘ओफ्फो जरा भी चैन नहीं इन्हें, जहाँ भी जाओ, ये भ्िाखारी पीछा नहीं छोड़ते , भागो यहाँ से।’’ पज़ल सोल्व करते हुए) आयZन ने आष्चयZ से माँ को देखा ....
तभी लाइट ग्रीन हो गई और वो निकल आए भ्िाखारियों की भीड से।
माँ गाड़ी में बुदबुदाती रही- ’’इनके माँ-बाप तो कुछ करते नहीं, इन्हें खुला छोड़ देते है भीख मांगने के लिए उफ्फ क्या होगा इस देष का भला हम कुछ लोग कहाँ तक मदद करें ऐसे लोगों की। ’’
पज़ल के ब्लाॅक सुलझाने का प्रयास करते हुए आयZन बोला- ‘‘पर ममा आपने तो इन्हें कुछ भी नहीं दिया ?’’
‘‘इन्हें नहीं पर आश्रम के अनाथ बच्चों को देने जा रहे हैं ना हम.... ‘
’’उनके पास तो रहने और खाने के लिए आश्रम है ना ममा है पर इन बच्चों के पास....
‘‘ओके आर्यन नाऊ कीप क्वाइट’ देखो आश्रम आ गया है अब आप चुपचाप मेरे साथ चलेंगे और जब मैं गिफ्ट्स बाटू और भाषण दूँ तब आप मेरी फैस बुक पर मुझे लाइव कर मत भूलना ।’’
‘‘ बट ममा मेरा पज़ल सोल्व नहीं हुआ। मैं अन्दर नहीं -नहीं जाऊंगा। मैं यही गाड़ी में बैठा हूँ। ’’
‘नो-नो कम विद मी, और मास्क पहनिए, सेनेटाइज की बोटल जेब में रख्िाए, कुछ भी टच नहीं करना इवन की दीवार भी।’’
‘‘ऊॅ हूँ ममा .... मेरा पज़ल ।’’ ‘‘ कम फास्ट बेटा और पज़ल को गाड़ी में रखों।’’- आर्यन को लगभग खींचते हुए रीना बोली।
पत्रकार और रीना की सहेलियाँ आ चुकी थी वो सभी अनाथ आश्रम के बाहर खड़े रीना का इन्तजार कर रहे थे। रीना के पहुँचते ही सब अन्दर गए।
कुछ गुब्बारे और रिबन पहले ही वहाँ लग चुके थे। कुछ मिलाकर आश्रम में नए साल का स्वागत कुछ इस तरह किया जा रहा था।
ठीक-ठाक कपड़ों में पंद्रह -बी बच्चे तैयार थे। संचालको द्वारा उन्हें समझाते ही वो सब लाइन में खड़े हो गए। एक जैसी साड़ी पहने सिल्वर क्लब की मेंबर्स ने बच्चों को गिफ्ट बाँटे। संचालकों से बात की। तब तक आर्यन ममा का फेसबुक लाइव कर चुका था ।
रीना ने संक्षिप्त भाषण भी दिया। ‘‘बच्चों आप बहुत खुशनसीब हो कि आपको रमा बहन के अनाथ आश्रम में रहने की जगह मिली । आश्रम की संचालिका रमा बहन हमारी नज़र में पूजनीय है, आप बधाई की पात्र है, रमा बहन जो आप इतने बेसहारा बच्चों को सहारा देकर अपने बच्चों की तरह इनका पालन पोषण कर रही है। हम सिल्वर क्लब की सभी मेंबर्स आपका बहुत-बहुत आभार प्रकट करती हैं कि आपने हमें इन बच्चों से मिलने और छोटी-सी मदद करने का मौका दिया। सिल्वर क्लब का एक नियम है कि हम जहाँ भी किसी बेसहारा और देखते है उनकी मदद किए बिना आगे नहीं बढ़ पाते... ...
माँ बोलती रही और आर्यन ने कैमरे का रूख बच्चों की तरफ़ कर दिया। तभी एक बच्चे ने उत्सुकता वष गिफ्ट खोल लिया, संचालिका ने उसकी तरफ अजीब नजर देखा तो उसके हाथ से गिफ्ट गिर गया। बच्चे ने देखा कि गिफ्ट के रूप में उसे एक पज़ल मिला तो उसने सोचा ये पज़ल मेरे किस काम का। दूसरे ही पल उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी पर उसने फटाफट मास्क लगा लिया।
‘अरे ये तो ..... कृष्णा आन्टी का बेटा कोशी है ये यहाँ कैसे ये तो बीमार था । " कोशी को आर्यन देख मन ही मन बोला।
पंद्रह-बीस मिनिट में कार्यक्रम समाप्त होते ही माँ ने पत्रकारों को आज के कार्यक्रम की पहले से तैयार बड़ी सी रिपोर्ट सौंपकर अच्छी फोटो के साथ पूरी रिपोर्ट छापने की बात की और अच्छी तरह सेनेटाइज करने के बाद, वो गाड़ी में बैठकर घर की तरफ निकल पड़े....
आर्यन ने गाड़ी में बैठते ही माँ से पूछा ममा क्या अनाथ आश्रम में खुशनसीब बच्चे रहते हैं? "
"नो -नो! ये किसने कहा आपसे? "
ममा आपने अपने भाषण में ही तो कहा था ।"
"आपने गलत समझा बेटा... ओके नाउ कीप क्वाइट ।"
माँ का उत्तर सुनकर आर्यन गाड़ी की खिड़की से बाहर देखने लगा।
अचानक उसका ध्यान आश्रम के पास वाली गली में खड़ी औरत पर गया। मास्क लगाया हुआ होने पर भी आर्यन उसे पहचान गय क्योंकि ये सूट तो मम्मी का था और मम्मी ने कुछ ही दिन पहले कृष्णा आंटी को दिया था.... तो आश्रम में कृष्णा आंटी का बेटा कोशी ही था... ओह गॉड तो आंटी ने यहाँ आने के लिए बेटे की बीमारी का झूठ बोला ।"
उसने पज़ल को एक साइड पटक दिया क्योंकि अब उससे वो बिल्कुल साॅल्व नहीं हो रहा था क्योंकि उसके दिमाग में एक -एक करके ममा , सिल्वर क्लब, अनाथ आश्रम, कृष्णा आन्टी सबका आर्टिफिशियल चरित्र चल रहा था ।
सुनीता बिश्नोलिया