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मे और महाराज - 5 - (भूत से भविष्य मे)

तभी अंधेरोके सिपाही वो काले कपड़ों वाले लोग वापस आए,
"राजकुमार। लगता है आपको हमारी जरूरत है।"
 
" कौन हो तुम लोग ? चले जाओ इस से पहले की हम सिपाहियों को बुलाए।" राजकुमार अमन ने अपनी आवाज बुलंद की।
 
" हम वो है, जो आपको आपकी गद्दी और राजकुमारी दिला सकते है। अंधेरों के मालिक ने आपको याद किया है।" उस मे से एक आदमी ने कहा।
 
" मुझे मेरा हक़ पाने के लिए किसी के मदद की जरूरत नहीं है। चले जाओ यहां से।" राजकुमार अमन ने एक प्याला उनकी तरफ फेका।
 
उन दोनों ने एक दूसरे को इशारा किया। एक छलांग के साथ दोनो महल से गायब हो गए। ज्यादा नशे की वजह से राजकुमार अमन वहीं गिर गए।
 
 
 
दूर जंगल मे कहीं,
 
" अब क्या करेंगे, हमे मालिक से बात करनी चाहिए" अंधेरे के पहले सिपाही ने अपने साथी से कहा।
 
" हा। चलो मालिक से बात करते है।" उसने अपनी अंगूठी में देखकर कुछ मंत्र कहे कुछ ही देर मे अंगूठी मे से प्रकाश आया। उस प्रकाश मे एक आदमी की प्रतिमा बनी।
 
"अंधेरे के मालिक की हमेशा जीत हो।" दोनो सिपाही घुटनों के बल बैठ गए।
 
" कहो क्या हुआ ? तुम लोगो ने राजकुमार से बात की।" 
 
" मालिक बड़े राजकुमार ने भी हमारे साथ काम करने से मना कर दिया। " पहला सिपाही।
 
" अब आप ही कुछ रास्ता बताए मालिक।" दूसरा सिपाही।
 
" यहां इस वलय मे फसे होने की वजह से हमारी शक्तियां बंधी हुई है। तुम लोगो को बस २१ वी सदी से एक लड़की को यहां लाना था। वो काम भी तुम लोग सही नहीं कर पाए।"  वो गुस्से में गरजा।
 
दो महीनों पहले जब समयारा अपना काम खत्म कर सात बजे के आसपास घर जाने के लिए निकली थी। तब काले कपड़े  पहने हुए दो अजीब लोगो ने उसका पीछा किया। जिनसे बचने के लिए वो एक पुराने घर में चली गई। उस घर में काफी पुरानी चीजे थी। जिनमे एक था एक पलंग। रत्नों से जड़ा हुआ, लकड़ी का पुराना पलंग जिसमे कुछ मंत्र जड़े हुए थे। उसने वो मंत्र पढ़े तभी एक आहट के चलते डर के मारे वो उस पलंग मे छीप गई। फिर जब उसने आंखे खोली वो पता नहीं किस सदी की कोई राजकुमारी बन चुकी थी।
 
" हमे माफ कर दीजिए मालिक। हम ने हमारी तरफ से पूरी कोशिश की पर पता नहीं कैसे वो लड़की और राजकुमारी एक हो गए।" पहले सिपाही ने कहा।
 
"मूर्ख वो लड़की आत्म मणि की असली मालिक है। आत्म मणि उसे अपनी तरफ खींचेगा। हर तरीके से उसे बचाएगा। इसीलिए तुम्हे उस लड़की को राजकुमारी से अलग करना होगा। जिस से वो आत्म मणि की पोहोच से परे हो जाए। जब तक वो लड़की अपने शरीर में वापस नहीं जाती तब तक वो हमारे किसी काम की नहीं। राजकुमारी को मार डालो। उसे बचाने के लिए जो कोई बीच मे आए उस हर शख्स को मार डालना। मुझे वो लडकी और आत्म मणि किसी भी किम्मत पर चाहिए।" अंधेरों के सरताज ने आदेश दिया।
 
" जी मालिक" दोनो सिपाहियों ने एक दूसरे को देखा फिर अंगुठी का प्रकाश गायब हो गया और वो दोनों भी अंधेरे में खो गए।
 
दूसरे दिन सुबह राजकुमारी शायरा ने आंखे खोली। 
 
"मौली, मौली।" उनसे आवाज लगाई।
 
" जी। में यही हू। आप उठ गई।" मौलिने उसे जूते पहनाए। उसके बाद उसे हाथ पकड़ कर आयिने के सामने बिठा दिया।
 
"क्या आप मेरी राजकुमारी है??" मौली ने उसके बाल सवारते हुए सवाल किया।
 
उसने बस सिर हिला कर हा मे जवाब दिया। " कल रात???? तुम समझ रही हो ना हम क्या पूछने की कोशिश कर रहे है।" उसने उम्मीद भरी आंखो से मौली को देखा।
इन्हे समायरा की बदतमीजी के बारे मे बताया तो बुरा लगेगा, "फिक्र मत कीजिए आठवें राजकुमार कल रात यहां आए थे। लेकिन कुछ देर बाद यहां से चले गए। उन्होंने रात यहां नहीं गुजारी। आप अभी भी कुंवारी है राजकुमारी।" मौली ने जवाब दिया।
 
" हमे नहीं पता हम ये क्यों कर रहे है? लेकिन हमारा यकीन करो मौली हमने पुरे दिल से सिर्फ राजकुमार अमन से प्यार किया है। हम किसीको अपने आप को छूने नहीं दे सकते। हमे नहीं पता भविष्य मे राजकुमार अमन हम पर विश्वास करेंगे या नहीं। पर हम सिर्फ और सिर्फ उनके है। उनके अलावा हम किसिके नहीं होंगे" उसकी आंखो मे से आंसू बहना शुरू हो गए।
 
" वो आप पर जरूर विश्वास करेंगे राजकुमारी। इसीलिए तो कल रात वो आपसे मिलने आए थे।" मौली ने उसके आसु पोछे।
 
" वो मिलने आए थे??" 
 
" हा। लेकिन आठवें राजकुमार की वजह से आपकी मुलाकात नहीं हो पाई।" मौली ने उसे समझाया।
 
" कोई बात नहीं पर इसका मतलब वो अभी भी हमसे प्यार करते है। है ना???" शायरा के चेहरे पर अब मुस्कान थी तभी एक दासी वहा आई।
 
" राजकुमारी। चांदनी बाई और गौर बई आपसे मिलने आए है।" 
 
राजकुमारी ने उसे उन्हे निजी कक्ष के बाहर वाले कमरे में बिठाने का आदेश दिया।
 
" आपको उनसे मिलने की कोई आवश्यकता नहीं है मेरी राजकुमारी।" मौली ने उसे समझाया।
 
" वो राजकुमार के हरम कि औरतें है। उनसे मिलना एक रित है। जिसे हम राजकुमार की बीवी होने के रिश्ते से निभाएंगे।" शायरा बाहर जाने के लिए तैयार हो गई।
 
बाहरी कमरे में एक टेबल के दोनो तरफ वो दो औरतें बैठी हुई थी। राजकुमारी शायरा बीच मे जाकर बैठ गई।
 
" राजकुमारी" दोनो उनके सम्मान में खड़ी हुई।
 
" सुप्रभात। हमे यकीन है आप दोनो यहां हमारी मदद करेंगे राजुकमार का घर संभालने मे।" शायरा ने बैठते हुए कहा।
 
" यकीनन राजकुमारी। आखिरकार अब हम बेहने जो हुई।" चांदनी बाई ने मुस्कुराते हुए कहा।
 
"एक रखी हुई औरत होने के बाद भी मेरी राजकुमारी को बहन कहते हुए शर्म नहीं आती" मौली ने गुस्से से उसे देखा।
 
"उसमे गलत क्या है??? वैसे भी राजकुमारी खुद एक रखी हुई औरत की बेटी है। और इनके किस्से बड़े राजकुमार के साथ किसे पता नहीं होंगे। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है, के राजकुमार ने अपने सुहागरात वाली रात अलग कमरे मे बिताई।" गौर बाई ने हसते हसते कहा।
 
" सही कहा जीजी। उन्हे तो कमरे के अंदर की भी बाते पता होगी।" चांदनी बाई बोल पड़ी।
 
मौली गुस्से मे उन दोनों की तरफ आगे बढ़ी तब शायरा ने उसे रोका, " अब से हम सब को यहां एक साथ रहना है। इसीलिए मे आप लोगो से ये बात साफ साफ कह रही हूं, मेरे और बड़े राजकुमार के बारे मे उड़ी हुई अफ़वावो पर भरोसा मत कीजिए। हमारे बीच कोई संबंध नहीं थे, ना है ना होंगे। हमारी तबियत ठीक नहीं है, हमे आराम की जरूरत है आप यहां से जा सकती है।" इतना कह शायरा अपने कमरे में वापस जाने लगती है। तभी गौर बाई अपना पैर अडा कर उन्हे गिरा देती है। राजकुमारी का सर जमीन से टकरा कर खून निकलने लगता है। मौली उन्हे उठाती है। चांदनी और गौर बाई हसते हुए कमरे से बाहर जाने लगते है
 
तभी पिछे से आवाज आती है।
 
" वहीं रुक जावो।" 
 
" सुना नहीं तुम दोनो ने मैंने क्या कहा???"