My words my identity - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

मेरे शब्द मेरी पहचान - 3

---- पुलवामा के वीर ----

प्रेम के इस अवसर पर तुम भूल न जाना उन जवानों की शहादत को,
जो जाते जाते भी मात दे गए पुलवामा में आई आफत को।
प्रेम के ही दिन जो कर बैठे मौत से सौदा अपना
देश प्रेम दिखाने की चाहत को।
तहे दिल से शीष झुकाकर नमन है भारत माँ
के उन वीर सपूतों को,
जो दे गए बलिदान मगर झुकने ना दिया
अपने वतन की अमानत को।।

करते हैं हम सलाम हर एक जाँबाज़ फौजी की ताकत को,
जो कर देते हैं ढेर हर आतंकी की सीमा पार आने की हिमाकत को।
यूं पीठ पीछे वार कर बता गए तुम अपने गीदड़ होने की बात को,
हम हैं वो हिन्दुस्तानी जो डरते नहीं और ले गए बदला हर एक अपने जवान का वो भी आधी रात को।।

गीदड़ कभी शेर नहीं बनता
इसलिए
जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी
डाल ले हमसे हारने की आदत को ,
क्योंकि
तेरे मंसूब इरादों को ही नापाक करना दर्शाता है
हमारा अपने देश के प्रति चाहत को।।

और दोस्तों आप सब से यही कहना चाहूँगी
की चलना हमेशा वतन की राह पर
जहाँ मौत भी राहत हो,
ये वो वतन है जहाँ लोग नहीं मांगते तिरंगे पर फिदा होने की इजाज़त को।
उन्हीं वीरों की भांती
कभी फीकी मत पड़ने देना अपनी अपने देश के प्रति चाहत को,
हमारी औकात से बाहर दे गए ऋण सौंपकर प्राण भारत को,
ऋण तो नही चुका पायेंगे पर हर पल अपना तिरंगा 🇮🇳ऊंचा ज़रूर लहराएंगे,
मगर कभी यूं ही व्यर्थ नही जाने देंगे अपने वीरों की शहादत को।।
अपने वीरों की शहादत को।।

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---- प्रयत्न करना ज़रूरी ----

जीवन में कुछ पाने के लिये लगातार प्रयत्न करना पड़ता है,
रास्ते में आने वाली कई मुसीबतों से लड़ना पड़ता है,
अपनी पहचान बनने के लिये भीड़ वाले रास्ते से हटना पड़ता है,
अगर नाम कमाना ही है तो वो रास्ता चुनो जहाँ अकेले चलना पड़ता है।

पाने को सफलता मुश्किल काम भी करना पड़ता है,
मुश्किल काम करके ही नाम कमाना पड़ता है,
हम कुछ भी कर सकते हैं , खुद पर इतना भरोसा जगाना पड़ता है,
करके सबको गलत साबित अपना हक भी जताना पड़ता है,
हम किसी से कम नहीं ये दुनिया को बताना पड़ता है।

सपने यूं ही साकार नहीं होते, उन्हें साकार बनाना पड़ता है,
पाने को मंजिल कई बार ठोकरों को भी खाना पड़ता है,
हर परिस्थिति में रहना , पर कभी यूं ही हार मत मानना मेरे दोस्त,
क्योंकि देख तेरी लगन मिटाने को तेरे कष्ट
अपना धाम छोड भगवान को भी आना पड़ता है।।

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---- पहचान दोस्त की ----

दोस्त की तररकी से जलना अपनी फितरत में नहीं ,
और अपनी कामयाबी से उनको जलाना हमारे उसूलों में नहीं।
वो नहीं हो सकता आपका सच्चा दोस्त जो आपकी तररकी से हो जलता ,
सच्चा दोस्त तो वो है जो खुद की बजाए अपने दोस्त की जीत में हो मचलता।
सच्चे दोस्त को पहचानने के लिए बदलनी होगी अपनी फितरत,
दोस्त जो होगा साथ तभी तो चमकेगी तेरी किस्मत।
दोस्त से भले ही तुम मुख मोड़ लेना ,
पर एक गलत फहमी की वजह से अपने दोस्त को मत छोड देना।
दोस्त रूठ जाए तो मना लेना यारों,
सच्चे दोस्त नसीब वालों को ही मिलते हैं,
दोस्त से ही तो किस्मत के बन्द ताले खुलते हैं।।

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✍🏻✍🏻✍🏻-- श्रुति शर्मा