Aag aur Geet - 18 books and stories free download online pdf in Hindi

आग और गीत - 18

(18)

“इसकी कोई आवश्यकता नहीं है बाबा ।” राजेश ने भरे कंठ से कहा । वह निशाता के बाप से बहुत अधिक प्रभावित हुआ था ।

“नहीं बेटे ! ऐसा कौन है जो दूसरों के लिये अपनी जान खतरे में डालें । तुम्हारा एहसान न मानना संसार की एक सबसे बड़ी नीचता होगी ।”

“मैंने अपना कर्तव्य पूरा किया था बाबा ।” कह कर राजेश उस दूसरे आदमी के पास बैठ गया जो अब तक उसी प्रकार पड़ा हुआ था और जिसने फिर आंखें बंद कर ली थीं । वह कुछ क्षण तक उसे देखता रहा । फिर उसे थपथपाने लगा ।

उस आदमी ने आंखें खोल दीं ।

“थ्री स्टार ।” राजेश ने धीरे से कहा ।

वह आदमी चौंक कर उठ बैठा और विस्फारित नेत्रों से राजेश की ओर देखने लगा ।

“मैं राजेश हूं ।” राजेश ने कोड वर्ड में कहा “इस समय मेक अप में हूं इसलिये तुम मुझे पहचान नहीं पा रहे हो ।”

“ओह !” वह आदमी हर्षित हो उठा । फिर उसने भी कोड वर्ड में कहा “मुझे विश्वास था कि आप अवश्य आयेंगे । अब मैं इत्मीनान से मर सकूँगा ।”

“अभी उम्हें जिन्दा रहना है । मरोगे नहीं ।” राजेश ने कहा । फिर पूछा “कागजात कहां है ?”

“जहां दुर्घटना हुई थी वहीं एक चट्टान के नीचे फायर प्रूफ केस में । वह चट्टान दूसरे चट्टानों से कुछ निम्न भी है और बड़ी भी है ।”

“दुर्घटना का कारण क्या था ?” राजेश ने पूछा ।

“हवाई जहाज के इंजन में दोष उत्पन्न कर दिया गया था ।”

“जिसने दोष उत्पन्न किया था उसका परिणाम क्या हुआ ?”

“उसे अनुमान था कि हवाई जहाज कितनी देर बाद नष्ट हो जायेगा, इसलिये वह समय से तीन मिनट पहले ही पैरासूट से कूद गया था । मैं भी दूसरों के समान जल मरा होता मगर फायर प्रूफ वस्त्र ने मेरी जान बचा ली ।”

“इंजन में दोष उत्पन्न करने वाले के बारे में कुछ जानते हो ?” राजेश ने उसकी रस्सियाँ काटते हुए पूछा ।

“उसका नाम बेन्टो है । वह इस समय भी यहां मोजूद है और मिसेज लानी के लिये काम कर रहा है जिसने अपना नाम यहां साइकी रख छोड़ा है । दुर्घटना के बाद जब मैंने दूसरे लोगों के सामने बेन्टो को भी आते देखा था तो समझ गया था कि सारा चक्कर उन्हीं कागजों के लिये ही है जो मेरे पास थे इसलिये मैंने उन्हें छिपा दिया था क्योंकि मैं यह भी जानता था कि अब मैं अकेले उन कागजों की रक्षा न कर सकूंगा ।”

राजेश ने एक छोटा सा आटोमेटिक रिवाल्वर निकाल कर उसे दिया और फिर बोला ।

“आओ अब चलें ।”

इतनी देर में निशाता ने भी अपने बाप की रस्सियाँ काट डालीं थीं । वह चारों ऊपर जाने के लिये सीढ़ियाँ तय करने लगे । राजेश ने यह प्रोग्राम बनाया था कि कागजात प्राप्त करके कागजों सहित थ्री स्टार को यहां से रवाना कर देगा । उसके बाद अपने साथिओं को छुड़ाने की कोशिश करेगा ।

ऊपर पहुंचते ही चारों को रुक जाना पड़ा क्योंकि सामने बेन्टो खड़ा था । उसके साथ दस विदेशी थे । मशालों की रौशनी में उसका भयंकर चेहरा ओर अधिक भयानक लग रहा था । उसने राजेश पर नजरें जमाकर जहरीले स्वर में कहा ।

“मिस्टर राजेश ! मेक अप के बावजूद मैंने तुम्हें कल ही पहचान लिया था ।”

“यह तो बड़ी खुशी की बात है ।” राजेश ने चहक कर कहा । “मैं भी तुमसे मिलने के लिये बेचैन था ।”

“अच्छा, अब अपने हाथ ऊपर उठा लो ।”

“यही तो नहीं कर सकता !” राजेश ने कहा “तुम्हारा जो दिल चाहे कर लो ।”

“सुनो मिस्टर राजेश ! मैं जानता हूं कि तुमको गोलियों से बचने का आर्ट आता है । इसलिये मैं तुम पर फायर नहीं करूँगा ।” बेन्टो ने कहा फिर अपने आदमियों का हवाला देते हुए कहा “यह सब तुम्हारे खून के प्यासे हैं और हमारी आज्ञा का इंतजार कर रहे हैं । मेरा संकेत पाते ही शिकारी कुत्तों के समान तुम पर टूट पड़ेंगे । इसलिये अच्छा यही है कि अपने हाथ ऊपर उठा लो और मेरे साथ चलो ।”

“तुम मुझे कहां ले जाओगे ?” राजेश ने पूछा ।

“जहां तुम्हारे साथी हैं ।” बेन्टो ने कहा, फिर हंस कर बोला “उनके मेक अप बर्बाद कर दिये गये हैं, अपनी असली शक्ल में वह बड़े प्यारे लग रहे हैं । वैसे एक बात और भी बता हूं, और वह यह कि गोलियों से बचने का आर्ट मुझे भी आता है । विश्वास न हो तो परीक्षा ले लो ।”

“तो फिर परीक्षा देने के लिये तैयार हो जाओ ।” राजेश ने कहा और थ्री स्टार की ओर संकेत किया ।

थ्री स्टार ने रिवाल्वर निकाल कर लगातार तीन फायर किये मगर हर बार गोलियां दोवारों ही पर पड़ी । राजेश चकित रह गया । उसने अपने हाथ भी उठा दिये ।

बेन्टो हंसने लगा । फिर उन्हें लेकर चल दिया ।

एक हाल समान कमरे में राजेश के सारे साथी मौजूद थे । उनके हाथ तो आजाद थे मगर सबके पैरों में लंबी लंबी रस्सियाँ बंधी हुई थीं । कार बाइड लैम्प जल रहा था । राजेश इत्यादि को भी वहीँ लाया गया और उनके पैरों में भी रस्सियाँ बांध दी गईं । फिर बेन्टो ने एक दम से चौंक कर कहा ।

“अरे ! वह लड़की कहां चली गई ?”

सबने इधर उधर देखा, निशाता का कहीं पता नहीं था ।

“उसे देखो ।” बेन्टो ने अपने आदमियों से कहा और फिर ख़ुद भी बाहर निकल गया ।

“अच्छे फंसे राजेश साहब !” मदन ने चहक कर कहा ।

“क्या तुम लोगों के हाथ भी बंधे हुए हैं ?” राजेश ने पूछा ।

“शायद आप यह कहना चाहते हैं कि जब हमारे हाथ आजाद हैं तो फिर हमने रस्सियाँ खोल क्यों नहीं लीं ?” माथुर ने कहा “हमने रस्सियाँ खोलने का हर संभव प्रयास कर डाला था मगर सफल नहीं हो सके थे, अब आप भी कोशिश कीजिये ।”

राजेश ने जो गौर से देखा तो मालूम हुआ कि गांठें सचमुच ऐसी ही है कि खोली नहीं जा सकतीं ।

“आप कहां रह गये थे ?” मदन ने राजेश से पूछा ।

“तुम्हारे चूहे के लिये जडीबुटी तलाश करने चला गया था ।” राजेश ने कहा और पूछा “मोंटे कहां है ?”

“मेक अप हटने के बाद उन लोगों ने उसे ध्यान से देखा था फिर अपने साथ ले गये थे ।” मदन ने कहा ।

“यह तो बहुत बुरा हुआ ।” राजेश ने चिंतित होकर कहा “पता नहीं उसके साथ कैसा व्यवहार किया गया हो । मैंने उसे उसकी रक्षा का वचन दिया था ।”

“सारी परेशानी आप ही के कारण हुई है ।” माथुर ने कहा ।

“क्यों ? मेरे कारण क्यों ?” राजेश ने आंखें निकाल कर कहा ।

“आप ही हमारे चीफ को उलटी सीधी पढाया करते हैं और वह हमें झोंक दिया करता है । अब समझ में नहीं आता कि क्या करें ।”

“क्यों बे कालिये !” राजेश ने मेकफ को घूरते हुए कहा “यह लोग मुझे ताना दे रहे हैं और तू खड़ा खड़ा देख और सुन रहा है ।”

“टुम हमको एक बोटल देगा ?” मेकफ ने माथुर से पूछा ।

“अबे, यहां कहां से मिलेगी ?” राजेश ने आंखें निकाल कर कहा ।

“हवा से बरसेगी, बास ।” मेकफ ने कहा फिर दांत निकाल कर बोला “टुम दो बोतल का वादा करो, बास ।”

“क्या ?”

“तुम्हारे पैरों कि रस्सियाँ खोलने की कीमत, बास ।”

“अबे तू पागल तो नहीं ।” राजेश ने कहा ।

“दो बोतल का वादा करो बास ।”

“चल कर दिया ।” राजेश ने झल्लाकर कहा ।

फिर मेकफ ने सबसे एक एक बोतल का वादा लिया । उसके बाद फर्श पर बैठ गया । दोनों टांगें जोड़कर ऊपर उठाई और गर्दन आगे की ओर झुकाई । और फिर झुकाता ही चला गया । सब लोग खामोशी से देख रहे थे । किसी की समझ ही में नहीं आ रहा था कि वह क्या करना चाहता है ।

मेकफ अपनी कोशिश में लगा रहा । आखिर उसके होंठ रसी तक पहुच ही गये और फिर वह अपने दांतों से रस्सी काटने लगा । एक मिनट से अधिक नहीं लगा । रस्सी कट गई ।

“साबाश बे कालिये !” राजेश ने हर्षित होकर कहा ।

फिर पंद्रह मिनट के अंदर ही अंदर सब के पैर आज़ाद हो गये ।

“क्या तुम हमें बाहर निकाल सकते हो ।” राजेश ने बूढ़े से कहा ।

“हां, चलो ।” बूढ़े ने कहा और सब लोग उसके साथ हाल समान कमरे से बाहर निकले ।

“सुनो ।” राजेश ने अपने साथियों से कहा “हम फिर फंस सकते हैं, अतः जो बच निकले वह उस स्थान पर पहुंचे जहां हमारी छोलदारियां लगी हुई हैं और अगर मैं फंस जाऊं तो बचे हुए लोग इस आदमी के आदेशों का पालन करेंगे ।”

“तुम कौन होते हो आज्ञा देने वाले ?” जोली ने कठोर स्वर में कहा ।

“शट अप !” राजेश ने ऐसे स्वर में कहा कि जोली कांप कर रह गई । यह आवाज उस राजेश की तो नहीं थी जिसे वह चुटकियों में उड़ा दिया करती थी ।

“यह आदमी कौन है ? ” मदन ने थ्री स्टार की ओर संकेत करके राजेश से पूछा ।

“है एक आदमी ।” राजेश ने कहा “अब मेरी गैर मौजूदगी में तुम लोगों को इसी के आदेशों का पालन करना होगा, यह मेरी नहीं वरन तुम्हारे चीफ पवन की आज्ञा है ।”

कोई कुछ नहीं बोला । सब खामोशी से निशाता के बाप के पीछे चलते रहे ।

कई सुरंग नुमा रास्तों से होते हुये यह लोग मैदान में निकल आये ।

“अब मैं जाऊँगा ।” निशाता के बाप ने कहा ।

“क्यों ? ” राजेश ने पूछा ।

“मुझे अपने बेटी निशाता को खोजना है । पता नहीं वह कहां है ।”

राजेश कुछ कहना ही चाह रहा था कि सर्च लाइट का प्रकाश मैदान में पड़ा और राजेश ने अपने साथियों से कहा ।

“भागो, रोशनी से बचते हुये भागो ।”

उसके साथी उसू ओर भागे जिधर उनकी छोलदारिया थीं ।

उसी समय सर्च लाइट का भरपूर प्रकाश राजेश के चेहरे पर पड़ा और बेन्टो की गुर्राती हुई आवाज सुनाई दी ।

“भागने वालों का पीछा मत करो, उनकी लाशें तुमको सवेरे पहाड़ियों में मिल जायेंगी ।”

“नहीं पीछा करने दो ।” एक औरत की आवाज उमरी “तुम अकेले राजेश से निपट सकते हो ।”

राजेश जहां था वहीँ रुक गया और अपने साथियों को भागता देखता रहा । उसके साथियो के पीछे बेन्टो के आदमी दौड़े जा रहे थे मगर राजेश जानता था कि जोली के अतिरिक्त कोई दूसरा उनके हाथ नहीं लग सकता था, ख़ुद इसलिये रुक गया था कि सर्च लाइट का पूरा प्रकाश उस पर पड़ रहा था, अगर भागता तब भी रोशनी उसका पीछा करती ।

और फिर बेन्टो अपने कुछ आदमियों के साथ उसके सामने खड़ा था ।

“इसे अपने घेरे में ले लों ।” बेन्टो ने अपने आदमियों से कहा और ख़ुद राजेश पर छलाँग लगा दी ।

राजेश ने अपने को बचाते हुये जूडो का दांव मारा ।

“बहुत अच्छे ।” बेन्टो उसके दांव से बचता हुआ बोला “मैं इन सब का उस्ताद हूँ बच्चे ! शिष्यों को यह सिखाता रहा हूँ ।”

फिर दोनों एक दुसरे से गुथ गये । राजेश ने लाख चाहा कि बेन्टो को परास्तकर दे, मगर यह संभव न हो सका । उसे मान लेना पड़ा कि बेन्टो न केवल उससे अधिक शक्तिशाली है बल्कि बहुत ही अच्छा फाइटर भी है । वह थक कर चूर हो गया था और उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह ख़ुद ही पराजित हो जायेगा कि अचानक कोई चीखा ।

“मोबरानी ! ”

बेन्टो यह आवाज सुनते ही राजेश को छोड़ कर अलग हट गया और राजेश ने देखा कि कई आदमी हाथों में जलती मशालें लिये हुये उसी ओर चले आ रहे थे । उनके आगे आगे मोबरानी थी ।

फिर यह सब राजेश के निकट पहुंच गये । राजेश बेन्टो के आदमियों के घेरे में खड़ा था । उसने यह भी देखा कि उनके साथ नायक भी है और वह भीमकाय आदमी भी जिसने उन्हें तमाशा दिखाने की आज्ञा दिलवाई थी और वह औरत भी थी जो अपने को साइकी कहती थी ।

“यह क्या हो रहा है ? ” मोबरानी ने बेन्टो से पूछा ।

मगर बेन्टो के उत्तर देने से पहले ही साइकी ने राजेस्ज की ओर संकेत करके उत्तर दिया ।

“यह कैदी भागना चाहता था ।”