Neem Tree (Part 14) in Hindi Short Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | नीम का पेड़ (भाग 14)

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नीम का पेड़ (भाग 14)

44--निर्णय
"तुम गर्भपात करा लो।"
"क्यों?"पति की बात सुनकर रमा बोली,"गर्भपात क्यो करा लूं?"
"मैं लड़का चाहता हूँ।"नरेश बोला।
"पढ़े लिखे समझदार होकर केसी बात कर रहे हो,"पति की बात सुनकर रमा बोली,"लड़का लड़की में कोई अंतर नहीं है।दोनो बराबर है।"
"मैं तुमसे सलाह नहीं ले रहा हूं",नरेश बोला,"मुझे लड़की नहीं चाहिए।'
"मैं तुम्हारी बात से सहमत नहीं हूं।बेटा हो या बेटी मेरे लिए दोनो बराबर है।"
"तुम्हारे गर्भ में पल रहे कन्याभ्रूण का पिता मैं हूं।मैं नहीं चाहता कि लड़की का जन्म हो,"पत्नी की बात सुनकर गुस्से में बोला,"तुम्हे गर्भपात कराना ही होगा।"
"मानती हूं, बीज तुम्हारा है,लेकिन यह मेरे गर्भ में फल फूल रहा है।मैं औरत हूं।औरत सिर्फ सृजन करती है,विनाश नही,"रमा बोली,"मैं कन्याभ्रूण हत्या हरगिज नहीं करूंगी।"
45--होनी
"डॉक्टर साहिब छुट्टी कब मिलेगी?"डॉक्टर बोस रात को विजिट पर आये तो नरेश ने पूछा था।
"अब आपके पिताजी की तबियत ठीक है।आप सुबह इन्हें घर ले जा सकते है।"
हार्ट अटैक की वजह से नरेश के पिता पिछले दस दिन से अस्पताल में भर्ती थे।जिसकी वजह से पूरा परिवार परेशान था।
नरेश की दुकान थी।वह दिन में दुकान पर रहता और रात को अस्पताल में।रात को अस्पताल में भर्ती मरीजों के तीमारदार वार्ड के बाहर बरामदे में सोते थे।रोज की तरह नरेश बरामदे में सो गया।
"आग आग
चीखने की आवाज सुनकर नरेश की भी नींद खुल गयीं।वार्ड में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लग गयी।वहाँ रखे ज्वलनशील पदार्थो की वजह से आग तेजी से फैली।वार्ड में जाने का एक ही रास्ता था जो आग की चपेट में आ गया।
शाम लाल हार्ट अटैक से तो बच गये लेकिन आग से नही।
46--अंतिम इच्छा
"मुझे छोड़कर मत जाओ,"नारायण भराये गले से बोला,"मैं तुम्हारे बिना कैसे जी पाऊंगा?"
"एक दिन जो इस संसार मे आया है उसे जाना है।आज मेरे जाने का दिन आ गया है,"मृतुसैया पर लेटी कमला बोली,"चिंता क्यो करते हो।दो बेटे है।दो बहुये है।पोते पोती है।सभी तुम्हारा बहुत खयाल रखते है।मेरे इस दुनिया से जाने के बाद भी तुम्हे कोई परेशानी नही होगी।'
"भगवान से विनती करूँगा अगले जन्म में भी तुम ही मुझे पत्नी के रूप में मिलो।"
"मैं अगले जन्म में तुम्हारी पत्नी नहीं बनना चाहती इसीलिए तो तुम से पहले जा रही हूँ।"
"क्या?"कमला की बात सुनकर पति ही नहीं बेटे बहु भी चोंकते हुए बोले थे।
कमला जगने से सोने तक पति का बहुत खयाल रखती थी।पति की हर छोटी बड़ी जरूरत का कमला को पता था।कमला के पतिव्रता धर्म और पति के प्रति निष्ठा का उदाहरण खानदान के ही नही मोहल्ले के लोग भी देते थे।जिस कमला ने पूरी जिंदगी पति को ही सर्वस्व मानकर तन मन कर्म वचन से सेवा की उसी कमला की बात सुनकर सभी को आश्चर्य हुआ था।
"मैं अगले जन्म में तुम्हारी पत्नी नही बनना चाहती।"कमला ने फिर अपनी बात दोहराई थी।
"मुझसे ऐसी क्या गलती हो गयी,जो तुम अगले जन्म में मेरा साथ नही चाहती?"
"यह मैने कब कहा?"कमला बोली,"मैं चाहती हूं कि अगले जन्म में भी हम मिले"।
"लेकिन अभी तो तुमने कहा अगले जन्म में तुम मेरी पत्नी नही बनना चाहती"।
"ठीक कहा था,"कमला बोली,"अगले जन्म में मैं तुम्हे पति के रूप में नही बेटे के रूप में पाना चाहती हूं।"
कमला की अंतिम इच्छा जानकर सब हतप्रद रह गए थे