Pal Pal Dil ke Paas - 16 in Hindi Love Stories by Neerja Pandey books and stories PDF | पल पल दिल के पास - 16

पल पल दिल के पास - 16

भाग 16

हम होंगे कामयाब

आपने पिछले भाग में पढ़ा की मुकदमे की तारीख पर जज साहब जूनियर वकील को डांट लगाते है और ताकीद करते है की अगली पेशी पर आप अपने क्लाइंट और अपने बॉस खुराना साहब दोनो के साथ आए। इसमें कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। रस्तोगी भी अब अपनी पूरी क्षमता के साथ मुकदमे की पैरवी कर रहा था। अब आगे पढ़े।

उस दिन की अदालती कार्यवाही के बाद अगली डेट जज साहब ने इस तरह रखने की ताकीद की कि जिस तारीख पर दोनो पक्ष मौजूद रहे। जूनियर वकील को खास हिदायत दी गई की अब अगर उनके वकील और नीना देवी अदालत में मौजूद नहीं मिले तो ये कोर्ट की अवमानना मानी जायेगी। जूनियर वकील ने वादा किया की जज साहब के आदेश अनुसार ही सब कुछ आगे वो अरेंज करेंगे। उसने दो तारीख पर ऑब्जेक्शन के बाद तीसरी तारीख पर एग्री हुआ की हां इस तारीख पर मेरी क्लाइंट आपके सामने मौजूद रहेंगी।

तारीख अब दो महीने बाद की पड़ी। जब अदालत की सारी कार्यवाही की जानकारी जूनियर वकील ने अपने सीनियर खुराना सर को दी वो बोला, "सर अब मैं कोर्ट की कार्यवाही नही संभाल पाऊंगा। जज साहब ने अगली पेशी पर आपको और नीना मैडम दोनो को मौजूद रहने को कहा है। मैने बहुत कोशिश सर मामले को टालने की पर जज साहब ने बहुत सख्त हिदायद दे दी। सॉरी सर पर अब आपको केस देखना पड़ेगा।"

अपने जूनियर वकील की बात पर खुराना नाराज होने लगे उस पर की वो रस्तोगी से की गई सेटिंग को खराब कर दिया। और वो कुछ नहीं कर पाया। खुराना रस्तोगी के दम पर ही आश्वस्त थे की केस लंबा खीच लेंगे। आज वो कड़ी टूट गई थी। इस कारण उनका गुस्सा होना स्वाभाविक था।

अपनी भड़ास अपने जूनियर पर निकाल वो अब चिंतित हो उठे की वो अब नीना देवी की क्या जवाब देगा वो? फोन से बात करने की हिम्मत नही हुई। खुराना ने फैसला किया वो कल खुद नीना देवी से मिलेगा और आमने सामने बैठ कर सारी परिस्थिति से उन्हे अवगत करवाएगा। वैसे वो अपने किसी क्लाइंट के घर जाने एक सोच भी नही सकता था। उससे मिलने के लिए कई दिन पहले समय लेना पड़ता था। पर नीना देवी कोई मामूली शख्शियत नही थी। उनसे मिलने के लिए खुराना को ही जाना होगा। दूसरी बात खुराना का ऑफिस नीना देवी की बिल्डिंग में ही था। जिसे नीना देवी ने मामूली से किराए पर खुराना को दे रक्खा था। इस कारण वो नीना देवी का अहसान मंद था। नीना देवी से मिलने के पहले उसने रस्तोगी से बात करना उचित समझा। अभी तक तो वो साथ दे रहा था। अब आखिर ऐसा क्या हो गया की वो पीछे हट रहा है।

खुराना ने रस्तोगी को फोन मिलाया और पूछा, "रस्तोगी जी इस तरह अचानक क्या हो गया जो आप अपने बात से पलटने रहे है? हमारे बीच जो भी बात तय करवाई थी मदन जी ने। उसी के अनुसार आपको अपनी रकम दे दी जाती थी। पर कोई बात नही। महगांई भी तो रोज की रोज बढ़ रही है। अगर पैसे कम लगते हों तो मैं नीना मैडम से बात करके और भी दिलवा सकता हूं । आप कुछ बताइए तो सही।

पर रस्तोगी ने छमा मांगते हुए कहा, "नही खुराना सर..! अब मैं और गलत नही कर सकता। मैं अपने पेशे से गद्दारी करता था। पर मेरे इस काम से किसी का कितना कुछ बरबाद हो जाता है..? किसी को कितना दर्द होता है ? ये मुझे एहसास नही होता था। पर जब मुझे पता चला की नियति मैडम मेरे जिगरी दोस्त प्रणय की परिचित है और बेहद दुखी है । अपनी बेटी को पाने के वो तड़प रही हैं। तब मेरा जमीर जाग गया।

मुझे अहसास हुआ कि मेरी इस लालच से किसी को कितनी तकलीफ हो सकती है। अब मैं अपना फर्ज पूरी ईमानदारी से निभाउंगा।" इतना कह कर रस्तोगी ने बिना खुराना की बात सुने फोन काट दिया।

रस्तोगी की बातें सुन कर खुराना अपना सा मुंह ले कर रह गया।

दूसरे दिन खुराना ने सुबह ही नीना को फोन किया। नीना देवी से रिक्वेस्ट किया की "आपसे मिलना चाहता हूं कब आ जाऊं?"

नीना देवी ने कहा, " ऑफिस जाते हुए मिल कर जाएं या फिर शाम को सात बजे आएं।"

खुराना को लगा सुबह हो सकता है बात चीत करने में देर हो जाए! तो उसे ऑफिस पहुंचने में देर हो जायेगी। इसलिए सुबह की बजाए शाम का वक्त ही ठीक रहेगा।

तय वक्त के अनुसार ठीक सात बजे खुराना नीना देवी के बंगले पर पहुंच गया। नीना देवी भी इस तरह खुराना के आने का मतलब समझ रही थीं। पर उन्हें उम्मीद थी केस के पॉजिटिव रिजल्ट की। शायद कोई खुशखबरी है जिसे खुराना मिल कर देना चाहते है। वो लिविंग रूम में बैठी थी। नीना ने शांता से कह रक्खा था कि जब खुराना आए तो उन्हें वहीं ले आए।

खुराना ने आते ही नीना देवी का अभिवादन किया ।

नीना देवी ने अभिवादन का जवाब देने के बाद सामने के सोफे पर बैठने को कहा।

खुराना को पता था की उसके बात करते हीं माहौल बदलने वाला है। उसने हिम्मत कर पूरा घटनाक्रम नीना देवी को बताना शुरू किया।

नीना देवी खुद को अदालत में जाने की बात सुनते ही बिफर पड़ी। गुस्से से बोली, "आपने तो उनके वकील रस्तोगी से सेटिंग कर रखी थी। वो मामले को कम से कम मिनी के चौदह साल के होने तक खींचेगा। आप पर और उस रस्तोगी पर पानी की तरह पैसा बहाया। मैने आपके कहने पर जितना पैसा कहा उसे दिया। आगे भी देते रहने का वादा किया था फिर क्या हो गया?"

खुराना ने बताया की "अचानक ही रस्तोगी अपने वादे से पलट गया है और अब पैसे लेने से मना कर दिया है।

वो मैने पता किया है। उसका कोई दोस्त है प्रणय, नियति से उसका परिचय है। प्रणय के कहने पर ही वो नियति के केस प्रति ईमानदार हो गया है। उसी के कहने पर रस्तोगी ने पलटी मार दी है। कहता है वो की उसका जमीर जाग गया है। मैने उसे और रकम देने की भी पेशकश की पर उसने साफ मना कर दिया। वो दोस्त को पैसे के ऊपर रखता है। बताइए मैं अब मैं क्या करूं?"

नीना देवी खुराना की बातों से खिन्न सी हो गई। उन्होंने रूष्ट स्वर में कहा, "इस देश में सालों साल गंभीर मामले मुकदमें खिंचते हैं पर फैसला नहीं हो पाता।ये तो मामूली सा मामला है। इसे भी आप लंबा नहीं खींच पा रहें है। मैंने तो आपको इस लिए इस केस पर रक्खा की जो पैसा मैं किसी दूसरे को दूंगी वो आपको ही मिल जाए। आप घर के सदस्य जैसे हैं। पर लगता है आप नहीं संभाल पाएंगे आगे!"

खुराना को नीना देवी की नाराजगी का मतलब अच्छे से पता था। केस की फीस तो जाती ही साथ ही साथ जो ऑफिस उसे मुफ्त में मिला था वो भी छिन जाता। नीना देवी का दूसरा वकील करना खुराना के लिए हर तरह से नुकसान दायक था। इस कारण वो नीना देवी को तसल्ली देते हुए बोला, " मैम आप बिल्कुल परेशान ना हो। रस्तोगी ने दगा दे दिया तो क्या हुआ? मैं कोई दूसरी तरकीब लगाऊंगा। मिनी बेबी को आपसे दूर नहीं होने दूंगा। अब इसके लिए मुझे चाहे जो कुछ भी करना पड़े।"

नीना देवी के पास भी खुराना की बातों पर यकीन करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। अब कोई दूसरा वकील करती तब भी क्या भरोसा था कि वो केस जिता ही देगा? ये बात उन्हें भी मालूम थी कि छोटे बच्चो के पालन पोषण पर पहला हक मां का ही होता है। ये तो वो रस्तोगी के जरिए छल से नियति से मिनी को दूर रखने का सपना संजोए थी।

इधर नियति को मिनी से मिले काफी समय हो गया था। नियति रिक्वेस्ट कर रही थी नीता से की वो मिनी से उसे मिला दे। पर नीता को मौका नहीं मिल पा रहा था।आज जब नीता को पता चला की आज शाम खुराना आ रहे है। तो उसे अंदाजा हो गया की नीना जीजी आज शाम व्यस्त रहेंगी उनके साथ। ऐसे में कुछ देर के लिए मिनी को लेकर बाहर जा सकती है। वो खुराना के आने से पहले ही मिनी के साथ बाहर लॉन में खेल रही थी। जैसे ही खुराना अंदर आया, वो नियति को पास के ही एक स्थान पर आने को बोल मिनी को लेकर बाहर निकल गई। नियति तो नीता मौसी के फोन का इंतजार ही कर रही थी। जैसे ही कॉल आई वो उस जगह पहुंच गई।

नीता जैसे ही मिनी को लेकर पहुंची पहले से प्रतीक्षा करती नियति दौड़ कर मिनी के पास पहुंची और उसे भींच कर सीने से लगा लिया। मां का बेटी के लिए तड़प आंखो के जरिए बहने लगा। अबोध मिनी कुछ समझ नहीं पा रही थी। ना देखने के बावजूद मां को बच्चे को परिचय नही देना होता। मिनी अपने नन्हे नन्हे हाथों से नियति के आंखो से बहते आंसू से पोछने लगी।

नीता पास आई और नियति से बोली, "बेटा नियति बड़ी मुश्किल से मैं मिनी को ले कर आई हूं। तुम जल्दी करो। खुराना के जाते ही जीजी को मिनी की याद आ जायेगी। मुझे मिनी के साथ गायब देख अगर उन्हें संदेह हो गया की मैं मिनी को लेकर तुमसे मिलाने लाई हूं तो कयामत ही आ जायेगी। तुम तो बेटा जीजी का गुस्सा जानती ही हो। मैं चलूं अब मिनी को लेकर?"

नियति ने गोद में लेकर मिनी के गालों पर चुम्बन लिया और नीता मौसी के गोद में मिनी को दे दिया।

नीता मिनी को लेकर नीना के बंगले के और चल दी।

इधर बात चीत खत्म होने पर खुराना नीना देवी से केस की तारीख पर चलने का फिर से अनुरोध कर चला गया।

उसके जाते ही शांता ये पूछने नीना आई की रात के खाने में क्या बनेगा? नीना ने जो बनाना था शांता को बताया और पूछा, "शांता मिनी कहां है? ले आओ उसे।"

शांता "जी दीदी" बोल कर मिनी को लाने चली गई।

क्या मिनी मिली शांता को? क्या नीना जान पाई की नीता मिनी को ले कर नियति से मिलाने ले गई है?

अगली तारीख पर क्या नीना कोर्ट गई? ये सब पढ़ें अगले भाग में।

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Neelam Mishra

Neelam Mishra 6 months ago

Rita Mishra

Rita Mishra 6 months ago

very nice part

Rashmi

Rashmi 8 months ago

Ramesh Pandey

Ramesh Pandey 11 months ago