Kamwali Baai - 14 in Hindi Women Focused by Saroj Verma books and stories PDF | कामवाली बाई - भाग(१४)

कामवाली बाई - भाग(१४)

इधर पुलिस की तहकीकात जारी थी,पुलिस को भी समझ नहीं आ रहा था कि ये सब किसने किया,जब गार्गी थोड़ी स्वस्थ हुई तो उससे पूछताछ की गई,तब वह बोली.....
हम सब तो बर्थडे के बाद खाना खाकर लेट गए थे,मुझे कुछ नहीं मालूम की उसके बाद क्या हुआ?शायद हमारे खाने में कुछ था जिससे हम सब गहरी नींद में सो गए.....
खाने की फोरेंसिक जाँच में पाया गया कि उस खाने में सचमुच बेहोशी की दवा थी,तब खाना डिलीवरी ब्वाँय और केक डिलीवरी ब्वाँय से भी पूछताछ हुई और वें बोलें कि हमसे केक और खाना तो गेट पर ही किसी लड़की ने ले लिया था,उसने ही बिल पे किया था,पुलिस ने उन दोनों डिलीवरी ब्वाँय से उस लड़की का हुलिया पूछा और गार्गी का फोटो दिखाया तो वें बोलें ये वो लड़की नहीं है और जो हुलिया उन्होंने बताया था वो गार्गी नहीं कोई और थी...
फिर पुलिस ने उस दूसरी लड़की का स्केच बनवाया,उस लड़की का स्केच गार्गी को दिखाया गया और गार्गी ने कहा ये तो मेरी दोस्त शिवाली है,तब पुलिस ने गार्गी से ये पूछा कि
उस दिन शिवाली बर्थडे पार्टी में तुम लोगों के साथ थी....
तब गार्गी ने साफ साफ इनकार कर दिया कि वो नहीं आई थी....
अब तो पुलिस को शक़ हुआ कि हो ना हो उस दिन शिवाली भी इनके घर पर पार्टी करने आई थी,लेकिन गार्गी झूठ क्यों बोल रही है?ये बात क्यों छुपा रही है?
अब पुलिस शिवाली के घर पहुँची,शिवाली से पूछा गया कि क्या वो उस रात गार्गी के घर त्रिशा की बर्थडे पार्टी में गई थी तो शिवाली ने साफ साफ इनकार कर दिया कि वो वहाँ नहीं गई थी,शिवाली की बात सुनकर पुलिस और भी चक्कर में पड़ गई तब उन्होंने सख्ती से शिवाली से पूछने की कोशिश की तो शिवाली के पिता ने अपनी शौहरत का फायदा उठाकर अपनी बेटी शिवाली के खिलाफ इस इनक्वायरी को बंद करा दिया,अब केस और भी उलझ गया....
फिर एक रोज़ एक महिला पुलिसकर्मी पूनम त्रिवेदी अपना वेष बदलकर शिवाली की सौतेली माँ के पास पहुँची और उनसे बोली....
मुझे आपके घर में काम मिलेगा?
नौकरों की जगह तो खाली नहीं है,शिवाली की सौतेली माँ मुग्धा बोली...
मेमसाब!कोई भी काम दे दीजिए,मेरे बच्चे भूख से मर रहे हैं,मरद छोड़कर भाग गया है,महिला पुलिसकर्मी बोली....
जगह खाली होती तो जरूर काम पर रख लेती,मुग्धा बोली।।
दया कीजिए मेमसाब!आपके बच्चे फले-फूले महिला पुलिसकर्मी बोली...
अब जब पूनम इतना घिघिया कर मिन्नते करने लगी तो मुग्धा को उस पर दया आ गई और वो बोली...
ठीक है,कल से काम पर आ जाना ,माली की जगह खाली है..
बहुत बहुत धन्यवाद मेमसाब!पूनम बोली।।
तो तुम्हारा नाम क्या है?मुग्धा ने पूनम से पूछा।।
जी!रामसखी नाम है मेरा,पूनम बोली।।
अब पूनम को शिवाली के घर में काम मिल गया और वो अब शिवाली पर नजरें रखने लगी,उसने सब पता कर लिया कि शिवाली कहाँ कहाँ जाती है और उसके कौन कौन दोस्त हैं,एक रोज़ शिवाली टेलीफोन से गार्गी से बात कर रही थी और पूनम ने जो सुना तो उसे सुनकर उसके होश उड़ गए....
और फिर बातों ही बातों में एक दिन पूनम ने मुग्धा से भी नाटक करते हुए पूछा...
मेमसाब!एक बात तो है आपकी बेटी आपकी बहन लगती है,ऐसा लगता है जैसे कि आपकी शादी कम उम्र मेँ हो गई होगी...
तब मुग्धा बोली....
मैं शिवाली की सगी नहीं सौतेली माँ हूँ....
अच्छा!इसलिए आप दोनों माँ बेटी को मैनें कभी साथ में नहीं देखा,रामसखी बनी पूनम बोली।।
शिवाली बहुत ही बिगड़ैल और बतमीज है,मेरा तो नाम यूँ ही बदनाम है क्योंकि मैं उसकी सौतेली माँ जो ठहरी,मुग्धा बोली।।
तो उसकी संगत ठीक नहीं होगी,रामसखी बनी पूनम ने पूछा।।
हाँ!एक बिगड़ैल आवारा किस्म की लड़की उसकी दोस्त है,अक्सर वो उसके साथ ही घूमा करती थी,कभी उसकी वो दोस्त हमारे घर आती थी तो दोनों कई कई घण्टे कमरें में घुसीं रहतीं थीं,कभी सिगरेट पीती थी तो कभी शराब,मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आता था कि घण्टों दोनों भीतर क्या क्या करतीं थीं?मुग्धा बोली।।
वैसे उसकी उस सहेली का नाम क्या है?रामसखी ने पूछा।।
गार्गी नाम है उसका,सुना है कुछ दिनों पहले उसके परिवार का किसी ने खून कर दिया,लेकिन गार्गी बच गई,उसी केस के सिलसिले में पुलिस शिवाली से भी पूछताछ करने आई थी लेकिन मेरे पति जाने माने बिजनेसमैन हैं तो उन्होंने मामले को बढ़ने से पहले ही सम्भाल लिया,मुग्धा बोली।।
अच्छा!तो क्या शिवाली का भी उन सभी के खून से कोई सम्बन्ध है?रामसखी ने पूछा।।
सम्बन्ध का पता नहीं लेकिन उस रात शिवाली उनके घर गई थी क्योंकि ड्राइवर जब उसे गार्गी के घर छोड़कर लौटा तो उसने मुझे बताया था और जब वो घर लौटी तो उस रात मैनें ही दरवाजा खोला था,शिवाली के चेहरें की हवाइयाँ उड़ी हुईं थीं और उसके हाथ में एक बैग था जिसे वो छुपाने की कोशिश कर रही थीं,वो कभी दुपट्टा नहीं ओढ़ती लेकिन उस रात उसने दुपट्टे से अपने पूरे शरीर को ढ़क रखा था और बदहवास सी वो अपने कमरें में चली गई,मुझे कुछ अजीब सा तो लगा लेकिन मैं ने उससे कुछ कहा नहीं,मुग्धा बोली...
अच्छा!तो उसने फिर पुलिस से क्या कहा कि वो उस रात वहाँ नहीं गई थी,रामसखी ने पूछा।।
हाँ!यही कहा था,मुग्धा बोली।
अब ये सब बातें सुनकर रामसखी बनी पूनम का माथा ठनका और उसने केस की तह तक जाने का इरादा किया और एक रोज़ घर की सफाई वाली नहीं आई तो रामसखी ने मुग्धा से कहा कि वो चिन्ता ना करें,वो घर की सफाई भी कर देगी,वैसे भी बगीचे का काम आज ज्यादा नहीं है,रामसखी तो इसी ताक में थी कब उसे शिवाली के कमरें की तलाशी करने का मौका मिले और फिर वो कमरें की तलाशी लेने में कामयाब भी हो गई क्योंकि उस रोज शिवाली बाहर गई थी,
और फिर कमरें की तलाशी के दौरान रामसखी बनी पूनम के हाथ जो लगा उसे देखकर उसका दिमाग़ शून्य हो गया,उसने वो सूबूत सीधे पुलिस को पहुँचा दिए,इस दौरान शिवाली पर और भी पलिसकर्मी नज़र रख रहे थे कि वो कहाँ कहाँ जाती है और किस किस मिलती है और वो अक्सर गार्गी से मिलने जाती थी,फिर एक रोज गार्गी भी शिवाली से मिलने उसके घर आई,वो अब ठीक हो चुकी थी,उस दिन पूनम ने छुपकर दोनों की बातें सुनी और जो उसने सुना तो उसे ऐसा लगा कि ये दोनों लड़कियांँ इतनी शातिर दिमाग़ हो सकतीं हैं,लेकिन उसने उस समय कोई भी शोर नहीं किया वो दोनों को रंगे हाथ पकड़ना चाहती थी,पूनम ये चाहती थी कि वो दोनों को सूबूत के साथ पकड़े.....
इधर गीता और भोला का इश़्क भी परवान चढ़ रहा था,दोनों को जब भी मौका मिलता तो दोनों किसी पार्क में मिल लेते,गीता ने कई बार भोला को मंदिर भी मिलने के लिए बुलाया उससे बोली.....
मंदिर में तुम्हारे साथ भगवान के दर्शन करना चाहती हूँ...
लेकिन भोला कभी भी मंदिर नहीं पहुँचता ,कोई ना कोई बहाना बनाकर टाल जाता,लेकिन गीता तब भी उसे चाहती थी,उसे अब सुहाना की बात सच लगने लगी थी वो कहा करती थी कि.....
जब तुझे प्यार होगा ,तब तुझे उसका मतलब पता चलेगा,
अब गीता को प्यार का मतलब पता हो गया था,इस बीच उसने घरों में काम करना छोड़ दिया था,अपनी त्रिवेणी आण्टी के जाने के बाद उसे लोगों के घरों में काम करने से डर लगने लगा था,उसे अभी तक समझ नहीं आ रहा था कि आखिर घर के सभी लोगों को किसने मारा?
फिर एक दिन पूनम अपनी पुलिस की वर्दी में शिवाली के घर पहुँची,साथ में दो महिला कान्स्टेबल्स और भी पुलिसकर्मी थे,मुग्धा और घर के अन्य सदस्यों ने जब पूनम को पुलिस की वर्दी में देखा तो आश्चर्यचकित हो गए और तब मुग्धा बोली....
तुम रामसखी नहीं हो,
जी!नहीं!आय एम इन्सपेक्टर पूनम त्रिवेदी।।
तो तुम यहाँ नौकरानी बनकर क्यों रह रही थी?मुग्धा ने पूछा।।
अभी आपको पता चल जाएगा,पूनम बोली।।
मतलब क्या है आपका? क्या पता चल जाएगा,मुग्धा ने पूछा।।
यही कि आपकी बेटी कातिल है,पूनम बोली।।
ये क्या बकवास कर रहीं हैं आप?,शिवाली के पिता बोलें।।
जो सच है वही कह रही हूँ,पूनम बोली।।
ऐसे कैसे हो सकता है?शिवाली के पिता बोले।।
यही हुआ है सर!पूनम बोली।।
कहना क्या चाहतीं हैं आप?शिवाली के पिता बोले।।
यही कि आपकी बेटी ने ही त्रिवेणी जी के परिवार को मारा है,पूनम बोली।।
आपके पास सुबूत क्या है?शिवाली के पिता बोलें...
पुलिस स्टेशन चलिए सर!वहीं सारे सुबूत मौजूद हैं,आपकी बेटी ने जो कारनामा किया है ना !ऐसा तो कोई हैवान ही कर सकता है,आपकी परवरिश में कमी रह गई इसलिए उसने ऐसा काण्ड किया,पूनम बोली।।
मेरी पहुँच ऊपर तक है,मैं अपनी बेटी के साथ हर्गिज़ भी ऐसा नहीं होने दूँगा,शिवाली के पिता बोले...
सर!शायद आपको पता नहीं है कि कानून के हाथ कितने लम्बे होते हैं,आपकी पहुँच जहाँ तक है ना तो वहाँ तक भी पहुँच सकते हैं?इन्सपेक्टर पूनम त्रिवेदी बोलीं।।
मैं चुप नहीं बैठूँगा,शिवाली के पिता बोलें।।
अब आप कितना भी हल्ला मचा लें,शिवाली तो जेल जरूर जाएगी,पूनम बोली।।
लेकिन डैड!मैनें कुछ नहीं किया,शिवाली बोली।।
बेटा!वो तो सुबूत बता ही देगें कि तुमने क्या क्या किया है,पूनम बोली,
मैनें कुछ नहीं किया डैड!ट्रस्ट मी!शिवाली बोली।।
और फिर पूनम ने शिवाली से कहा....
यू आर अण्डर अरेस्ट!! शिवाली!
और फिर शिवाली पुलिस स्टेशन पहुँची जहाँ गार्गी भी पहले से अपने हाथों में हथकडियाँ लगाकर बैठी थी,तब पूनम बोली....
लीजिए गार्गी मैडम!आपकी कात़िल सहेली भी आ गई,अब दोनों अपना अपना जुर्म कुबूल कर लो !
जब हम दोनों ने कुछ किया ही नहीं है तो क्या कूबूल करें?गार्गी बोली।।
और फिर पूनम ने जब इतना सुना तो फौरन ही गार्गी के गाल पर जोर का तमाचा देते हुए बोली....
शरम!नहीं आती झूठ बोलते हुए,अगर जुर्म नहीं किया तो दोनों इण्टरनेशनल एयरपोर्ट क्यों जाने वाली थीं?पूनम बोली।।
वो तो हम घूमने जा रहे थे,शिवाली बोली।।
अच्छा!घूमने का मकसद जान सकती हूँ,पूनम ने पूछा।।
जी!घूमने तो सभी जाते हैं,शिवाली बोली....
शिवाली के इतना कहने पर पूनम ने जोर का तमाचा शिवाली के गाल पर भी रसीद दिया ,शिवाली अपना गाल पकड़कर रह गई और फिर पूनम बोली....
ईमानदारी से अपना जुर्म कुबूल कर लो....नहीं तो....
और फिर गार्गी ने बोलना शुरू किया.....
कि उस रात क्या हुआ था....

क्रमशः....
सरोज वर्मा....


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