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कामवाली बाई - भाग(१५)

गार्गी बोली....
उस रात शिवाली मेरी छोटी बहन त्रिशा की बर्थडे पार्टी में आई थी,खाना भी शिवाली ने आँर्डर किया था और इसी ने उन दोनों डिलावरी ब्वाँय को पेमेंट भी किया था,
फिर क्या हुआ?पूनम बोली।।
फिर शिवाली ने उस खाने और केक में बेहोशी की दवा मिलाई,हम दोनों ने सबको वो खाना और केक खिलाया लेकिन हमने नहीं खाया,उस दिन मेरे पापा भी घर आएं थे,उनका एक पुराना प्लाट पड़ा था जो उन्होंने बेचा थ,उसके उन्हें पच्चीस लाख रूपए मिले थे,वो रुपयों से भरा बैग भी लाएं थे,गार्गी बोली।।
घर की तलाशी में पुलिस को वो बैग क्यों नहीं मिला?पूनम ने पूछा।
क्योंकि वो बैग शिवाली अपने घर ले गई थी,गार्गी बोली।।
क्यों?उसे उन रुपयों की क्या जरूरत थी?पूनम ने पूछा।।
क्योंकि हम दोनों वो रूपये लेकर विदेश जाने वाले थे,गार्गी बोली।।
क्यों यहाँ माँ बाप खाना नहीं दे रहे थे क्या? जो तुम दोनों को विदेश भागने का आइडिया आया,पूनम ने पूछा।।
नहीं !ऐसी बात नहीं है,गार्गी बोली।।
तो फिर क्या बात है?पूनम ने पूछा।।
मैं उन रुपयों से अपना जेण्डर चेंज करवाना चाहती थी,गार्गी बोली।।
लेकिन क्यों ?भगवान ने अच्छी खासी लड़की बनाकर भेजा है तुझे इससे आपत्ति क्यों थी?पूनम ने पूछा।।मैं शिवाली से प्यार करती हूंँ और वो मुझे बहुत प्यार करती है,यहाँ हमारा मिलना मुमकिन नहीं था,यहाँ हमारा समाज ये सब स्वीकार नहीं करता,मैं लड़का बनकर शिवाली के साथ रहना चाहती थी,ये कहकर गार्गी रो पड़ी...
तो तुमने लड़का बनने के लिए ऐसा कदम उठाया,पूनम बोली।।
हमारे पास इसके सिवाय और कोई चारा नहीं था,शिवाली बोली।।
ये सब प्यार व्यार का नाटक कब से चल रहा था तुम दोनों के बीच,पूनम ने पूछा।।
हम जब स्कूल में थे,शिवाली बोली।।
शुरू से पूरी बात बता,पूनम बोली....
तब गार्गी बोली...
हम दोनों तब दसवीं में पढ़ रहे थें,मुझे शिवाली अच्छी तो लगती थी लेकिन समझ में नहीं आता था कि वो मुझे क्यों अच्छी लगती है,जब उस समय सभी लड़कियांँ लड़कों के पीछे भागतीं थीं तब मैं लड़कियों को देखा करती थी,मैनें धीरे धीरे शिवाली से भी दोस्ती की तब पता चला कि वो भी मुझे पसंद करती है,फिर हमने धीरे धीरें एक दूसरे का गले लगाना और टच करना अच्छा लगने लगा और इस तरह से हमने अपनी हदें पार करना भी शुरू कर दिया,
धीरे धीरे हम दोनों एक दूसरे के इतने नजदीक आ गए कि एक दूसरे के बिना रहना मुश्किल लगने लगा,इसलिए हम साथ में ब्यूटीशियन का कोर्स करने लगें,हमारी शरीरों की ख्वाहिशें दिनबदिन बढ़ती जा रहीं थीं,इसलिए हम रोजाना मिलने लगें,कभी मेरे घर में तो कभी शिवाली के घर में,मेरी नानी ने एक बार हमें साथ में पकड़ लिया था ,उन्होंने हमें समझाने की भी बहुत कोशिश की थी लेकिन हम दोनों का हमारे शरीरों पर काबू नहीं था,फिर हमें लगने लगा कि हम यहाँ इस समाज में खुलकर नहीं मिल सकते,अपने प्यार को समाज के सामने नहीं जता सकते,इसलिए हम दोनों ने फैसला किया कि हम विदेश जाऐगें और मैं वहाँ अपना जेण्डर चैंज करवाकर लड़का बन जाऊँगी,इसके बाद हम दोनों शादी करके वापस लौट आएंगे,लेकिन इसके लिए बहुत रूपया चाहिए था जो हमारे पास नहीं था,किसी से माँगते तो वो पहले रूपया माँगने का कारण पूछता.....
लेकिन तुम्हारे पिता के पास तो था पैसा ,उनसे माँग लेती ,किसी की जान लेने की क्या जरूरत थी? पूनम ने गुस्से से शिवाली से कहा,
मेरे डैड भी मुझसे रूपये माँगने का कारण पूछते,शिवाली बोली।।
इसलिए तुम दोनों ने रूपयों के चक्कर में एक हँसते खेलते परिवार को उजाड़ दिया,पूनम बोली।।
मैनें नहीं उजाड़ा अपना परिवार,वो क्यों नहीं मेरे मन की बात समझीं,गार्गी चीखते हुए बोली।।
कौन नहीं समझीं तुम्हारे मन की बात?पूनम ने पूछा।।
मेरी अपनी माँ,गार्गी बोली।।
तुमने उन्हें समझाने की कोशिश की होती तो शायद वो समझ जातीं,पूनम बोली।।
मैंने एक बार उन्हें समझाने की कोशिश की थी लेकिन वें बोलीं कि समाज को क्या जवाब देगीं?गार्गी बोली।।
तो तुमने उन्हें मार दिया,पूनम बोली।।
तो क्या करती?वो मेरी शादी किसी और से कराना चाहती थी,मैनें कहा भी कि मैं सिर्फ़ शिवाली से प्यार करती हूंँ तो वो मेरी बात क्यों नहीं समझीं?गार्गी चीखी।।
चीखना बंद कर ,ये बता कि उन्हें मारा कैसें?पूनम बोली।।
उस रात जब सब खाना खाकर बेहोश हो गए तो हम दोनों ने एक एक बड़ा सा हथौड़ा लेकर आएं, शिवाली ने खुद को चादर से चारों ओर से कवर किया ताकि खून के छींटे उस पर ना आएं,पहले तो हम दोनों ने सबके सिर पर वार किएं और फिर सबके हाथ पैरों पर भी उस हथौड़े से चोटें की,जब हम दोनों को संतुष्टि हो गई कि वें सब मर चुकें हैं तो मैनें शिवाली से कहा कि मुझे भी अब चोंटें दें ताकि पुलिस को ये लगें कि मैं भी इस हादसे का शिकार हुई हूँ और फिर मैनें अपने मुँह में कपड़ा ठूँसा और शिवाली ने मुझ पर हथौड़े बरसाएं ,लेकिन शिवाली के चादर से कवर होने के बावजूद भी उस पर खून के कुछ छींटे आएँ ,तब उसने चादर हटाकर खुन के छींटे छुपाने के लिए मेरी मम्मी का दुपट्टा अपने ऊपर लपेटा और रूपयों का बैग लेकर अपने घर चली गई.....
कितनी बेहरम हो तुम दोनों,तुम दोनों को देखकर दरिन्दा भी शरमा जाएं,अपने शरीर की हवस मिटाने के लिए तुम लोंग इतना नीचें गिर गई,बेवकूफ लड़की वो तेरी बूढ़ी नानी थी जिसने तुझे ढ़ेरों कहानियाँ सुनाईं होगीं और वो तेरी माँ थी जिसने तुझे जन्म दिया था,तेरी छोटी बहन का क्या कुसूर था उसने तो अभी ठीक से दुनिया भी नहीं देखी थी,तेरे बाप ने कभी तुझे गोद में खिलाया होगा और तू उसकी जान से ही खेल गई,स्वार्थी कहीं की,तेरी रूह नहीं काँपी उस वक्त ऐसा घिनौना काम करते हुए और तुमने उन हथौड़ों का क्या किया?पूनम ने पूछा।।
वो हमने गटर में डाल दिए,शिवाली बोली।।
कौन से गटर में डाले?पूनम ने पूछा।।
शिवाली ने अपने घर जाते समय हमारे घर के पासवाले गटर में वो दोनों हथौड़े डाल दिए थे,गार्गी बोली।।
उन दोनों की बात सुनकर शिवाली के पिता बोलें....
मेरी परवरिश में कमी रह गई जो मेरी बेटी ने इस गुनाह को अन्जाम दिया,काश की मैं मुग्धा की बात मान लेता और अपनी बेटी की अय्याशियों पर पाबन्दी लगा देता,
अब जो भी है लेकिन अब आप मानते हैं ना कि आपकी बेटी गुनाहगार है,पूनम बोली।।
जी!हाँ!आज मेरा सिर शर्म से झुक गया,मुझे बात से एतराज़ नहीं है कि ये दोनों एक दूसरे से प्यार करतीं हैं ,लेकिन एकदूसरे को पाने के लिए दोनों जो गुनाह किया है वो माँफी के काबिल नहीं है,मैं चाहता हूंँ कि दोनों को इस जुर्म के लिए कड़ी से कड़ी सजा मिले और इतना कहकर शिवाली के पिता ने अपनी नम आँखें पोछीं और अपनी कार में आकर बैठ गए,ड्राइवर ने कार स्टार्ट की और कार पुलिस स्टेशन से चली गई....
अब पूरी बात खुल चुकी थी,क्योंकि पूनम ने जब शिवाली के कमरें की तलाशी ली थी तो उसे वो रूपयों से भरा बैग मिला था और उसी बैंग में शिवाली के वहीं खून के छींटे वाले कपड़े थे जो उसने उस रात पहने थे,पूनम ने फौरन उन कपड़ो से खून के सैंपल लिए और जाँच के लिए भेज दिए,साथ में उसी बैंग में शिवाली और गार्गी के पासपोर्ट भी थे,इसलिए पूनम को ये बात उसी दिन समझ में आ गई थी लेकिन वो सारे सुबूतों के साथ दोनों को पकड़ना चाहती थी,जब पूनम को ये पता चला कि ये दोनों दो दिन बाद ही रफूचक्कर होने वालीं हैं तो पूनम को लगा कि अब दोनों की गिरफ्तारी में ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए,ऐसा ना हो कि दोनों भाग जाएं और फिर सभी सुबूत जुटाकर पूनम ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया....
अब दोनों जेल की हवा खा रहीं हैं,शिवाली के पिता ने भी उसका साथ देने से इनकार कर दिया,जब ये बात गीता तक पहुँची तो उसे इस बात पर भरोसा नहीं हुआ,उसने मन में सोचा कि ऐसा कैसें हो सकता है कोई इतनी हैवानियत कैसें कर सकता है कि अपने फायदे के लिए अपने ही परिवार का कातिल बन जाएं,ये सब सोच सोचकर गीता परेशान हो उठी,अपना मन ठीक करने के लिए उसने भोला से मिलने का सोचा और वें दोनों एक पार्क में मिलने पहुँचे तब गीता ने भोला से पूरी बात बताई तो भोला बोला....
गीता!अभी तूने दुनिया देखी ही कहाँ है?दुनिया में बहुत कुछ होता है जो शायद तुझे नहीं मालूम!
भोला!इससे भी बुरा और क्या हो सकता है?गीता ने पूछा।।
हो सकता है इससे भी बुरा,इस दुनिया में और भी बुरे बुरे काम लोंग करते हैं पैसों के लिए,भोला बोला।।
सच!भोला!दुनिया इतनी धोखेबाज है,गीता ने पूछा।।
हाँ!गीता!धोखा ही धोखा है यहाँ लोगों की नजरों में,भोला बोला।।
तुम तो मुझे धोखा नहीं दोगे ना!गीता ने पूछा।।
नहीं!मैं कभी तुझे धोखा नहीं दूँगा,भोला बोला।।
और फिर उस दिन गीता ने भोला पर पक्का भरोसा कर लिया था,वो अब भोला से शादी करने के सपने देखने लगी थी,लेकिन उसे ये नहीं पता था कि उसकी जिन्दगी अब ऐसा मोड़ लेगी कि वो टूटकर बिखर जाएगी,उसके सपने चूर चूर हो जाऐगें और फिर एक दिन उस घर में पुलिस तलाशी के लिए आई जहाँ भोला इतने सालों से काम कर रहा था और उस घर के मालिक ने जो सुना वो सुनकर उसके होश उड़ गए,पुलिस ने फौरन ही भोला को गिरफ्तार कर लिया...
ये खबर सुनकर गीता हिल गई क्योंकि उसका भरोसा किसी इन्सान से एक बार और उठा था,पुलिस गीता के घर भी पूछताछ करने आई क्योंकि भोला उससे भी मिलता था,गीता ने कहा कि वो बस इतना जानती है कि भोला एक ब्राह्मण है और एक रसोइया था,बस इससे ज्यादा वो कुछ नहीं जानती,ना वो कभी उसके किसी रिश्तेदार से मिली और ना ही उसके माँ बाप से,मैं जब भी उससे अपने परिवार के लोगों से मिलवाने को कहती तो वो टाल जाता था....
तब पुलिस बोली....
वो भारतीय नहीं एक पकिस्तानी जासूस है और उसका नाम भोला नहीं उजैन खान है,वो छुपकर उस घर में रह रहा था,जब उसके साथी को दिल्ली में गिरफ्तार किया गया तो उसने उसका नाम बताया,तुम शुक्र मनाओ की तुम बच गई नहीं तो किसी दिन वो तुम्हें भी मार देता,इन लोगों के भीतर कोई रहम नहीं होता,ये लोंग बस अपने फायदे के लिए लोगों का इस्तेमाल करते हैं....
ये सुनकर गीता का जी धक्क से रह गया, वो खुद को सम्भाल नहीं पाई और चक्कर खाकर गिर पड़ी,उसे समझ नहीं आ रहा था कि इतना बड़ा धोखा वो कैसे बरदाश्त करे,उसकी हालत बहुत ही खराब हो चली थी,फिर कुछ दिनों बाद पता चला कि भोला इनकाउंटर में मारा गया,लेकिन गीता को अब इससे कोई फरक नहीं पड़ रहा था क्योंकि भोला तो उसके लिए पहले ही मर चुका था,एक आतंकवादी कभी उसका प्रेमी नहीं हो सकता,
गीता खुद को समेटना सीख ही रही थी कि एक दिन उसके बापू इस दुनिया को छोड़कर चले गए,मरते वक्त उन्होंने गीता के सिर पर हाथ फेरकर कहा कि वो उसे माँफ कर दे और गीता ने अपनी आँखों में आँसू भरकर उनके माथे को चूमकर ये जताया कि उसने उन्हें माँफ कर दिया....
अब कावेरी का सिन्दूर और चूड़ियाँ उतर चुकीं थीं,उसे अपने पति के जाने का ना तो ग़म था और ना ही खुशी,बस उसके घर का एक कोना रिक्त हो गया था जहाँ वो पड़ा रहता था.....
जिन्दगी यूँ ही गुजर थी मायूस सी ,अब गीता बाइस की हो चली थी और उसकी जिन्दगी में कुछ भी नहीं बदला था,शादी के नाम से वो डरती थी क्योंकि अब उसमें और भी धोखा खाने की गुन्जाइश नहीं बची थी...

क्रमशः.....
सरोज वर्मा....