Ziddi Ishq - 12 books and stories free download online pdf in Hindi

ज़िद्दी इश्क़ - 12

"तुम्हे इसके इलावा आता ही क्या है।"

माहेरा ने गुस्से से उसे घुरते हुए कहा।

"मतलब तुम मुझ से बिना सवाल जवाब किये रह ही नही सकती ना।"

माज़ ने उसके होंठो की तरफ देखते हुए कहा और उसका गला हल्का सा दबा कर छोड़ते हुए कहा और साथ ही उसकी बची कूची सांसे अपनी सांसो में कैद करली।

माहेरा उसे धकेलने की नाकाम कोशिश कर रही थी लेकिन माज़ की पकड़ इतनी मज़बूत थी कि माहेरा ने थक हार कर कोशिश करना बंद कर दिया।

माज़ उससे दूर हुआ और माहेरा का गुस्से से लाल चेहरा देखते हुए फ्रेश होने के लिए चला गया।

उसके छोड़ने पर माहेरा लम्बी लम्बी सांसे लेने लगी और उसे अपनी तेज़ धड़कनों की आवाज़ अपने कानों में सुनाई दे रही थी।

माज़ फ्रेश हो कर आया तो माहेरा गुस्से से उसे घूर रही थी।

उसने मुस्कुराते हुए माहेरा को देखा।

उसकी मुस्कुराहट माहेरा को अंदर तक जलाने के लिए काफी थी।

वो बेड की साइड से अपनी चीजें उठाते हुए एक नज़र माहेरा को देख कर कमरे से बाहर चला गया।

माज़ के जाने के बाद वोह भी उठ कर फ्रेश होने के लिए चली गयी।

माहेरा जब फ्रेश हो कर वापस आयी तो रोज़ी उसे ब्रेकफास्ट के लिए आने का कह कह कमरे से चली गयी।

माहेरा अपने बाल बना कर डाइनिंग टेबल लर नाश्ता करने के लिए चली गयी।

माज़ और रामिश वहां पहले से ही बैठ कर नाश्ता कर रहे थे।

वोह माज़ से दो कुर्सियां छोड़ कर बैठ गयी और रामिश से बोली।

"गुड मॉर्निंग रामिश........मेरी दोस्त कैसी है?"

"मोर्निंग माहेरा......वोह बिल्कुल ठीक है।"

रामिश उसकी बात सुनकर बोला।

रोज़ी ने नास्ता माहेरा के सामने रखा तो वोह नाश्ता करते हुए बोली।

"रामिश मेरा मोबाइल दो जो माज़ ने तुम्हे दिया था।"

उसकी बात सुनकर रामिश ने माज़ की तरफ देखा तो माज़ बोला।

"रामिश इसकी बात करवा कर फ़ोन इससे वापस ले लेना और जब तक फोन इसके पास रहेगा इसे अकेला मत छोड़ना।"

"रामिश अपने दोस्त को बता दो मैं कौनसा फोन ले कर भाग जाउंगी। वैसे भी मेरा मोबाइल है तो मेरे पास ही होना चाहिए।"

रामिश ने हैरान हो कर उन दोनों को देखा जो उसका नाम ले कर एक दूसरे से बात कर रहे थे।

माहेरा की बात सुनकर माज़ ने अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए कहा।

"तुम जितनी तेज़ हो ना तुम्हारा पता भी नही फोन ले कर भाग जाओ और जब मैं ने कह दिया तुम तभी फ़ोन इस्तेमाल करोगी जब रोज़ी या रामिश तुम्हारे साथ हो तो बहेस करना ज़रूरी है।"

"मुझे लगता है तुम चाहती हो कि मैं हर रोज़ तुम्हे सज़ा दु।"

माज़ कुर्सी से उठ कर अपना हाथ नैपकिन साफ करते हुए बोला।

उसकी बात सुनकर माहेरा जो कब से बस रामिश को देख कर बात कर रही थी जल्दी से उसकी तरफ देख कर बोली।

"न......न.......नही जैसा तुम कहोगे मैं वैसा ही करूँगी।"

उसकी बात सुनकर माज़ मुस्कुराते हुए वहां से चला गया।

रामिश भी भागते हुए उसके पास आ कर बोला।

"वैसे तू ने उसे कौन सी सज़ा दे दी है जो वोह इतना डर रही है।"

उसकी बात सुनकर माज़ ने मुस्कुराते हुए उसे देखा और अपनी इएब्रो उचकाते हुए बोला।

"तू सोफ़िया के साथ रात भर क्या कर रहा था मैं ने पूछा।"

"मैं ने बस उसके साथ मूवी देखी और अ गया।"

रामिश ने उसे घूरते हुए कहा तो माज़ उसे बिना जवाब दिया आगे बढ़ गया।

"यह शादी के बाद कुछ ज़्यादा ही नही बदल गया।"

रामिश मन ही मन बड़बड़ाया और माहेरा का फोने लेने के लिए चला गया।

माहेरा को फ़ोन देने के बाद उसने रोज़ी को बुला कर उसे सारी बात समझा दी।

उसकी बात सुनकर रोजी जा कर माहेरा के पास बैठ गयी।

माहेरा ने एक नज़र रोज़ी को देखा और अपने डैड के नबर पर कॉल लगाई।

मुम्बई, इंडिया:

ज़ाकिर साहब इस वक़्त अपने आफिस में बैठे थे। क्योंकि इंडिया इटली से साढ़े चार घण्टे आगे है। वोह अभी एक मीटिंग खत्म करके के आये थे।

अपने मोबाइल पर महेरा की कॉल आते देख इन्होंने फौरन उठायी........तो उन्हें दूसरी तरफ से माहेरा की आवाज़ सुनाई दी।

"हेलो.....डैड कैसे है आप?"

"मैं ठीक हु मेरी जान, तुम कैसी हो?"

ज़ाकिर साहब ने पूछा।

"डैड मैं बिलकुल ठीक हु। बस मुझे आप लोगो की याद आ रही थी। मॉम कैसी है? उन से तो मेरी कम ही बात होती है।"

माहेरा जवाब दे कर आखिर में उदासी से बोली।

"तुम फिक्र मत करो मैं रात में तुम्हारी आरज़ू बेगम से तुम्हारी बात करा दूंगा। और बताओ वहां कोई प्रॉब्लम तो नही है तुम्हारी स्टडी कैसी चल रही है?"

ज़ाकिर साहब उसकी उदास आवाज़ सुनकर बोले।

"अच्छा ठीक है रात में याद से मेरी बात करा दीजियेगा और मुझे यहां कोई प्रॉब्लम नही है...."

अभी ज़ाकिर माहेरा की बात सुन ही रहे थे कि उनकी आफिस का दरवाज़ा खोल कर दो आदमी अंदर आये। उन्हें देख कर ज़ाकिर साहब परेशान हो कर "बाद में फोन करने का कह कर" फोन कट कर दिया।

रोम, इटली:

माहेरा जो अभी उसने बात करना चाहती थी उनके काल कट करने की वाजह से उदास हो गयी।

जैसे ही फोन कट हुआ रोज़ी ने महेरा से फोन ले लिया।

माहेरा का दिल तो नही था लेकिन बाद में बात करने का सोच कर उसने फोन दे दिया।

दो हफ्ते बाद:

माहेरा अपनी यूनिवर्सिटी की ऑनलाइन क्लासेस खत्म करके अभी फ्री हुई थी और कुछ खाने के लिए किचन में जा रही थी।

माज़ ने उसकी यूनिवर्सिटी को क्लासेस ऑनलाइन करा दी थी जिसकी वाजह से वोह आसानी से अपनी पढ़ाई पूरी कर सकती थी।

जबकि माहेरा ने मेंशन से भागने के लिए एक जगह भी ढूंढ ली थी जिससे वोह आसानी से यहा से बाहर निकल सकती थी।

मगर प्रॉब्लम येह थी कि वोह माज़ की गैर मौजूदगी और सही वक्त में यहां से निकलना चाहती थी ताकि वोह पकड़ी ना जा सके। उसे मेंशन में कोई भी प्रॉब्लम नही थी लेकिन वोह आज़ाद रहना चाहती थी, और लगातार मेंशन में रहने की वाजह से वोह चिड़चिड़ी हो गयी थी।

माहेरा जो कमरे से निकल कर किचन में जा रही थी कॉरिडोर से जाते हुए उसे माज़ और रामिश कि आवाज़ सुनाई दी।

"रामिश आज हम माल चेक करने जाएंगे शाम तक तैयार रहना........."

माज़ रामिश से बोला।

"अच्छा ठीक है। रॉय तुम से मिलना चाहता है वोह शायद तुम्हारे साथ कोई डील करना चाहता है।"

रामिश माज़ से बोला।

"तुम्हे पता है वोह आदमी मुझे ज़रा भी पसंद नही है इसीलिए मैं उसके साथ कोई डील नही करना चाहता हु। अगर वोह दोबारा मिलने के लिए कहे तो कह देना की आज कल हम बिजी है।"

रॉय एक गैंग का लीडर था लेकिन शुरू से ही उन दोनों गैंग की नही बनती थी।

"हम्म, सही है मास्टर की भी कभी उनसे नही बनी।"

रामिश ने जवाब दिया और फिर दोनों कमरे से निकल कर स्टडी रूम की तरफ चले गए।

उनकी बात सुनकर माहेरा पहले ही वहां से हट चुकी थी।

क्या माहेरा इस बार यहां से भाग पाएगी?

कहानी जारी है.......