Ziddi Ishq - 23 books and stories free download online pdf in Hindi

ज़िद्दी इश्क़ - 23

अपने गुस्से को कम करने के लिये माज़ ने अपने बालों में हाथ फेरा और बाहर जा कर एक मेड को आवाज़ दी।

उसकी आवाज़ सुनकर मेड भगति हुई उसके पास आई।

"इस कमरे की सफाई करो और इसे लॉक करदो।"

माज़ ने कहा और स्टडी रूम में चला गया। उसने अपने गुस्से को कम करने के लिए सिगरेट सुलगाई और गहरे गहरे कश भरने लगा। वोह अभी चौथी सिगरेट पी रहा था जब रामिश दरवाज़ा खोल कर अंदर आया।

उसने अपनी लाल आंखों से रामिश को देखा तो वोह एक पल के लिए डर ही गया और फिर हिम्मत करके उसके पास गया।

"माज़ वोह आदमी इस वक़्त सेल में है और........वोह..... मुझे.....पता है यार मेरी गलती थी, मुझे उस पर से नज़र नही हटानी चाहिए थी। तुम मुझे जो भी सज़ा डोज मुझे मंज़ूर है।"

रामिश ने हिम्मत करते हुए अपनी बात पूरी की।

उसकी बात सुनकर माज़ अपनी जगह से उठा और एक ज़ोर दर पंच उसके मुंह पर मारा।

"अगर आज उसे कुछ भी हो जाता तो मैं तुम्हे ज़िंदा नही छोड़ता, तुमने मुझे बहोत मायूस किया है रामिश।"

पांच पड़ने से रामिश को ऐसा लगा जैसे उसका पूरा जबड़ा ही हिल गया। वोह अपने मुंह मे खून का टेस्ट महसूस कर सकता था।

"तुम्हारी वाजह से आज उसे कोई कुछ भी कर सकता था। तुम्हारी एक गलती की वाजह से आज उसकी जान खतरे में पड़ चुकी है।"

माज़ ने एक पंच उसके दूसरे गाल पर मार कर कहा।

उसके बाद माज़ कमरे से निकल गया। रामिश अब भी वही खड़ा था उसे पता था यह उसकी गलती थी। उसे एक पल के लिए भी माहेरा से नज़रे नही हटानी चाहिए थी।

वोह भी स्टडी रूम से निकल कर माज़ के पीछे बेसमेंट में चला आया।

माज़ बेसमेंट में एंटर हुआ और अपने स्पेशल सेल की तरफ चल दिया जहाँ रामिश ने उस आदमी को बंद किया था।

वोह सेल में गया तो सामने कुर्सी पर एक आदमी बंधा हुआ था और उसके सामने एक टेबल रखा हुआ था।

माज़ कुर्सी खींच कर उस आदमी के सामने बैठ गया।

रामिश भी माज़ के पीछे सेल में एंटर हुआ। वोह जानता था माज़ अब उस आदमी के साथ क्या करेगा। रामिश माज़ के कुछ कहने से पहले ही आगे बढ़ा और उसका एक हाथ खोल कर टेबल पर रख कर पकड़ लिया।

वोह आदमी माज़ को अपने सामने देख कर डर गया था।

"जल्दी से अपने हाथ फैला कर मेरे सामने रखो वरना इन्हें काटने में मुझे ज़रा भी फ़र्क़ नही पड़ेगा।"

माज़ ने उसकी बन्द मुट्ठी को देख कर ठंडी आवाज़ में कहा।

उसकी ठंडी आवाज़ सुनकर उस आदमी ने जल्दी से अपने हाथ फैला दिए।

माज़ ने अपनी जेब से एक चाकू निकाला और उसकी उंगलियों के बीच चलाते हुए ठंडी आवाज़ में पूछा।

"किसने तुम्हे मेरी बीवी को धक्का देने के लिए कहा था? मैं तुम्हें पहले ही बता दु गलत जवाब देने के कोशिश भी मत करना नही तो मैं तुम्हारा हाथ काट दूंगा।"

"वोह......वोह...मुझे जैक ने भेजा था उसे मारने के लिए।"

उस आदमी ने डरते हुए कहा।

माज़ ने उसकी बात सुनकर चाकू से उस उंगली काट दी जिससे पूरे सेल में उसकी चीखे गूंज गयी। वोह अपना हाथ पीछे करने लगा ही था कि रामिश ने उसकी कलाई को और मजबूती से पकड़ कर उसे हिलने से रोक दिया।

"मुझे उन आदमियों से सख्त नफरत है जो मेरे सामने बैठ कर मुझसे झूठ बोलते है। अब जल्दी से सच बताओ नही तो मैं तुम्हारी सारी उंगलिया काट दूंगा।"

माज़ की ठंडी आवाज़ सुनकर वोह आदमी जल्दी से बोला।

"मुझे.....मुझे....नही पता, मुझे बस इतना कह गया था उस लड़की को धक्का देना है और बॉक्स वहां रख कर खून से शीशे पर लिखना है और पकड़े जाने पर जैक का नाम लेना ह।"

माज़ ने उसकी बात सुनकर उसकी सारी उंगलिया एक ही बात में काट दी जिसकी वाजह से उस आदमी की वहशत नाक चीखे पूरे सेल में गूंज गयी।

माज़ ने उसके दूसरे हाथ की भी सारी उंगलिया काट दी और उसकी बॉडी पर जगह जगह कट लगाने लगा। उसकी चीखे सुनकर माज़ के दिल को सुकून मिल रहा था।

जब इसकी चीखे सुनकर माज़ के दिल को सुकून मिल गया तब जा कर उसने उसे तड़पने के लिए छोड़ दिया जो दर्द की वाजह से बेहोशी की हालत में हो गया था।

"रामिश इसको ऐसे ही रखना येह मरना नही चाहिए मैं चाहता हु की यह तकलीफ की शिद्दत से धीरे धीरे मारे।"

माज़ ने सेल से बाहर निकलते हुए रामिश से कहा।

"मैं समझ गया।"

रामिश ने उसके साथ चलते हुए कहा।

माज़ सेल से निकल कर अपने खून भरे कपड़े चेंज करने के लिए वोह बेसमेंट में बने अपने कमरे को तरफ चला गया।

वोह फ्रेश होने के बाद अपने कमरे में गया तो माहेरा को वैसे ही लेटे देख उसने इशारे से रोज़ी को बाहर जाने के लिए कहा और माहेरा के माथे पर किस करके बैठने वाले अंदाज़ उसके पास लेट कर उसके बालो में उंगलिया फेरने लगा।

...........

हर तरफ गोलियां चलने की आवाज़े आ रही थी वोह औरत उस बच्ची को लिए कमरे में आई और दरवाज़ा लॉक करके बोली।

"महेरु तुम जल्दी से इस वार्डरोब में छुप जाओ।"

उस औरत ने माहेरा को वार्डरोब में बिठाते हुए कहा।

"लेकिन क्यों मम्मा?"

माहेरा ने न समझी से पूछा।

"माहेरा कोई सवाल नही और कोई भी आवाज़ आये तुम बाहर मत आना।"

उस औरत ने कहा कर वार्डरोब का दरवाज़ा बन्द किया तभी कोई कमरे का दरवाज़ा खोल कर अंदर आया और उस औरत की तरफ गन पॉइंट की।

"प्लीज मुझे छोड़...."

वोह औरत अभी कह ही रही थी कि उस आदमी ने उसे गोली मार दी।

.........

माज़ उसके बालो में हाथ फेर ही रहा था कि तभी माहेरा बेहोशी में बेचैन होने लगी और अपनी मम्मा को पुकारने लगी।

म...मम्मा....

माज़ जल्दी से सीधा हुआ और धीरे धीरे माहेरा को होश में आते देख रहा था।

माहेरा ने धीरे से अपनी आंखें खोली तो कमरे में लाइट की वाजह वोह अपनी आँखें बंद करने पर मजबूर हो गयी। उसके सिर में बहोत तेज़ दर्द हो रहा था था। उसने दो तीन बार अपनी पलके झपकाई और फिर अपनी आंखें पूरी तरह से खोल कर उसने अपने पास बैठे माज़ को देखा।
उसने अपने दर्द से फटते सिर पर हाथ फेरा तो पट्टी महसूस करके उसने न समझी से माज़ को देखा और धीरे आवाज़ में बोली।

"आ...आप....कौन है? और...आप...ने मेरा हाथ क्यों पकड़ा है?"