Ziddi Ishq - 27 books and stories free download online pdf in Hindi

ज़िद्दी इश्क़ - 27

माज़ ने ज़बरदस्ती उसका मुंह खोला और माहेरा माज़ से बिरयानी खाते हुए तीखा लगने की एक्टिंग करने लगी। वोह अपनी आंखों में आंसू लिए हुए मासूम सी शक्ल बना कर उसे देख रही थी। माज़ ने उसकी आँखों मे आंसू देख कर उसके हाथ पैर खोल दिए।

उसके खोलते ही माहेरा उठ कर किचन में गयी और पेस्ट्री निकाल कर आराम से बैठ कर खाने लगी। उसे माज़ की हालत सोच कर अब भी हँसी रही थी।

.......

रामिश सोफ़िया के कहने पर एक घण्टे बाद उसके घर के सामने खड़ा था। उन अपना फोन निकाल कर सोफ़िया को मैसेज किया।

रामिश ला मैसेज मिलते ही सोफ़िया ने खड़े हो कर खुद को शीशे में देखा और बाहर आ गयी।

वोह गाड़ी का दरवाज़ा खोल कर अंदर बैठ गयी तो रामिश ने उसके माथे पर किस किया और गाड़ी स्टार्ट करदी।

वोह उसे ले कर एक खूबसूरत रेस्टुरेंट में आया था। वोह रेस्टुरेंट टॉप फ्लोर पर था। वोह उसे ले कर आगे बढ़ गया जहां उसने वी.आई.पी टेबल बुक की थी।।

वोह जिस टेबल पर बैठे हुए थी। वहां से शहर का खूबसूरत नजारा साफ नजर आ रहा था।

"सोफ़िया क्या हुआ है? तुम रोई क्यों थी?"

खाना आर्डर करने के बाद रामिश ने उसकी सूजी हुई आंखे देख कर पूछा।।

"वो...वोह मम्मा की याद आ रही तो बस.."

वोह उदासी से रामिश से बोली। एक तरह से येह बात सच भी थी क्योंकि आज वोह वाकई अपनी मम्मा को याद कर रही थी।

"शूशू...कुछ नही होता और मैं हु ना तुम्हारे साथ और फिर तुम्हारे डैड भी तो है।"

वोह टेबल पर रखा उसका हाथ हल्का सा दबाते हुए बोला।

सोफ़िया सैम साहब का ज़िक्र सुन कर और उदास हो गयी।

"बिल्कुल आप हो ना मेरे साथ.....मुझे कभी छोड़ कर तो नही जाओगे ना?"

सोफ़िया ने खोए हुए अंदाज़ में पूछा तो रामिश उसका हाथ पकड़ कर किस करते हुए बोला।

"कभी नही, मैं हर मुश्किल हर खुशी में तुम्हारा साथ दूंगा।"

सोफ़िया उसकी बात सुनकर उदासी से मुस्कुरा दी, ज़रूरी तो नही इंसान जैसा कहे वैसा ही करे। अब यह तो वक़्त ही बताएगा रामिश उसका कितना साथ देगा।

उन दोनों के खाना खाने के बाद रामिश सोफ़िया को लेकर उसके घर की तरफ चल पड़ा। उसने गाड़ी सोफ़िया के घर के पहले ही रोक दी।

"क्या हुआ?"

सोफ़िया ने गाड़ी के रुकते ही पूछा।

रामिश ने एक नज़र उसे देखा और फिर अपनी तरफ खींच कर उसके होंठो पर किस करने लगा।
थोड़ी देर बाद उसने सोफ़िया को छोड़ा और गाड़ी फिर से स्टार्ट कर दी। इस बार उसने गाड़ी सोफ़िया के घर के सामने रोक दी और उसके माथे पर किस करके उसे अपना ख्याल रखने का कह कर वहां से चला गया।

..........

माहेरा कमरे में आई तो माज़ उसे घूर रहा था। उसे लगा शायद माज़ को पता चल गया है लेकिन फिर अपने एक्सप्रेशन नार्मल करते हुए वोह बेड पर जा कर बैठ गयी। माज़ अब भी उसे घूर रहा था तो माहेरा झुंझला कर बोली।।

"क्या हुआ माज़ ऐसे क्यों देख रहे हो?"

"माहेरा क्या तुम कभी सीरियस नही हो सकती?"

माज़ सोफे से उठ कर उसके पास बैठते हुए बोला।

"माज़ मैं हमेशा से ऐसी ही थी।"

माहेरा ने उसकी तरफ देखते हुए कहा।

"क्या तुम हमारे रिश्ते को एक्सेप्ट नही कर सकती?"

माज़ ने सीरियस हो कर पूछा।

"माज़ येह रिश्ता तुमने मेरे साथ जबरदस्ती बनाया है। मैं कभी तुमसे शादी नही करना चाहती थी।"

माहेरा ने उसकी आँखों मे देखते हुए कहा।

"क्या मैं तुम्हे इतना बुरा लगता हूँ कि तुम इस बारे में सोच भी नही सकती।"

माज़ ने खूंखार नज़रो से उसे घूरते हुए पूछा।

उसकी बात सुनकर माहेरा हँसने लगी और फिर उदास नज़रो से उसे देखते हुए बोली।

"अगर सच कहु तो तुम्हे देख कर बस मुझे गुस्सा आता है क्योंकि तुमने मुझे मेरी दोस्त मेरे पेरेंट्स सब से दूर कर दिया है...."

माहेरा नज़रे झुकाए कह रही थी इसीलिए वोह माज़ के बदलते एक्सप्रेशन देख नही पाई।

"आह।"

माहेरा बोल रही थी जब माज़ में उसके बालो को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया।

"मुझे देख कर तुम्हें गुस्सा आता है? तुम कुछ भी करलो माहेरा लेकिन मैं तुम्हे कभी खुद से दूर नही होने दूंगा।"

माज़ उसके कान के करीब जा कर बोला।

"और तुम चाहे जितनी भी कोशिश करलो माज़ मैं तुमसे दूर जा कर रहूंगी। मैं तुम जैसे दरिंदे के साथ एक पल भी नही रह सकती।"

माहेरा उसकी आँखों मे देखते हुए कहा रही थी।
आज उसके चेहरे पर सिवाए नफरत के और कोई एक्सप्रेशन नही था।

"मैं तुम्हे बताता हूं दरिंदा होता कैसा है?"

माज़ ने माहेरा के बालों में अपनी पकड़ मजबूत करते हुए अपने करीब खींच लिया और उसकी सांसे अपनी सांसो में कैद कर लिया।

माहेरा उसे खुद से दूर धकेलने की कोशिश कर रही थी लेकिन वोह नाकाम रही।

माज़ के होंठ उसकी गर्दन और होंठो को छू रहे थे। माहेरा उसे दूर करने की कोशिश में थक चुकी थी जब वोह ना रुका तो माहेरा की आंखों से आंसू गिरने लगे।

उसकी आँखों से आंसू गिरते देख वोह जैसे होश में आया। माज़ उससे दूर हुआ और उसकी आँखों मे देखते हुए बोला।

"तुम सिर्फ मेरी हो और मुझ से दूर जाने की बात अपने दिमाग से निकाल दो नही तो जिस दिन मेरे अंदर का दरिंदा जाग गया ना उस दिन तुम्हारे येह आंसू भी मुझे रोक नही पाएंगे।"

माहेरा बस एक टक उसे देखती रही अब उसे माज़ से डर लगने गया था। उसे अपनी फैमिली की फिक्र होने लगी थी। वोह बस उन्हें मिल कर उन्हें माज़ के बारे में बताना चाहती थी लेकिन उसने तो उसे इस मेंशन की चार दिवारियो में कैद कर दिया था।

माहेरा ने बेदर्दी से अपनी आंखें रगड़ी और बेड पर लेट गयी।

माज़ उठ कर वशरूम में चेंज करने के लिए चला गया। वोह माहेरा के साथ जबरदस्ती नही करना चाहता था लेकिन जब उसने सुना कि माहेरा को उसे देख कर गुस्सा आता है तो वोह खुद पर कंट्रोल नही कर पाया।

उसे नही पता कि वोह क्या कर रहा है लेकिन वोह माहेरा को खुद से दूर जाने के बारे में सोच भी नही सकता था।। उसे वोह नीली आंखों वाली लड़की पहले दिन से पसंद थी क्योंकि उसने कभी माहेरा की आंखों में खुद के लिए डर नही देखा था। वोह सब से अलग थी। उसकी शरारत उसका गुस्सा करना माज़ को सब कुछ पसंद था लेकिन वोह उसे खुद के करीब रखना चाहता था।

"मैं भी देखता हूं माहेरा तुम मुझ से दूर कैसे जाती हो?"