Pehchan - 17 books and stories free download online pdf in Hindi

पेहचान - 17 - गलती का एहसास

अभिमन्यु ने कहा जी एक छोटी सी लड़की है उसका नाम पीहू है मुझे उसके बारे मैं जानना है......

इकबाल बोला ओ! अच्छा तो आपको उस छोटी सी बच्ची के बारे मैं जानना है , वो तो भाईजान एक पाक दिल और एक मासूम सी बच्ची है,पहली बार जब आई थी मैं तो मना कर दिया था की काम नहीं दूंगा , भला आप भी बोलो जिस लड़की को मैं आज तक देखा नहीं जाना नहीं भला किस भरोसे काम दे देता......
पर भाईजान वो एक दम पागल है, काम पाने के लिए मेरे पैरों तले गिर गयी और जब मैं नहीं माना, मुझसे बात मनवाने के लिए, एक बड़े से कोयले को हतोड़े के मदत से, कम समय में कई टुकड़ो मैं बिखेर दी..... उसे उस दौरान चोट भी बहुत लगी पर वो रुकी ही नहीं, उसकी यही जुनून को देख कर मैं भाईजान खुद को रोक न पाया और उसको काम पे रख दिया.......
अब उसे यहाँ काम किये 4 महीने हो चुके हैं... हाँ कभी कभार देर से आती है, पर काम जरूर पुरा करती है, चाहे उसके लिए उसे एक मशीन की तरह बिना रुके काम ही क्यों न करना पड़े । बहुत ही मेहनती है भाईजान , मैं तो उससे एक बार पूछा भी था की अगर पैसों की बहुत जरूरत है तो मुझसे उधार ले सकती है पर वो मना करदी ।

अभिमन्यु पूछा क्या आप उसके बारे मै कुछ और जानते है? जैसे कहाँ से आई है और पहले क्या करती थी?

इकबाल बोला भाईजान मैं उसे काम देने से पहले एक बार पूछा था पर वो कुछ न बोली उल्टा एक कागज पे ये लिखदि की अगर यहाँ काम करते वक़्त उसको कुछ होगया तो उसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं होगा और नीचे अपना दस्तखत कर दी ....अब आप ही बोलो इसके आगे मैं और क्या कर सकता था ..! इसलिए मैं उससे फिर कभी भी उसके बारे मैं नहीं पूछा ।

अभिमन्यु बोला ठीक है thank you sir..

इकबाल बोला वैसे आपसे एक बात पूछूँ ?

अभिमन्यु बोला जी पूछीये ...

इकबाल बोला देखिये भाईजान मुझे गलत मत समझना पर मैं जितना आपको पहचान पा रहा हूँ ,आप राजपुत् खानदान के एक लौते वारिस अभिमन्यु राजपुत् हैं भला आप इस छोटी सी लड़की के बारे मैं पूछताछ क्यों कर रहे है क्या इसने कुछ गलत किया है ? या आपका इसके साथ कोई रिस्ता है ?

अभिमन्यु बोला नहीं नहीं इसने कुछ गलत नहीं किया है और न ही मेरा इसके साथ कोई रिस्ता है ... मैं तो बस यहाँ से गुजर रहा था ,ये छोटी सी लड़की मुझे काम करते दिखाई दी अच्छा लगा तो पूछने चला आया..... Nothing than that.

इकबाल को बात थोड़ी अजीब लगी पर इतने बड़े इंसान से पूछना सही नहीं समझा, वो मन ही मन बोला छोड़ो भाई जो है सो है मुझे उससे क्या....... ये बड़े लोग, इनका नाम जितना बड़ा राज भी उतना बड़ा..... उससे अपने को क्या....

अभिमन्यु बोला ठीक है sir मैं चलता हूँ ..

इकबाल बोला जी भाईजान

अभिमन्यु उठा और चलने लगा , तभी रुक कर वो पीछे मुडा और कहा sir Ek और request थी आपसे....

इकबाल बोला जी भाईजान कहिये .......

अभिमन्यु बोला देखिये please मेरे यहाँ आने के बारे मैं किसीको ,मत बताना खास कर पिहू को..

इकबाल बोला okay.

अभिमन्यु वहाँ से बाहर तो आगया पर बार बार उसके मन मे एक ही सवाल गूंजी की आखिर उसने इतनी बड़ी गलती कैसे करदी? आखिर वो क्यों उसकी बात पे यकीन नहीं कर पाया ?तभी उसके भूख ने ,उसको उसकी सोच से बाहर निकाला, तो वो पास के एक कॉफी शॉप पे चला गया................ कॉफी और कुछ snacks खाने के बाद उसकी भूख थोड़ी सांत हुई । वो वहाँ से निकल ही रहा था की उसकी नज़र फिर से कीसिपे पड़ी ध्यान से देखा तो, वो पीहू थी....... उसने अपने आपसे कहा अभिमन्यु तु न पागल होगया है......
इतना भी मत सोच उस लड़की के बारे मैं ,की वो लड़की तुझे हर जगह दिखाई दे !...... थोड़ा logic से भी सोच ,भला सुबह से दो दो काम करने के बाद उसमे क्या किसीमे इतनी भी ताकत बची होगी जो कोई और काम कर सकता है ! कहते हुए वहाँ से चला गया ।